हॉट भाभी को देख के मुठ मारी

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सुधा भाभी छत पे पापड़ सूका रही थी. और मैं इस हॉट भाभी को अपनी छत के ऊपर से देख रहा था. इंजीनियरिंग की पढाई से अच्छा था की इस हॉट भाभी को थोड़ी देर देख लूँ. मेरे पजामे के अंदर मेरे लंड की हालत ख़राब हो गई थी. क्यूंकि सुधा भाभी को देख के मैं इस से पहले भी बहुत बार मुठ मार चूका था. सुधा भाभी विकास की बीवी हैं और इस हॉट भाभी की बड़ी गांड देख के मुझे उसकी चूत और गांड मारने का बड़ा मन हो जाता हैं. सुधा भाभी पापड़ सुकाने के लिए जैसे ही झुकती थी मेरे लंड से उसके चुंचे देखने के कमांड निकलते थे. जैसे की मेरा दिमाग नहीं बल्कि मेरा लंड आँखों को कहता था की चुंचे देख ले फिर मुठ मारने में आराम रहेंगा. सुधा भाभी से चुदाई के बारे में सोचने से भी डर लगता था क्यूंकि उसका पति मेजर रणवीर मेरी गांड में दोनाली फोड़ देंगा अगर उसे पता चला की मैं उसकी बीवी के ऊपर ख़राब नजर रखता हूँ. सुधा भाभी भी वैसी लगती नहीं थी की वो अपने पडोसी का लंड ले ले. लेकिन यह हॉट भाभी लंड खड़ा करने की सब से शक्तिशाली मशीन थी इसमें कोई दो राय नहीं थी.

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सुधा भाभी ने एक दो बार मेरी और देख के स्माइल भी दी. मैंने अपने लंड को पायजामे के अंदर ही दबाए रखा; साली चड्डी भी तो नहीं पहनी थी आज मैंने. सुधा भाभी पापड़ डालने के लिए जब निचे झुकती तो पीछे से उसकी गांड का अच्छा मुआयना किया जा सकता था. उसकी गांड कम से कम 40 इंच की तो थी ही; बड़े लंड के लिए बड़े गोदाम होने भी जरुरी हैं ना. हॉट भाभी जब आगे के भाग से झुकती तो उसके ब्लाउज के अंदर से मैं झाँकने की कोशिश करता था उसकी दूध की दूकान पे. साले चुंचे भी तो ए वन थे इस हॉट भाभी के. मेरा लंड फूंफाड मारने लगा था अब तो. कसम से भाभी ने एक बार और स्माइल दे दी होती तो मैं ना बंदूक की नाल से डरता ना समाज की बदनामी से; हॉट भाभी के चुंचे चोद देता उसी वक्त दिवार नांग के. लेकिन साला अपनी किस्मत में यह सब कहा. मैंने इंजीनियरिंग मेथेमेटिक्स की किताब को साइड में रखी और कामसूत्र का सिलेबस याद करने लगा. आँखों के सामने मुझे मेरे और यह हॉट भाभी के विभिन्न सेक्स आसन दिख रहे थे. मैं सोच रहा था की कैसे कैसे यह भाभी की चूत को मारा जा सकता हैं. क्यूंकि अंदर लंगोट नहीं पहनी थी मैंने मुझे लंड के मुख से निकल रहा वीर्य साफ़ महसूस हो रहा था.

मैंने सोचा की साला मुठ मारनी ही पड़ेंगी अज भी इस हॉट भाभी को याद कर के. मैंने उठ के अपने लौड़े को भाभी की नजर से बचाया. मैंने नहीं चाहता था की वो बिना लंगोट के पजामे में बना हुआ तंबू देख ले. मैंने उठ के छत के ऊपर ही बने बाथरूम को खोला और अंदर घुस गया. हॉट भाभी की विचार तो मेरे मन में वैसे ही घूम रहे थे. अपने मोबाइल को निकाल के मैंने सोचा की एकाद पोर्न क्लिप देख ही लूँ ताकि मुठ मारने में मजा और भी बढ़ जाएँ. मैंने मोबाइल के फोल्डर से प्रिया राय की सरेआम चुदाई की एक हॉट विडिओ निकाली और कान में इअरफोन लगा के उसे देखने लगा. बाथरूम के ऊपर बनी हुई हवादानी से मैं बिच बिच में अपनी हॉट भाभी सुधा को भी देख लेता था. सुधा भाभी और प्रिया राय में दो बड़े फर्क थे. पहला यह की सुधा भाभी को इंग्लिश नहीं आती हैं और दूसरा की सुधा भाभी प्रिया राय की तरह चूत का चलता फिरता गोदाम नहीं हैं. प्रिया राय की चुदाई और भाभी की हिलती डुलती गांड देख के मेरे लंड ने बह जाने के लिए जैसे की मुझे दरखास्त कर दी. मैंने पजामे का नाडा ढीला कियाऔर उसे धीरे से निकाल के खूंटी के ऊपर टांग दिया.

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फिर मैंने अपने लंड को अपने हाथ में लिया और आँखे बंध कर दी. लौड़े को फिर मैंने हलके हलके हाथ से दबाया और फिर उसे धीरे से मुठ के अंदाज में हिलाने और रगड़ने लगा. फिर मेरा हाथ लंड के ऊपर और भी जोर से चलने लगा और मैं बिच बिच में खड़े हो के अपने चुदाई पार्टनर यानी की सुधा भाभी को देख के लंड हिलाता रहा. फिर मेरे दिमाग में क्या सूझी की मैंने अपने हथेली में थोडा थूंक लिया और अपने लौड़े को गिला किया. आज पहली बार मैं थूंक लगा के मुठ मार रहा था, लेकिन साला यह तो बिना थूंक से कही अच्छा था.

मैंने अपनी आँखे बंध की और सुधा भाभी को अपने सामने महसूस किया. वही साडी में आई हुई सुधा भाभी ने अपनी साडी को उतारे बिना सिर्फ निचे से मेरे लिए उठाया. अंदर उसने कुछ नहीं पहना था जैसे की. सीधे उसकी बाल यानी की झांट वाली चूत मुझे नजर आने लगी. सुधा भाभी मेरे लंड को हाथ में ले के अपनी चूत की तरफ खींचने लगी. फिर उसने अपनी चूत के छेद के ऊपर लंड को रखा और मैंने उसकी चूत के अंदर झटका दिया. मेरा लंड चूत के अंदर फट से घुस गया और मैंने आगे पीछे होके सुधा भाभी की चुदाई करने लगा. आह आह आह की आवाज निकाल के भाभी भी अपना पिछवाड़ा हिलाते हुए मुझसे चुदवाने लगी. 2 मिनिट की चुदाई के बाद जैसे की मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया. और मुझे इधर सच में हथेली के ऊपर गीलापन महसूस हुआ. बंध आँखों से मैंने भाभी के बारे में सोच केवीर्य निकाल दिया था.

मैंने अपने लंड को पानी से साफ़ किया और नाडा बांध के वापस बहार आ गया. हॉट भाभी सुधा ने मुझे देखा और स्माइल दी. मैंने मनोमन सोचा की काश यह स्माइल तू थोड़ी देर पहले देती तो तेरी चूत के अंदर मेरा लंड आअज सचमूच डाल देता. लेकिन शायद अपनी किस्मत में अभी हथेली की गर्मी की अलावा और कोई गर्मी लिखी हुई नहीं हैं.
 
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