[color=rgb(184,]Update 49[/color]

शिवशंकर- अब ऐसे पुतले की तरह ही बैठोगे या कुछ बोलोगे

दादू ने राघव को देखते हुए कहा वही शेखर इस पूरे ड्रामे को एंजॉय कर रहा था और मन ही मन दुआ कर रहा था के घरवाले और सवाल करे वही श्वेता ने अपनी हसी कंट्रोल करते हुए नेहा को देखा तो उसने अपना सर झुकाया हुआ था और उसके गाल लाल हो रखे थे शर्म के मारे वही अब सब लोग राघव के जवाब की राह देख रहे थे राघव को देख रहे थे के वो क्या बोलेगा..

राघव- वो दादू एक्चुअली... वो चूहा!! हा चूहा! पता नहीं रात मे कहा से कमरे मे चूहा घुस गया था और नेहा उसे देख घबरा गई थी और इधर उधर भाग रही थी

राघव ने नर्वस स्माइल के साथ कहा लेकिन घरवालों को उसपर यकीन ही नहीं हो रहा था और अब वो नेहा को देखने लगे जिससे नेहा की धड़कने बढ़ गई

गायत्री- नेहा क्या ये सच है??

दादी ने नेहा से पूछा क्युकी राघव भले ही कुछ बोल ले नेहा झूठ नहीं बोलेगी

नेहा- जी... जी दादीजी

नेहा ने नीचे देखते हुए कहा

जानकी- पता नहीं ये चूहा कहा से घुस आया है घर मे आज तो तुम्हारे रूम मे चूहे मारने की दवा डलवानी पड़ेगी

जानकी जी ने कहा वही राघव अब वहा और नहीं रुकना चाहता था

राघव- मुझे.... मुझे चलना चाहिए लेट हो रहा है

राघव ने सबकी नजरों को अवॉइड करते हुए कहा और और नेहा को भी इशारा किया और वहा से उठ गया और जल्द ही वो लोग अपनी कन्फ्यूज़ फॅमिली को पीछे छोड़ ऑफिस के लिए निकल गए

घर से बाहर आकार और कार मे बैठते ही राघव ने राहत की सास ली वही शर्म के मारे नेहा उसे देख भी नहीं रही थी ना ही राघव उसे देख रहा था और जैसे ही वो लोग ऑफिस पहुचे राघव अचानक चीखा

राघव- शीट!!!!!

नेहा- क्या... क्या हुआ ??

राघव- मॉम हमारे रूम मे चूहे मारने की दवा डालने वाली है

नेहा- तो?

राघव- तो?? हमारा बेड टूटा हुआ है

और राघव की बात सुन नेहा की भी आंखे बड़ी हो गई

नेहा- अब क्या करे??

राघव- मुझे नहीं पता, हमे कैसे भी करके किसी को पता चले बगैर बेड रिप्लेस करना होगा

नेहा- लेकिन कैसे??

राघव- वो सोचते है पहले चलो पलंग खरीदना है

राघव ने नेहा का हाथ पकड़ते हुए कहा लेकिन नेहा ने उसे रोक दिया

नेहा- हमे क्यू जाना है आप ऑर्डर कर दीजिए ना??

राघव- और अगर वो सही नहीं आया तो? और जल्दी वापिस टूट गया तो??

नेहा- मैं.. मैं नहीं जा रही कही आप किसी एम्प्लोयी को भेज दीजिए चेक करने

राघव- क्यू??

नेहा- मुझे नहीं पसंद पलंग खरीदना

नेहा ने उसके जो दिमाग मे आया बोल दिया अब वो क्यू बोला ये वो भी नहीं जानती थी

राघव- ठीक है रुको यही मैं किसी और के साथ चला जाऊंगा

राघव ने कहा और जैसे ही उसने ये कहा उसने मन ही मन अपना माथा पीट लिया

नेहा- किसी और के साथ जाकर तो दिखाइए बेड पर सोने लायक नहीं छोड़ूँगी

नेहा ने एकदम गुस्से मे कहा वही राघव एक कदम पीछे हट गया उसके गुस्से से

राघव- ठीक है ठीक है किसी से कह देता हु, मैं नहीं जा रहा कही ही ही

नेहा ने फिर अपने को शांत करने के लिए एक लंबी सास ली वही राघव उससे थोड़ा पीछे सरका

राघव- तो मार्केटिंग के लेसन शुरू करे?? नहीं मतलब तुम कहो तो, कोई जल्दी नहीं है

राघव ने नेहा को देखते हुए कहा जिसपर नेहा ने हा मे गर्दन हिला दी और राघव उसे मार्केटिंग सीखाने लगा

राघव ने बेसिक से शुरुवात की और नेहा भी बड़े गौर से सब सुन रही थी और उसे पढ़ाते हुए राघव एकदम सीरीअस था नेहा को ऐसा लगा जैसे पढ़ाते टाइम पुराना राघव उसके सामने था, कुछ समय बाद नेहा को बोर होने लगा था और वो उबासिया लेते हुए जिस नॉवेल को वो पढ़ रही थी उसकी स्टोरी कर बारे मे सोच रही थी

राघव- इट सीम्स के तुम्हें इसमे कोई इंटरेस्ट नहीं है

राघव ने अपने हाथ बांधे नेहा से पूछा

नेहा- आप कबसे लगातार पढ़ाए जा रहे है एक ब्रेक तो ले लीजिए

राघव- तुम जानती हो ना मैं अपना काम छोड़ के तुम्हें पढ़ा रहा हु

नेहा- तो वो कीजिए ना हम इसे बाद मे कन्टिन्यू करेंगे तब तक मैं ऑफिस घूम आती हु

नेहा ने अपनी जगह पर से उठते हुए कहा तभी राघव के फोन पर एक मैसेज आया

राघव- पलंग ले लिया गया है दोपहर तक डिलिवर हो जाएगा

राघव ने नेहा से कहा

नेहा- अब क्या करना है?

