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इस कहानी की हिरोइन का नाम हैं वर्षा माथुर जिसे मैं आज से तिन साल पहले मिला था. तब मैं एक इंस्टिट्यूट में टेली और एम्एस ऑफिस का कोर्स कर रहा था. और वो इस सेंटर में एक फेकल्टी थी. पहली बार देखा तभी से मेरा मन उसे चोदने का हो गया था. उसका रंग एकदम साफ़, हाईट कुछ ५ फिट ६ इंच के करीब, फिगर अंदाजन ३४ २८ ३६ का होगा. कोई नहीं कह सकता की वो एक बेटे की माँ होंगी. थी वो पुरे ३० की लेकिन २१-२२ की जवान लड़की सा बदन और अदाएं थी उसकी.

एक दिन मेरे हाथ उनका ड्राइविंग लाइसेंस आया और मुझे पता चला की उनका बर्थ-डे आ रहा हैं. मैंने एक सरप्राइज़ प्लान किया. बर्थडे वाले दिन मैंने सभी क्लासमेट्स को मेसेज किया की मेम को कुछ काम हैं इसलिए आज क्लास नहीं होंगी. और मेडम ने मुझे बोला हैं सब को इन्फॉर्म करने के लिए. और फ्राईडे को बर्थडे वाले दिन सिर्फ मैं आया था क्लास में. जब वो आई तो क्या बताऊँ दोस्तों की क्या कयामत लग रही थी वो. पिंक रंग की साडी, डीप कट का ब्लाउज आगे और पीछे से, बालों को खुला रखा था..साली एकदम आइटम लग रही थी वो तो.

वो जैसे ही अंदर आई मैंने एक फुल और गिफ्ट का पेकेट दिया उनको. वो बड़ी खुश हुई जब मैंने उन्हें बर्थडे विश किया. फिर उन्होंने पूछा की बाकी सब कहा हैं. मैंने कहा मैंने सब को मना कर दिया हैं की क्लास नहीं हैं आज. वो परेशान नजरों से मुझे देखने लगी तो मैंने कहा, ताकि हम आप का बर्थडे आराम से एन्जॉय कर सकें. मेडम खुली आँखों से मुझे देखती रही. मैंने अपनी बेग से छोटा केक निकाला और उसके ऊपर एक मोमबत्ती जला दी. मेडम ने फूंक मार के केक काटा जिसे हम दोनों ने खाया. मेडम ने मेरे सामने देखा और बोली, विनय इतना अच्छा सरप्राइज़ तो मुझे मेरे हसबंड ने भी नहीं दिया आज तक, थेंक्स.

अब थेंक्स कह के मेरे सरप्राइज़ को गाली ना दें मेडम.

ओके बाबा, लेकिन तुमने यह सब क्यूँ किया?

मुझे आप पहले से ही पसंद हो मेडम.

क्या?

जी हाँ मेडम, आई लाइक यू अ लोट!

पागल हो तुम.

मेडम ने जब यह कहा तो हमारी नजरें मिली और मैं समझ गया की उसकी आँखों में भी मेरे लिए प्यार हैं. मैंने सोचा की लाओ गरम लोहें पर ही हथोडा मार दूँ.

मेडम, अगर आप बुरा ना मानें तो मैं आप को एक बार हग करना चाहता हूँ.

क्या, यहाँ पर?

हाँ, मेडम वैसे भी यह क्लास तो कौने में हैं कोई आएगा भी नहीं. मैं फट से हग कर के छोड़ दूंगा आप को.

वर्षा मेडम कुछ नहीं बोली और मैं फट से उसके पास जाके उसे लिपट गया. मेडम के बड़े बड़े बूब्स मेरी छाती से टच हो रहे थे, उसकी निपल्स अकड़ी हुई थी और उसका दिल ट्रेन के जैसे जोर जोर से धडक रहा था. मेडम की चुन्चियों का स्पर्श होते ही मेरा लंड भी तन गया था और वो मेडम की जांघ के ऊपर टच हो रहा था. मैंने मेडम के खुलें बालों में हाथ फेरा और उन्होंने फट से मुझे अपने से दूर कर दिया. मैं खुश होते हुए बैठ गया और फिर मेडम स्टाफ रूम की और चली गई. मेरे पास उनका नंबर था, और उस दिन से मैंने उन्हें मेसेज भेजना चालू किया. मैं उन्हें जोक्स, शायरी और फ्रेंडशिप के मेसेज भेजता था और बदले में वो कभी कभी एकाद का रिप्लाय कर देती थी. अब जब मैं कंप्यूटर लेब में होता तो जानबूझ के डाउट पूछता ताकि वो निचे झुके कम्प्यूटर को ओपरेट करने के लिए. और उस समय में जानबूझ के अपनी कौनी से उनके बूब्स को टच कर लेता था. वर्षा मेडम को भी मेरे स्पर्श का अहसास होता था लेकिन वो कभी भी रिएक्ट नहीं करती थी क्यूंकि क्लास में बहुत लोग जो होते थे. मेडम को पाने के लिए मेरी हवस बढती ही जा रही थी. पहले मैं हफ्ते में एक बार मुठ मारता था और अब हर दुसरे दिन मैं मेडम को सोच सोच के अपने लंड की टंकी खाली करने लगा था. मेडम मेरे ख्यालों में आती थी और मैं खुद को रोक नहीं पाता था.

