विभा की काली पैंटी का जादू

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Antarvasna, hindi sex kahani: मेरी सगाई को अभी कुछ दिन ही हुए थे और हमारे ऑफिस में जब सौम्या आई तो हम दोनों की अच्छी दोस्ती होने लगी। कहीं ना कहीं मैं और सौम्या एक दूसरे के नजदीक आते चले गए मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या यह सब ठीक है। मेरा दिल अब सौम्या पर आने लगा था और मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि सौम्या और मेरे बीच प्यार हो जाएगा। हम दोनों एक दूसरे से प्यार तो करने लगे थे लेकिन मेरी सगाई हो चुकी थी और मैं अब यह सगाई नहीं तोड़ सकता था। मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था की ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए मेरे पास कोई भी जवाब नहीं था। ना तो मेरे पास किसी बात को लेकर कोई जवाब था और ना ही मैं कुछ समझ पा रहा था। मैंने एक दिन इस बारे में जब सौम्या से बात की तो वह मुझे कहने लगी कि संजय आपको इस बारे में अपने घर पर बात करनी चाहिए और आपको उन्हें समझाना चाहिए। मैंने सौम्या से कहा की ठीक है मैं इस बारे में पापा और मम्मी से बात करता हूं क्योंकि हम लोगों की ही पसंद से मैंने सगाई की थी और अब मैं चाहता था कि पापा और मम्मी से मैं इस बारे में बात करूं।

इसके अलावा मेरे पास शायद कोई और रास्ता भी नहीं था क्योंकि मैं सीधे तौर पर सगाई तो नहीं तोड़ सकता था इसलिए मैंने पापा और मम्मी से इस बारे में बात करने का मन बना लिया था। मैंने जब उन लोगों को इस बारे में बताया तो वह लोग मुझे कहने लगे कि बेटा यह बिल्कुल भी ठीक नहीं है क्योंकि अगर ऐसे ही तुम विभा के साथ सगाई तोड़ दोगे तो यह बिल्कुल भी ठीक नहीं होगा। मैंने पापा को कहा कि पापा मुझे मालूम है विभा बहुत ही अच्छी लड़की है लेकिन मैं मजबूर हूं। पापा और मम्मी मेरी बात को समझ नहीं पा रहे थे क्योंकि उन लोगों को ही विभा के माता-पिता को जवाब देना था इसलिए उन्हें भी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ऐसी स्थिति में वह लोग भी क्या करें। पापा इस बात से बिल्कुल भी खुश नहीं थे मेरे पास अब और कोई रास्ता नहीं था इसलिए मैंने विभा से बात करने के बारे में सोचा। मैंने जब विभा से इस बारे में बात की तो विभा मुझे कहने लगी कि संजय यह सब बिल्कुल भी ठीक नहीं है। इस बात से विभा की बदनामी भी हो सकती थी और उसकी फैमिली की भी उसमें बहुत ही ज्यादा बदनामी थी इसलिए विभा इस बात के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। मैं कुछ भी सोच नहीं पा रहा था मैंने जब यह बात सौम्या को बताई तो सौम्या मुझे कहने लगी कि अब हम लोगों को यह वक्त पर ही छोड़ देना चाहिए सब कुछ ठीक हो जाएगा। मैं सौम्या से प्यार करता था और उसी के साथ मैं अपना जीवन बिताना चाहता था लेकिन विभा को ऐसे तकलीफ देना मुझे बिल्कुल भी ठीक नहीं लग रहा था।

मेरी वजह से वह बहुत ज्यादा परेशान थी और जब भी वह मुझसे फोन पर बातें करती तो उसके बाद तो मुझे उसकी परेशानी साफ नजर आ जाती थी और जब भी मैं विभा को मिलता तो मुझे बिल्कुल भी ठीक नहीं लगता। यह बात विभा के माता-पिता को भी पता नहीं चली थी यह बात विभा और मेरे माता पिता को ही मालूम थी। मुझे लग रहा था कि शायद अब इस बात का कोई भी हल नहीं निकलने वाला है इसलिए मैंने विभा के साथ शादी करने का फैसला कर लिया था। हालांकि सौम्या इस बात से बिल्कुल भी खुश नहीं थी लेकिन मेरे पास शायद इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं था क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि विभा की जिंदगी पर मेरी वजह से कोई भी परेशानी आए। मैंने अब पूरा मन बना लिया था कि मैं विभा के साथ शादी करूँगा और फिर सौम्या मेरी जिंदगी से दूर होने लगी थी। धीरे धीरे सौम्या अब मेरी जिंदगी से बहुत दूर जा चुकी थी अब ना तो सौम्या से मेरा कोई संपर्क था और ना ही मैं उसे मिलता क्योंकि ऑफिस से भी वह रिजाइन दे चुकी थी और मेरी जिंदगी से भी वह गायब हो चुकी थी। हालांकि मैंने उसके बाद भी सौम्या से माफी मांगने की कोशिश की लेकिन उससे मेरा कोई संपर्क नहीं हो पाया था और अब वह समय भी नजदीक आने लगा था जब विभा और मेरे रिश्ते की बात आगे बढ़ने लगी थी। अब हम दोनों की शादी का दिन नजदीक आने लगा था हम दोनों एक दूसरे से बातें करने लगे थे और कुछ ज्यादा ही अब हम दोनों की मुलाकात होने लगी थी। मैंने भी विभा को पूरा समय देने की कोशिश की और मुझे बहुत ही अच्छा लगता जब भी विभा और मैं साथ में होते।

