मेरा नाम अनुज गुप्ता है, मैं गिरिडीह में रहता हूँ। हमारे घर में मेरे माता पिता, मैं और मेरी दो बहनें हैं। मेरी उम्र 22 साल है, मेरी छोटी बहन कविता 20 साल की है, उससे छोटी आरती है।
अपनी कहानी सुनाने से पहले मैं आपको एक और किस्सा सुनाना चाहता हूँ जो मेरी कहानी से जुड़ा है।
बात दरअसल ऐसी है कि हमारा घर के बाहर एक आवारा कुतिया रहती थी। एक बार 6 उसके बच्चे हुये, सारा दिन वो पिल्ले हमारे ही घर में घूमते रहते थे, हम रोज़ उनसे खेलते… रोज़ उन्हें दूध रोटी डालते।
धीरे धीरे वो बड़े होने लगे, 6 पिल्लों में से सिर्फ 2 ही बचे, बाकी को कोई उठा कर ले गया। वो दोनों हमारे ही घर रहने लगे।
वक़्त बीतता गया, वो दोनों काफी बड़े हो गए, एक कुत्ता था और एक कुतिया… दोनों हमारे घर की पूरी रखवाली करते।
हम बच्चे उनसे खेलते, हमारे लिए तो वो दोनों भाई बहन ही थे। जब राखी आती तो हम उनकी भी आपस में राखी बँधवा देते।
ऐसे ही चलता रहा।
एक दिन बरसात का मौसम था, मैं अपने कमरे में बैठा पढ़ रहा था, तभी मैंने खिड़की से बाहर देखा। बाहर गली में रानी (हमारी कुतिया) और राजा (हमारा कुत्ता) दोनों आपस में खेल रहे थे।
रानी बार बार राजा के मुंह से मुंह मिलाती, अपनी पूंछ ज़ोर ज़ोर से हिलाती उसके आगे पीछे डोल रही थी। कभी ज़मीन पे लेटती, कभी दौड़ के आती और राजा के आसपास चक्कर लगाती, कभी पूंछ उठा कर अपना पिछवाड़ा राजा के मुंह से लगाती।
मैं ये सब देख रहा था, पर मुझे लगा कि ये सिर्फ खेल नहीं है, ये कुछ और है।
अब मैं भी जवान था, पता तो मुझे भी सब कुछ था!
और वही हुआ… रानी ज़मीन पे लेट गई, उसने अपनी टांग उठाई तो राजा उसकी बुर को चाटने लगा। मैं यह देख कर हैरान रह गया कि रानी तो इसकी बहन है फिर ये कैसे उसकी बुर चाट सकता है। रानी भी राजा के लंड के आस पास अपना नाक लगा कर सूंघ रही थी, कभी कभी जीभ से चाट भी लेती।
फिर राजा ने रानी को टांग मार कर खड़ा किया, रानी उठी और उसने अपनी पूंछ एक तरफ को कर ली और राजा एक झटके से उस पर चढ़ गया, अगले ही पल मैंने राजा का गुलाबी रंग का लंड रानी की बुर में घुसता देखा और उसके बाद राजा ने रानी की खूब चुदाई की।
जब चुदाई के बाद रानी को मज़ा आया, या उसका सख्लन हुआ तो वो नीचे को झुकी और राजा ने उसके ऊपर से अपनी टांग घूमा दी। बस दोनों का मुंह एक दूसरे से उलट दिशा में हो गया और राजा और रानी की आपस में गांठ फंस गई।
उनका सेक्स देख कर मेरा भी लंड अकड़ गया, जिसे मैंने अपनी किताब के नीचे छुपा लिया था।
मैंने अपने कमरे में निगाह दौड़ाई, सामने टेबल पर बैठी मेरी छोटी बहन कविता पढ़ रही थी। मेरे मन में विचार आया, अगर हम भी कुत्ते होते, तो क्या मैं भी कविता और आरती से सेक्स करता?
