हाई दोस्तों,
नेट पे और टीवी पे ब्लू फिल्म देख देख में ठाक चूका था और मेरा शारीर मुझे बार बार कोस्टा था की इतना बड़ा हो गया हे और एक लड़की जुगाड नही कर सकता और फिर लंड की प्यास बुझाने के लिए मेने फैसला ले ही लिया की खी नहीं मिली तो आज रंडी खाने जरुर जाऊंगा और दोपहर को करीब तिन बजे अपने रेलवे स्टेशन के पीछे एक गुप्त जगह हे जहा रंडिय मिलती हे | कहने के लिए वो सब्जी मंदी हे पर वहा सब्जी के साथ साथ रंडी भी मिलती हे |
मैं वहा गया और जो वहा का मालिक था उसन एमुझे एल्बम दिखाई और उसमे से मेने एक लकड़ी पसंद की और उसने मुझे कमरा नो. बता दिया और मैं जल्दी से लंड को दबाते हुए वहा पहुच गया | मैं कमरे में गया तो अंदर कोई नही था पर अंदर घुसने के दो मिनट बाद वोही लड़की बाहर से अंदर को आई और उसने दरवाजा लगा दिया | मेरा लंड तो और तन गया और फिर वो मेरे पास चल के आई और मेरे छाती पे हाथ फेरते हुए बोली आज बड़े अच्छे दिन पे आये हो तुम | मैं उसके पीठ पे हाथ रख के अपनी तरफ कसा और पूछा कैसे ? वो बोली आज मेरा भी बहुत मन कर रहा हे करने का |
इतना बोलते ही वो निचे की तरफ फिसलने लगी और मेरी लंड के सामने आके वो मेरे लंड को पेंट के उपर से ही अपने मुह से काटने लग गयी | मेने झट से ज़िप खोल दी और मेरा लंड फनफनाते हुए बाहर आ गया और वो बोली लंड बड़ा शैतान हे तुम्हारा और फिर मैं अपने लंड को उसके मुह पे फेरने लग गया | वो मेरे लंड को पकड़ी और चूसने लग गयी, वो अपने हाथ और सर को मस्त में हिला हिला के मेरा लंड चूस रही थी, वो तब तक मेरे लंड को चुसी कस कस के जब तक में उसके मुह में झड नही गया | झड़ने के बाद वो उठी और पूरी नंगी हो गयी और मुझे भी नंगा कर दिया |
उसके बाद वो बिस्तर पे लेट गयी और मुझे आने को कहा तो मैं उसके उपर चड गया और उसके होठो को चूसने लग गया और चूसते चूसते उसके निप्पल को भी चूसने लगा, रंडिय भी कस कस के सिसकिय भर्ती हे मुझे उसिदीन पता चला | वो निप्पल के चूसने के कारण कस कस के सिसकिय भर रही थी | मैं लगातार चूसता रहा और फिर चूसते चूसते उसके चुत के उपर आ गया, उसकी चुत एक दम साफ़ थी तो मैं बिना कुछ देरी किये चाटने लगा और चाट चाट के उसको झड़ने पे मजबूर कर दिया |
उसके झड़ने के बाद मेने उसके चुत रस को चाट चाट के साफ़ किया और फिर उसे अपना लंड चुसवाया और दो मिनट के बाद मेने उसके टांगो को हवा में उठा के चुत पे लंड टिका दिया और थोडा रगड़ने के बाद अंदर पेल दिया, लंड जाते ही वो आह की और फिर कराहने लगी अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ह्म्म्म उफ्फ्फ्फ्फ़ और में कस कस के पेलता रहा | वो एक बार झड गयी पर में लगा रहा उसको पेलने में | उसने अपने टांगो को मेरे कमर पे बंद दिया और मुझे कसने लगी | मैं करीब चालीस मिनट लगातार उसे पेलता रहा और उसके बाद उसे पलते हुए पूछा जाने मन मुठ कहा डालू, वो बोली जहा लंड बोले वही गिरा देना, उसकी बात सुनने के बाद मेने और तेज पेलना शुरू किया और दो मिनट में ही उसके चुत में झड गया और झड़ते हुए भी मेने दस शोट दिए |
उसके बाद मैं थक के उसके उपर ही लेट गया और उसे चूमता रहा | पाँच मिनट बाद वो बोली तुमसे चुडके आज बहुत मजा, आया और फिर उसने मुझे अपना नो. दिया और बोली आगली बार से यहाँ मत आना, मुझे बुला लेने घर पे करेंगे |
