मेरा नाम दीपक है, मेरी उम्र 22 साल की है, मैं बहुत सेक्सी किस्म का लड़का हूँ।
मेरे लंड की साइज साढ़े पांच इंच है.. पर ये मोटा बहुत है।
मैं आपको आज मेरे साथ पढ़ने वाली लड़की पूजा की सेक्स स्टोरी बताने वाला हूँ.. जिसको मैंने बहुत चोदा।
बात करीब एक साल पहले की है.. जब मैं एक इंस्टिट्यूट में पढ़ने जाता था।
वहाँ पर एक खूबसूरत और सेक्सी लौंडिया पूजा भी पढ़ने आती थी।
भीगा बदन तेरा
एक दिन पूजा बारिश में भीगते हुए आई.. तो उसको देख कर मैं मन ही मन में उसको चोदने के लिए पागल हो गया।
उसने उस वक्त जींस और टॉप पहन रखा था, उसके टॉप में से उसके चूचे साफ-साफ दिख रहे थे।
मैं उसे घूर रहा था.. तो उसने मुझे देख लिया और वो शर्मा कर अपने चूचों को हाथों से छिपाने लगी।
इस घटना के 3-4 दिनों तक उसने मुझ से नजरें नहीं मिलाईं।
फिर एक दिन अचानक उसका मिस कॉल आया।
चूंकि उसका नम्बर मेरे पास नहीं था.. तो मैंने कॉलबैक किया और पूछा- आप कौन?
वो बोली- अच्छा.. मुझे नहीं पहचानते हो? उस दिन तो मेरे चूचों को घूर-घूर कर देख रहे थे।
मैंने हँसते हुए कहा- मैंने पहचान लिया.. अरे तुम्हारा नम्बर नहीं था यार.. तो मुझे मालूम नहीं था कि ये तुम हो.. और उस दिन के लिए सो सॉरी.. आगे से ऐसा नहीं होगा।
मैंने ऐसा इसलिए बोला ताकि उसको ये नहीं लगे कि मैं उसे चोदना चाहता हूँ। जबकि मेरे मन में तो बात कुछ और ही थी।
वो तो खुद ही मुझसे चुदना चाहती थी। यदि ऐसा न होता तो वो ‘चूचे’ शब्द का इस्तेमाल न करती।
इसके बाद मेरी उससे फोन पर बात होने लगी।
एक दिन मेरा सिर दर्द कर रहा था और घर पर कोई नहीं था तो मैं इंस्टिट्यूट नहीं गया। उसने मुझे कॉल किया- आज इंस्टिट्यूट क्यों नहीं आए?
मैंने कहा- यार आज मेरे घर पर कोई नहीं है.. और मेरा सिर भी दर्द कर रहा है।
वो बोली- कोई नहीं है.. तो मैं आ जाऊँ.. मैं तुम्हारे लिए कुछ दवाई वगैरह भी ले आऊँगी.. तुम जल्दी ठीक भी हो जाओगे।
मैंने ‘हाँ’ कर दी।
फिर क्या था लगभग आधे घन्टे बाद मेरे घर के दरवाजे की डोरबेल बजी।
मैंने जैसे ही दरवाजा खोला.. सामने पूजा खड़ी थी।
आज तो वो कमाल की लग रही थी.. उसने जींस और टॉप पहना हुआ था।
उसका टॉप कुछ ऐसा था कि उसमें से उसके चूचे बाहर को निकलते हुए झाँक रहे थे।
उसको मैंने घूरते हुए बोला- तूने क्यों तकलीफ़ की।
कहने लगी- अपनों के लिए ही तो करते हैं और तुम कौन से पराए हो।
मैं उसे अपने बेडरूम में ले गया।
हम वहाँ बैठ गए।
मैं थोड़ा डर रहा था कि कहीं वो ग़लत ना समझे।
मुझे अब तक उसका इन्टेन्शन मालूम नहीं था।
कॉलेज गर्ल चुदना चाहती थी
थोड़ी देर हम दोनों ने बात की.. फिर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- तुम आराम से बैठो.. यहाँ कोई नहीं है जो हम दोनों को डिस्टर्ब करे.. और वैसे भी ये आपका घर ही तो है।
मैंने भी उसका साथ दिया और उसके करीब आ गया।
कुछ ही पलों में किसी अनजानी सोच से मैं उसके इतना करीब आ गया था कि खुद को उसे किस करने से रोक नहीं पाया।