यह विचार आते ही मुझे अपनी बहन कविता बहुत ही सेक्सी लगी, मैं उसकी पीठ, उसकी कमर और स्कर्ट से बाहर दिख रही उसकी नंगी टाँगों को घूरने लगा और सोचने लगा कि क्या इसकी भी वैसी ही बुर होगी, जैसी ब्लू फिल्मों में मैं देखता हूँ, इसके चूचे भी वैसे ही होंगे, गोल, नर्म।
पता नहीं औरतों में भगवान ने कोई छठी इंद्री लगाई है, अभी मैंने 2 मिनट ही उसको घूरा था, उसने मुड़ कर मुझे पीछे देखा।
मैंने अपनी झेंप मिटाने के लिए पूछा- क्या है, पढ़ ले?
वो अपनी किताब ले कर मेरे पास आई, बोली- भैया, ये वाला सवाल मुझे समझ नहीं आ रहा है।
मैं उसे सवाल समझाने लगा, वो मेरे बिल्कुल पास झुक कर खड़ी, कापी पर देख रही थी, तभी मेरी निगाह अकस्मात ही उसके टॉप के गले से अंदर गई, उसका छोटा सा गोरे रंग का चूचा मुझे दिखा।
‘हे भगवान…’ मेरे मन में एकदम से विचार आया।
अभी छोटी थी, तो ब्रा नहीं पहनती थी, मगर अंडरशर्ट पहनती थी। फिर भी उसका छोटा सा चूचा देख कर मेरे लंड को तो जैसे करंट ही लग गया।
मैंने उसे झटपट सवाल समझा कर भेज दिया और बाद मैं सोचने लगा- मैं भी ये क्या देख रहा था, क्या सोच रहा था। अपनी ही सगी बहन पर बुरी निगाह, क्या मैं भी कुत्ता हो गया हूँ?
उसके बाद मैंने अपना ध्यान पढ़ाई में लगा लिया। मगर एक बात फिर भी थी कि मेरी अपनी ही बहनों को देखने का नज़रिया बदल गया था। अब वो तो यह सोचती थी कि भाई है, मगर यहाँ तो भाई कि ही नीयत खोटी थी।
मेरी बहनें जवान थी, मैंने उनके बदन के एक एक अंग को बढ़ते हुये देखा था, कविता पतली थी, मगर आरती ज़्यादा भरी भरी थी।
अपनी कहानी सुनाने से पहले मैं आपको एक और किस्सा सुनाना चाहता हूँ जो मेरी कहानी से जुड़ा है।
बात दरअसल ऐसी है कि हमारा घर के बाहर एक आवारा कुतिया रहती थी। एक बार 6 उसके बच्चे हुये, सारा दिन वो पिल्ले हमारे ही घर में घूमते रहते थे, हम रोज़ उनसे खेलते… रोज़ उन्हें दूध रोटी डालते।
धीरे धीरे वो बड़े होने लगे, 6 पिल्लों में से सिर्फ 2 ही बचे, बाकी को कोई उठा कर ले गया। वो दोनों हमारे ही घर रहने लगे।
वक़्त बीतता गया, वो दोनों काफी बड़े हो गए, एक कुत्ता था और एक कुतिया… दोनों हमारे घर की पूरी रखवाली करते।
हम बच्चे उनसे खेलते, हमारे लिए तो वो दोनों भाई बहन ही थे। जब राखी आती तो हम उनकी भी आपस में राखी बँधवा देते।
ऐसे ही चलता रहा।
एक दिन बरसात का मौसम था, मैं अपने कमरे में बैठा पढ़ रहा था, तभी मैंने खिड़की से बाहर देखा। बाहर गली में रानी (हमारी कुतिया) और राजा (हमारा कुत्ता) दोनों आपस में खेल रहे थे।
रानी बार बार राजा के मुंह से मुंह मिलाती, अपनी पूंछ ज़ोर ज़ोर से हिलाती उसके आगे पीछे डोल रही थी। कभी ज़मीन पे लेटती, कभी दौड़ के आती और राजा के आसपास चक्कर लगाती, कभी पूंछ उठा कर अपना पिछवाड़ा राजा के मुंह से लगाती।
मैं ये सब देख रहा था, पर मुझे लगा कि ये सिर्फ खेल नहीं है, ये कुछ और है।
अब मैं भी जवान था, पता तो मुझे भी सब कुछ था!
