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Madam Ki Gaand Fath Gayi

दोस्तो, अगर आप किसी से कुछ चाहते हैं, तो उस व्यक्ति की गलतियों को ढूंढें। यदि आप उस व्यक्ति को सार्वजनिक रूप से उसकी गलतियों को उजागर करने की धमकी देते हैं, तो वह व्यक्ति आपका ग़ुलाम बन जाएगा।

मेरी यह कहानी भी ऐसी ही एक सच्ची घटना पर आधारित है। मैंने इस कहानी में पात्रों के नाम बदल दिए हैं ताकि उनकी पहचान छिपी रहे।

यह मेरी आर्ट्स टीचर कुदसिया मैडम की कहानी है। मेरे कॉलेज में, यदि सभी पुरुष एक ही समय में एक जगह पर चुपके से घूर रहे हैं, तो इसका मतलब केवल एक ही हो सकता है।

इसका मतलब है कि कॉलेज के सारे पुरुष क़ुदसिया मैडम की गदरीली कमर और मटकती हुई चौड़ी गांड को ताड़ रहे है। क़ुदसिया मैडम हमारे कॉलेज की 'सेक्स-बोम्ब' है।

सुबह कॉलेज में अगर उनके दर्शन हो जाए, तो किसी का भी लौड़ा खुद-ब-खुद खड़ा हो जाता है। उनकी टाइट कुर्ती में मटकती हुई चुत्तड़ देखकर मन में गंदे ख़्याल आते है।

क़ुदसिया मैडम को अपनी खूबसूरत होने का घमंड है। जाहिर है कि घमंड है तो अकड़ भी होगी ही। उनके अहंकार के कारण, स्टाफ रूम में अन्य महिला शिक्षक उनके साथ दोस्ताना नहीं हैं।

एक बार क़ुदसिया मैडम का किसी टीचर के साथ स्टाफ रूम में घमासान झगड़ा हो गया था। कार्यक्रम के लिए छात्र समूह द्वारा एकत्रित धन स्टाफ रूम से चुराया गया था। कॉलेज की एक पुरानी टीचर ने क़ुदसिया मैडम पर आरोप लगा दिया था।

एक दिन कार्यक्रम के दौरान मैं स्टाफ रूम में रखे कुछ सामान को लाने गया था। मैं छात्र समूह का सदस्य होने की वजह से स्टाफ रूम में मेरा रोज़ का आना जाना रहता था।

स्टाफ रूम में घुसते ही मैंने क़ुदसिया मैडम को पैसों का बंडल अपनी बैग से निकालकर स्टाफ रूम के लॉकर में रखते हुए देखा। इसमें कोई शक नहीं था कि मुझे देखकर मैडम की गांड फट गई थी। शायद उन्होंने अपनी चड्डी में हग भी दिया होगा।

उनका हाथ डर के मारे काँपने लगा था। क़ुदसिया मैडम ने स्टाफ रूम का लॉकर बंद करके एक लंबी सास ली। उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर मुझे स्टाफ रूम के पास वाले लेडीज वाशरूम में ले गई।

बेसिन के पास खड़े होकर वह देखने लगी कि वाशरूम के अंदर कोई और है तो नहीं।

[क़ुदसिया मैडम:] प्लीज, प्लीज किसी को मत बताना जो तुमने देखा। तुम जितना बोलोगे मैं तुम्हे उतने मार्क्स दे दूंगी। प्रोजेक्ट भी देने की ज़रूरत नहीं है। पर प्लीज किसी को मत बताना।

[मैं:] यहाँ पर अगर मुझे आपके साथ किसी ने देख लिया तो उससे भी बड़ा हंगामा हो जाएगा।

क़ुदसिया मैडम को तभी समझ में आया कि उन्होंने कितनी बड़ी बेवक़ूफ़ी की थी। मेरा हाथ पकड़कर मुझे टॉयलेट के अंदर ले गई और दरवाज़ा बंद कर दिया।

क़ुदसिया मैडम टॉयलेट सीट को बंद करके उसके ऊपर टॉयलेट पेपर रखकर बैठ गई। मेरा हाथ पकड़कर फिरसे मुझसे बिनती करने लगी।

[क़ुदसिया मैडम:] प्लीज किसी से मत कहना जो भी तुमने देखा। तुम्हे मेरा पेपर लिखने की भी ज़रूरत नहीं है। मैं तुम्हे फुल मार्क्स से पास करवा दूँगी। लेकिन प्लीज, प्लीज किसी को मत बताना।

मैं तो सोचने लगा था कि मेरे हाथ जो सोने के अंडे देने वाली मुर्गी लगी है उसका फ़ायदा मैं कैसे उठाऊ। ऐसा मौका मुझे ज़िन्दगी में दुबारा मिलने वाला नहीं था। मैंने क़ुदसिया मैडम से अपने मन की बात बोल दी। उन्होंने साफ़ इंकार कर दिया था।

[क़ुदसिया मैडम:] तुम्हारा दिमाग तो ठिकाने में है ना? मैं वह सब बिलकुल नहीं करने वाली।

[मैं:] एक बार फिर सोच लो मैडम। मैंने अगर सभी को बता दिया कि पैसा आपने ही चुराया था तो आप तो जानती ही हैं कि आपका क्या हाल होगा।

क़ुदसिया मैडम मेरी मन की बातों को सुनकर चौंक गई थी। उन्होंने अपने सर पर हाथ रखकर कुछ देर सोचा।

[क़ुदसिया मैडम:] ठीक है। लेकिन तुम सिर्फ़ हाथ ही लगाना। यह मत भूल जाना कि मैं एक शादी-शुदा औरत हूँ।

[मैं:] मुश्किल है। लेकिन मैं पूरी कोशिश करूँगा। आप की गांड देखकर ही लगता है कि आप शादी-शुदा औरत है। वरना आजकल कौनसी प्रेमिका अपनी गांड की यह हालत करवाती है।

[क़ुदसिया मैडम:] चलो अब बकवास मत करो और जल्दी-जल्दी अपना हाथ चलाओ।

[मैं:] आप अपने कपड़े ख़ुद उतारेंगी या फिर मैं उन्हें उतार दूं?