नेहा ने अपने नाखून चबाते हुए राघव से पूछा और राघव ने उसका हाथ पकड़ के उसे रोका

राघव - पहले तो हर बार ये नाखून चबाना बंद करो

फिर राघव ने एक बंदे को कॉल लगाया और कैबिन मे आने कहा और जल्द ही शेखर एक स्माइल के साथ उसके कैबिन मे था

शेखर- हा भाई आपने बुलाया

राघव- हा मुझे तुम्हारी एक हेल्प चाहिए

शेखर- कुछ चाहीये क्या आपको मैं कुछ देर...

राघव- शट अप शेखर पहले सुन तो लो

राघव शेखर पर चिल्लाया और फिर नेहा से बोला

राघव- तुम्हें बाहर जाना था न ? जाओ मैं कुछ देर मे बुलाता हु तुम्हें

नेहा- लेकिन...

राघव- मैं कर लूँगा सारी बात तुम जाओ अभी बाद मे मैं जाने नहीं दूंगा

शेखर- अहम अहम!! भाई क्या चाहिए आपको?

लेकिन राघव ने अभी उसे इग्नोर लिया और नेहा की ओर देखा जो वहा से चली तो गई थी लेकिन कैबिन मे ही थी

राघव- नेहा मैं बता रहा हु अभी तुम नहीं गई तो बाद मे कोई ब्रेक नहीं मिलेगा

जिसके बाद उन्हे दरवान बंद होने का आवाज आज जिसके बाद राघव शेखर की ओर मुडा

शेखर- ओह हो नॉट बैड

राघव- शट अप शेखर!

राघव ने इतना कहा और शेखर के पेट मे एक मुक्का जड़ दिया

शेखर- आउच भाई क्या कर रहे हो!!

राघव- तो वो तू था जिसने मेरे रूम की अलमारी के ड्रॉर मे कंडोम रखा था??

राघव ने शेखर एक और मुक्का मारा याद है उस दिन कपड़े ढूंढते हुए राघव को ड्रॉर मे कुछ मिला था वो कंडोम का पैकेट था और कल रात ही राघव को पता चला था के वो शेखर ने रखा था जब शेखर ने उसे ड्रॉर चेक करने कहा था लेकिन तब राघव बोल नहीं पाया था

शेखर - आउच भाई!! मैंने तो बस अच्छे के लिए सोचा था

राघव- मेरा अच्छा बुरा मैं देख लूँगा तुमको कुछ नहीं करना है

राघव ने उसे टपली मारते हुए कहा

शेखर- खुद देख लेंगे मतलब आप खुद जाएंगे खरीदने

राघव- चुप रह यार और अब अपना मूह बंद करो और पहले मेरी बात सुनो

राघव ने शेखर को चुप कराया और शेखर ने भी मुह पर उंगली रख ली

राघव- मैं चाहता हु तुम घर के सब लोगों को दोपहर के पहले बाहर लेकर जाओ और शाम तक वापिस मत आना नया बेड बुलाया है और इससे पहले तुम पूछो क्यू तो कल रात हमारा पलंग टूट गया था इसिलीये

राघव की बात सुन शेखर ने चेहरे पर शरारती मुस्कान आ गई जिसे देख राघव बोला

राघव- ओ भाई मेरे अपने दिमाग के घोड़े मत दौडा वो नेहा भाग रही थी रूम मे और बेड पर गिर गई और टूट गया वो

शेखर- उम्म हम्ममम् हम्म

राघव- क्या? उंगली हटा कर क्लियर बोलो?

शेखर- नहीं मैं कह रहा था भाभी भाग क्यू रही थी और आपकी कन्डिशन भी कुछ सही नहीं थी

शेखर ने राघव को देखते हुए पूछा और अब राघव को उसे सब सच बताना ही था वरना वो चुप होने वाला नहीं था और सब सुनने के बाद शेखर का मुह खुला रह गया

शेखर- लेकिन भाई...

राघव- बस अब और कोई सवाल नहीं जितना बोला है उतना करो वरना तुम जानते हो मैं क्या कर सकता हु

शेखर- धमकी मत दो ऐसा क्या ही कर लोगे जाओ नही करता आपका काम

राघव- अच्छा बेटा तो श्वेता को बात दु के तुम कॉकरोच से कितना डरते हो तो?

और अब राघव की बात सुन शेखर उसे हैरानी और डर से देखने लगा और अब जो शरारती मुस्कान कुछ पल पहले शेखर के चेहरे पर थी वही राघव के चेहरे पर थी

शेखर- भाई नहीं आप ऐसा नहीं करोगे, श्वेता के सामने मैंने हमेशा अपने को ब्रैव दिखाया है वो प्यार से कभी कभी स्पाइडरमॅन बोलती है मुझे उसे पता चला उसका स्पाइडरमॅन कॉकरोच से डरता है तो बहूत चिढ़ाएगी वो

राघव- तो जितना बोला है उतना कर

शेखर- हा ठीक है जा रहा हु

इतना बोल के शेखर वहा से निकल गया.......

क्रमश:
 

[color=rgb(184,]Update 50[/color]

राघव के कहने पर शेखर घर आ गया था अपना टास्क पूरा करने लेकिन देशपांडे परिवार के लोगों को एकसाथ बाहर ले जाना आसान काम तो था नहीं लेकिन शेखर पूरी कोशिश मे लगा हुआ था।

शिवशंकर- हम सब को कहा ले जा रहे हो शेखर??

दादू ने कन्फ्यूजन मे पूछा क्युकी दोपहर का समय होने वाला था और ऐसे अचानक शेखर के आने पर वो कंफ्यूज थे क्युकी नॉर्मली शेखर ऑफिस से जल्दी नहीं आ पाता था

शेखर- दादू हम अनाथ आश्रम जा रहे है!!!

शिवशंकर- अचानक क्यू??

शेखर- वो इसीलिए क्युकी वहा गए बहुत समय हो गया है बच्चे याद कर रहे थे हमे और मॉम और बड़ी मा भी मेरी शादी के बाद से वहा नहीं जा पाई है और फिर हम गाँव चले गए थे इसीलिए सोचा आज वहा विज़िट दे दे

शेखर ने बात समझाई

जानकी- बात सही है तुम्हारी लेकिन घर पर भी कोई चाहिए ना और श्वेता भी अपने मायके गई है

मीनाक्षी- हम ऐसा करते है कल चलते है आज मुझे भी थोड़े काम है

शेखर- नहीं!!! मतलब.... मॉम काम तो बाद मे भी हो जाएगा ना और बच्चे राह देख रहे है मैंने उन्हे हम आ रहे है कह दिया है और सब तयारी भी कर ली है और वैसे भी भाभी आ जाएंगी कुछ देर मे

गायत्री- तयारी? कैसी तयारी??