और वही हुआ… रानी ज़मीन पे लेट गई, उसने अपनी टांग उठाई तो राजा उसकी बुर को चाटने लगा। मैं यह देख कर हैरान रह गया कि रानी तो इसकी बहन है फिर ये कैसे उसकी बुर चाट सकता है। रानी भी राजा के लंड के आस पास अपना नाक लगा कर सूंघ रही थी, कभी कभी जीभ से चाट भी लेती।
फिर राजा ने रानी को टांग मार कर खड़ा किया, रानी उठी और उसने अपनी पूंछ एक तरफ को कर ली और राजा एक झटके से उस पर चढ़ गया, अगले ही पल मैंने राजा का गुलाबी रंग का लंड रानी की बुर में घुसता देखा और उसके बाद राजा ने रानी की खूब चुदाई की।
जब चुदाई के बाद रानी को मज़ा आया, या उसका सख्लन हुआ तो वो नीचे को झुकी और राजा ने उसके ऊपर से अपनी टांग घूमा दी। बस दोनों का मुंह एक दूसरे से उलट दिशा में हो गया और राजा और रानी की आपस में गांठ फंस गई।
उनका सेक्स देख कर मेरा भी लंड अकड़ गया, जिसे मैंने अपनी किताब के नीचे छुपा लिया था।
मैंने अपने कमरे में निगाह दौड़ाई, सामने टेबल पर बैठी मेरी छोटी बहन कविता पढ़ रही थी। मेरे मन में विचार आया, अगर हम भी कुत्ते होते, तो क्या मैं भी कविता और आरती से सेक्स करता?
यह विचार आते ही मुझे अपनी बहन कविता बहुत ही सेक्सी लगी, मैं उसकी पीठ, उसकी कमर और स्कर्ट से बाहर दिख रही उसकी नंगी टाँगों को घूरने लगा और सोचने लगा कि क्या इसकी भी वैसी ही बुर होगी, जैसी ब्लू फिल्मों में मैं देखता हूँ, इसके चूचे भी वैसे ही होंगे, गोल, नर्म।
पता नहीं औरतों में भगवान ने कोई छठी इंद्री लगाई है, अभी मैंने 2 मिनट ही उसको घूरा था, उसने मुड़ कर मुझे पीछे देखा।
मैंने अपनी झेंप मिटाने के लिए पूछा- क्या है, पढ़ ले?
वो अपनी किताब ले कर मेरे पास आई, बोली- भैया, ये वाला सवाल मुझे समझ नहीं आ रहा है।
मैं उसे सवाल समझाने लगा, वो मेरे बिल्कुल पास झुक कर खड़ी, कापी पर देख रही थी, तभी मेरी निगाह अकस्मात ही उसके टॉप के गले से अंदर गई, उसका छोटा सा गोरे रंग का चूचा मुझे दिखा।
‘हे भगवान…’ मेरे मन में एकदम से विचार आया।
अभी छोटी थी, तो ब्रा नहीं पहनती थी, मगर अंडरशर्ट पहनती थी। फिर भी उसका छोटा सा चूचा देख कर मेरे लंड को तो जैसे करंट ही लग गया।
मैंने उसे झटपट सवाल समझा कर भेज दिया और बाद मैं सोचने लगा- मैं भी ये क्या देख रहा था, क्या सोच रहा था। अपनी ही सगी बहन पर बुरी निगाह, क्या मैं भी कुत्ता हो गया हूँ?
उसके बाद मैंने अपना ध्यान पढ़ाई में लगा लिया। मगर एक बात फिर भी थी कि मेरी अपनी ही बहनों को देखने का नज़रिया बदल गया था। अब वो तो यह सोचती थी कि भाई है, मगर यहाँ तो भाई कि ही नीयत खोटी थी।
मेरी बहनें जवान थी, मैंने उनके बदन के एक एक अंग को बढ़ते हुये देखा था, कविता पतली थी, मगर आरती ज़्यादा भरी भरी थी।