मुझे गोद मे बैठा लो

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Antarvasna, sex stories in hindi: मैंने कुछ दिनों पहले ही दिल्ली में नया ऑफिस जॉइन किया था मुझे उस ऑफिस को ज्वाइन किए हुए अभी कुछ दिन ही हुए थे इससे पहले मैं दूसरी कंपनी में जॉब करता था। यह मेरा पहला ही दिन था और पहले ही दिन मेरी मुलाकात अनिल के साथ हुई अनिल से मेरी काफी अच्छी जमने लगी थी तो एक दिन अनिल ने मुझे अपने घर पर डिनर के लिए इनवाइट किया। मैंने उसे मना किया लेकिन वह कहने लगा कि इस बहाने हम लोगों का परिवार से परिचय तो हो जाएगा मैंने उसे कहा ठीक है मैं जरूर तुम्हारे घर पर आऊंगा। मैं उस दिन जब घर पहुंचा तो मैंने आकांक्षा को कहा कि कल हम लोगों को अनिल के घर डिनर के लिए जाना है तो वह कहने लगी कि ठीक है राकेश कल जब आप ऑफिस से आएंगे तो मैं तैयार हो जाऊंगी। मैं उसके बाद बाथरूम में चला गया उस दिन काफी ज्यादा गर्मी हो रही थी तो मैं बाथरूम से नहाकर 10 मिनट बाद निकला।

आकांक्षा ने मेरे लिए चाय बना दी थी और मैंने चाय पी उसके बाद आकांक्षा और मैं साथ में बैठे हुए थे मैंने आकांक्षा से कहा कि मां की तबीयत अब कैसी है तो वह कहने लगी कि उनकी तबीयत पहले से बेहतर है। मैं मां के कमरे में गया तो वह सो रही थी इसलिए मैंने उन्हें उठाना ठीक नहीं समझा अगले दिन हम लोग अनिल के घर पर गए अनिल ने अपने माता-पिता और अपनी पत्नी से हम लोगों को मिलवाया। जब हम लोग उनके घर गए तो उस दिन अनिल और मैं एक दूसरे के साथ बैठे हुए थे अनिल ने मुझे कहा कि चलो हम लोग थोड़ी ड्रिंक कर लेते हैं और हम लोगों ने उस दिन शराब पी ली। शराब पीते पीते हम दोनों बातें कर रहे थे हम लोगों ने डिनर किया और उसके बाद हम लोग घर वापस लौट आए जब हम लोग घर वापस लौट आए तो मेरी पत्नी आकांक्षा मुझे कहने लगी कि आज हमें अनिल भाई साहब के घर पर काफी अच्छा लगा। हम लोग घर पहुंच चुके थे और घर पहुंचने के बाद हम दोनों अब सोने की तैयारी कर रहे थे तो आकांक्षा मुझसे कहने लगी कि राकेश कल मैं अपनी मम्मी से मिलने के लिए जाऊंगी तो मैंने उसे कहा ठीक है मैं तुम्हें तुम्हारी मम्मी के घर पर छोड़ दूंगा। आकांक्षा के पापा का देहांत काफी समय पहले हो चुका है और आकांक्षा की मम्मी ने ही उनकी देखभाल की है।