शेखर- आप लोग बहुत ज्यादा सवाल करते हो रेडी हो जाओ ना

'क्यू मेरी लाइफ पे काक्रोच चलाना चाहते हो'

शेखर ने सबके सवालों से परेशान होते हुए कहा और बाद वाली लाइन अपने मन मे सोची, वो आज अच्छा फसा था एक तो उसे ऑफिस से कुछ घंटों की छुट्टी लेनी पड़ी ऊपर से उसका भाई उसके काम का बोझ जरा सा भी कम नहीं करने वाला था ये वो जानता था और अब यहा घरवाले भी मान नहीं रहे थे लेकिन जैसे तैसे शेखर ने उन्हे मना लिया था और वो सबको लेकर घर के बाहर चला गया

इधर ऑफिस मे राघव लैपटॉप पर अपना काम कर रहा था तभी उसे डिलीवरी कंपनी से कॉल आया के बेड डिलिवर हो रहा है फिर राघव ने अपने घर पर वर्कर्स को इन्स्ट्रक्शन देकर बेड सही से फिट कराने कहा और फिर उसने सीसीटीवी फुटेज चेक किया जो उसके ऑफिस मे था ताकि वो देख सके के उसके एम्प्लोयी सही काम कर रहे है या नहीं

राघव सीसीटीवी को नॉर्मली ही देख रहा था तभी उसकी नजर एक शक्स पर पड़ी

उसने देखा के नेहा एक लड़के के साथ हस हस कर बाते कर रही थी, राघव ने उस लड़के को गौर से देखा और अभी तक सब कुछ ठीक था लेकिन राघव की आंखे तब बड़ी हो गई जब उसने देखा के नेहा ने उस लड़के के हाथ पर हल्के से मारा और उसके साथ हसने लगे

'इतना क्या टची होना है' राघव का जबड़ा कस गया और वो अपनी जगह से उठा और केबिन के बाहर आया, नेहा और राघव के स्वभाव का सबसे बड़ा डिफरेंस यही था के राघव ज्यादा बोलता नहीं था उसे लोगों मे ज्यादा घुलना मिलना पसंद नहीं था इसीलिए विशाल के अलावा उसका कोई दोस्त भी नहीं था वही नेहा का नेचर एकदम फ़्रेंडली था उसे नए लोगों से मिलना बाते करना पसंद था

नेहा- आप बहुत फनी हो शुभम जी सच मे....

शुभम - थैंक यू मैडम और आप भी....

नेहा - मैडम मत कहो यार हम सेम एज के है आप मुझे नेहा बुला सकते है

शुभम- ओह.. ओके नेहा जी

नेहा- फिर कोई गर्लफ्रेंड वगैरा??

शुभम - ना ना हम सिंगल ही अच्छे है वैसे भी हमे कौनसी लड़की पूछेगी

नेहा- क्यू? तुम अच्छे दिखते हो, तुम्हारी बात चीत से पता चलता है नेचर अच्छा है तुम्हारा मुझे तो पक्का यकीन है के तुम्हें कई लड़कियों ने प्रपोज किया होगा

नेहा के बात पर शुभम ने गर्दन झुका की

शुभम- ऐसा कुछ नहीं है

नेहा - फिर कैसा है

राघव- वो उसे पता चलेगा तब वो आपको जरूर बताएगा मिसेस देशपांडे

नेहा और शुभम बात कर ही रहे थे के तभी राघव वहा आ पहुचा और वो सपाट चेहरे के साथ अपनी जेब मे हाथ डाले उन्हे देख रहा था राघव उनके पास आया और नेहा को कंधे से पकड़ा

शुभम- सर!!

राघव- यस मिस्टर शर्मा और मुझे लगता है आपको सैलरी यहा काम की मिलती है ना की मेरी वाइफ के मनोरंजन की राइट??

राघव ने सख्त लहजे मे कहा लेकिन नेहा ने उसके कंधे पे मारा और उसे चुप होने का इशारा किया

नेहा- ब्रेक टाइम है

राघव- तो हमे भी तो ब्रेक लेना चाहिए ना बेबी

राघव ने नेहा और और करीब खिचा, उसके चेहरे के साफ समझ आ रहा था के उसे नेहा और शुभम का ऐसे हस हस के बाते करना पसंद नहीं आया था शुभम क्या राघव को तो नेहा के आस पास कोई भी लड़का पसंद नहीं आता था खैर इसका कुछ नहीं कर सकते ओवर पज़ेसिव बंदा है वो

शुभम- मुझे अब चलना चाहिए हैव अ गुड डे सर, मैडम

इतना बोल के शुभम वहा से चला गया और उसके जाते ही राघव बोला

राघव- तो चले केबिन मे हमारा ब्रेक टाइम इन्जॉय करने??

जिसके बाद राघव और नेहा राघव के केबिन मे आए, राघव ने दरवाजा बंद किया और नेहा को कमर से पकड़ कर अपनी ओर खिचा, राघव की गर्म सांसे अपनी गर्दन पर महसूस होते ही नेहा ने अपनी आंखे बंद कर ली और राघव के गले मे अपनी बाहों का हार डाले उसे अपने और करीब खिचा

राघव के हाथ अब धीरे धीरे नेहा की नजर से नीचे सरक रहे थे और राघव ने आराम से उसे अपनी गोद मे उठा लिया और अपनी खुर्ची की ओर बढ़ा और उसे लेजाकर टेबल पर बिठाया और फिर उसे लैपटॉप की ओर घुमाया...

