सुरभि ने मेरा लौड़ा चूसा

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Antarvasna, hindi sex kahani: कॉलेज का मेरा आखिरी वर्ष था और मैं अपने करियर को लेकर बहुत ज्यादा चिंतित था मैं एक मिडिल क्लास फैमिली से बिलॉन्ग करता हूं और मेरे पापा बैंक में क्लर्क है उन्होंने मेरी पढ़ाई में कभी भी कोई कमी नहीं रहने दी और मेरे जिंदगी में उन्होंने मुझे कभी कोई कमी नहीं की। मेरी बहन की शादी भी उन्होंने कुछ समय पहले ही की थी और मेरी बहन की शादी बड़े ही धूमधाम से हुई। पापा और मम्मी दीदी को बहुत ज्यादा प्यार करते थे और वह जब भी घर पर आती है तो हम लोग साथ में अच्छा समय बिताया करते हैं। अब मेरा कॉलेज पूरा होने वाला था और मैं अपनी नौकरी को लेकर बहुत ही परेशान था। मेरी एमबीए की पढ़ाई को आखरी वर्ष था और हमारे कॉलेज में कैंपस प्लेसमेंट आया उस वक्त मैं बहुत ज्यादा नर्वस था मुझे यह डर था कि अगर मेरा कैंपस प्लेसमेंट में सिलेक्शन नहीं हो पाया तो ना जाने मेरे भविष्य का क्या होगा, मैं इसी परेशानी में था। जब मैं इंटरव्यू देने रूम के अंदर गया तो मैंने इंटरव्यू दिया मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि मेरा वहां पर सिलेक्शन हो पाएगा लेकिन मेरा सिलेक्शन वहां पर हो चुका था और मुझे जॉब करने के लिए मुंबई जाना था।

मुंबई जैसे बड़े शहर में मैं किसी को भी नहीं जानता था मैं जब मुंबई गया तो मुंबई में ही मैंने एक पीजी में रहने का फैसला किया और कुछ समय तक मैं उसी पीजी में रहा। मुझे महीने की 25000 तनख्वाह मिलती थी करीब 6 महीने तक वहां रहने के बाद मेरी सैलरी भी बढ़ चुकी थी और मैंने सोचा कि अब मैं अकेले ही एक फ्लैट ले लेता हूं। मैं फ्लैट ढूंढने लगा था मुझे कहीं भी कोई अच्छा फ्लैट नहीं मिल पाया था लेकिन जल्द ही मुझे एक फ्लैट मिला और मैंने वहां रहना शुरू कर दिया। मैं चाहता था कि कुछ समय के लिए पापा मम्मी को भी अपने पास बुला लूँ। मैंने जब इस बारे में पापा से बात की तो उन्होंने मुझे कहा कि बेटा मुझे अपने बैंक से छुट्टी लेनी पड़ेगी। मैंने पापा को कहा कि ठीक है पापा कुछ दिनों के लिए आप छुट्टी ले लीजिए मुझे भी अच्छा लगेगा जब आप लोग मेरा पास आएंगे। पापा और मम्मी कुछ दिनों के लिए मुंबई आना चाहते थे पापा ने भी कुछ दिनों के लिए छुट्टी ले ली और वह लोग मेरे पास मुंबई आ गए। जब वह लोग मुम्बई आये तो मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगा और मैंने भी कुछ दिनों के लिए अपने ऑफिस से छुट्टी लेली थी।

