मेरे अंदर की वासना

sexstories

Administrator
Staff member
हॉट स्कूल टीचर सेक्स कहानी पति से दूर रहने वाली महिला की है. एक दिन उसे पड़ोस के एक लड़के का सानिध्य मिला तो वह अपनी अन्तर्वासना को दबा के नहीं रख पायी.

अंतरवासना के सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार।

वैसे तो मेरी व्यस्तता के कारण इतना समय नहीं मिल पाता कि अपनी व्यथा और दास्ताँ किसी को बता सकूँ।
लेकिन लॉकडाउन के कारण घर पर बोर होने के कारण मैं धीरे धीरे मोबाइल पर नेट चलाने लगी।

इसी कड़ी में कब अंतरवासना की पाठिका बन गई, पता ही नहीं चल पाया।
धीरे धीरे इसकी कहानियाँ मुझे अच्छी लगने लगीं और मैं इसकी नियमित पाठिका बन गई हूँ।

कुछ कहानियाँ किसी की अपनी तो कुछ दूसरे की होती हैं। कुछ सच्ची तो कुछ झूठी होती हैं।

फिर भी अधिकांश कहानियाँ रोचक और आनंददायक होती हैं।
कुछ खुद की मर्ज़ी की कथा तो कुछ मजबूरी की कथा होती है।

वैसे तो सबके जीवन में ऊँचा नीचा कुछ ना कुछ होता रहता है।
कुछ लोग बता देते हैं तो कुछ छिपा लेते हैं।

मेरा जीवन भी काफ़ी उतार चढ़ाव भरा रहा है।
ऐसे में मैं आपको अपने जीवन की सच्ची घटना से रूबरू कराना चाहती हूँ।
यह एक स्कूल टीचर सेक्स कहानी कहानी है.

वैसे तो मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार की हूँ।
मेरे पिताजी एक किसान हैं और गाँव में रहते हैं।

मैं बिहार के एक छोटे से गाँव की रहने वाली 35 वर्षीय शादीशुदा महिला हूँ।

मेरा नाम सौम्या है। मेरा रंग गोरा तथा फ़िगर 34-32-34 है।
देखने में मैं काफ़ी आकर्षक और सेक्सी हूँ।
मेरी भूरी आँखें, उभरा हुआ बड़े साइज का वक्ष तथा भरा हुआ बदन किसी को भी आकर्षित करने के लिए पर्याप्त है।
लेकिन काम की व्यस्तता के करण कुछ भी सोचने या करने की फ़ुरसत नहीं मिलती।

मैं पेशे से एक शिक्षक हूँ, पति बाहर नौकरी करते है। मैं दो बच्चों की माँ भी हूँ।
घर में मेरी माँ भी है।
ये सारी ज़िम्मेदारी का निर्वाह करते हुए समय कब कट जाता है पता ही नहीं चलता।

लेकिन अकेले में मन में अजीब सी बेचैनी होने लगती है।

रात को बच्चों के सो जाने के बाद तो ऐसा लगता है जैसे बिस्तर पर साँप लोट रहा हो।
यहाँ कहानी पढ़ने के बाद शरीर के कुछ हिस्सों में जो बेचैनी होती है उसे शब्दों में नहीं बयान किया जा सकता।

धीरे धीरे मन चंचल होने लगा।
शरीर की इच्छा बढ़ने लगी, मन एकदम उदास और बेचैन रहने लगा।

उत्तेजना से शरीर के निचले हिस्से में कुल बुलाहट होने लगती है, साँस फूलने लगती है, शरीर में दर्द छूटने लगता है।
ऐसा लगता है जैसे कोई आए और मेरे शरीर को मसल दे।

लेकिन ऊपर वाले ने सबका भाग्य एक जैसा कहाँ लिखा है।
वैसे तो इस जमाने में शरीर के भूखे बहुत हैं, एक इशारे से ही कोई भी तैयार हो जाए।

लेकिन डर समाज और इज्जत का है।
विश्वास करें तो किस पर?

अचानक एक दिन ऐसी घटना घटी जिसने मेरे जीवन को ही बदल दिया।

एक दिन रात को नौ बजे अचानक मेरी तबियत बिगड़ गई।
मुझे उल्टी चक्कर और शरीर में ऐंठन की समस्या हो गई। ऐसा लगने लगा जैसे मैं खड़ा ही नहीं हो सकती।

मैंने घर की दवाओं को खाकर आराम करने की सोची लेकिन बेचैनी और चक्कर ने परेशान कर दिया था।

माँ की ज़िद के कारण मुझे डाक्टर के पास जाना पड़ा।

चूंकि मेरे घर में कोई और नहीं था इसलिए मुझे मुहल्ले के एक लड़के साहिल की सहायता लेनी पड़ी।

गाँव से शहर 10 किमी दूर होने और ऊबड़ खाबड़ कच्चा रास्ता होने के कारण मैं उतनी देर तक अकेली बाइक पर नहीं बैठ सकती थी।
तो साहिल ने मुझे अपनी मोटरसायकल पर बिठाया और पीछे से एक लड़के विनय ने मुझे पकड़ लिया और हम लोग शहर के लिए चल पड़े।

