दोस्तो, मैं फेहमिना, अपनी नई कहानी लेकर हाजिर हूँ।
आप सभी जानते ही हैं कि मैं और मेरी छोटी बहन आयेशा ने एक साथ बहुत बार चुदाई करवाई है मगर पिछले बहुत दिनों से आयेशा मेरे साथ नहीं थी तो मैंने अकेले ही दो नीग्रो लंडों से अपनी चूत की गर्मी को शांत करवाया था। जिन्होंने मेरी उस कहानी को नहीं पढ़ा, वो यहाँ
चूत की ऐसी चुदाई सोची न थी
पढ़ सकते हैं।
उसके बाद मैंने बहुत दिनों तक चूत नहीं चुदवाई। हालांकि मेरा फिर से उन नीग्रो से चुदने का मन कर रहा था मगर मैं उनकी उस भयानक चुदाई से थोड़ी डरी हुई भी थी इसलिए मैंने उन दोनों को दोबारा नहीं बुलाया।
मेरा भाई साहिल कभी कभी आकर मेरी चुदाई कर देता था मगर अब मुझे उसके लंड में मज़ा नहीं आता था। उसका लंड अब मुझे लुल्ली लगता था। फिर भी मैं उसे चोदने से कभी मना नहीं करती थी।
ऐसे ही एक महीने का वक़्त गुजर गया और फिर एक दिन आयेशा अचानक आ गई तो मैं उसे देख कर चौंक गई और उसे गले लगा लिया।
हम दोनों बहनें एक दूसरे से बहुत प्यार करती थी। आयशा ने मेरे होंठों पर एक जोरदार किस किया तो मैंने भी उसके किस का वैसे ही जवाब दिया।
फिर पूरा दिन ऐसे ही बातों में निकल गया, रात को हम दोनों नंगी होकर बिस्तर पर लेट कर बात कर रही थी और एक दूसरे की चुदाई के किस्से सुना रही थी।
मैंने उसे अपनी दो नीग्रो से चुदाई वाली बात बताई तो वो चौंक गई। उसे यकीन नहीं हुआ तो मैंने उसे उस चुदाई की फ़िल्म दिखाई।
वो फ़िल्म देखते हुए गर्म हो गई, बोली- यार मुझे भी ऐसे लंड लेने का मन कर रहा है।
फिर वो बोली- उन लड़कों को फिर से बुला ले, दोनों साथ में मज़े करेंगे।
आयेशा की बात सुनकर मैंने मन में सोचा कि अगर आयेशा साथ रहेगी तो मज़ा भी आएगा और ज्यादा दर्द भी नहीं होगा तो मैंने उसे हाँ बोल दिया।
आयेशा ने मेरे बूब्स दबा दिए और ऐसे ही मस्ती करते करते हम दोनों सो गई।
अगले दिन मैं ऑफिस चली गई, दोपहर को आयेशा का फ़ोन आया तो उसने मुझे उन नीग्रो को बुलाने का याद दिलाया। आयेशा से बात करके मैंने उन्हें फ़ोन किया तो फ़ोन टिम ने उठाया।
थोड़ी देर बात करके वो मुझे पहचान गया, मैंने उसे मेरे घर आने को कहा तो उसने रविवार को आने का बोलकर फ़ोन काट दिया।
शाम को मैं जैसे ही घर पहुँची आयेशा ने मुझे गले लगाकर सबसे पहले उसी के बारे में पूछा तो मैंने उसे सारी बात बता दी तो वो बोली- अभी तो तीन दिन हैं।
तो मैंने उससे कहा- मेरी जान, थोड़ा सब्र कर ले!
शनिवार को साहिल का फ़ोन आया, वो बोला- कल मैं आ रहा हूँ।
अब हमें लगा कि हमारा प्रोग्राम खतरे में पड़ जायेगा तो आयेशा ने उसे झूठ बोल दिया कि कल मैं और फेहमी घूमने जा रहे हैं, तो कल मत आना!
