लोकल ट्रेन ने बदल दी किस्मत - [भाग 2]

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Desi bhabhi Nilima ko apne ghar par choda - Hot kahani

कहानी के अगले भाग में मैंने आप को बताया की कैसे नीलिमा ने ट्रेन में ही अपने बूब्स और जांघ के स्पर्श से मेरा वीर्य छुडवा दिया. जिन्होंने वो भाग नहीं पढ़ा हैं वो ]यहाँ क्लिक कर के कहानी के पहले भाग को पढ़ सकते हैं.

फिर मैं अपनी ऑफिस में चला गया नीलिमा के साथ चुदाई के सपनो को संजोता हुआ. एक सुखद अनुभव था यह लोकल ट्रेन की जर्नी का. दिनभर मुझे अपनी पेंट को छिपाना पड़ा लोगो की नजर से. वैसे वीर्य का दाग था लेकिन पेंट के रंग की वजह से सिर्फ हल्का सा आकार बना था जो ध्यान से देखने पर ही नजर आता था. शाम को जब मैं ऑफिस से वापस स्टेशन की तरफ चल पड़ा तो नीलिमा मिल जाए तो क्या कहना करना उसकी योजना मेरे मन में चल रही थी. मैं अपनी रोज की ठहरने की जगह पर पहुंचा तो वह नीलिमा अकेली ही खड़ी थी. मुझे देख के उसने स्माइल दी और मैं उसके पास चला गया. उसके चहरे पर आज कुछ अलग ही भाव थे.

नीलिमा को ले गया अपने घर पर

मैं बोलना चाहता था लेकिन गला सुख चूका था. बारिश ने मुंबई को धो दिया था, लेकिन अभी कोई बारिश नहीं हो रही थी. हां स्टेशन की छत से बुँदे जरुर निचे गिर रही थी. मैंने नीलिमा की तरफ देखा तो वो हंस के बोली, कुछ कहना हैं आप को!

मैंने उसको देख के कहा, आप आज शाम को फ्री हो?

नीलिमा ने कहा, क्यूँ चोदना हैं क्या?

बाप रे यह सेक्सी भाभी ने तो जिस बात को मैं कहने से कतरा रहा था वो कितने सहज अंदाज में एकदम खुल के कह दिया. मैंने कहा, मेरी वाइफ मइके गई हैं और घर खाली हैं.

नीलिमा ने कहा, जल्दी करना पड़ेगा और मुझे वापस घर छोड़ने तो आओगे ना?

मैंने कहा, टेक्सी में छोड़ दूंगा.

ओके, और वैसे कहा रहते हो तुम?

स्टेशन से वाल्किंग डिस्टन्स ही हैं.

चलो सही हैं.

इतने में हमारी ट्रेन आ गई. हम दोनों ट्रेन में चढ़ गए और आज पहली बार जगह होने के बाद भी हम बैठे नहीं और दरवाजे के पास खड़े हुए ही एक दुसरे को देख रहे थे. यह देसी भाभी एकदम कडक बूब्स की मालिक है वो तो मैंने आप को बताया ही हैं. उसके बूब्स के क्लेवेज में पसीना हुआ था और मेरी जबान में पानी आ रहा था. मन कर रहा था की उसका सब खारा पसीना चाट लूँ, खारा खारा.

ट्रेन जैसे ही विले पार्ले पर रुकी हम दोनों साइड डोर से निकल के मेरी चाल की और चल पड़े. मैंने देखा की पड़ोस की सकूबाई नीलिमा को देख रही थी. मैंने सकू बाई को जानबूझ के कहा, सकूबाई ये मेरी मेडम हैं, इनका नाम लता हैं.

मैंने लता मेडम का जिक्र किया था बीवी से और यह भी कहा था की वो विले पार्ले की ही हैं. इसलिए यह कहानी कही थी सकूबाई को.

नीलिमा घर में आई तो मैंने देखा की सकूबाई अपनी चाल से सब्जी की थेली ले के निकली. मैंने सोचा की हास बला गई. मैंने दरवाजे को बंध किया तो नीलिमा बोली, साले बड़ा जूठा हैं तू तो, मुझे लता मेडम बना दिया.