अब मैं मेडम को क्लासिस के टाइम पर नॉन-वेज जोक्स भी भेजने लगा था. मैं जानता था की वो क्लासिस के टाइम पर माइंड नहीं करेंगी क्यूंकि घर जाने से पहले वो उसे डिलीट कर सकती हैं. एक हफ्ताभर मैंने उसे रोज एक दो नॉन-वेज जोक्स भेजा और एक दिन उसका भी रिप्लाय ऐसा ही एक नॉन=वेज जोक से आया. अब मैं समझ गया की मेडम पट चुकी हैं और मौका देख के उसे पेलना पड़ेंगा. अब मैं मेडम की गांड को टच करने लगा जब वो डाउट के लिए आती थी और बूब्स पर कौनी तो मारता ही था. मैं जानबूझ के अपनी कुर्सी ऐसे कौने में सेट करता की हमें कोई देख ना सकें जब वो लोग कंप्यूटर में काम कर रहे हों. मेडम भी अब मुझे डाउट ना होने के बावजूद भी सिखाने आने लगी, शायद उसे भी चुन्चो पर स्पर्श करवाना अच्छा लगता था.

एक दिन मैं क्लास में ही था तो मेडम का मेसेज आया की क्लास के बाद मुझे मिलना. मैं क्लास के खत्म होने की राह देख रहा था बेसब्री से अब तो. क्लास खत्म होते ही मैं पीछे गया और कोरिडोर में मेडम ने कहा, विनय मेरे घर में कुछ काम हैं. मेरे पति दो दिन की टूर पर औरंगाबाद गए हुए हैं और मुझे किसी की हेल्प चाहिए. तुम अओंगे?

भला मैं कैसे मना करता. दुसरे दिन ही मैं मेडम के घर सुबह में पहुँच गया. मेडम ने मुझे कोफ़ी पिलाई, आज वो अपने ढीले पंजाबी स्यूट में बड़ी ही कामुक लग रही थी. कोफ़ी के बाद मेडम ने कहा मुझे पलंग और सोफे हटाने हैं. मैंने कहा चलो हटा देते हैं. पहले हमने दोनों पलंग को कमरे में ही खिसकाए और मेडम ने उसके निचे से झाड़ू लगाईं. उसके बाद ड्राइंगरूम के सोफे की बारी आई. जब मेडम मेरी मदद करने के लिए झुकी तो उसके बड़े बड़े बूब्स ढीले स्यूट की वजह से ऊपर से साफ़ दिखने लगे. मेरी नजर वही पर थी. मेडम ने भी यह देखा और बोली, विनय कहाँ देख रहे हो?

मैं अपनी जबान को होंठ पर फेरा और कहा, कही नहीं मेडम!

देख लो मुझे पता हैं की तुम क्या देख रहे थे.

बाप रे, मेडम ने जिस सेक्सी अंदाज में यह कहा मेरे तो तोते ही उड़ गए. मैं फिर से वहाँ देखने लगा और मेडम ने अपने स्यूट को और निचे किया. अब बूब्स के साथ साथ मुझे उनकी निपल्स भी दिखने लगी थी. मेडम ने अंदर कोई ब्रा नहीं पहनी थी. मेरा लंड आग के जैसा गरम हो गया था. मैं फट से मेडम के पास गया और उसे जोर से हग कर लिया. ब्रा के बिना के ढले हुए बूब्स मेरी छाती पर रगड़ने लगे थे. मैंने अपने होंठो को मेडम की गर्दन पर रख दिया और हलके हलके से किस करने लगा.

मेडम ने फट से हट के कहा, विनय प्लीज़ लव बाइट्स मत बनाओ, मेरे पति देखेंगे तो पंगा होंगा.

मैंने उसे अपनी और खिंचा और कहा, ऐसी जगह तो निशान बनाने दो जहाँ कोई देख नहीं सकता हैं.

