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Antarvasna, desi kahani: कुछ समय पहले ही मेरा डिवोर्स हुआ और जब मेरा डिवोर्स हुआ तो उसके बाद मैं काफी ज्यादा परेशान था। मैं मानसिक रूप से भी बहुत ज्यादा परेशान हो चुका था लेकिन घर की जिम्मेदारी मेरे ही कंधों पर थी। मेरी बूढ़ी मां की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर थी और मेरी दो छोटी बहनें जिनकी शादी अभी तक हुई नहीं थी इसलिए मैं अभी भी जॉब कर रहा था और मैं बहुत ज्यादा परेशान था। मैं अपनी मां से अपनी बातों को शेयर कर लिया करता मेरी जिंदगी में बहुत उथल पुथल मच चुकी थी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए मेरे पास किसी भी बात का कोई जवाब नहीं था। मेरी मां चाहती थी कि मैं दूसरी शादी कर लूं लेकिन मैं इस पक्ष में बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि मैं अपनी पहली शादी के टूट जाने से बहुत ज्यादा दुखी हो चुका था और मैं बहुत अकेला भी था इसलिए मुझे लग रहा था कि शायद यह ठीक नहीं होगा।

मैं एक बार अपने ऑफिस के टूर के सिलसिले में मुंबई जा रहा था मैं दिल्ली से मुंबई ट्रेन से जा रहा था ट्रेन मैं में सबसे ऊपर की बर्थ पर लेटा हुआ था। रात का समय था इसलिए सब लोग सोने की तैयारी कर रहे थे और मैं भी सो चुका था अगले दिन सुबह जब मैं मुंबई रेलवे स्टेशन पर पहुंचा तो रेलवे स्टेशन पर पहुंचते ही मैंने देखा कि जो लड़की मेरे आगे चल रही थी उसका पर्स नीचे गिर गया मैंने उसे आवाज देते हुए रोका और उसे कहा कि मैडम आपका पर्स गिर गया था। मैंने उसका पर्स लौटा दिया तो उसने मुझे कहा कि आप बहुत ही अच्छे व्यक्ति नजर आते हैं मैंने उसे अपना परिचय दिया और उस लड़की ने भी मुझे अपना परिचय देते हुए अपना नाम बताया और कहा कि मेरा नाम सुरभि है। मैंने सुरभि से कहा कि देखो यह भी बड़ा अजीब इत्तेफाक है कि मैं आज पहली बार ही मुंबई में आया हूं और मुंबई में ही मेरी अच्छी दोस्ती हो गई। सुरभि इस बात से हंसने लगी और मुझे कहने लगी कि क्यों नहीं और उसके बाद सुरभि ने मुझे अपना नंबर दे दिया।

मैंने सुरभि को उस वक्त तो फोन नहीं किया लेकिन अगले दिन मैंने सुरभि को फोन किया तो मैंने सुरभि से मिलने के लिए कहा, सुरभि मुझसे मिलने के लिए तैयार थी। अगले दिन हम दोनों एक कॉफी शॉप में मिले और वहां पर हम दोनों ने एक दूसरे के साथ काफी अच्छा समय बिताया। काफी समय बाद मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं किसी के साथ इतने अच्छे से बात कर पा रहा हूं इतने लंबे अरसे बाद ऐसा कोई मेरी जिंदगी में आया था जिससे कि मैं खुलकर बातें कर रहा था। सुरभि से बातें कर के मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था हम दोनों की बातें काफी देर तक हुई और हम दोनों एक दूसरे से बातें कर के बहुत ही खुश थे। मैं चाहता था कि सुरभि को मैं अपने बारे में सब कुछ बता दूं लेकिन मैंने उसे अपने बारे में कुछ भी नहीं बताया और फिर मैं दिल्ली वापस लौट आया था। मैं जब दिल्ली वापस लौटा तो उसके बाद भी सुरभि और मेरी फोन पर बातें होती रही धीरे धीरे हम दोनों की नजदीकियां बढ़ती ही जा रही थी। हम दोनों फोन पर एक दूसरे से काफी बातें करने लगे थे और मुझे तो ऐसा लगता कि जिस दिन मैं सुरभि से बात ही नहीं करता उस दिन मेरा दिन ही अधूरा रहता। हम दोनों एक दूसरे से फोन पर काफी बातें करने लगे थे इससे मुझे डर लग रहा था कि अगर मैंने सुरभि को अपने डिवोर्स के बारे में बताया तो कहीं वह मुझसे बात करना बंद ना कर दे इसलिए मैंने सुरभि को इस बारे में कुछ भी नही बताया था लेकिन मैं उससे यह छुपाना भी नहीं चाहता था। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर मुझे ऐसी स्थिति में करना क्या चाहिये परन्तु मैंने जब इस बारे में सोचा तो मैंने सुरभि को सब बता दिया। मैंने सुरभि को अपने डिवोर्स के बारे में सब कुछ बता दिया था हालांकि सुरभि और मैं एक दूसरे से दूर जरूर थे लेकिन मैं सुरभि को अपने बारे में सब कुछ बता चुका था। अपने डिवोर्स के बारे में मैंने सुरभि को बता दिया था इसलिए मुझे काफी अच्छा महसूस हो रहा था लेकिन कुछ दिनों तक मेरी सुरभि से बात नहीं हो पाई क्योंकि मैं अपने ऑफिस के काम के चलते कुछ ज्यादा ही बिजी हो गया था इसलिए मेरी उससे बात नहीं हो पाई थी।