राघव- मैंने तुम्हें जो जो सिखाया है अब मुझे बताना जरा

राघव ने नेहा के कान मे कहा अपनी हस्की आवाज मे कहा और नेहा ने अपने ड्रेस को कस के पकड़ रखा था ताकि कही वो अपना कंट्रोल का खो दे, राघव उसके एकदम करीब था और अपनी नाक से नेहा के कान को छेड रहा था

नेहा- वो... आप.... आपने... बताया.... था

राघव- हम्म!!

राघव ने अपना चेहरा नेहा की गर्दन मे दबाया, inhaling her cologne, राघव ने अपनी आंखे बंद कर ली थी और कुछ नहीं सुन रहा था नेहा ने भी अपनी आंखे बंद कर ली और अपनी गर्दन एक ओर झुकाई giving him more access to her neck और राघव उसे गर्दन से चूमने लगा

जैसे ही राघव ने नेहा के गर्दन पर स्वीट स्पॉट पर काटा नेहा के मुह से एक हल्की की सिसकी निकल गई और उसकी सिसकी सुन राघव के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई

राघव- किसी और के अभी ज्यादा करीब मत जाया करो, ok! Or you'll suffer for it

राघव ने अपनी डीप आवाज मे कहा
.

.

.

जानकी- नेहा!! नेहा! क्या हुआ मैं कब से तुम्हें आवाज दे रही हु

जानकी जी ने नेहा को अपने खयालों से बाहर निकाला नेहा के दिमाग मे दोपहर का ऑफिस वाला सीन चल रहा था और राघव के पज़ेसिव नेस पर वो थोड़ा खुश भी हो रही थी के उसका किसी और से हस कर बात करना भी राघव को मंजूर नहीं था, उस वाकये के बाद ही नेहा ऑफिस से घर लौट आई थी

जानकी- नेहा!

जानकी जी ने नेहा को हिलाया

नेहा- हूह! जी मा!!

जानकी- क्या हुआ है बेटा सब ठीक है ना??

नेहा- हा.. सब.. सब ठीक है बस कुछ सोच रही थी

जानकी- अपने आप पर इतना स्ट्रेस मत डालो ठीक है!!

जानकी जी ने चिंता से कहा और नेहा ने हा मे गर्दन हिला दी

नेहा- मा आप लोग कब आए ?

जानकी- जब तुम दिन मे सपने देख रही थी, मैंने चाय भी बना दी , अब जाओ और ये चाय माजी(दादी) को दे आओ बाहर से आने के बाद उन्हे चाय चाहिए होती है

जिसके बाद नेहा चाय लेकर दादी के कमरे की ओर चली गई

नेहा- दादी आपकी चाय

नेहा ने दादी को चाय का कप देते हुए कहा

गायत्री- नेहा बैठो, मुझे कुछ बात करनी है तुमसे

दादी ने कहा जिसपर नेहा भी वहा बैठ गई

दादी- नेहा, गणेशोत्सव करीब है और ये तुम्हारा और श्वेता का इस घर में पहला त्योहार है तो मैं सोच रही थी के इस साल गणेशोत्सव बड़ी धूम धाम से मनाए, मुझे पता है तुम अपनी अकादेमी के काम से बिजी हो लेकीन थोड़ा ध्यान इसपर भी देना, राघव ने पिछले कुछ सालों से त्योहारों से दूर ही हो गया है वो पूजा मे रहता है फिर वापिस काम मे लग जाता है लेकिन इस बार उसमे बदलाव आया है मैं चाहती हु वो इस साल हमारे साथ पूरा समय रह कर गणेशोत्सव मनाए और उसे मनाने का काम तुम ही कर सकती ही.. करोगी ना

नेहा- मैं वादा करती हु दादी जी वो पूरे दस दिन हमारे साथ होंगे वो भी पूरे दिल से

नेहा की बात से दादी के चेहरे पर स्माइल आ गई उन्होंने नेहा के सर पर प्यार से हाथ फिराया

कुछ देर बाद नेहा अपने कमरे मे आई और वो जो नया बेड आया था उसे अच्छे से देखने लगी उसपर बैठ कर कूद कर हर तरह से नहा ने उसे चेक किया और फिर उसके ध्यान मे आया के वो क्या कर रही है

नेहा- इनके जैसा बिहैव मत करो नेहा ये भी आकार इस बेड को जरूर चेक करेंगे

नेहा ने खुद से ही कहा और तभी उसके रूम का दरवाजा खुला और राघव एक स्माइल के साथ अंदर आया राघव को देखते ही नेहा ने घड़ी की ओर देखा जिसमे शाम के 5 बज रहे थे

नेहा- आप इतनी जल्दी क्यू आ गए??

नेहा के इस सवाल पर राघव की सारी स्माइल ही गायब हो गई वो कुछ और सोच रहा था और हुआ कुछ और

राघव- ये कैसा सवाल है? मैं जल्दी नहीं आ सकता क्या??

नेहा- नहीं मतलब आप इतनी जल्दी कभी आते नहीं हो ना ईसलिए पूछा बस

राघव- मेरा मन किया तो आगया

राघव बेड पर कूदते हुए बोला

राघव- वॉव यार चिक्की सही बेड है ये कम जम्प विद मि

राघव की बात सुन नेहा ने बस उसे देखा

राघव- ऐसे मत देखो चेक करना पड़ेगा ना अगली बार तुम भागोंगी तो टूटना नहीं चाहीये ना

राघव ने हसते हुए कहा वही नेहा उसे घूरते हुए रूम से चली गई.....

--x--

रिद्धि- भाभी हमने आपका डांस विडिओ देखा, इट वाज ऑसम!!

