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नमस्कार मित्रों मै अश्विनी आज आपके सामने अपने जीवन की एक ऐसी घटना रखने जा रही हूं, जिसने मेरी पूरी जिंदगी ही बदल कर रख दी। यह कहानी मेरी और हमारे घर के एक नौकर की है। इस कहानी में पढिए किस तरह से हमारे घर के नौकर ने मुझे बहला फुसलाकर मेरे साथ सेक्स संबंध स्थापित किए। उसके बाद उन्होंने मुझे चुदाई के कुछ राज भी बताए।

कहानी शुरू करने से पहले मै आपको अपने बारे में बता देती हूं। मेरा नाम अश्विनी राठोड है, मै पुणे की रहनेवाली हूं। मैने अभी अभी बारहवीं पास की है, और यहीं के एक कॉलेज में बी. ए. के लिए अपना एडमिशन करवा लिया।

मेरा बदन गदराया हुआ है, और फिगर भी अच्छा ही है। मेरे घर मे मै, मेरी माँ, पापा और मेरी बडी बहन रहती है। मेरी दीदी को घर मे सब प्यार से रानी बुलाते है, और मुझे आशु।

मुझे कॉलेज में जाने तक चुदाई के बारे में कुछ भी नही पता था। कॉलेज में जाते ही मेरी सहेलियों के बॉयफ्रेंड होते थे, जो उन्हें लेकर जाते घुमा-फिराते। तो कॉलेज में अपनी सहेलियों से ही मुझे चुदाई के बारे में पता चला।

मेरा कॉलेज सुबह नौ बजे होता था, और हमारे घर का नौकर रामु काका दस बजे घर पर आकर सारा काम करते थे। दीदी और मेरा कमरा एक ही था। एक दिन मै अपने कॉलेज नही गई थी, दीदी नहाने गई हुई थी।

तो मै अपने कमरे में बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई थी। रामु काका घर मे आते ही सबसे पहले वो मेरे कमरे में आ गए, और मेरी रानी कहते हुए पीछे से सीधा मेरे ऊपर आ गए। यह सब अचानक से हुआ, तो मुझे कुछ समझ नही आ रहा था।

मै शांत रहकर रामु काका और क्या करते है, देखने लगी। रामु काका ने अपने हाथ सीधे मेरी चूचियों पर ला दिए, और दबाने लगे। उन्होंने मेरी चुचियां दबाते ही मेरे चेहरे की तरफ देखा, तो अचानक से मेरे ऊपर से उठ गए। उठकर वो सबसे पहले मेरे कमरे से भागते हुए बाहर निकल गए।

मुझे अब तक कुछ समझ नही आया था, लेकिन रामु काका का इस तरह से मुझे छूना, मुझे अच्छा लगा था। थोडी देर बाद, दीदी भी नहाकर बाथरूम से बाहर आ गई। फिर सब कुछ रोज की तरह चलने लगा। दोपहर के खाने के बाद, मै अपने कमरे में जाकर लेट गई। कब मुझे नींद आ गई, पता ही नही चला।

दीदी की चीख से मेरी आँख खुल गई। मैने देखा तो दीदी कमरे में नही थी, दीदी की आवाज किचन से आई थी। तो मै धीरे धीरे किचन की तरफ चलने लगी। किचन में जो मैने देखा, देखकर पहले तो मै हैरान रह गई। फिर धीरे धीरे मुझे सब समझ आने लगा था।

दीदी किचन में अपनी स्कर्ट घुटनो तक लिए खडी थी, और रामु काका ने अपना पजामा नीचे खिसकाकर लंड बाहर निकाल लिया था। रामु काका ने मेरी दीदी को वहीं पर थोडा सा झुका दिया था और पीछे से ही उसकी चुत में अपना लंड डाला हुआ था।

रामु काका ने अपना एक हाथ दीदी के मुंह पर रखा था, जिससे उसकी चीख ना निकले। मै छिपकर उनकी लाइव चुदाई देखने लगी थी। मुझे भी उनकी चुदाई देखकर कुछ कुछ होने लगा था। मेरी भी चुत धीरे धीरे गीली हो रही थी। उधर दीदी को भी अब मजा आने लगा था, और वो भी अपनी कमर हिलाते हुए अपनी चुत में रामु काका का लंड लिए जा रही थी।

अचानक से रामु काका ने अपने धक्कों की गती तेज कर दी, और कुछ ही देर में उनके लंड ने वीर्य छोड दिया। वीर्य छोडने से पहले ही रामु काका ने अपना लंड दीदी की चुत से निकाल लिया था। और सारा वीर्य उन्होंने दीदी की कमर पर उडेल दिया।

उनके लंड ने वीर्य की छह-सात पिचकारियाँ दीदी कि कमर पर मार दी, और फिर शांत होकर बगल में हो गए। फिर दोनों ने अपने आप को साफ किया और वहां से अपने अपने कामों में लग गए। लेकिन अब मेरा मन मचल उठा था, मुझे अब यह सब देखकर कुछ कुछ होने लगा था। मै अब रामु काका को अकेले में मिलना चाहती थी। कुछ दिनों बाद मुझे मौका मिल ही गया।

दीदी को अपने कॉलेज में प्रोजेक्ट के लिए कुछ दिनों तक बाहर जाना था, तो उन दिनों मै कुछ बहाना मार कर घर मे ही रुक गई। रामु काका ठीक दस बजे आए और अपने अपने काम मे लग गए।

कुछ देर बाद वो मेरा कमरा साफ करने के लिए आ गए। तो मैने उनसे सीधे पूछ लिया कि, "आप उस दिन मेरे साथ क्या कर रहे थे, और मेरी दीदी का नाम क्यों ले रहे थे?"