नेट पे और टीवी पे ब्लू फिल्म देख देख में ठाक चूका था और मेरा शारीर मुझे बार बार कोस्टा था की इतना बड़ा हो गया हे और एक लड़की जुगाड नही कर सकता और फिर लंड की प्यास बुझाने के लिए मेने फैसला ले ही लिया की खी नहीं मिली तो आज रंडी खाने जरुर जाऊंगा और दोपहर को करीब तिन बजे अपने रेलवे स्टेशन के पीछे एक गुप्त जगह हे जहा रंडिय मिलती हे | कहने के लिए वो सब्जी मंदी हे पर वहा सब्जी के साथ साथ रंडी भी मिलती हे |
मैं वहा गया और जो वहा का मालिक था उसन एमुझे एल्बम दिखाई और उसमे से मेने एक लकड़ी पसंद की और उसने मुझे कमरा नो. बता दिया और मैं जल्दी से लंड को दबाते हुए वहा पहुच गया | मैं कमरे में गया तो अंदर कोई नही था पर अंदर घुसने के दो मिनट बाद वोही लड़की बाहर से अंदर को आई और उसने दरवाजा लगा दिया | मेरा लंड तो और तन गया और फिर वो मेरे पास चल के आई और मेरे छाती पे हाथ फेरते हुए बोली आज बड़े अच्छे दिन पे आये हो तुम | मैं उसके पीठ पे हाथ रख के अपनी तरफ कसा और पूछा कैसे ? वो बोली आज मेरा भी बहुत मन कर रहा हे करने का |
इतना बोलते ही वो निचे की तरफ फिसलने लगी और मेरी लंड के सामने आके वो मेरे लंड को पेंट के उपर से ही अपने मुह से काटने लग गयी | मेने झट से ज़िप खोल दी और मेरा लंड फनफनाते हुए बाहर आ गया और वो बोली लंड बड़ा शैतान हे तुम्हारा और फिर मैं अपने लंड को उसके मुह पे फेरने लग गया | वो मेरे लंड को पकड़ी और चूसने लग गयी, वो अपने हाथ और सर को मस्त में हिला हिला के मेरा लंड चूस रही थी, वो तब तक मेरे लंड को चुसी कस कस के जब तक में उसके मुह में झड नही गया | झड़ने के बाद वो उठी और पूरी नंगी हो गयी और मुझे भी नंगा कर दिया |
उसके बाद वो बिस्तर पे लेट गयी और मुझे आने को कहा तो मैं उसके उपर चड गया और उसके होठो को चूसने लग गया और चूसते चूसते उसके निप्पल को भी चूसने लगा, रंडिय भी कस कस के सिसकिय भर्ती हे मुझे उसिदीन पता चला | वो निप्पल के चूसने के कारण कस कस के सिसकिय भर रही थी | मैं लगातार चूसता रहा और फिर चूसते चूसते उसके चुत के उपर आ गया, उसकी चुत एक दम साफ़ थी तो मैं बिना कुछ देरी किये चाटने लगा और चाट चाट के उसको झड़ने पे मजबूर कर दिया |
उसके झड़ने के बाद मेने उसके चुत रस को चाट चाट के साफ़ किया और फिर उसे अपना लंड चुसवाया और दो मिनट के बाद मेने उसके टांगो को हवा में उठा के चुत पे लंड टिका दिया और थोडा रगड़ने के बाद अंदर पेल दिया, लंड जाते ही वो आह की और फिर कराहने लगी अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ह्म्म्म उफ्फ्फ्फ्फ़ और में कस कस के पेलता रहा | वो एक बार झड गयी पर में लगा रहा उसको पेलने में | उसने अपने टांगो को मेरे कमर पे बंद दिया और मुझे कसने लगी | मैं करीब चालीस मिनट लगातार उसे पेलता रहा और उसके बाद उसे पलते हुए पूछा जाने मन मुठ कहा डालू, वो बोली जहा लंड बोले वही गिरा देना, उसकी बात सुनने के बाद मेने और तेज पेलना शुरू किया और दो मिनट में ही उसके चुत में झड गया और झड़ते हुए भी मेने दस शोट दिए |
उसके बाद मैं थक के उसके उपर ही लेट गया और उसे चूमता रहा | पाँच मिनट बाद वो बोली तुमसे चुडके आज बहुत मजा, आया और फिर उसने मुझे अपना नो. दिया और बोली आगली बार से यहाँ मत आना, मुझे बुला लेने घर पे करेंगे |