रिद्धि ने नेहा से चिपकते हुए कहा

ये सब लोग साथ बैठे बाते कर रहे थे

श्वेता- भाभी आप सिर्फ क्लासिकल डांस सिखायेंगी या और भी कोई जैसे वेस्टर्न वगैरा

श्वेता ने पूछा लेकिन नेहा इसका जवाब देती इसके पहले ही राघव बोल पड़ा

राघव- ना श्वेता उसे वेस्टर्न स्टाइल डांस नहीं आता और वेस्टर्न लुक मे वो अच्छी भी नहीं लगेगी

राघव ने जान के नेहा को चिढ़ाने के लिए कहा वही नेहा ने सपाट चेहरे से उसकी तरफ देखा

विवेक- तो क्या हुआ सबका अपना अपना स्टाइल होता है हमारी भाभी का अपना स्टाइल है

विवेक अब नेहा के सपोर्ट मे खड़ा हो गया

राघव- तो मैंने इस बात से कब मना किया है ओफकोर्स नेहा एक बढ़िया डान्सर है बट वेस्टर्न इस नॉट हर थिंग

राघव ने आगे कहा और विवेक और रिद्धि ने एकदूसरे को देखा

नेहा- इट्स ओके विवेक आप एक चीज मे अच्छे हो इसका ये मतलब नहीं के आपको सब कुछ आता है चलो मैं चलू मुझे खाने की तयारी करनी है तुम लोग बाते करो

नेहा ने राघव को देखते हुए वहा से जाते हुए कहा और उसके पीछे श्वेता भी चली है और उनके जाते ही रिद्धि राघव से बोली

रिद्धि- आपने ये जानबुझ कर कहा ना वरना भाभी वेस्टर्न ड्रेस मे सुपर दिखती है बस वो यहा वैसे कपड़े नहीं पहनती

रिद्धि की बात सुन राघव ने ऐसा बताया जैसे उसे ये पता था लेकिन नेहा के बारे में आज उसे ये नई बात पता चली थी....

रात के खाने के बाद राघव अपने स्टडी रूम मे अपने चाचा के साथ बिजनेस रेलेटेड बाते डिस्कस कर रहा था और जब सब काम खतम करके वो अपने रूम मे पहुचा तो उसने देखा के उसका कमरा अंधेरे मे डूबा हुआ था उसने नेहा को आवाज भी लगाई लेकिन कोई रिप्लाइ नहीं मिला, नेहा अभी तक कमरे मे नहीं आई है ये सोच के राघव थोड़ा हैरान हुआ क्युकी समय काफी हो गया था

राघव ने अंधेरे मे ही स्विच बोर्ड टटोला और रूम मे डीम लाइट शुरू की जिसने महोल हो थोड़ा रोमांटिक बना दिया और जैसे ही राघव पलटा उसके होश ही उड गए मुह खुला रह गया और आंखे बस बाहर ही आने वाली थी......

ऐसा क्या देख लिया था राघव ने.... जानेंगे अगले अपडेट मे तब तक साथ बने रहिए कमेन्ट कीजिए धन्यवाद।

क्रमश:
 

[color=rgb(184,]Update 51[/color]

राघव ने अंधेरे मे ही स्विच बोर्ड टटोला और रूम मे डीम लाइट शुरू की जिसने महोल हो थोड़ा रोमांटिक बना दिया और जैसे ही राघव पलटा उसके होश ही उड गए मुह खुला रह गया और आंखे बस बाहर ही आने वाली थी......

राघव ने नेहा को सर से लेकर पैर तक सप्राइज़ होकर देखा, उसने कभी नेहा को ऐसे नहीं देखा था, उसने बस सिर्फ एक नाइट ड्रेस पहना था लेकिन उसमे भी कहर मचा रखा था, एक नाइट ड्रेस मे भी कोई इतना हॉट लग सकता है इसका राघव को अंदाज ही नहीं था और ये कहना तो बिल्कुल ही गलत होगा के नेहा को ऐसे देख राघव के अरमान ना जागे हो

राघव- न... न... ने.....

नेहा- शश......

नेहा ने राघव ने होंठों पर उंगली रख उसे बोलने से रोक दिया

नेहा- वेस्टर्न इस नॉट माइ थिंग! राइट??

नेहा ने राघव ने कान में सेडक्टिवली पूछा नेहा को भी नहीं पता था के उसमे आज इतनी हिम्मत कहा से आई थी लेकिन अब वो पीछे नहीं हटने वाली थी वही राघव की नजरे नेहा से हट ही नहीं रही थी वो सप्राइज़ एक्सप्रेशन के साथ नेहा को उसकी ड्रेस को देख रहा था उसने नेहा को कभी ऐसे कपड़ों मे नहीं देखा था वो सुपर हॉट लग रही थी जबकि उसने बस एक नाइट ड्रेस पहना था राघव ने नेहा को हमेशा साड़ी या ट्रडिशनल कपड़ों मे देखा था लेकिन इस शर्ट और शॉर्ट्स मे वो उसे पागल बना रही थी

नेहा- वाच इट मिस्टर देशपांडे

नेहा ने एक मुस्कान के साथ राघव के होंठों पर अपनी उंगली घुमाते हुए कहा वही राघव बगैर पलके झपकाए नेहा को देख रहा था जिसके बाद नेहा ने गाना प्ले किया और अपनी अदाओ से राघव को घायल करने लगी, नेहा के हिलते नितंब और उरोजों ने राघव की धड़कने तेज कर दी थी उसने नहीं सोचा था के आज उसे नेहा का ये अवतार देखने मिलेगा,

वो लोग अपने रूम मे थे एसी चल रहा था फिर भी तापमान बढ़ा हुआ था वही बालकनी से झाकता चाँद सिचूऐशन को और रोमांटिक बना रहा था नेहा सुपर हॉट और सेक्सी लग रही थी वही उसे देख राघव के होंठ सुख चुके थे जिनपर से उसने अपनी जीभ घुमाई, उसकी नजरे नेहा की लंबी टांगों पर थी जो इस वक्त बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी जिसके बाद राघव का ध्यान नेहा के ओवर्साइज़ ड्रेस की ओर गया जो नेहा के डांस मूवस् के साथ उसका क्लीवेज रीवील कर रहा था

नेहा- कैसा लगा मिस्टर देशपांडे

नेहा ने अपना सिडक्टिव डांस खतम कर राघव से पूछा लेकिन वो बताने की हालत मे कहा था वो तो बस मुह फाड़े बगैर पलके झपकाए उसे देख रहा था, नेहा ने उसकी तरफ एक कदम बढ़ाया और अपनी बाहों का हार उसके गले मे डाला

नेहा- क्या हुआ?? अब भी ऐसा लगता है के वेस्टर्न मेरे बस का नहीं?

