मौहल्ले की चिकनी चूत दिलेरी से मिली

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आज मैं दिलेरी की चिकनी चूत की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जो मेरे ही मौहल्ले में रहा करती थी | दिलेरी बखूबी जानती थी मैं उसे फ़िदा हूँ इसीलिए मुझे तो कुछ ज्यादा ही तडपाया करती थी | दोस्तों मैंने दिलेरी के मोटे चुचों और जब वो अपनी गांड मटक कर चलती थी तो मेरे दिल ही लुट जाता था जैसे | मेरे मौहल्ले के सभी लड़के उसकी एक बार चूत मारने के लिए तडप रहे थे जिसमें से मैं भी आता था | मेरे सभी दिलेरी के नाम की मुट्ठी मारा करते थे और इस बार भी मैं उनमें से ही एक था | वो हमेशा मुझे आँखों के ही इशारे में घायल कर दिया कर देती थी | एक दिन मैंने भी उसे दबोचने की ठान ही ली और एक दिन उससे पूछा की अपनी अतरंग जवानी को एक बहला देने मौका देने में हर्ज ही क्या है . .??

वो मेरी बात हंस दी और वहाँ से चल दी और इस बार मेरा भेजा ही सटक गया था | एक रोज जब वो अपने घर में थी तो मैं चुपके से उसके घर पहुँच गया जिस वक्त उसके माँ - बाप काम के लिए गए हुए थे | उसने तभी मुझे देखकर नटखट अंदाज़ में कहा, तुम्हे यहाँ तक बुलाने के लिए मैंने क्या क्या नहीं किया . . मेरी जान . .!! मैं तो अब और भी उतावला हो चूका था और एक पल के लिए थामना नहीं चाहता था | मैंने तभी उसके दुपट्टे को एक हाँथ से खींच लिया और उस अपनी बाहों में कसकर जकड लिया | वो भी मुझे चुदने के लिए बहुत बेताब हुई जा रही थी और मैंने भी बेकाबू होते हुए उसे चूमना चलाऊ कर दिया और उसके चुचों को दबाने लगा |

और उसे अब अपनी गौद में उठाया और जाकर बिस्तर पर लिटाया दिया | अब मैं भी उसके उप्पर कूद पड़ा और उसकी कुर्ती को उतार उसके मोटे - मोटे चुचों को चूसने लगा | दिलेरी की जाँघों को मल्स्ते हुए मैंने उसकी सलवार को खींच लिया और | मैं उसकी नरम जाघों को चूम रहा और एक तरफ से अपने हताहों से भी मसल रहा था | पल बीतते ही मैं उसकी चूत के इलाके तक भी पहुँच गया और अपनी चार उँगलियाँ उसकी चूत में अंदर - बहार करने लगा | दिलेरी मेरे सामने पूरी नग्न हो चुकी थी और अब इस बार उसके पास न कुछ छुपाने के लिए था न कुछ मुझे तड़पाने के लिए | अगर कुछ था तो वो थी चूत जो की मेरी प्यास को भुजाने के लिए |

दिलेरी मज़े में सिंहर रही थी और मेरे लंड को लेने के लिए चींख रही थी, मुझे गाली बक रही थी | अब मैंने भी अपना फर्ज अदा किया और अपने लंड के उसकी चूत में ज़ोरदार धक्के के साथ अंदर दे डाला | कुछ पल के लिए दिलेरी की सांसें ही अटक गयी थी और जब ५ मिनट में ही उसकी चिकनी चूत का हल्का - फुल्का दर्द हवा हो चला तो मैंने अपना लंड उसकी चूत में पूरा अंदर - बहार तेज़ी करना चालू कर दिया दिलेरी के अंदर भी सहनसख्ती की कतई भी कमी नहीं थी वो मेरे लदं के इतने टेक्स झटकों को मामूली समझ के बस लिए जा रही थी जबकि कोई लकड़ी शयद अब तक निढाल हो चुकी होती | मैं बस १५ मिनट तक की अपने पुरे दम से दिलेरी की चुदाई में जुट पाया फिर तभी अपने लंड को मसलते हुए पानी - पानी हो गया पर वो उसकी चूत मारने का हवसी सुख आज भी मेरी रगों में दौड रहा है |
 
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