अगले दिन मैं आकांक्षा को छोड़ने के लिए उसके घर चला गया और वहां से मैं अपने ऑफिस निकल गया आकांक्षा उस दिन अपनी मम्मी के पास ही रुकने वाली थी इसलिए उस दिन मैं और मेरी मां ही घर पर थे। मैंने उस दिन बाहर से ही खाना मंगवा लिया था और फिर हम लोगों ने खाना खाया, मां कहने लगी कि राकेश बेटा मैं सोच रही हूं कुछ दिनों के लिए मैं राधिका के पास चली जाऊं। मैंने मां से कहा ठीक है मां मैं कल ही राधिका से इस बारे में बात कर लेता हूं। राधिका मेरी बहन का नाम है और मेरी मां ने जब मुझे यह बात कही तो मैंने अगले दिन राधिका से बात की और राधिका कहने लगी कि ठीक है भैया आप मम्मी को हमारे घर पर छोड़ देना। मैंने अगले दिन मम्मी को राधिका के घर पर छोड़ दिया था। आकांक्षा भी वापस लौट आई थी उस दिन ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम था इसलिए मुझे घर लौटने में देर हो गई थी आकांक्षा का मुझे फोन बार-बार आ रहा था लेकिन मैं उसका फोन उठा नहीं पाया था तो मैंने आकांक्षा को दोबारा फोन किया और कहा कि मैं अभी ऑफिस में बिजी हूं थोड़ी देर बाद घर आ रहा हूं। मैं उस दिन देर रात से घर पहुंचा आकांशा मेरा इंतजार कर रही थी मैंने उसको कहा कि क्या तुमने खाना खा लिया है तो वह मुझे कहने लगी कि मैं आपका इंतजार कर रही थी। उसके बाद हम लोगों ने साथ में खाना खाया और उस दिन मैं जल्दी सो गया मुझे पता ही नहीं चला कि कब मुझे गहरी नींद आ गई क्योंकि ऑफिस में ज्यादा काम हो जाने की वजह से मैं बहुत ज्यादा थक चुका था। कुछ दिनों से ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम था इसलिए मुझे आकांक्षा के साथ समय नहीं मिल पा रहा था मां अभी भी राधिका के पास ही थी लेकिन जिस दिन मेरी छुट्टी थी उस दिन आकांक्षा और मैं साथ में कहीं जाना चाहते थे। आकांशा को शॉपिंग करनी थी तो मैं उस दिन उसे अपने साथ ले गया आकांक्षा ने भी काफी शॉपिंग की और वह बहुत ज्यादा खुश थी। मैं और आकांक्षा एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं इसलिए मैं उसे कभी भी किसी प्रकार की कोई कमी नहीं होने देना चाहता था।

उस दिन जब हम दोनों घर लौटे तो आकांक्षा मुझे कहने लगी कि राकेश आज मुझे काफी अच्छा लग रहा है इतने दिनों बाद तुमने मेरे लिए समय निकाला। मैंने आकांक्षा को कहा तुम तो जानती ही हो कि ऑफिस में कितना ज्यादा काम हो जाता है जिस वजह से मुझे अपने लिए बिल्कुल समय नहीं मिल पाता। मैं काफी दिनों से सोच रहा था कि तुम्हें मैं अपने साथ कहीं लेकर जाऊं लेकिन तुम तो जानती ही हो कि मुझे बिल्कुल भी समय नहीं मिल पा रहा था इस वजह से मैं कहीं जा भी नहीं पा रहा था। आकांक्षा और मैं एक दूसरे के साथ बहुत ही खुश हैं। अगले दिन जब मैं ऑफिस गया तो मैंने देखा हमारे ऑफिस में एक नई महिला जॉब करने के लिए आई हुई है उसके पीछे हमारे ऑफिस का लगभग आधे से ज्यादा स्टॉक पड़ा हुआ था सब लोग उसके गदराए हुए बदन को देखकर उसकी तरफ इतना ज्यादा मोहित है हर कोई उसको गोद में बैठाना चाहता था लेकिन जब मैंने उस पर लाइन मारनी शुरू कि तो वह मेरी तरफ फिदा होने लगी उसका नाम मोहनी है मोहनी अपने नाम के अनुसार ही सुंदर थी और दिखने मे बहुत ही ज्यादा अच्छी है। मैं उसे जब भी देखता तो मुझे बहुत अच्छा लगता मैं हमेशा उसकी तारीफ किया करता एक दिन मोहनी के पति अपने काम के सिलसिले में बाहर गए हुए थे।

