मेरी कंवारी भाभी की चूत [भाग-1]

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यारों मेरा नाम बंटी है और आज मैं अपनी भाभी की चूत मारने की अपनी एक दम सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूं। मैंने बीए करने के बाद एमबीए करने के लिये अपने बड़े भाई के पास जाने का फ़ैसला किया। बड़े भैया अहमदाबाद रहते हैं और उनकी पिछले ही साल शादी हुई है। उनके पास जाकर रहने के नाम पर ही मुझे अपनी कमसिन भाभी की मासूम सेक्सी सूरत याद आने लगी। ट्रेन पकड़ कर भाभी को याद करते हुए मैं अहमदाबाद पहुंचा। भाई साहब मार्केटिंग के जोनल मैनेजर हैं और इसलिये वो अक्सर लंबे बिजनेस टूर पर रहते हैं। मैं भैया के फ़्लैट पर पहुंचा। दो कमरों का फ़्लैट है उनके पास और बच्चे हैं नहीं तो एक खाली कमरा स्टडी कम गेस्ट रुम के तौर पर इस्तेमाल होता था। उस रुम में मैने अपना कब्जा जमा लिया। भाभी मुझे देखते ही खुश हो गयीं। वो मुझसे तीन ही साल बड़ी होंगी और इस लिये हम काफ़ी हिले मिले थे पहले से ही। रात को डिनर करने के बाद मैंने अपने लैप्टाप पर हालीवुड की फ़िल्म - 'माय ट्वेंटी फ़र्स्ट डेट्स' लगा दी। फ़िल्म में काफ़ी किसिंग सीन्स और इमोशनल ड्रामा है। रोमांटिक फ़िल्म और खूबसूरत नजारों को देखते हुए मैं ठंडी का मजा लेते हुए अपने लंड को पकड़ कर ज्वाय स्टिक की तरह हिलाते हुए रगड़ रहा था और अंदर ही अंदर मजा ले रहा था।

इस तरह वासना जग चुकी थी और भाभी की गुदेली गांड मेरे दिमाग में नाचना शुरु कर चुकी थी। मैने ध्यान से भाभी के रुम में झांका तो पाया कि वो जगी हुई थीं और झीनी नाईटी में अप्ने पारदर्शी बदन का मुजायरा करा रही थीं। मैंने आवाज दी, आईये भाभी फ़िल्म देखते हैं। वो तुरत चली आयीं और बोलीं कि मुझे भी नींद नहीं आ रही है इसलिये मैं भी आपके साथ बैठती हूं। हम दोनों ब्लैंकेट ओढे फ़िल्म देखने लगे। हीरो हिरोइन के मस्त चूंचों को खोलता हुआ दीवाल से सटा कर गर्मा गरम सेक्स सीन दे रहा था और हीरोइन चूत मरवाते हुए सीत्कारियां मार रही थी। मेरा लंड पहले से खड़ा था अचानक मैंने पाया कि भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया है। मैंने हल्के से उनका हाथ लिये लिये अपने लंड के उपर कर दिया। पक्के तौर पर उनकी चूत पनियाली हो रही होगी।

मेरा छह इंच लंबा लंड पूरी तरह से बेतहाशा खड़ा था और इसलिये मैने ये जानते हुए कि भैया हैं नहीं और भाभी का इस रोमांटिक माहोल में मूड पाजिटीव दिख रहा है, अपना लंड छुआ दिया। वो गनगना उठीं उनके चेहरे पर लालिमा आ गयी, उनकी नजरें झुक चुकीं थीं वो फ़िल्म नहीं देख रही थीं बल्कि सर नीचे झुकाये अपने स्तनों को झांक रहीं थीं मैं समझ गया कि इनका मन तो कर रहा है लेकिन यह शरमा रही हैं। मैंने हिम्मत दिखाई, जरा सा उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड को जबरदस्ती पकड़ा दिया। वो मुठ्ठी में ले ही नहीं रही थीं मैने उनके टांगों को सहलाना शुरु कर दिया। वो अपनी टांगे चिपका के एक दूसरे के उपर चढा लीं जिससे कि मैं उनकी चूत तक आसानी से न पहुंच जाउं। मैंने उन्हें चोदने का फ़ैसला कर लिया था इसलिये छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता था। अगले भाग 2 में पढिये कैसे मैंने उनकी चूत चोदते समय जाना कि वो अब तक कवारी थीं और इसलिये उन्हें बेटा नहीं हुआ था अव तक।
 
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