पहले तो रामु काका थोडा सा डर गए, लेकिन फिर उन्होंने कहा, "तेरी बहन के साथ मै रोज यह खेल खेलता हूं। उस दिन बहन की जगह तू थी बस।"

जब रामु काका ऐसे ही इधर उधर की बाते करने लगे तो मैने भी अब सीधे मेन बात बोल डाली। मैने कहा, "रामु काका मैने आपको और दीदी को किचन में नंगी अवस्था मे देखा है। आप दोनों नंगे होकर किचन में क्या कर रहे थे?"

तब रामु काका मेरे पास आकर बैठ गए, और मेरे कंधे पर हाथ रखकर मुझे समझाने की मुद्रा में बोलने लगे, "देखो आशु बेटा, तुम्हारी यह जो मुनिया है ना यह दीदी को परेशान करती है, तो मै उसका इलाज कर देता हूं।"

ऐसा उन्होंने मेरी चुत की तरफ इशारा करते हुए कहा। मुझे वैसे तो उस दिन रामु काका का मुझे उस तरह छूना अच्छा लगा था।

तो मैने रामु काका से पूछ लिया, कि यहां क्या तकलीफ होती है, वह तो सिर्फ पीरियड्स के समय पर ही होती है।
तो रामु काका ने बोलना शुरू कर दिया।

उन्होंने कहा, "मै तो तुम्हे सब कुछ बता भी दूंगा और तुम कहोगी तो सीखा भी दूंगा। लेकिन यह बात सिर्फ हम दोनों में रहनी चाहिए।"

मैने भी हां कह दिया, तो रामु काका ने अपनी बात कहना शुरू कर दिया। वो पहले तो मुझसे पूछने लगे कि, उस दिन मैने तुम्हे छुआ था, तो तुम्हे कैसा लगा?
उसके बाद तुमने हम दोनों को नंगे देखा तो कुछ हुआ तुम्हे?

रामु काका धीरे धीरे अपने हाथ मेरी जांघों पर भी घुमा रहे थे। रामु काका के हाथ से मै अब चुदासी होने लगी थी। फिर रामु काका ने बातें करना बंद करके मेरे नाजुक से मुलायम होठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसकर उनका रसपान करने लगे।

मै भी उनका पूरा साथ दे रही थी। अब रामु काका ने मेरा एक हाथ लेकर उनकी पीठ पर रखा और दूसरा हाथ लेकर उनके लंड पर रखवा दिया। अब तक हम दोनों ही बिस्तर पर बैठे हुए थे।

कुछ ही देर में रामु काका ने मुझे नीचे की ओर झुकाते हुए बिस्तर पर लिटा दिया, और मेरे सामने बैठकर अपने दोनों हाथों से मेरे स्तनों को जोर जोर से मसलने लगे।

अपने स्तन मसलवाकर मुझे भी मजा आ रहा था। उन्होंने धीरे धीरे अब मेरे टॉप को ऊपर उठाकर मेरे स्तनों को नंगा कर दिया।

मेरे स्तन नंगे होते ही उसे रामु काका ने अपने मुंह मे भर लिया और किसी छोटे बच्चे की तरह चूसने लगे।

अब वो मेरे स्तनों को चुसने के साथ साथ मेरी चुत को भी नंगी करने लगे थे। कुछ पलों के बाद ही रामु काका ने मेरी पैंटी भी निकाल दी और मुझे नंगी कर दिया।

अब उन्होंने मेरे स्तनों को छोडकर मेरी चुत को अपने मुंह मे भर लिया और चूसने लगे। कभी वो मेरी चुत के होठों को हल्के से काट देते, तो कभी अपनी जीभ मेरी चुत में घुसाकर इधर उधर घुमा देते।

उनके द्वारा मेरी इस चुत चुसाई में मै बहुत जल्द ही झड गई, मेरे झडने के बाद भी रामु काका ने मुझे नही छोडा। बल्कि वो मेरी चुत का सारा रस सफाचट कर गए।

फिर उन्होंने उठकर अपना लंड मेरे मुंह के सामने कर दिया। तो मैने भी उनके लंड को अपने मुंह मे ले लिया। तो उन्होंने मुझे लंड चूसने का तरीका बताया। फिर मै उनके बताए अनुसार ही कर रही थी।

लंड चुसाई के बाद रामु काका मेरे ऊपर आ गए, और मेरी प्यारी सी चुत पर अपना मूसल जैसा लंड रख दिया। फिर उन्होंने एक ही झटके में आधे से ज्यादा लंड मेरी चुत में उतार दिया।

दर्द के मारे मेरी तो चीख निकल गई, लेकिन उन्होंने मुझे संभाल लिया। फिर जो रामु काका ने चुदाई की, उसमे मुझे भी बहुत मजा आया। उसके बाद उन्होंने मुझे और भी बहुत सारी चीजें सिखाई, वो फिर कभी।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी, कमेंट में बताइए। धन्यवाद।
 
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