वह लोग मेरे साथ काफी अच्छा समय बिता रहे थे हम लोग घूमने के लिए भी गए पापा ने अपने ऑफिस से 15 दिनों की छुट्टी ली थी परन्तु पता ही नहीं चला कि कब 15 दिन बीत गए और पापा मम्मी वापस इंदौर चले गए। पापा मम्मी अब इंदौर जा चुके थे और उसके बाद मुझे काफी अकेलापन महसूस हो रहा था मैंने उस दिन अपनी बहन को भी फोन किया और उससे काफी देर तक मैंने बात की। हम दोनों की बात उस दिन बहुत देर तक हुई मुझे अपनी बहन से बात कर के बहुत अच्छा लगा। जब मैंने उस दिन उससे बात की तो वह काफी खुश नजर आ रही थी और मुझे कहने लगी की रजत तुमने बहुत ही अच्छा किया जो आज मुझे फोन किया। थोड़ी देर बात करने के बाद मैंने फोन रख दिया था। उस दिन मेरा खाना बनाने का बिल्कुल भी मन नहीं था इसलिए मैं अपनी सोसाइटी के बाहर एक रेस्टोरेंट है वहां पर मैं खाना खाने के लिए चला गया। मैं जब वहां पर गया तो मैंने खाना ऑर्डर किया, मैं बैठा हुआ था मैं अपने फोन को टटोल रहा था तभी मेरे सामने आकर एक लड़की बैठी और वह मेरी तरफ बार बार देख रही थी। मैं उसे पहचानता नहीं था मैंने उसे पहली बार ही देखा था लेकिन ना जाने वह मेरी तरफ क्यों देख रही थी। मेरे मन में भी यह बात दौड़ने लगी कि मुझे उससे बात करनी चाहिए या नहीं और आखिरकार मैंने उससे बात कर ही ली। मैंने उसे अपना परिचय दिया तो वह मुझे कहने लगी कि मेरा नाम सुरभि है। सुरभि को शायद कोई गलतफहमी हो गई थी उसके किसी परिचित का हुलिया बिल्कुल मेरी तरह मिलता जुलता था इस वजह से उसे लगा कि शायद वह मुझे जानती है लेकिन वह गलत थी और उसके बाद मुझे जब भी सुरभि मिलती तो मैं उससे बात कर लिया करता।

सुरभि से मुझे बात करना अच्छा लगने लगा था मैं सुरभि के बारे में ज्यादा कुछ जानता नहीं था लेकिन धीरे धीरे उसके बारे में भी मैं जानने लगा था और हम दोनों की बातें अब काफी ज्यादा होने लगी थी। हम दोनों बहुत ज्यादा खुश थे जब भी हम दोनों एक दूसरे के साथ होते। मेरी और सुरभि की दोस्ती अब काफी ज्यादा बढ़ने लगी थी हम दोनों एक दूसरे को जब भी मिलते तो हम दोनों को अच्छा लगता। मेरे पास अब सुरभि का नंबर भी आ चुका था और वह भी उसी सोसाइटी में रहती थी जिसमें मैं रहता था इसलिए हम दोनों एक दूसरे को अक्सर मिल लिया करते थे। सुरभि चंडीगढ़ की रहने वाली है और वह मुझसे काफी ज्यादा बात किया करती है सुरभि का नेचर बहुत ही अच्छा है और वह जब भी घर पर अकेली होती तो वह मुझे बुला लिया करती। वह अपनी फ्रेंड के साथ रहती है। सुरभि एक अच्छी कंपनी में जॉब करती है और हम दोनों जब पहली बार मूवी देखने के लिए साथ में गए तो हम दोनों को ही बहुत अच्छा लगा और उसके बाद सुरभि मुझसे अपनी हर एक बात शेयर करने लगी। हम दोनों की नजदीकियां बढ़ती चली गई सुरभि के बिना मैं अपने आप को अधूरा महसूस करता हूं मुझे ऐसा लगने लगा कि मैं सुरभि को प्यार करने लगा हूं। मैंने जब सुरभि से अपने दिल की बात कही तो उसने भी मेरे प्रपोज को स्वीकार कर लिया और मैं बहुत ज्यादा खुश था कि सुरभि और मेरे बीच प्यार होने लगा है। हम दोनों एक दूसरे को काफी ज्यादा प्यार करने लगे थे।

सुरभि और मेरे बीच नजदीकया बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी और हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत ज्यादा खुश भी थे। जब भी हम दोनों साथ में होते तो हम दोनों को अच्छा लगता। सुरभि और मेरे बीच पहली बार किस हमारी कॉलोनी के पार्क में हुआ था और उसके बाद मैं जब भी सुरभि के साथ होता तो मैं उसकी जांघों को सहलता और उसे गर्म करने की कोशिश करता लेकिन वह मेरे साथ सेक्स करने के लिए तैयार नहीं थी। वह इस बात से बहुत ज्यादा डरती थी कहीं कुछ हो ना जाए लेकिन एक दिन सुरभि और मैं मेरे फ्लैट में एक साथ में बैठे हुए थे। उस दिन मैंने जब उसकी जांघों को सहलाना शुरू किया और उसके होंठों को चूमना शुरू किया तो वह इतनी ज्यादा गर्म हो गई कि वह अपने आपको बिल्कुल भी रोक ना सकी और मुझे कहने लगी मैं तुम्हारे लंड को मुंह में लेना चाहती हूं। मैंने अपने लंड को बाहर निकाल और सुरभि के मुंह के अंदर घुसा दिया। सुरभि ने उसे अपने मुंह के अंदर ले लिया और वह बडे ही अच्छे से मेरे लंड को सकिंग करने लगी। सुरभि जिस प्रकार से मेरे लंड को सकिंग कर रही थी उससे मुझे मज़ा आ रहा था और उसे भी बहुत ही ज्यादा अच्छा लगने लगा था। वह इतनी ज्यादा गर्म हो चुकी थी कि मुझे कहने लगी मैं तुम्हारे लंड को लेने के लिए तैयार हूं। मैंने उसके बदन से सारे कपड़े उतार कर उसके स्तनों को चूसना शुरू किया।