ऊबड़ खाबड़ रास्तों में हिचकोले खाते हुए बाइक चल पड़ी।

आधे घंटे में मैं सरकारी क्लिनिक में थीं।
वहाँ की महिला चिकित्सक ने मुझे ग्लूकोस की बोतल चढ़ायी तथा दवा देकर आराम करने को कहा।

घर पर किसी के नहीं होने तथा बच्चों के अकेले होने के करण मैंने डाक्टर से घर जाने को पूछा।
डाक्टर ने रात के डेढ़ बजे घर जाने की ज़िद देख अपनी सहमति दे दी।

मैं साहिल के साथ दुबारा वापस मोटरसायकल पर बैठ गई।
विनय फिर पीछे से मुझे पकड़ कर बैठ गया।
हम लोग घर की तरफ़ निकल पड़े।

रास्ते में मैंने महसूस किया कि विनय का कुछ मुझे शरीर के पीछे कमर के पास चुभ रहा है।
मैंने महसूस किया कि वह उसका लिंग था जो मेरे स्पर्श के कारण खड़ा हो गया था।

धीरे धीरे विनय का लंड एकदम सख़्त हो गया तथा मेरे चूतड़ों में चुभने लगा।

मैंने आवाज लगाई- विनय!
यह सुनकर वह डर गया तथा शरीर को सिकोड़ने लगा।

पहले से कुछ आराम होने के कारण मेरा मन कुछ ठीक था।

वैसे विनय मेरा पढ़ाया हुआ लड़का था। कुछ वर्ष पूर्व ही तो वह मेरे स्कूल से आठवीं पास करके पड़ोस के स्कूल में गया था। वह 19 वर्ष की उम्र वाला 12वीं का छात्र था।

मेरे मन में उसके प्रति कुछ भी नहीं था।
लेकिन समय का तक़ाज़ा और उम्र के दोष के करण वह जो सोच रहा हो।

ऊबड़ खाबड़ सड़क के करण उसका लिंग बार बार मेरे चूतड़ों की दरार में रगड़ रहा था।
मुझे पकड़े होने के करण उसके हाथ मेरे चूचियों पर रगड़ खा रहे थे।

इस सब से मेरे मन में भी कामुकता बढ़ने लगी; मेरी साँसें ज़ोर ज़ोर से चलने लगीं।
मैं जानबूझकर पीछे खिसक कर उसके उभरे लंड को अपने चूतड़ों से दबाने लगी; उचक उचक कर अपनी चूचियों का स्पर्श कराने लगी।

लेकिन मैंने यह भी ध्यान रखा कि विनय को इसका पता ना चले।

तब तक मेरा घर आ गया।
रात के 2 बज रहे होंगे।

साहिल और विनय मुझे छोड़ कर घर जाने लगे।
लेकिन मैंने विनय को अपने घर रोकने की तरकीब सोची।
मैंने अपनी बीमारी का हवाला देकर उसे रोक लिया।

माँ पीछे वाले कमरे में मेरे दो बच्चों के साथ मेरे आने के इंतज़ार में जगी थी जबकि बच्चे सो चुके थे।
मैंने माँ से बच्चों के साथ सोने को कह दिया तथा विनय को बाहर की कोठरी में भेज दिया।
मैं ख़ुद बीच वाले कमरे में सोने आ गई।

बिस्तर पर मुझे नींद कहाँ थी, मेरे तो ख़्यालों में विनय का लंड घूम रहा था।

मैंने आधे घंटे बाद महसूस किया कि माँ सो चुकी है।

मैं विनय के कमरे में गई.
तो मेरे आने की आहट सुनकर वह मेरी तबियत पूछते हुए उठ बैठा।

मैं उसके बिस्तर पर बैठ गई और रास्ते वाली बात पूछी।
विनय तो डर गया और मेरे पैर पकड़ लिये।

मैंने उसके सिर पर हाथ रखा और बोली- डरने की को बात नहीं है। ऐसा इस उम्र में होता है।
उससे मैंने कहा- एक बात पूछूँ . सही बताओगे?
तो उसने हाँ में सर हिलाया।

मैंने पूछा- तुमने कभी सेक्स किया है?
उसने ना में सिर हिलाया।

मैंने पूछा- फिर मोटर सायकल पर बैठने के दौरान मेरे मेरे पिछले हिस्से पर तुम्हारा लंड क्यूँ छू रहा था? देखूँ तो जरा कितना बड़ा है!
यह कहते हुए मैंने उसके पजामे में हाथ डाल दिया।

मेरे हाथ का स्पर्श पाते ही उसका लंड तनकर खड़ा हो गया।
वह लगभग 6 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा होगा।

मैंने उससे पूछा कि क्या उसने कभी इसका किसी लड़की के साथ इस्तेमाल किया है।
तो उसने कहा कि नहीं लेकिन वह ब्ल्यू फ़िल्म देख कर मुट्ठ मार लेता है।