मेरे लंड की साइज साढ़े पांच इंच है.. पर ये मोटा बहुत है।
मैं आपको आज मेरे साथ पढ़ने वाली लड़की पूजा की सेक्स स्टोरी बताने वाला हूँ.. जिसको मैंने बहुत चोदा।
बात करीब एक साल पहले की है.. जब मैं एक इंस्टिट्यूट में पढ़ने जाता था।
वहाँ पर एक खूबसूरत और सेक्सी लौंडिया पूजा भी पढ़ने आती थी।
भीगा बदन तेरा
एक दिन पूजा बारिश में भीगते हुए आई.. तो उसको देख कर मैं मन ही मन में उसको चोदने के लिए पागल हो गया।
उसने उस वक्त जींस और टॉप पहन रखा था, उसके टॉप में से उसके चूचे साफ-साफ दिख रहे थे।
मैं उसे घूर रहा था.. तो उसने मुझे देख लिया और वो शर्मा कर अपने चूचों को हाथों से छिपाने लगी।
इस घटना के 3-4 दिनों तक उसने मुझ से नजरें नहीं मिलाईं।
फिर एक दिन अचानक उसका मिस कॉल आया।
चूंकि उसका नम्बर मेरे पास नहीं था.. तो मैंने कॉलबैक किया और पूछा- आप कौन?
वो बोली- अच्छा.. मुझे नहीं पहचानते हो? उस दिन तो मेरे चूचों को घूर-घूर कर देख रहे थे।
मैंने हँसते हुए कहा- मैंने पहचान लिया.. अरे तुम्हारा नम्बर नहीं था यार.. तो मुझे मालूम नहीं था कि ये तुम हो.. और उस दिन के लिए सो सॉरी.. आगे से ऐसा नहीं होगा।
मैंने ऐसा इसलिए बोला ताकि उसको ये नहीं लगे कि मैं उसे चोदना चाहता हूँ। जबकि मेरे मन में तो बात कुछ और ही थी।
वो तो खुद ही मुझसे चुदना चाहती थी। यदि ऐसा न होता तो वो ‘चूचे’ शब्द का इस्तेमाल न करती।
इसके बाद मेरी उससे फोन पर बात होने लगी।
एक दिन मेरा सिर दर्द कर रहा था और घर पर कोई नहीं था तो मैं इंस्टिट्यूट नहीं गया। उसने मुझे कॉल किया- आज इंस्टिट्यूट क्यों नहीं आए?
मैंने कहा- यार आज मेरे घर पर कोई नहीं है.. और मेरा सिर भी दर्द कर रहा है।
वो बोली- कोई नहीं है.. तो मैं आ जाऊँ.. मैं तुम्हारे लिए कुछ दवाई वगैरह भी ले आऊँगी.. तुम जल्दी ठीक भी हो जाओगे।
मैंने ‘हाँ’ कर दी।
फिर क्या था लगभग आधे घन्टे बाद मेरे घर के दरवाजे की डोरबेल बजी।
मैंने जैसे ही दरवाजा खोला.. सामने पूजा खड़ी थी।
आज तो वो कमाल की लग रही थी.. उसने जींस और टॉप पहना हुआ था।
उसका टॉप कुछ ऐसा था कि उसमें से उसके चूचे बाहर को निकलते हुए झाँक रहे थे।
उसको मैंने घूरते हुए बोला- तूने क्यों तकलीफ़ की।
कहने लगी- अपनों के लिए ही तो करते हैं और तुम कौन से पराए हो।
मैं उसे अपने बेडरूम में ले गया।
हम वहाँ बैठ गए।
मैं थोड़ा डर रहा था कि कहीं वो ग़लत ना समझे।
मुझे अब तक उसका इन्टेन्शन मालूम नहीं था।
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थोड़ी देर हम दोनों ने बात की.. फिर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- तुम आराम से बैठो.. यहाँ कोई नहीं है जो हम दोनों को डिस्टर्ब करे.. और वैसे भी ये आपका घर ही तो है।
मैंने भी उसका साथ दिया और उसके करीब आ गया।
कुछ ही पलों में किसी अनजानी सोच से मैं उसके इतना करीब आ गया था कि खुद को उसे किस करने से रोक नहीं पाया।