यह सुनते ही मेडम ने अपनी पंजाबी स्यूट को हाथ ऊपर कर के निकाल दिया. उसके बड़े बड़े बूब्स लहरा उठे और मेरे लंड में जैसे की एक लहर दौड़ गई चुदाई की. मैंने दोनों हाथों से दोनों बूब्स को पकड के दबाया. बाप रे दो हाथों में भी नहीं समा रहे थे वो भारी चुंचे. फिर मैं मेडम के निपल्स को अपनी जबान से चूसने लगा. मेडम ने आः आह्ह्ह्ह किया और वो भी बूब्स को दबाने लगी. उसकी निपल्स मस्त बहार आई हुई थी और उसे चूसने का अपना अलग ही मजा था. मेडम ने अब अपनी सलवार भी खोल दी और निचे भी कोई पेंटी नहीं पहनी थी उसने. मेडम नंगी हो गई मेरे सामने, साली पूरी कयामत लग रही थी वो तो. मैंने भी अपनी टी शर्ट और पतलून खोल दी. मेरा लंड फनफना रहा था मेडम के सामने जिसे मेडम ने अपनी मुठ्ठी में दबा के थोडा सा सुख दिया. मेडम और मैं फिर वही सोफे में बैठे, मैं निचे बैठा और मेडम मेरी गोदी में. मेडम की कोमल जांघो के ऊपर मेरे लंड का स्पर्श हो रहा था और मैं उस ख़ुशी को बर्दास्त नहीं कर पा रहा था जैसे. आज से पहले मैं किसी भी औरत के इतने करीब नहीं आया था. मेडम का हाथ अभी भी मेरे लंड पर था और वो उसे हिला रही थी. मैंने अपना एक हाथ मेडम की चूत पर रख दिया और उसे सहलाने लगा. मेडम की सिसकी निकल पड़ी और वो आह आह करने लगी.

फिर मेडम वही सोफे में लेट गई और अपनी टाँगे फैला दी. मैं निचे बैठा और मेडम की चूत पर अपनी जबान और होंठो से किस करने लगा. मेडम आह आह करती जा रही थी और उसके हाथ से मेरे माथे को अपनी चूत पर दबा रही थी. जब मैंने अपनी जबान से उसकी चूत के दाने को छू लिया तो मेडम के बदन में तीव्र झटका लगा उसने आह कर के मेरे माथे को चूत में पूरा घुसेड दिया. मैंने अपनी जबान को चूत की दरार के ऊपर घिसा और फिर उसे चूत के छेद में डाल दिया. मेडम की खारी खारी चूत को अब मैं जोर जोर से चाटने लगा. मैं अपनी जबान को मेडम की चूत पर घिस रहा था जिस से उसे भी बड़ा सुख मिल रहा था.

५ मिनिट अपनी चूत चटाने के बाद मेडम उठी और उसने मेरा हाथ पकड के मुझे सोफे में बिठाया. मेरा लंड छत को देख रहा था जिसे मेडम ने बिना किसी ताकीद के अपने मुहं में ले लिया. वाऊ, मेडम के गरम गरम होंठो का स्पर्श कितना सेक्सी था. वो लंड को मुहं में ले के चूसने लगी और मैं आँखे बबंध कर के हाथ फैला के इस सुख को अपने अंदर दबाने लगा. मेडम पूरा लंड मुहं में ले के उसके ऊपर पानी जबान को फेर रही थी. मेरा लंड किसी भी वक्त पानी निकाल सकता था.

मेडम लंड को चुस्ती थी और फिर बिच में छोड़ देती थी उसके हाल पर. ऐसा करने से मुझे यह फायदा हुआ की लंड का पानी नहीं निकला जल्दी से. मेडम अब लंड को चूसते चूसते उसे हिलाने भी लगी और निचे के अंडकोष को दबाने भी लगी थी. मेरी हालत ख़राब हो चुकी थी अब. तभी मेरे बदन में एक झटका लगा और लंड की नाली से गाढ़ा वीर्य बहार आने लगा. मेडम ने एक एक बूंद को पी लिया और लंड को चाट के पूरा साफ़ कर दिया. फिर वो उठी और कपबोर्ड से एक कंडोम निकाल लाइ. मैं वही बैठा रहा और उसने कंडोम को सोफे पर फेंका.

फिर वो गांड मटकाती हुई किचन में गई और वहाँ से शहद की बोतल ले आई..! मेडम के साथ शहद वाला ओरल सेक्स और उसकी चुदाई को मैंने कैसे एन्जॉय किया वो आप को अगली कहानी में बताऊंगा. आप को अभी तक की कहानी कैसी लगी वो मुझे कमेन्ट में जरुर बताना दोस्तों.!
 
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