उसने मुझे साथ चलने के लिए कहा मुझे नहीं पता था कि वह मुझे अपने हुस्न का प्याला पिलाना चाहती है उसने मुझे अपने घर पर बुलाया तो मैं उसके घर पर चला गया। उसके घर पर जाने के बाद मैंने जब उसके बदन को महसूस करना शुरू किया तो मुझे अच्छा लगने लगा वह मेरी गोद में आकर बैठ गई मेरे अंदर की आग बढ़ने लगी थी मैंने उसकी गर्मी को पूरी तरीके से बढ़ाकर रख दिया था। वह मुझसे अपनी चूत मरवाने के लिए तड़प रही थी मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी चूत मारने के लिए तैयार हूं मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किए तो वह मुझे अपने साथ अपने बेडरूम में ले गई हम दोनों उसके बेडरूम में चले गए। जब हम लोग उसके बेडरूम में गए मैं उसके बदन को बड़े अच्छे तरीके से महसूस करने लगा था और उसके होठों को मैं चूमने लगा था। उसके होठों को चूम कर मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी और मुझे मजा आने लगा था मैं जिस प्रकार से उसके होठों को चूम रहा था उससे मेरे अंदर की आग इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी कि मैं उसकी चूत मारने के लिए तैयार था मैंने उसके बदन को महसूस करना शुरू कर दिया था कहीं ना कहीं वह भी मेरे लंड को अपने मुंह में लेना चाहती थी मैंने अब अपने लंड को बाहर निकाला तो उसने उसे अपने मुंह में लेने के लिए अपने हाथ को आगे बढ़ाया। वह पहले तो मेरे लंड को अपने हाथों से हिला रही थी उसे बड़ा मजा आ रहा था और मुझे भी बहुत ही अच्छा महसूस होने लगा था। मैंने उसके अंदर की गर्मी को पूरी तरीके से बढ़ाकर रख दिया था मैं उसे कहने लगा तुम ऐसे ही चूसती रहो मेरे मोटे लंड को वह अपने मुंह के अंदर लेकर अच्छे से चूस रही थी मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा था मेरे अंदर की आग अब इतनी ज्यादा बढ़ने लगी थी कि वह मुझे कहने लगी मेरे अंदर की आग बहुत ज्यादा ही बढ़ चुकी है।

मैंने उसके बदन से सारे कपड़े उतार दिए और उसकी चूत को मैं चाटने लगा जब मैं उसकी चूत को चाटने लगा तो मुझे इतना मजा आने लगा था कि मेरे अंदर की गर्मी बहुत बढ़ने लगी और उसकी चूत से निकलता हुआ लावा पूरी तरीके से बढ़ चुका था। मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी चूत के अंदर अपने लंड को डालना चाहता हूं मैंने अपने लंड को उसकी चूत के अंदर डाल दिया। मेरा लंड उसकी चूत के अंदर चला गया मुझे बहुत अच्छा लग रहा था वह जिस प्रकार से मुझे अपने दोनों पैरों के बीच में जकडने की कोशिश करती उससे मुझे बहुत मजा आने लगा था।

उसके अंदर की आग और भी ज्यादा बढ़ती जा रही थी मैंने उसके पैरों को अपने कंधों पर रखा और मैंने उसे तेजी से धक्के मारने शुरू किए करीब 5 मिनट की चुदाई का आनंद लेने के बाद मेरा माल बाहर गिर गया जैसे ही मेरा माल गिरा तो उसके बाद मैंने उसको कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसती रहो। वह बड़े ही अच्छे से मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी और मुझे बहुत ही अधिक मज़ा आने लगा था मेरे अंदर की आग बढने लगी थी। वह मुझे कहने लगी आपने मेरे अंदर की आग बहुत ज्यादा बढ़ा दी है मैंने उसे घोडी बना दिया और घोड़ी बनाने के बाद जब मैं उसे चोदने लगा तो मुझे मजा आने लगा था। उसकी चूत मारकर मुझे इतना मजा आने लगा था कि मैं एक पल भी अब रह नहीं पा रहा था मैंने उसे कहा मैं रह नहीं पा रहा हूं। मैंने उसे बड़ी तेज गति से चोदना शुरू किया मेरा लंड पूरी तरीके से छिल चुका था। उसका बदन और भी ज्यादा गर्म होने लगा था मैंने जैसे ही अपने वीर्य की पिचकारी को उसकी चूत के अंदर गिराया तो वह खुश हो गई और मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही मजा आ गया।
 
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