sexstories

Administrator
Staff member
Simran ne apni pahli chut chudai ka raaj bataya

सुहागरात में अपने पुराने अफेयर और सेक्स के बारे में कहने का रिवाज आजकल मोडर्न लडको लडकियों में देखा जाता हैं. कुछ भी हो इसका उद्देश्य एक सही मतलब के लिए ही होता हैं की अपने पार्टनर के बारे में सब कुछ पता चले. लेकिन कभी कभी ऐसे कन्फेशन कैसे भूचाल ले के आते हैं जिन्दगी में वो किसी को पता नहीं होता हैं. सिमरन ने जब अपने शोहर यानी की हसबंड जिलानी को अपनी बीती जिन्दगी का एक हादसा बताया तो क्या हुआ? चलिए आप को जिलानी और सिमरन के लफ्जो में ही यह बात बताते हैं ताकि आप को भी मजा आये.

घुंघट की आड़ से सिमरन घड़ी घड़ी पतली मुछो वाले अपने हसबंड को देख रही थी. जिलानी की बहने कब की जा चुकी थी. दुल्हन के पास आने से पहले जिलानी ने अपने सर के उपर बचे हुए शेहरे के चंद फूलो को भी हटा दिया. सफ़ेद कुरता मजामा उसके ऊपर बड़ा सूट कर रहा था.

बिस्तर में बैठ के उसने सिमरन से बातें करने लगा.

जिलानी: देखा वो रात आ ही गई जब हम दोनों एक होने वाले हैं.

सिमरन कुछ नहीं बोली और सिर्फ मुस्का दी. फोन पर बड़ी बड़ी बातें करनेवाली सिमरन आज सुहागरात होने की वजह से एकदम शांत हो चुकी थी. जिलानी ने ही बात को आगे बढाते हुए कहा, देखो हम बात की शरुआत इसी चीज से करेंगे जिस से आप को हमारे अतीत के बारें में पता चले और हम आप से एकदम इमानदार रहेंगे सब कुछ कहने में. और हम चाहते हैं की आप भी हमें अपनी जिन्दगी का हरेक वो पहलु दिखाएँ जिस से हमें आप के हमराज़ होना चाहिए. यकीं माने आज से पहले की आप की जिन्दगी में जो कुछ हुआ उस से हमारा रिश्ता नहीं हैं फिर भी दिल के सुकून के खातिर आप हमें बताइयेगा जरुर.

फिर एक लम्बी सांस ले के जिलानी ने कहा, हमारे लास्ट अफेयर सुलताना के बारें में तो हम आप को मंगनी के तुरंत बाद बता चुके थे. सुलताना हमारी शादी में आई थी लेकिन जैसा हमने आप से कसम खाई थी हमने उस से हरेक रिश्ते को तोड़ रखा हैं.

एक सांस की आवाज और आई और फिर जिलानी का आवाज, सुलताना से पहले हमारी जिन्दगी में दो और औरतें थी फहीम और रुकैया. रुकैया से हमारी जान पहचान सिर्फ डेढ़ महीने की थी और हम दोनों ने सेक्स नहीं किया था कभी भी. फहीम हमारे चाचा की बेटी हैं जो आप से कुछ देर पहले मिलने आई थी. उस से हमारी मंगनी बचपन में हुई थी और हम दोनों काफी क्लोज़ थे. फिर खानदान के झगड़ो में वो मंगनी नहीं रही. आजकल हम लोगो में बातचीत हैं लेकिन रिश्तेदारी अब शायद नहीं होगी. सुलताना के जैसे ही फहीम के साथ हमने हमबिस्तरी काफी बार की हैं. फहीम हमारे साथ पूरा पूरा दिन होटल के कमरे में रहती थी.

फहीम की मंगनी आजकल यूएस में हुई हैं और अगले महीने उसकी भी शादी हैं. अब वो सिर्फ मेरी बहन हैं इस से बढ़ के कुछ नहीं. देखे हमने आप को अपनी जिन्दगी के बारें में बता दिया हैं. इस के अलावा हमने लड़कियों से मजाक बहुत किया हैं लेकिन किसी के साथ कभी उंच नीच एटलिस्ट हमारी और से तो नहीं हुई हैं. अबी आप अपने बारें में बताइए.

घुंघट के पीछे से ही सिमरन की दबी हुई आवाज आई, क्या हमें बताना भी जरुरी हैं. क्या हम ये कह दे की आज से हमारी जिन्दगी के ऊपर आप की मालिकी हैं फिर भी? देखिये हमने कभी कुछ ऐसा नहीं किया की जिस से हमारे अब्बू को आँखे झुकानी पड़े, फिर भी एक हादसा ऐसा काला धब्बा हैं हमारी जिन्दगी पर जिसे हम अपने आंसू और खून दोनों से मिला के भी नहीं धो सकते हैं.

लास्ट लाइन सुन के जिलानी की आँखों में अलग ही अंदाज आ गए. वो उत्सुक हो गया सिमरन के इस हादसे को जानने के लिए.