नेहा ने मासूम बनते हुए पूछा जिसका जवाब वो जानती थी

राघव- तुम.... तुम... बहुत हॉट लग रही हो

राघव ने नेहा को सर से पैर तक देखते हुए कहा वही नेहा झूठा शॉक एक्सप्रेशन बनाते हुए बोली

नेहा- अपनी बीवी को कोई हॉट बोलता है !!

राघव- मेरी बीवी को ही कह रहा हु किसी और की थोड़ी

राघव के रिप्लाइ पर नेहा मुस्कुरा दी, राघव ने आँखों मे चमक लिए नेहा को देखा जैसे उसे उसकी मन चाही चीज मिल गई हो और वही भाव नेहा की आँखों मे थी थे

अचानक से नेहा को राघव की स्माइल उसकी आवाज उसका चेहरा, उसका बात करने का तरीका उसका उसकी केयर करने का तरीका सब कुछ अट्रैक्ट कर रहा था और अभी उसे सबसे ज्यादा राघव के होंठ अट्रैक्ट कर रहे थे,

राघव- नेहा..!!

नेहा की आंखे राघव के होंठों पर जमी हुई थी और उसका मन उसे चूमने को बेचैन हुआ जा रहा था, वो दोनों इतने करीब थे के राघव नेहा की सासों को अपनी नाक और होंठ के बीच महसूस कर सकता था, दोनों के बीच बस इंच भर का फासला था और अब महोल मे गर्मी बढ़ रही थी..

नेहा बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी और उसे देख राघव के अरमान तो पहले ही जाग चुके थे, राघव ने नेहा का एक पैर उठा कर अपनी कमर पर रखा और जैसे ही राघव ने अपने हाथ को नेहा की खुली टांग पर घुमाया उसके बदन मे एक सिरहन सी दौड़ गईं, उसने अपनी आंखे बंद कर ली, राघव के बस एक स्पर्श ने उसे और भी ज्यादा इंटिमेट कर दिया

राघव- तुम इतनी हॉट और सेक्सी लग रही हो के मैं बता नहीं सकता के तुम्हारे इस बोल्ड और सेक्सी अवतार ने मेरा क्या हाल किया है

राघव ने नेहा को अपने करीब खिचते हुए हल्के से अपनी हस्की आवाज मे कहा

नेहा की उंगली इस वक्त राघव के होंठों को छूते हुए गले से होते हुए उसकी छाती पे घूम रही थी और अब दोनों के बीच सेक्शुअल टेंशन बढ़ रहा था

नेहा के गुलाब की पंखुड़ियों समान होंठों को देखते हुए राघव ने अपने चेहरा उसके करीब किया लेकिन नेहा उसे किस करने से रोकने के लिए मुसकुराते हुए मूड गई

राघव का अब अपने आप पर काबू पाना मुश्किल हो रहा था, उसका एक हाथ अब भी नेहा के पैर पर घूम रहा था वही उसने अपना दूसरा हाथ नेहा की पीठ पर रखा और उसे ऊपर उठा लिया और उसे बेड तक ले आया

राघव ने धीमे से नेहा को बेड पर लिटाया और अपने आप को उसके ऊपर जिससे दोनों के बीच एक इंटिमेट क्लोज़नेस बन गई थी और अब नेहा की साँसे भारी होने लगी थी, इस पल की चाहत उन दोनों को ही नजने कब से थी

नेहा ने अपना निचला होंठ दातों तले दबाया, राघव की इन्टेन्स नजरे उसे परेशान कर रही थी

राघव- तुम ऐसा नहीं कर सकती, उनपर सिर्फ मेरा हक है, they're all mine to bite, lick and suck समझ आया?

राघव ने नेहा का निचला होंठ उसके दांतों से बाहर निकाला और अपना चेहरा नेहा की गर्दन मे डाल दिया, राघव का स्पर्श नेहा को पागल बना रहा था, वो दोनों ही जानते थे को दोनों को ही एकदूसरे की जरूरत थी न सिर्फ ईमोशनली बल्कि फिजिकलि भी

राघव हल्के हल्के से नेहा की गर्दन पर चूम रहा था, उसे नेहा का स्वीट स्पॉट मिल चुका था और नेहा के हाथ राघव के बालों मे घूम रहे थे

राघव ने नेहा के सारे चेहरे ओर चूमा बस उसके होंठों को छोड़ कर, ये दूरी उससे भी सही नहीं जा रही थी लेकिन नेहा भी उसके लिए उतना ही तड़प रही थी ये देख उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई

नेहा के दोनों पैर अब राघव की कमर के इर्द गिर्द थे, राघव ने नेहा की पहनी सैटन की शर्ट को थोड़ा सा नीचे सरकाया जिससे उसका एक कंधा अब पूरा राघव के सामने था, राघव ने अपनी उंगली नेहा के नग्न कंधे पर से घुमाई और ही एक गीली चुम्मी भी, नेहा की साँसे बढ़ रही थी, वो अपने निचले भाग मे गीलापन महसूस कर रही थी, जब राघव ने नेहा के गर्दन पर काटा तो वो दर्द से सिसक उठी...

नेहा की आंखे बंद थी और वो इस पल का मजा ले रही थी

राघव- अपनी आंखे खोलो बेबी

राघव ने सिडक्टिवली कहा

राघव की नजरे नेहा के होंठों पर पड़ी जो हल्के से खुले थे जो उसे अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे

नेहा- किस मी राघव

नेहा ने एकदम से कहा

नेहा- किस मी, आइ वॉन्ट टु taste यू

अब नेहा ने भी अपनी शर्म छोड़ दी थी

दोनों की नजरे आपस मे मिली दोनों की आँखों मे इस वक्त कई भावनाए उमड़ रही थी

इससे आगे कोई कुछ कहता नेहा को होंठ राघव के होंठों से मिल चुके थे

राघव नेहा को धीरे धीरे सॉफ्टली किस करने लगा और नेहा ने भी बगैर समय बर्बाद किया उसे वैसा ही प्रतिसाद दिया, नेहा की उँगलिया अब भी राघव के बालों मे घूमते हुए उनसे खेल रही थी