काफी दिनों बाद मैंने सुरभि को फोन किया तो उसने मुझे कहा कि वह मुझसे मिलना चाहती है मैंने सुरभि को कहा कि लेकिन मेरे पास तो बिल्कुल भी समय नहीं है। सुरभि कहने लगी राजेश मुझे तुमसे मिलना है मैंने सुरभि को कहा ठीक है और फिर मैंने भी फैसला किया कि मैं कुछ दिनों के लिए मुंबई चला जाऊंगा। मैं कुछ दिनों के लिए मुंबई जाना चाहता था जब मैं मुंबई गया तो सुरभि ने मुझे अपने परिवार से मिलवाया। सुरभि चाहती थी कि हम दोनों अब एक दूसरे से शादी कर ले इसी वजह से उसने अपनी फैमिली से मुझे मिलवाया था। मैं भी अपने बारे में उन्हें सब कुछ बता चुका था सुरभि के पिताजी को भी हमारा रिश्ता मंजूर था। सुरभि और मैं एक दूसरे से शादी करना चाहते थे मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं कोई सपना देख रहा हूं। यह सब इतना आसान भी तो नहीं था कि हम दोनों एक दूसरे से शादी कर पाते लेकिन सुरभि ने हीं इसे बड़ा आसान बना दिया था और अब हम दोनों एक दूसरे से शादी करने वाले थे। कुछ ही समय मे हम दोनों की शादी हो गयी हमारी शादी दिल्ली में ही हुई।