साहिल यह बात मान गया।
अगले दिन रविवार को सुबह 11 बजे टिम का फ़ोन आया, तब तक हम दोनों सो रही थी।
उसने कहा कि वो मेरे घर का रास्ता भूल गया है और वो उसी कैफ़े में है जहाँ मैं पहली बार उनसे मिली थी।
तो मैंने उसे वापस घर जाने को बोला और कहा- 2 घंटे बाद उसी कैफ़े में मिलना।
वो मान गया।
आप सभी जानते ही हैं कि मैं और मेरी छोटी बहन आयेशा ने एक साथ बहुत बार चुदाई करवाई है मगर पिछले बहुत दिनों से आयेशा मेरे साथ नहीं थी तो मैंने अकेले ही दो नीग्रो लंडों से अपनी चूत की गर्मी को शांत करवाया था। जिन्होंने मेरी उस कहानी को नहीं पढ़ा, वो यहाँ
चूत की ऐसी चुदाई सोची न थी
पढ़ सकते हैं।
उसके बाद मैंने बहुत दिनों तक चूत नहीं चुदवाई। हालांकि मेरा फिर से उन नीग्रो से चुदने का मन कर रहा था मगर मैं उनकी उस भयानक चुदाई से थोड़ी डरी हुई भी थी इसलिए मैंने उन दोनों को दोबारा नहीं बुलाया।
मेरा भाई साहिल कभी कभी आकर मेरी चुदाई कर देता था मगर अब मुझे उसके लंड में मज़ा नहीं आता था। उसका लंड अब मुझे लुल्ली लगता था। फिर भी मैं उसे चोदने से कभी मना नहीं करती थी।
ऐसे ही एक महीने का वक़्त गुजर गया और फिर एक दिन आयेशा अचानक आ गई तो मैं उसे देख कर चौंक गई और उसे गले लगा लिया।
हम दोनों बहनें एक दूसरे से बहुत प्यार करती थी। आयशा ने मेरे होंठों पर एक जोरदार किस किया तो मैंने भी उसके किस का वैसे ही जवाब दिया।
फिर पूरा दिन ऐसे ही बातों में निकल गया, रात को हम दोनों नंगी होकर बिस्तर पर लेट कर बात कर रही थी और एक दूसरे की चुदाई के किस्से सुना रही थी।
मैंने उसे अपनी दो नीग्रो से चुदाई वाली बात बताई तो वो चौंक गई। उसे यकीन नहीं हुआ तो मैंने उसे उस चुदाई की फ़िल्म दिखाई।
वो फ़िल्म देखते हुए गर्म हो गई, बोली- यार मुझे भी ऐसे लंड लेने का मन कर रहा है।
फिर वो बोली- उन लड़कों को फिर से बुला ले, दोनों साथ में मज़े करेंगे।
आयेशा की बात सुनकर मैंने मन में सोचा कि अगर आयेशा साथ रहेगी तो मज़ा भी आएगा और ज्यादा दर्द भी नहीं होगा तो मैंने उसे हाँ बोल दिया।
आयेशा ने मेरे बूब्स दबा दिए और ऐसे ही मस्ती करते करते हम दोनों सो गई।
अगले दिन मैं ऑफिस चली गई, दोपहर को आयेशा का फ़ोन आया तो उसने मुझे उन नीग्रो को बुलाने का याद दिलाया। आयेशा से बात करके मैंने उन्हें फ़ोन किया तो फ़ोन टिम ने उठाया।
थोड़ी देर बात करके वो मुझे पहचान गया, मैंने उसे मेरे घर आने को कहा तो उसने रविवार को आने का बोलकर फ़ोन काट दिया।
शाम को मैं जैसे ही घर पहुँची आयेशा ने मुझे गले लगाकर सबसे पहले उसी के बारे में पूछा तो मैंने उसे सारी बात बता दी तो वो बोली- अभी तो तीन दिन हैं।
तो मैंने उससे कहा- मेरी जान, थोड़ा सब्र कर ले!
शनिवार को साहिल का फ़ोन आया, वो बोला- कल मैं आ रहा हूँ।
अब हमें लगा कि हमारा प्रोग्राम खतरे में पड़ जायेगा तो आयेशा ने उसे झूठ बोल दिया कि कल मैं और फेहमी घूमने जा रहे हैं, तो कल मत आना!
साहिल यह बात मान गया।
अगले दिन रविवार को सुबह 11 बजे टिम का फ़ोन आया, तब तक हम दोनों सो रही थी।
उसने कहा कि वो मेरे घर का रास्ता भूल गया है और वो उसी कैफ़े में है जहाँ मैं पहली बार उनसे मिली थी।
तो मैंने उसे वापस घर जाने को बोला और कहा- 2 घंटे बाद उसी कैफ़े में मिलना।
वो मान गया।