राघव ने नेहा को किस करते हुए ही उसे कमर से पकड़ के ऊपर उठाया और ऐसा करने मे अब नेहा का निचला गीला भाग राघव ने हार्ड पार्ट के कॉन्टेक्ट मे आया

नेहा- म्महम्म

किस के बीच ही नेहा के मुह से हलकी सी आवाज आई जैसे ही उसने राघव के हार्ड पार्ट को अपने वेट पार्ट पर फ़ील किया उसे एक स्ट्रॉंग सेन्सेशन महसूस हुआ

नेहा के होंठों को चूमते हुए चूसते हुए राघव ने अपनी जीभ उनपे से घुमाई और नेहा ने अपनी लोअर बॉडी को ऊपर उठाया और राघव ने बगैर एक पल सोचे बगैर किस तोडे उसे अपनी गोद मे बिठाया

राघव ने अपने दोनों हाथ नेहा के नितंबों पर रखे और नेहा के दोनों हाथ राघव के गले मे थे, राघव ने उसे अपनी ओर खिच लिया और नेहा भी राघव क्या चाहता है समझकर आगे बढ़ने लगी,

नेहा- आह

उसे मुह से एक धीमे, गहरी कराह निकली, राघव को खुश करने नेहा ने धीरे धीरे अपने नितबों को हिलाना शुरू और राघव ने उसका मुह छोड़ वापिस उसकी गर्दन पर अपना ध्यान लगाया, नेहा ने अचानक एक आनंद की लहर महसूस की और उसने अपनी गति को बढ़ा दिया और अपना सर झटके के साथ पीछे सरकाया

नेहा- ओ गॉड!! राघव !!

नेहा ने अभी अभी ऑर्गैज़म फ़ील किया था

राघव ने अपना हाथ नेहा की शर्ट के अंदर सरकाया और नेहा के नग्न शरीर पर उसका स्पर्श हुआ, नेहा की कमर के हल्के से चिमटी काटते हुए राघव के हाथ उसकी पीठ और पेट पर घूम रहे थे, राघव ने महसूस किया के नेहा के ब्रा नहीं पहन रखी थी और राघव ने अपने अंगूठे से उसके बाये उरोज के नीचे रगड़ा और शर्ट के ऊपर से ही उन आनंद कलशों को चूमने लगा, और नेहा उसके ऊपरी शरीर को गले लगाते हुए अपनी ठुड्डी उसे सर पर टिकाए सिसकने लगी,

राघव नेहा को अपनी बाहों मे भींचते हुए किसी भूखे शेर की तरह उसे चूम रहा था

वो दोनों ही रुकना नहीं चाहते थे और ये ड्राई हम्पिंग दोनों को आनंद का एहसास करा रही थी

राघव और नेहा दोनों ही इस वक्त अपनी ही दुनिया मे खोए हुए थे और राघव बस नेहा का शर्ट पूरी तरह से उतारने ही वाला था के किसी ने उनके रूम के दरवाजे पर खटखटाया जिससे उन्हे रुकना पड़ा

दोनों ही अचानक आए इस खलल से इरिटेट हुए थे वही नेहा के चेहरे पर शर्म की लाली छाई हुई थी

नेहा ने उठने की कोशिश की लेकिन राघव ने उसे रोक दिया और फिर से अपना रुख उसकी गर्दन की ओर घुमाया लेकिन इतने मे फिर से किसी से दरवाजा खटखटाया और इस बार साथ मे एक आवाज भी आई

विवेक- भाई!!! भाभी!!!

विवेक ने बाहर से उन्हे आवाज दी विवेक की आवाज सुन राघव ने घड़ी को देखा तो 11.30 बज रहे थे वो दोनों उठ गए नेहा शॉर्ट्स की जगह पायजामा पहनने चली गई वही राघव दरवाजा खोलने गया दरवाजा खुलते ही विवेक ने राघव को ऊपर से नीचे तक देखा हर बार इन्हे कोई न कोई डिस्टर्ब कर ही देता है।

राघव- क्या??

विवेक- आप ऐसे....

विवेक ने राघव के बिखरे बाल और कपड़े देखते हुए पूछा और राघव ने अपने आप को सही किया

राघव- सो रहा था मैं अब बताएगा क्यू आया है

विवेक- हा! भाभी कहा है??

विवेक ने रूम मे झाकते हुए पूछा लेकिन राघव ने उसे रोक दिया

राघव- क्यू??

विवेक- पहले भाभी को बुलाओ उनसे काम है

और अब इसी बात पे दोनों भीड़ गए तभी नेहा वहा आई

नेहा- क्या हुआ

विवेक- कुछ नहीं भाभी भाई मुझे आपने मिलने नहीं दे रहा था

राघव- अब काम बताएगा

राघव ने अपने हाथ बांधे पूछा

विवेक- हा, भाभी दादी ने कहा है के आपको बता दु के कल आपको आपके चाचा के यहा जाना है उन्होंने आपको कॉल किया था लेकिन आपने उठाया नहीं तो उन्होंने दादी से कहा अब रीज़न मुझे पता नहीं आप उनसे बात कर लेना

इतना बोल के विवेक वहा से निकल गया और राघव ने दरवाजा बंद किया

राघव- बात कर लो पहले चाचाजी से

राघव ने नेहा से बेड के पास जाते हुए कहा और नेहा ने भी अपना फोन उठाया और अपने चाचा को कॉल लगाया

नेहा- हैलो!

सतीश- हैलो नेहा बेटा! कैसी हो??

नेहा- मैं एकदम बढ़िया चाचाजी आप कैसे हो ?

तभी राघव नेहा के पास आया और अपना सर नेहा की गोद मे रख दिया और उसके एक हाथ से खेलने लगा

सतीश- मैं भी ठीक हु मैं कब से तुम्हें फोन लगा रहा था तुम जवाब ही नहीं दे रही थी कहा थी?

अपने चाचा के इस सवाल का नेहा पर पास कोई जवाब नहीं था

नेहा- वो.. चाचाजी मेरा फोन साइलन्ट मोड पर था तो रिंग सुनाई ही नहीं दी

नेहा का जवाब सुन राघव ने इशारे से ही क्या बात है कहा और नेहा ने उसे घूर कर देखा

सतीश- अच्छा अच्छा और राघव बाबू कैसे है?

