रंडी के धंधे में मोटे और पतले लंड का भेद क्या

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मेरा दोस्त अक्सर कहा करता था कि लंड और चूत का कोई जाति पांत नहीं होता, कोई भेद भाव नहीं होता, उपर वाले ने दो ही कटेगरी बनायी है, या तो लौड़ा या फ़ुद्दी। आज तक मैं इस भेद को नहीं मानता था और अपना नौ इंच का लौड़ा छुपा कर अठ्ठाईस साल बीता दिये। कभी मूठ भी नहीं मारी आज तक और महिलाओं से कोसों दूर रहता था। पर एक दिन मेरे एक दोस्त ने मुझे बीएफ़ दिखा कर मुझे पागल कर दिया। उसी दिन मैं चूत की तलाश में भटकना शुरु कर दिया और अचानक उस दिन मेरी मुलाकात एक रंडी से बाजार में हो गयी। गोरा बदन, डार्क लिपस्टिक, खुली ब्लाउज का उपर का बटन, दूधिया चूंचियां झांकती हुई काले निप्पल उपर से दिखते, कमर पतली और सीना चौड़ा, रोटी बनाने वाले चौके की तरह पिछवाड़ा चिकना उपर से साड़ी नेट वाली। मेरा बाबा टनक गया, मैने जिप में हाथ डाल उसकी सही सेटिंग की और फ़िर अपना हथियार मैनेज करने के बाद, उसके पीछे पीछे चल गया, थोड़ी दूर जाने के बाद उसने पलट कर कहा अबे कांप काहे रहा है, मेरे पीछे आ रहा है तो जिगरा मजबूत कर ले। मैने कहा मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करना है। सुन कर वह हंसी और बोली साले सब मेरे साथ सेक्स ही तो करते हैं तू कहते हुए इतना कांप क्यों रहा है, मेरे दिल पर पत्थर गिरा तो वह वेश्या थी, सस्ती वेश्या। क्या पहली बार मुझे वेश्या की चुत मारनी पड़ेगी। मैं उसके पीछे उसके कमरे तक गया। छोटा कमरा लेकिन सजा हुआ, बिल्कुल साफ़ सुथरा। उसने मेरा पैकेट टटोला पहले पैकेट में दस रुपये पड़े थे। कमरा वो अंदर आने के बाद बंद कर चुकी थी, पाकेट से चिन्दी निकलते देख कर वो झल्ला गयी। बोली माधरचोद चला है रंडी चोदने दस रुपये में पान भी नहीं मिलता अभी तेरे को बाहर फ़ेंकवाती हूं।

मैने उसके पैर पकड़ लिये तो बोली अच्छा रुक और उसने मेरे लंड पर हाथ डाला। पहले से खड़ा नौ इंच का लौड़ा उसके हाथ में आते ही वह चौंक गयी। साले इतना बड़ा लौड़ा लेकर घूमता है और पैसा चवन्नी नहीं। भाग जा यहां से, पर मन ही मन वो पसीज गयी थी। मैं उसे चाह भी रहा था पर डर भी रहा था, कि उसने मेरा लौड़ा पकड़ के जोर से रगड़ दिया। मेरे सर पर खून सवार हो गया, मैने जैसे ब्लू फिल्म में देखा था, वैसे वैसे पटक कर उसके उपर चढ गया। उसकी ब्रा फ़ाड़ डाली वह चिल्लाने की कोशिश कर रही थी, पर मुह बंद करके उसकी चूत में लंड लगा कर एक जोरदार धक्का मारा। वह चिल्लाने की कोशिस करने लगी पर अफ़सोस मेरे हाथ उसके हलक को बंद कर चुके थे। मैने आधा लंड अंदर डाला, तो उसकी चूत की किनारे की सिलाई उघड़ने लगी, हल्का हल्का खून रिसने लगा।मैने लंड बाहर निकाल लिया और उसे छोड़ दिया। वह मेरे को पकड़ कर मेरे उपर बैठ गयी और मुझे झापड़ झापड़ मारने लगी। साले चोद अब तो तूने मेरी चूत फ़ाड़ दी है, किसी को चूत दिखाने के काबिल नहिं रह गयी मैं। कौन दस रुपये भी देगा मुझे अब? अब चल फ़ाड़ दिया है तो अब चोद चोद मुझे। वो मेरे लंड को पकड़ कर चाटने लगी और मैं पागल होने लगा यह मेरा मुखमैथुन का पहला प्रयोग था और मैं स्वर्ग में था। थोड़ी देर बाद लगा वो मेरा खून चूस लेगी लौड़े से। मैने उसे उठा कर उसके पैर अपने कंधे पर रखे और उसकी कमर नीचे करके अपने लंबे लंड से झूलाता हुआ चोदने लगा, वह मस्ताने लगी, यह उसके लिये एक दम नया अनुभव था, क्योकि हर आम आदमी इस असाधारण आसन से चोद नहीं सकता और फ़िर उसे पटक कर मैने पीछे से उसकी चूत चोदने के लिये उसकी गांड पर बैठ कानों और चूंचों को चाटते हुए चूत को पेल डाला। वह पूरे टाइम बदहवाशी में चिल्लाती रही और अंत में मैने अपना गरम गरम लावे की तरह वीर्य उसकी गांड और नितम्बों के उपर छिडक दिया। फ़्री में सस्ती वेश्या चोदने का यह पहला अनुभव था, लेकिन उस रंडी को मुझसे प्यार हो गया और उसने हमेशा अपनी चूत की सेवाएं मुझे फ़्री में दीं।
 
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