हमारी शादी की पहली रात थी मै रूम मे गया सुरभि मेरा इंतजार कर रही थी। मैंने सुरभि के हाथों को पकड़ा मै उसके हाथों को सहलाने लगा। हम दोनो बात कर रहे थे सुरभि चाहती थी मै उसे अपनी बाहों में ले लूं। मैंने सुरभि को अपनी बाहों में लिया वह खुश थी। सुरभि गर्म होने लगी थी उसके अंदर की गर्मी बढ़ने लगी थी। मैं यह नहीं पा रहा था मैंने सुरभि के नरम होंठों को चूमना शुरू किया तो वह तड़पने लगी थी। मै सुरभि के नरम होठो को चूमकर उसके होंठो से खून निकाल दिया था। वह अब बिस्तर पर लेट चुकी थी मैं सुरभि के ऊपर से लेट गया मैंने सुरभि के कपड़ों को उतारना शुरू किया। मैंने सुरभि के बदन से कपड़े उतारने शुरू कर दिए थे सुरभि मेरे सामने नग्न अवस्था में थी। सुरभि नंगे बदन को देखकर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया था। मै सुरभि के गोरे बदन को महसूस करना चाहता था मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू किया तो मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा था। मैं जब उसके स्तनों को दबाकर उसके स्तनो को चूस रहा था तो वह उत्तेजित हो रही थी। ह मुझे कहने लगी मुझे बहुत मजा आ रहा है मै उसके अंदर की आग को बढा चुका था। मेरे अंदर की आग भी अब बढ़ चुकी थी मैंने जब अपने लंड को बाहर निकाला तो मै उसे हिलाने लगा। मैने सुरभि को कहा तुम मेरे लंड को अपने मुंह में लेना शुरू कर दो। वह मेरे मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी मुझे बहुत मजा आ रहा था वह भी बहुत ज्यादा खुश हो गई थी। सुरभि मुझे कहने लगी मुझे तुम्हारे लंड को अपने मुंह में लेने में बहुत मजा आ रहा है। हम दोनों पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुके थे हम दोनों की उत्तेजना अब बढ़ने लगी थी। मैंने सुरभि से कहा मैं तुम्हारी चूत को चाटना चाहता हूं? सुरभि ने अपने पैरों को खोल लिया मैंने सुरभि की चूत देखी ओ उसकी चूत से पानी निकल रहा था। मैं सुरभि की गुलाबी चूत को अच्छे से चाटना चाहता था मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था। मैंने जब सुरभि की चूत को चाटा तो मेरे अंदर की आग बढ़ती ही जा रही थी। मैने सुरभि की चूत 5 मिनट तक चाटी उसके बाद मैंने अपने लंड पर थूक लगाया जब मैने मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया तो मैं पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुका था।

अब मेरे अंदर की आग बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी मैंने सुरभि को कहा मैं तुम्हारी चूत मारने के लिए तैयार हूं। मैंने सुरभि की चूत पर अपने लंड को लगाया और उसकी चूत पर जब मैने मोटा लंड लगाया तो मेरा लंड मचल रहा था। मैने सुरभि की चूत के अंदर लंड घुसा दिया। मैं सुरभि को अब बड़ी तेज गति से धक्के देने शुरू कर दिए थे। मुझे बहुत ही मज़ा आने लगा था सुरभि बहुत ही उत्तेजित हो गई थी मेरे अंदर की आग अब बढ चुकी थी। सुरभि के अंदर की आग बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी सुरभि की चूत से खून की निकलने लगा था। वह मेरे अंदर की गर्मी को बढ़ाती जा रही थी। मेरे लंड और सुरभि की चूत की रगडन से गर्मी पैदा होती जा रही थी। अब हम दोनों एक दूसरे के लिए बहुत ज्यादा तड़पने लगे थे मैंने सुरभि से कहा मेरा लंड अब तुम्हारी चूत की गर्मी झेल नहीं पायेगा।

मैंने जैसे ही अपने वीर्य को सुरभि की चूत मे गिराया तो सुरभि खुश थी। मै दोबारा सुरभि को चोदना चाहता था मैने उसकी चूत पर लंड लगाया। अब मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर सटाया तो उसकी चूत से पानी बाहर निकलने लगा था और मेरा वीर्य भी निकल रहा था मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा था। सुरभि की चूत से इतना अधिक पानी निकलने लगा था कि मेरे अंदर की आग पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी। मैंने एक जोरदार झटके के साथ सुरभि की चूत के अंदर लंड को डाल दिया। मेरा लंड उसकी चूत में घुस चुका था मुझे अच्छा लगने लगा था। मैं सुरभि को बड़ी तेज गति से धक्के मारने लगा था मुझे उसको चोद कर बहुत मजा आ रहा था। मै जिस प्रकार से उसे चोद रहा था उससे मेरे अंदर की आग बढ़ती जा रही थी। मेरे अंदर की गर्मी बढ चुकी थी। मैंने सुरभि को बहुत देर तक चोदा जब मेरा लंड पूरी तरीके से छिल चुका था तो मुझे एहसास होने लगा कि मैं ज्यादा देर तक सुरभि की चूत से निकलती आग को झेल नहीं पाऊंगा। वह मुझे अपने पैरों के बीच में जकडने लगी थी। मैंने अपने वीर्य को गिराकर अपनी गर्मी को शांत कर दिया था और सुहागरात को सफल बना दिया।
 
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