अब जब मैं मैं विभा से फोन पर बातें किया करता तो मुझे विभा से फोन पर बातें करना अच्छा लगता और उसे भी मुझसे फोन पर बातें करना अच्छा लगता। विभा और मेरी सिर्फ फोन पर ही बातें हो रही थी। जब विभा घर वापस लौटी तो उसने मुझे उस दिन अपने घर पर मिलने के लिए बुलाया। विभा घर पर अकेली थी उसने मुझे जब घर पर बुलाया तो मैं उसको मिलने के लिए चला गया। जब मैं विभा को मिलने के लिए गया तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और विभा को भी बड़ा अच्छा लग रहा था जिस तरीके से वह मेरे साथ बैठ कर बातें कर रही थी लेकिन मुझे नहीं मालूम था विभा और मेरे बीच इतनी ज्यादा नज़दीकियां बढ़ जाएंगी कि हम दोनों एक दूसरे को किस कर लेंगे। मैंने विभा के होठों को चूम लिया था उसके होठों को किस करने के दौरान मुझे अच्छा लग रहा था और मैं उसके होंठो को बड़े अच्छे से किस किए जा रहा था। मैंने विभा के होठों को बहुत देर तक चूसा। हम दोनों की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ने लगी थी मैं और विभा एक दूसरे की गर्मी को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पाए और मैं विभा के स्तनों को दबाने लगा।

विभा भी इतनी ज्यादा गर्म हो चुकी थी उसने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए थे वह अपने कपड़े उतार चुकी थी और अब विभा ने मुझे कहा मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लगने लगा है। हम दोनों ही एक दूसरे के साथ बडे खुश थे। जब मैंने विभा स्तनों को दबाना शुरू किया और उसके स्तनो को मुंह मे लेकर चूसना शुरू किया तो विभा को मजा आने लगा और वह मुझे कहने लगी तुम मेरे स्तनो को ऐसे ही चूसते रहो। मैं उसके स्तनो को चूस रहा था मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था हम दोनों की गर्मी बढ़ती ही जा रही थी। एक समय ऐसा आया जब हम दोनों की गर्मी इतनी अधिक हो गई मैंने विभा से कहा मैं तुम्हारी चूत चाटना चाहता हूं।

मैं विभा की पैंटी को नीचे उतार चुका था मैंने विभा की काली पैंटी को मैंने नीचे उतार दिया था। जब उसकी पैंटी को मैंने नीचे उतारा तो उसकी चूत को देखकर मैं अपने आपको रोक नहीं पा रहा था उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं थे। उसकी योनि से बहुत ही ज्यादा गर्म पानी बाहर की तरफ को निकाल रहा था। अब हम दोनों इतने ज्यादा गर्म हो चुके थे मैंने विभा की योनि के अंदर आपने मोटे लंड को घुसा दिया और उसकी योनि में मेरा लंड जाते ही वह बहुत जोर से चिल्लाने लगी और मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगने लगा है। हम दोनों को बड़ा अच्छा लग रहा था जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को महसूस कर रहे थे।

अब हम दोनों इतने ज्यादा गरम हो चुके थे हम दोनो रह नहीं पा रहे थे। हम दोनों की गर्मी बहुत ही ज्यादा बढ़ चुकी थी मैं विभा को बड़ी तेज गति से धक्के मारने लगा था और जिस तेज गति से मैं उसे चोद रहा था उससे वह सिसकारियां ले रही थी और मुझे कहने लगी मेरी गर्मी को तुम ऐसे ही बढ़ाते जाओ। मैंने विभा की गर्मी को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया था। जब मुझे एहसास होने लगा मैं बिल्कुल भी रह नहीं पाऊंगा तो विभा मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल नहीं रहा जा रहा है हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बढ़ाए जा रहे थे। जब मैं विभा की चूत के अंदर बाहर लंड को कर रहा था तो उसे मज़ा आने लगा था और मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था।

मुझे इस बात का तो एहसास हो चुका था मैं विभा की चूत की गर्मी को ज्यादा समय तक झेल नहीं पाऊंगा लेकिन मैंने विभा के पैरों को ऊपर उठाकर उसे चोदना शुरू किया तो वह बहुत जोर से चिल्लाकर मुझे कहती तुम मुझे बस ऐसे ही चोदते जाओ। हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बढाए जा रहे थे। जब हम दोनों की गर्मी बढ़ती जा रही थी तो हम दोनों को ही मजा आता जा रहा था। हम दोनों बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे जैसे ही मैंने विभा की योनि के अंदर माल डाला तो मै उसकी इच्छा को पूरा कर चुका था। हम दोनों खुश हो गए थे हम दोनों को बड़ा ही अच्छा लगा जब विभा और मैंने एक दूसरे की इच्छा को पूरा कर दिया था। हम दोनों एक दूसरे के साथ लेटे हुए थे। मैं विभा के ऊपर लेटा हुआ था और मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो विभा की चूत से मेरा वीर्य निकल रहा था। दोस्तों, अब विभा से मेरी शादी हो चुकी है और हम दोनों एक दुसरे के साथ काफी खुश हैं।
 
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