सिमरन ने जब देखा की जिलानी कुछ नहीं बोला तो वो आगे बोलने लगी, तब हम सिर्फ १९ साल के थे और हमारी बड़ी बहन नसरीन के घर हम अक्सर जाते थे. कसम से हमें कभी भी अपने जीजा रफीक के लिए दिल में बुरे ख्याल को नहीं आने दिया था. लेकिन वो हरपल हमें अपनी नजर से ही मारा करते थे. ऊपर से दीदी भी जैसे उनकी कठपूतली बन चुकी थी. मैं उनकी शिकायत भी करूँ तो वो कहती की जीजा साली के बिच में यह सब तो होता हैं पगली. और फिर वो हमें कहती की इन सब बातों का टेंशन नहीं लेना चाहिए. अब बहन भी तो एक ही हैं हमारी इसलिए उसका घर टाल भी नहीं सकते थे हम. और घर में कहते भी तो किस से. अम्मी अब्बू के अलावा और घर में कोई था भी नहीं. जो मेरी सच्ची दोस्त थी नसरीन दीदी उसके लिए तो यह सब सही था बिलकुल एक जीजा साली के रिश्ते के जैसा.

सिमरन ने आगे कहा, लेकिन हमारा दिल जानता था की रफीक जीजू कितने गंदे थे. वो जानबूझ के हमें अपने आगे वाले हिस्से से टच करते थे. हमारे कमर के निचे के भाग पर और जांघ पर ना जाने कितनी बार हाथ एक्सीडेंट से आ जाता था उनका. हम जानते थे की यह एक्सीडेंट एक्सीडेंट कतई नहीं हैं.

जिलानी बड़े आराम से अपनी बीवी की बात को सुन रहा था.

फिर एक दिन हमारी जिन्दगी का एक काला दिन आ गया. नसरीन दीदी के वहां पापड़ बनाने गई थी मैं. रफीक जीजा दोपहर को चिल्ली चिकन और बेसन के लड्डू ले के आये थे. हम दोनों बहने वैसे साथ में खाती हैं लेकिन पता नहीं क्यूँ उस दिन हमारी थालियाँ अलग अलग आई. खाने के बाद थोड़े पापड़ बनने रहते थे जो निपटाने से पहले ही मुझे सर में चक्कर सा आने लगा था. नसरीन दीदी ने कहा की जाओ ऊपर मेरे कमरे में सो जाओ मैं पापड़ खत्म कर के आती हूँ. मैं दुपट्टा सर पर बाँध के दीदी के पलंग पर लेट गई. कुछ देर बाद मेरे पैरों में किसी के दबाने की आहट लगी. मुझे लगा की नसरीन दीदी हैं. आँख खोलने का मन नहीं कर रहा था क्यूंकि सर दर्द से फटा जा रहा था. फिर मुझे नींद का अहसास होने लगा.

१-२ मिनिट के बाद मुझे लगा की दीदी मेरी जांघे सहला रही थी. आँख खोल के देखने की कुवत नहीं बची थी. और आँख खोलनी चाहि तो सिर्फ थोडा ही खोल सकी. और जो देखा उसे जिन्दगीभर नहीं भूल सकती हूँ. पलंग के पास मेरी दीदी साइड में चेर लगा के बैठी हुई थी. और रफीक जीजा मेरे ऊपर एकदम नंगे खड़े हुए थे. उनके लंड का वो भयानक चहरा और उनकी आँखों में वो हवस. मैंने अपनी लाज भी तो सर पर बाँध के रखी थी! अब क्या होगा, मैं तो इतने होश में भी नहीं थी की उठ के वहाँ से भाग जाती. शायद अलग थालियों का इंतजाम मुझे कुछ ख़ास दवाई खिलाने के लिए ही किया गया था. लेकिन मेरी दीदी ऐसा क्यूँ कर रही थी भला, उसे क्यूँ अपनी बहन की इज्जत प्यारी नहीं थी!

रफीक जीजा ने अब जांघो से आगे बढ़ना चालू किया. मैंने सोचा की आँखे खोल के अपनेआप को जलील नहीं करवाना इसलिए मैं जागते हुए भी सोती रही. बहन के सामने ही रफीक ने मेरी सलवार का नाडा खोला और उसे निचे खिंच डाला. अंदर पेंटी नहीं थी इसलिए हमारी चूत उसके सामने थी. झांट हमें पहले से ही पसंद नहीं इसलिए हम हर हफ्ते शेव करते हैं बहुत पहले से. और इस साफ़ चूत को देख के रफीक के मुहं में पानी आ गया. नसरीन दीदी भी मेरी चूत को देख रही थी. रफ़ीक ने अब अपना लंड हाथ में लिया और वो मेरी चूत की फानको के ऊपर उसे घिसने लगा. गरम गरम अहसास होने से मुझे भी गुदगुदी सी होने लगी थी. शर्म और डर की इन्तहा कैसे बताऊँ आप को.

