नया शहर और नोटबंदी…
मेरी आंखों से बस आंसू निकलने बाकी रह गये थे।
तीन महीने से खाली बैठी थी… घर वालों से जिद करके खुद नौकरी की थी लेकिन पहली नौकरी एक साल बाद छूट गई।
घऱ वालों को कुछ नहीं बताया… नई नौकरी की तलाश की और जयपुर से नौकरी का ऑफर आ गया।
नया शहर, नये लोग, नया मकान मालिक… तीन महीने का किराया मांग रहा था लेकिन मेरे कहने पर एक महीने के लिये राजी हो गया।
दफ्तर का तीसरा दिन था और हजार-पांच सौ के नोट बंद हो गये।
मेरे पास रकम थी लेकिन हजार.. पांच सौ की!
अब नये नोट कहां से लाऊँ… राशन पानी, दफ्तर आने-जाने का खर्चा… मकान का किराया… हजार खर्चे होते हैं… कैसे पूरे करूं।
समझ में कुछ नहीं आ रहा था।
मैंने मानसी से बात की… मेरे दफ्तर में काम करती थी… उसने कहा- छोटे नोट मेरे पास भी ज्यादा नहीं हैं।
मानसी ने मुझसे कहा कि बॉस से बात कर लो।
यह बताते हुए वो शरारती अंदाज में मुस्कराई भी थी।
मैंने कहा- तीन दिन की नौकरी में एडवाँस?
मानसी बोली- बॉस के लिये कुछ भी संभव है।
मेरे बॉस चावला जी… मुश्किल से चालीस साल के होंगे… एकदम कड़क मिजाज!
मैंने मानसी से कहा- एडवांस मांगते हुए डर लग रहा है।
मानसी बोली कि वो मेरा काम बना देगी।
शाम के समय दफ्तर लगभग खाली हो गया था, मानसी ने मुझे इशारा किया और हम दोनों बॉस के केबिन में दाखिल हो गई।
चावला साहब किसी काम में व्यस्त थे लेकिन दोनों को देखते ही बोले- आओ मानसी और अनीता… क्या काम है। अनीता यानि मैं!
मानसी ने माफी मांगते हुए कहा- सॉरी बॉस, आपको परेशान किया.. दरअसल अनीता शहर में नई है और बड़े नोट बंद हो गये हैं। इसे खर्चे की दिक्कत आ गई है।
मानसी की बात सुनकर मुझमें हिम्मत आ गई, मैंने धीरे से कहा- सर अगर एडवांस मिल जाये तो मेरा कुछ काम बन जायेगा।
बॉस ने मुझे घूरते हुए कहा- हां… हां मिल जायेगा।
फिर उन्होंने अपना पर्स खोला और दो हजार रुपये देते हुए बोले- आज का काम चला लो… कल एडवांस दिलवा दूंगा।
इसके बाद उन्होंने मानसी से मुस्कराते हुए कहा- इसे कोई परेशानी नहीं होनी चाहिये और हां कल शाम मैं थोड़ा फ्री हूं… अनीता को समझा देना।
बॉस की बात सुनकर अनीता चहकती हुई बोली- जी सर, काम हो जायेगा।
इसके बाद हम दोनों दफ्तर से बाहर निकली मानसी मुझे अपने घर ले गई। यहां मानसी ने एक सेक्सी ड्रेस पहनी… फिर हमने एक साथ खाना भी खाया।
बाद में मानसी ने कहा- देख, चावला साहब बहुत अच्छे दिल के इंसान हैं। तेरी हर मदद कर देंगे लेकिन कीमत भी लेते हैं।
मेरी धड़कन बढ़ गई… कीमत…?!?
‘क्या मतलब है मानसी?’ मैंने पूछा।
मानसी बोली- यार, वो थोड़ी मौज मस्ती करेंगे तेरे साथ… लेकिन पूरे खिलाड़ी हैं… मैं तो हर शाम उनके साथ बिताना चाहती हूँ लेकिन वो राजी नहीं होते… पता नहीं तेरे लिये एकदम से क्यों राजी हो गये।
मैं उसका मतलब समझ गई थी, कॉलेज में ये सब मैं भी करती थी लेकिन पिछले दो साल से सब कुछ बंद था। मैं अंदर अंदर राजी हो गई थी लेकिन थोड़ा नखरा दिखाते हुए बोली- मुझसे नहीं होगा मानसी…
मानसी बोली- तेरे पास दूसरा क्य़ा रास्ता है। नोटबंदी हुई है तो देश के भले के लिये… कुछ दिन की परेशानी है… फिर सब ठीक हो जाना है… तब तक के लिये बॉस को खुश कर दे… दोनों का भला हो जायेगा।
मैंने भी कहा- चल ठीक है, कल देखा जायेगा।
मेरी आंखों से बस आंसू निकलने बाकी रह गये थे।
तीन महीने से खाली बैठी थी… घर वालों से जिद करके खुद नौकरी की थी लेकिन पहली नौकरी एक साल बाद छूट गई।
घऱ वालों को कुछ नहीं बताया… नई नौकरी की तलाश की और जयपुर से नौकरी का ऑफर आ गया।
नया शहर, नये लोग, नया मकान मालिक… तीन महीने का किराया मांग रहा था लेकिन मेरे कहने पर एक महीने के लिये राजी हो गया।
दफ्तर का तीसरा दिन था और हजार-पांच सौ के नोट बंद हो गये।
मेरे पास रकम थी लेकिन हजार.. पांच सौ की!