मैं जब सुरभि के स्तनो को चूस रहा था तो मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था और उसके निप्पल को चूसते हुए मेरे अंदर की गर्मी बढ़ती ही जा रही थी। मैंने सुरभि से कहा मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा है। वह मुझे कहने लगी मुझे भी बहुत मजा आ रहा है। मैंने सुरभि के अंदर की गर्मी को इतना ज्यादा बढ़ा दिया था उसने अपने पैरों को खोला और मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। मैंने जब उसकी योनि को चाटना शुरू किया तो उसको मजा आने लगा और वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा है। मेरे अंदर गर्मी बहुत बढ चुकी थी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था। मैं और सुरभि एक दूसरे के साथ बहुत ज्यादा गर्म होने लगे थे। मैंने सुरभि की चूत पर अपने लंड को लगाकर अंदर की तरफ घुसाने की कोशिश की तो धीरे-धीरे मेरा लंड उसकी चूत में घुस चुका था। उसकी चूत में मेरा लंड जाते ही उसकी योनि से खून की पिचकारी बाहर की तरफ को निकल आया था उसकी योनि से खून निकल रहा था तो मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लगने लगा था और सुरभि को भी बड़ा मजा आने लगा था जिस प्रकार से वह मेरा साथ दे रही थी। हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत ज्यादा गरम हो चुके थे और मैंने सुरभि से कहा मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा है।

मैं सुरभि की चूत के अंदर अपने लंड को कर रहा था वह मुझे अपने पैर के बीच में जकडने की कोशिश करती तो उसकी योनि से खून निकल रहा था। उसकी चूत से तेजी से पानी निकल रहा था और मुझे इस बात की बहुत ज्यादा खुशी थी कि उसकी चूत एकदम सील पैक है और मुझे उसकी चूत मारने में बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। मैं उसे बड़ी तेज गति से चोद रहा था। मै जिस तेज गति से उस से धक्के दे रहा था उससे मुझे इतना ज्यादा मजा आने लगा था मैंने उसकी चूत में ही अपने माल को गिरा दिया और अपनी इच्छा को पूरा किया। सुरभि बहुत ज्यादा खुश थी जब मैंने उसकी चूत में अपने माल को गिरा दिया था।

सुरभि ने मेरे लंड को अपने हाथों में लिया और मेरा लंड उसकी चूत में दोबारा से जाने के लिए तैयार था। सुरभि ने मेरे लंड को कुछ देर तक सकिंग किया और जिस प्रकार से वह मेरे लंड को चूस रही थी उससे मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था और सुरभि को भी काफी ज्यादा मजा आ रहा था। मैंने सुरभि की चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करना शुरू कर दिया था मेरा लंड उसकी चूत को फाडता हुआ उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था मैंने उसके दोनों पैरों को खोला हुआ था। मै जमकर उसे चोदे जा रहा था मुझे उसे चोदने में बहुत मजा आ रहा था। उसकी चूत मार कर मैं बड़ा खुश था मैंने अपनी और उसकी इच्छा को पूरा कर दिया था जिस प्रकार से उसकी इच्छा को पूरा किया उससे वह बहुत ही ज्यादा खुश हो गई थी और मुझे कहने लगी मैं बेकार में ही घबरा रही थी मुझे तो आज बहुत मजा आ गया। उसके बाद उसे मेरे लंड का ऐसा चस्का लगा वह मेरे लंड को लेने के हमेशा ही तैयार रहती। जब भी उसे मेरे साथ सेक्स करना होता तो वह मेरे साथ सेक्स करने के लिया आ जाती।
 
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