[क़ुदसिया मैडम:] कुछ तो मेहनत करो ना।

क़ुदसिया मैडम टॉयलेट सीट पर ठीक से बैठ गई । मैं उनके सामने खड़ा हो गया। मैंने उनकी कमर पर दोनों हाथ रखकर उसे सहलाने लगा। उनकी सलवार को पकड़कर मैंने ऊपर से निकाला।

क़ुदसिया मैडम के लटकती मोटी चूचियाँ मैंने अपने हाथों से पकड़ ली थी। उनको ब्रा में से निकालकर मैं उन्हें दबोचकर मसलने लगा था। उनके काले निप्पल को पकड़कर मैंने जब खींचा तब क़ुदसिया मैडम की हलकी-सी चीख़ निकल गई।

मैं जब मूड में आकर उनकी चुम्मी लेने के लिए झुका तब उन्होंने मुझे धकेल दिया। दूसरी बार मैं अपना मुँह फिर से उनके चेहरे के पास ले गया। लेकिन चुम्मी लेने से पहले मैं उनके स्तनों की मालिश करने लगा।

क़ुदसिया मैडम ने जब अपनी आखें बंद की तब मैंने उनके होठों से अपने होंठ चिपका दिए। धीरे-धीरे मैंने अपनी ज़ुबान को उनके मुँह के अंदर डालकर उनकी गरम ज़ुबान को चाटने लगा।

क़ुदसिया मैडम को मैंने अब खड़ा कर दिया था। उनकी बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों से सहलाते हुए मैं उनके होठों को चूसने लगा। उन्हें पलटाकर मैंने उनकी महाकाय गांड के दर्शन नज़दीक से ले लिए।

उनकी कुर्ती पर मैंने अपने हाथों को घुटनों से शुरू करते हुए ऊपर की ओर बढ़कर सहलाना शुरू किया। उनकी कुर्ती का नाड़ा खोलकर मैंने कुर्ती को ज़मीन पर छोड़ दिया।

क़ुदसिया मैडम जैसे ही कुर्ती उठाने के लिए झुकी तभी मैं भी झुककर अपने मुँह को उनकी गांड से चिपका दिया। मेरी नाक उनकी गांड की दरार के अंदर घुस गई। वैसी तीखी गंध को मैंने ज़िंदगी में पहली बार सूँघी थी।

क़ुदसिया मैडम के चूतड़ों को फैलाकर नाक से उनकी गांड की दरार को अच्छी तरह से सूँघने लगा। फिर मैंने अपनी ज़ुबान को निकालकर उनकी गांड की दरार को चाटना शुरू किया।

उनकी गांड की छेद को चाटते समय मैडम अपनी कमर को हिलाने लगी। मैंने अपनी जुबान को पूरा अंदर तक घुसा दिया था। मैंने मैडम के एक पैर को उठाकर टॉयलेट सीट पर रख दिया। उनका काला भोसड़ा पूरा खुला हुआ था।

उनके भोसड़े वाली चूत को मैंने उँगलियों से रगड़ना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद, मैडम का कला भोसड़ा पानी छोड़ने लगा। मुझसे और रहा नहीं जा रहा था। मैंने अपने खड़े लौड़े को बाहर निकाला और मैडम के हाथ में पकड़ा दिया।

क़ुदसिया मैडम ने मेरे लौड़े को हिलाकर उसे पूरा तनकर खड़ा कर दिया। अपने लौड़े की नोक को मैडम के भोसड़े पर रखकर उसकी घिसाई की। मैडम की चूचियाँ पकड़कर मैं अपना लौड़ा मैडम के भोसड़े में घुसाने लगा।

उनकी महाकाय गांड मेरे पेट पर टकराने से 'फ़च-फ़च' की आवाज़ निकलने लगी थी। चुदाई करते वक़्त, मैंने अपनी बिच वाली उँगली को मैडम की गांड की छेद के अंदर घुसा दिया।

उँगली आराम से घुस जाने की वजह से मैडम को पता भी नहीं चला। मैंने अपनी मुट्ठी को ही उनकी गांड की छेद में घुसा दिया। तभी मैडम के होश उड़ गए। मैडम ज़ोर से चीख़ी और मैं भी डर गया था। मैंने धीरे से अपनी मुट्ठी को बाहर निकाल दिया।

मुझे तब समझ में आ गया था कि क़ुदसिया मैडम की गांड इतनी मोटी हुई कैसे।

उनका भोसड़ा इतना फैला हुआ था कि उसमे लौड़ा घुसाओ या फिर हाथ घुसाओ उनको कुछ फरक नहीं पड़ता था। तंग आकर मैंने अपना लौड़ा निकालकर उनकी गांड की छेद में घुसा दिया।

ज़ोर-ज़ोर से गांड की छेद में लौड़ा घुसाते वक़्त मैडम की सिसकियाँ निकलनी शुरू हो गई थी। कुछ देर बाद टॉयलेट में कोई और भी आ गया था।

पता नहीं कौन था लेकिन इतनी गंदी दुर्गन्ध आने लगी थी कि मुझे अपनी चुदाई बिच में ही रोकनी पड़ी। मैडम भी अपने कपड़े पहनकर भाग गई थी।

जितनी देर मिली उतनी देर तो मैंने उसके मज़े लिए ऐसा सोचकर मैं वहाँ से चला गया।
 
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