वहीं दूसरी तरफ़ उसके खड़े लंड को देखकर मेरी चूत में सुरसुरी होने लगी।

मैंने उसके चेहरे पर भी कई प्रकार के भाव महसूस किये।
मुझे उसके मुंह से ज़ल्दी जल्दी निकलने वाली गर्म साँसें महसूस हुईं।

मेरे मन में उसके प्रति वासना का भाव भर गया। मेरे बदन में आग सी लग गई।

मैंने सोचा शायद यही उचित मौक़ा है, मैंने उसके लंड को पजामे से निकाल लिया तथा सहलाना जारी रखा।
उसके चेहरे को पास लाकर पप्पी लेते हुए कहा- आज मैं तुम्हें ब्ल्यू फ़िल्म का प्रेक्टिकल कराती हूँ।

सकुचाते हुए वह तैयार हो गया।
मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू किया, वह भी धीरे धीरे साथ देने लगा।

हम दोनों एक दूसरे को ज़ोर से पकड़ के चूमते रहे।

उसने अपना हाथ मेरी चूचियों पर रख दिया और सहलाने लगा।
मुझे भी बहुत आनंद आने लगा।

मैंने झट से उसका पजामा उतार कर उसको नंगा कर दिया।
उसने भी मेरे ब्लाउज़ तथा साड़ी को खोलकर मुझे साया और ब्रा में कर दिया।

मैंने खुद अपना साया खोल दिया ताकि उसे मेरी काया दिख सके।
मेरी गोरी गोरी जाँघें देखकर वह पागलों की तरह उससे लिपट गया तथा उन्हें चूमने और चाटने लगा।

मैंने उसके सिर को पकड़ कर अपनी चूत के पास सटा दिया।
वह मेरी पैटी के ऊपर से ही उससे खेलने लगा।

मैं उसके पास बिस्तर पर लेट गई तथा वह धीरे धीरे मेरा ब्रा और पेंटी खोल कर मुझे नंगी कर दिया।
वह मेरी दूधिया सफ़ेद बड़े बड़े चूचियों को सहलाने, चूसने और खेलने लगा।

मुझे महीनों बाद ऐसा लग रहा था जैसे जन्नत का सुख मिला हो।

एक तरफ़ अपने से आधे उम्र के पढ़ाए हुए लड़के के साथ ऐसा करने पर ग्लानि भी हो रही थी।
लेकिन वासना लोगों को अंधा कर देती है।

मैंने उसके लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर रख कर सहलाना शुरू किया।

मेरी चूत तो उसके पहले स्पर्श से ही गीली हो गई थी।
अब तो जी कर रहा था कि उसका लंड जल्दी से मेरी चूत के अंदर घुस कर उसमें मची आँधी को शांत कर दे।

वह मेरी भावनाओं को समझ गया।
उसने अपने लंड को मेरी चूत पर रख कर धीरे से धक्का दिया।

चूत गीली होने के कारण उसका आधे से अधिक लंड अंदर चला गया।

कई महीने बाद लंड मिलने के करण उसका लंड मेरी चूत में टाइट जा रहा था।

उसने एक धक्का और दिया जिससे उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया।
मुझे मीठे दर्द के साथ बहुत आनंद भी आ रहा था।

नए उम्र और अनुभव क़ी कमी के कारण के वह जल्दी जल्दी अपनी कमर हिलाकर ज़ोरदार धक्के देता रहा।
उसका बड़ा लंड जब मेरी चूत की दीवारों से टकराता हुआ अंदर जाता तो लगता जैसे जन्नत का सुख मिला है।

लेकिन शायद पहली बार चुदाई करने के कारण हुई उत्तेजना के चलते वह जल्द ही मेरे गर्म योनि में गिर गया।
पर मैं अभी तृप्त नहीं हो पाई थी।

मैं उसके बालों को सहलाती रही, उसके होंठों को चूसती रही।

उसका लंड फिर से तनकर खड़ा हो गया।
वह फिर से मेरे ऊपर आकर ज़ोरदार चुदाई करने लगा।

इस बार उसने आधे घंटे तक मुझे चोदा। इतनी देर में मैं दो बार झड़ी।

अब वासना पूरी होने के बाद मैं उठाकर दूर हो गई तथा मन में अपराध बोध से भर गई।
बाथरूम में जाकर मैंने अपनी वीर्य से भरी चूत को साफ़ किया।

महीनों बाद ज़ोरदार चुदाई के कारण मेरी चूत का ऊपरी हिस्सा छिल गया था।

मैं अपने कमरे में आ गई और बिस्तर पर लेट गई।
लेकिन मेरा मन एक अजीब अपराध बोध से भर गया। मुझे लग रहा था कि मैंने एक साथ कई अपराध कर दिए हों.
जैसे अपने पति को धोखा दिया . अपने छात्र के साथ सेक्स किया . अपने से काफी छोटे उम्र के लड़के के साथ चुदाई की.

आपको क्या लगता है?
क्या मैं दोषी हूँ?
हॉट स्कूल टीचर सेक्स कहानी पर आप अपने विचार मुझे मेल पर और कमेंट्स में बताएं.
[email protected]
 
Back
Top