फिर रफीक जीजू ने मेरे बूब्स के ऊपर हाथ मारा. वो तो ऊपर के कपडे भी उतारने वाला था लेकिन नसरीन दीदी ने उसे रोक लिया, अरे लड़की जाग जायेगी. जो करना हैं फट से कर लो आप.

दीदी पता नही क्यूँ मुझे चुदवाने पर तुली हुई थी.

रफीक जीजू ने अपने लंड के ऊपर थोडा थूंक लगाया और फिर उसे वापस चूत पर लगा दिया. एक झटका सा लगा जब उनका सुपाडा अंदर घुसा. दर्द की लिमिट ओवर हो चुकी थी लेकिन मैं बेबस थी. दीदी के शोहर यह कर रहे थे और दीदी उनका साथ दे रही थी. अब मैं किसे शिकायत करती और कौन मेरा यकीं करता. रफीक जीजा ने लंड वापस निकाला क्यूंकि वो अन्दर घुस नहीं रहा था. मैं तो पूरी वर्जिन थी उस वक्त. नसरीन दीदी ने यह देखा तो वो बोली, थोडा चिकना कीजिये उसे अभी और. अपने लोडे को वही पर घिसे कुछ देर अन्दर से चिकना पानी निकलेगा.

रफीक जीजा एक हाथ से मेरी जांघ पकड़ के दुसरे हाथ से मेरी चूत को घसने लगा अपना लंड से. कुछ देर में सच में चूत से चिकना पानी निकल पड़ा.रफीक जीजा ने अबकी लंड डाला तो थोडा आराम था लेकिन दर्द बड़ा ही कातिलाना था. उनके आधे से भी कम लंड से मेरे बदन पर पसीना छुट चूका था. उन्होंने अपने गंदे पानवाले दांत मेरे गर्दन पर रखे. उनकी साँसों की बदबू से मैं पागल सी होनेवाली थी. लेकिन आँख मैंने खोली ही नहीं.

रफीक जीजा ने थोडा फ़ोर्स एंट्री कर के पूरा लंड अन्दर किया और मैंने दर्द को थोडा कम करने के लिए नींद में अंगडाई का नाटक किया, उन्होंने मेरे दोनों हाथ पकड के पलंग पर दबा दिए. फिर उनका लंड मेरी जवान चूत में रगड़ करने लगा. कमरे में उनकी हवस की एकमात्र गवाह मेरी दीदी मुझे चुद्ता देखती रही. जब रफीक जीजा का वीर्य निकलने को आया तो उन्होंने फट से अपने लंड को मेरी चूत से निकाल लिया. दीदी की एक पुरानी ओढनी में उन्होंने अपने इस मर्दानगी के सबूत को निकाल लिया. फिर मेरी चूत को मेरी दीदी ने उसे ओढनी की दूसरी साइड से साफ़ किया.

दीदी ने अब रफीक जीजा की और देख के कहा, अब ऊपर वाले के लिए आप बस भी कर दीजिये, आपकी जवान लड़कियों की चाह में आज मैंने इतना बड़ा गुनाह किया हैं. सिमरन को पता चलेगा तो मुझपर कभी भरोसा नहीं करेगी.

रफीक जीजा बोला, देख तुझे मैंने उस बावर्ची के साथ सेक्स करते देखा तो कुछ कहा था! जब तू अपनी मर्जी से बहार चुद्वाती हैं तो मुझे क्यूँ रोकती हैं. और जैसे मैंने कहा था की सिमरन की सिल तोड़नी हैं मुझे बस. अब हम सिमरन को अभी बेहोश नहीं करेंगे पागल. और मैंने उसे दवाई खिलाई हैं साथ में पेनकिलर भी था. जब वो होश में आएगी तो पता भी नहीं चलेगा की उसके छेद का दरवाजा खुल चूका हैं. लेकिन उन्हें कहा पता की मैं सब महसूस और देख चुकी थी.

आधे घंटे के बाद मैं उठ के दीदी के वहाँ से निकल गई. दीदी ने रुकने के लिए कहा तो मैंने कहा की नहीं दर्द कम हुआ हैं इसलिए जल्दी चली जाती हूँ. उन्होंने कुछ कहा नहीं और मैं दिखाया नहीं की मैं सब जानती थी. बस अपनी इज्जत उस दिन मैं दीदी के घर रख के आ गई.

जिलानी की और देख के अब सिमरन ने कहा, मैं जानती नहीं की आप इसका क्या मतलब लेंगे लेकिन यही एक सेक्स था जो मैंने अपनी जिन्दगी में किया हैं. मर्जी हो या न हो लेकिन मेरी शर्मगाह खुल चुकी हैं.

जिलानी ने सिमरन के माथे पर चुम्मा देते हुए कहा, इस के बारे में मुझे भी कुछ पता नहीं हैं लेकिन तुम आज से अपने जीजा के घर कभी नहीं जाओगी.
 
Back
Top