मैंने कहा, अरे ये मेरी बीवी को बता देगी की कोई औरत आई थी, और तब के लिए मैंने कह दिया की लता मेडम हैं तू.

नीलिमा हंस पड़ी और उसके बूब्स हिले. मैंने उसे पकड लिया और उसके होंठो पर किस कर दी. उसने मुझे दूर ढकेल दिया और बोली, देखो हम लोग किस नहीं करेंगे और मैं तुम्हारे उसको हाथ भी नहीं लगाउंगी बस सीधे से सेक्स करेंगे, ओके?

मैंने कहा ठीक हैं मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं.

कहने को तो मैंने यह कहा लेकिन इस देसी भाभी को लंड चटाने के हजारो सपने जो मैंने ऑफिस में और घर के रस्ते में देखे थे वो सब चूर हो गए. मैंने सोचा की चल बेटा भिखारी को भीख जितनी मिली उतनी ठीक.

नीलिमा ने अपने कपडे खोले और मेरा लौड़ा कडक हो गया. यह देसी भाभी की ब्रा में उसके कडक चुंचे एकदम क़यामत लग रहे थे. १ मिनिट में तो वो पूरी नंगी हो गई और बेड में लेट भी गई. मैंने भी खड़े हो के अपनी पेंट और शर्ट को उतार दिया. उसने मेरी अंडरवेर को देख के कहा, ये क्या हैं?

मैंने कहा, सुबह में ट्रेन में ही हो गया था मेरा!

ही ही ही, कंट्रोल नहीं हुआ ना.

मैंने नीलिमा के ऊपर चढ़ के उसके बूब्स को अपने हाथ में लिया तो वो बोली, तुम इसे चूस सकते हो, लेकिन ऊपर किस मत करना कही पर भी.

मैंने कहा, ओके.

देसी भाभी ने चुदवा लिया आराम से

फिर मैं इस देसी भाभी के कडक बूब्स को चूसने लगा. उसने निपल्स एकदम कडक थे और किसी खजूर के बिज के जैसे हो गए थे. मैंने उन्हें अपनी जबान से दबाया तो नीलिमा के मुह से आह निकल गया और मैंने उसे अपने बाहों में भर लिया. और मेरा लंड अब उसके छेद पर टिका के मैंने महसूस किया की उसकी चूत भी एकदम चिकनी हुई पड़ी थी. शायद यह देसी भाभी भी चुदाई के सपनो में दिनभर भीगी थी. लंड को उसकी चूत में घुसने में जरा भी दिक्कत नहीं हुई. मैंने पूरा लंड चूत में घुसा के एवरेस्ट सर करने जैसा महसूस किया. अभी कुछ घंटो पहले तक मैंने सोचा भी नहीं था की यह लड़की जैसी दिखने वाली देसी भाभी मुझे अपनी चूत देगी.

मैं अपना लोडा नीलिमा की चूत में रगड़ रहा था और वो मुझे कस के बाहों में जकड़ के आह आह करते हुए अपनी साँसों की हवा मेरे कंधो के ऊपर छोड़ रही थी. मैं भी कस के अपने लंड को चूत में रगड रहा था और उसके बूब्स को भी चूस रहा था. अपनी गांड हिला हिला के उसने भी पूरी चुदाई में मेरा सपोर्ट किया. पुरे १० मिनिट एक ही पोज़ीशन में चोद के मैंने अपना वीर्य इस देसी भाभी की चूत में ही छोड़ दिया.

फिर हम अलग हुए और वो कपडे सही कर के रेडी हो गई. मैंने फटाक से नाहा के कपडे पहने और फिर नुक्कड़ से टेक्सी पकड़ के उसे छोड़ने चला गया. रस्ते के मेडिकल से नीलिमा ने अपने लिए पिल भी ले ली. दोस्तों यह एक मस्त चुदाई अनुभव था मेरा जो मुझे लोकल ट्रेन की वजह से मिला था.
 
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