सहयोगी से मिटाई सपनो की भूक

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नमस्कार दोस्तों,

आज मैं अपनी ही एक कार्यालय में काम करने वाली सहयोगी के बार में यूँ बताउंग का कि आप अपने लंड को चाहकर भी बैठा नहीं पाओगे | मेरी सहयोगी का नाम नेह्वाली था उसके वो जब भी आती तो सब उसके मोटे चुचों कि दस्तक को सुनकर ही हैरान रह जाते थे | मेरे कार्यालय में वो शर्ट और कलि सी स्कर्ट पहनकर रह करती थी और उसके चुचों इतने मोटे थे जैसे शर्ट के बटन को तोड़कर बहार आ जाएँगे | उसके चुचे अक्सर ही मेरे सपने में आया करते थे और मुझे ऐसा लगता था जैसे मैं उसके चुचों का दूद पीते ही सोता और दूद पीते हुए उठता भी हूँ | मुझसे उसके चुचों के अलावा जैसे संसार में कुछ दिखायी ही नहीं देता था | हमारी जमती तो वैसे खूब थी बस वो मुझे अपनी चुत कि मलायी और अपने चुचों का ताज़ा गाढ़ा डू पिलाने से ना जाने क्यूँ कतराती थी |

मैं उसे कई बार मनाया भी की वो वो मेरे साथ एक बार मस्त वाले पल बिताले फिर वो खुद अगली बार मेरे पास आयगी पर वो मुझे अपने होंठों को चुसवाने से आगे नहीं बढती | एक दिन मैंने कुछ ब्रेक में बातों - बातों मेंअपने हाथ हलके से उसके चुचों पर छू दिया जिससे उसकी तन कि गर्माहट देखते ही बन रही थी | उसके चुचों बिलकुल सख्त होने लगे थे और वो मुझे कैंटीन के पीछे को मिलने के लिए कहने लगी | वहाँ खाली कमरा था जहाँ अक्सर सामान रखा जा था | वहीँ जाते ही उसने मुझसे कहा कि बहुत खुजली हैं ना तेरे लंड में . . ! ! आ आजा चूतिये अब निकाल . . आज देखती हूँ किस तार चोदता है तू मुझे | मैंने भी मुस्कान देते हुए उसकी शर्ट बटन खोल दिए मोटे - मोटे चुचों को अपने हाथों में भरते उए चुसने लगा जिसपर वो भी गर्माते हुए गरम सांसें लेने लगी | उसने कुछ ही देर में अपनी आँखें भी बंद कर ली और नीचे से आने एक हाथ से मेरे कपड़ों को भी खोलने लगी |

मैं उसकी मर्ज़ी इस तरह से मानी कि मैं भी कुछ पल में उसके सामने चड्डी में आ चूका था जिसमें से वो मेरे लंड को निकाल भूकी शेरनी तरह चूस रही थी | अब मैंने उसकी पैंटी को उतार दिया और उसकी चुत को उप्पर अपनी जीभ से चाटते हुए उँगलियाँ डालने लगा और उसे वहीँ लिटाकर उसके नंगी गोरी जाँघों को सहलाने लगा | वो भी घूम - घूम कर अपनी चुदना कि चाह को मुझे बता रही थी जिसपर मैं उसे कह कि कुतिया रो मत साली आज तो तेरी मैं ही फाडून्गा . .| मैंने तभी अपने लंड को उसकी चुत पर टिकाते हुए धक्का लगाया जिससे मेरा लंड अब फिसलता हुआ उसकी चुत में पूरा चला गया | अब मैंने भी धक्का लगाना तेज कर दिया था जिससे वो वहीँ लेटी हुए मेरे लंड के ज़ोरदार झटकों को ले रही थी | हम पूरी काम के समय वहीँ लेटकर चुदम - चुदाई कर रहे थे और सभी हमें दूंध रहे थे | आखिर में मैंने अपनी कुतिया कि चुत को बिलकुल हराकर अपने मुठ कि पिचकारी भी छोड़ दी |
 
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