अब नये नोट कहां से लाऊँ… राशन पानी, दफ्तर आने-जाने का खर्चा… मकान का किराया… हजार खर्चे होते हैं… कैसे पूरे करूं।
समझ में कुछ नहीं आ रहा था।
मैंने मानसी से बात की… मेरे दफ्तर में काम करती थी… उसने कहा- छोटे नोट मेरे पास भी ज्यादा नहीं हैं।
मानसी ने मुझसे कहा कि बॉस से बात कर लो।
यह बताते हुए वो शरारती अंदाज में मुस्कराई भी थी।
मैंने कहा- तीन दिन की नौकरी में एडवाँस?
मानसी बोली- बॉस के लिये कुछ भी संभव है।
मेरे बॉस चावला जी… मुश्किल से चालीस साल के होंगे… एकदम कड़क मिजाज!
मैंने मानसी से कहा- एडवांस मांगते हुए डर लग रहा है।
मानसी बोली कि वो मेरा काम बना देगी।
शाम के समय दफ्तर लगभग खाली हो गया था, मानसी ने मुझे इशारा किया और हम दोनों बॉस के केबिन में दाखिल हो गई।
चावला साहब किसी काम में व्यस्त थे लेकिन दोनों को देखते ही बोले- आओ मानसी और अनीता… क्या काम है। अनीता यानि मैं!
मानसी ने माफी मांगते हुए कहा- सॉरी बॉस, आपको परेशान किया.. दरअसल अनीता शहर में नई है और बड़े नोट बंद हो गये हैं। इसे खर्चे की दिक्कत आ गई है।
मानसी की बात सुनकर मुझमें हिम्मत आ गई, मैंने धीरे से कहा- सर अगर एडवांस मिल जाये तो मेरा कुछ काम बन जायेगा।
बॉस ने मुझे घूरते हुए कहा- हां… हां मिल जायेगा।
फिर उन्होंने अपना पर्स खोला और दो हजार रुपये देते हुए बोले- आज का काम चला लो… कल एडवांस दिलवा दूंगा।
इसके बाद उन्होंने मानसी से मुस्कराते हुए कहा- इसे कोई परेशानी नहीं होनी चाहिये और हां कल शाम मैं थोड़ा फ्री हूं… अनीता को समझा देना।
बॉस की बात सुनकर अनीता चहकती हुई बोली- जी सर, काम हो जायेगा।
इसके बाद हम दोनों दफ्तर से बाहर निकली मानसी मुझे अपने घर ले गई। यहां मानसी ने एक सेक्सी ड्रेस पहनी… फिर हमने एक साथ खाना भी खाया।
बाद में मानसी ने कहा- देख, चावला साहब बहुत अच्छे दिल के इंसान हैं। तेरी हर मदद कर देंगे लेकिन कीमत भी लेते हैं।
मेरी धड़कन बढ़ गई… कीमत…?!?
‘क्या मतलब है मानसी?’ मैंने पूछा।
मानसी बोली- यार, वो थोड़ी मौज मस्ती करेंगे तेरे साथ… लेकिन पूरे खिलाड़ी हैं… मैं तो हर शाम उनके साथ बिताना चाहती हूँ लेकिन वो राजी नहीं होते… पता नहीं तेरे लिये एकदम से क्यों राजी हो गये।
मैं उसका मतलब समझ गई थी, कॉलेज में ये सब मैं भी करती थी लेकिन पिछले दो साल से सब कुछ बंद था। मैं अंदर अंदर राजी हो गई थी लेकिन थोड़ा नखरा दिखाते हुए बोली- मुझसे नहीं होगा मानसी…
मानसी बोली- तेरे पास दूसरा क्य़ा रास्ता है। नोटबंदी हुई है तो देश के भले के लिये… कुछ दिन की परेशानी है… फिर सब ठीक हो जाना है… तब तक के लिये बॉस को खुश कर दे… दोनों का भला हो जायेगा।
मैंने भी कहा- चल ठीक है, कल देखा जायेगा।