तभी राघव ने नेहा की शर्ट के अंदर हाथ डाल उसके पेट पर अपनी उंगली घुमाने लगा और नेहा की साँसे तेज होने लगी

नेहा- वो.. वो... भी ठीक है

सतीश- क्या हुआ नेहू? तुम ऐसे क्यू बात कर रही हो सब ठीक है ना

नेहा- हा.... हा चाचाजी सब ठीक है चाची कैसी है?

सतीश- हा वो भी अच्छी है, नेहू??

नेहा- जी चाचाजी

सतीश- दामादजी तुम्हारा खयाल तो रखते है ना??

नेहा के चाचा की आवाज मे थोड़ा डर था

नेहा- हा चाचू वो बहुत खयाल रखते है मेरा

नेहा ने स्माइल के साथ कहा और राघव ने उसे देखा

सतीश- चलो अच्छा है फिर, जब वो शादी के बाद अचानक चले गए थे मुझे लगा था वो खुश नहीं है अब तुमसे सुन लिया तसल्ली हो गई

नेहा- मैं बहुत खुश हु चाचू आप बिल्कुल चिंता ना करे

सतीश- बहुत बढ़िया बात है ये तो, बेटा मैं क्या कह रहा था अगर तुम्हें कल समय हो तो एक बार मिलने आ जाओ , बहुत समय हो गया है तुम्हें देखे तुम्हारी चाची और सचिन भी काफी याद कर रहे है तुम्हें

नेहा- मैं जरूर आऊँगी चाचू

सतीश- और हा बेटा अगर दामादजी को फुरसत मिले तो उन्हे भी लाना, तुम दोनों कभी साथ नहीं आए हो

नेहा- मैं पूछ लेती हु उनसे

सतीश- ठीक है फिर मिलते है कल, अपना खयाल रखना

नेहा- जी चाचू, बाय

जिसके बाद नेहा ने फोन रख दिया और फोन रखते ही राघव उसके पास लपका

राघव- तो... क्या बाते हुई??

नेहा- कुछ नहीं चाचू ने हमे मिलने बुलाया है बहुत टाइम हो गया ना उनसे मिले

राघव- हमे??

नेहा- हा, हम कभी वहा साथ नहीं गए ना तो वो चाहते है के हम साथ आए

राघव- ठीक है कल शाम मे चले चलेंगे

नेहा- मुझे उनके साथ थोड़ा समय बिताना है शाम मे जाने पर कैसे होगा

राघव- और काम का क्या ??

नेहा- मैं कोई जॉब थोड़ी कर रही हु मैं छुट्टी ले सकती हु

नेहा ने राघव के टीशर्ट से खेलते हुए कहा

राघव- लेकिन मैं नहीं ले सकता

नेहा- प्लीज
1f97a.png


राघव- ओके ऐसा करते है मैं सुबह तुम्हें ड्रॉप कर दूंगा और शाम को पिक कर लूँगा

नेहा- मुझे वहा कुछ दिन रहना है

राघव- बिल्कुल नहीं!!!

राघव ने एकदम से बेड पे सीधा बैठते हुए कहा

नेहा- क्यू??

राघव- क्या क्यू? मैं तुम्हें वहा नहीं छोड़ सकता वैसे भी तुम कल वहा पूरा दिन बिताओगी ही

नेहा- वो फॅमिली है मेरी

राघव- और मैं हज़बन्ड हु तुम्हारा

नेहा- और मैं आपही के साथ तो हु आप मुझे कुछ दिन वहा रहने नहीं दे सकते

राघव- तुम्हें जो सोचना है सोचो तुम वहा नहीं रहोगी

राघव ने जिद्दी बनते हुए कहा

नेहा- लेकिन मेरी फॅमिली का तो सोचिए

राघव- और तुम मेरे बारे मे तो सोचो

नेहा- तो आप भी मेरे साथ वहा रुक जाइए

राघव- नहीं

नेहा- तो मुझे तो रहने दीजिए ना

नेहा ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा

राघव- कुछ दिन बहुत होते है

नेहा- लेकिन फॅमिली है वो मेरी वो भी आपसे पहले

राघव- हा लेकिन

नेहा- राघव प्लीज....

नेहा ने प्यार भारी आवाज मे कहा और यहा राघव बाबू पिघल गए

राघव- ठीक है जाओ

राघव ने बेड पर से उठते हुए कहा और बाथरूम मे चला गया वही नेहा बस उसे जाते हुए देखने लगी कुछ देर बाद राघव आया और बेड पर नेहा के उलटी तरफ मुह करके सो गया

नेहा ने राघव को पीछे से गले लगाया और उसके कान मे बोली

नेहा- बस 2-3 दिन

और राघव के गाल को चूम लिया फिर कुछ पल राघव के रिप्लाइ का इंतजार किया और जब रिप्लाइ नहीं मिला तो उसने अपना हाथ निकालना चाहा लेकिन राघव ने उसका हाथ पकड़ा और उसकी ओर घूम गया

राघव- बस 1 दिन

राघव की बात पर नेहा मुस्कुराई और वो दोनों फिर नींद के आगोश मे समा गए एक दूसरे की बाहों मे

ये सच था के उनके रिश्ते को सवरने मे समय लगा था लेकिन अब वो समय सार्थ हो रहा था छोटे छोटे कदमों से उनका रिश्ता मजबूत हो रहा था......

क्रमश:
 

[color=rgb(184,]Update 52[/color]

अगले दिन नेहा बहुत खुश थी आज अपने घर जो जा रही थी और उससे ज्यादा खुशी उसे इस बात की थी के राघव उसके साथ था वही रात वाली बात सोच सोच कर जैसे ही राघव उसके सामने आता वो शर्मा जाती थी।

नेहा के घर जाते हुए राघव उससे एक शब्द भी नहीं बोला वही उसने एक पल के लिए भी नेहा का हाथ नहीं छोड़ा मानो वो उससे कही दूर जा रही हो और नेहा भी राघव का उसके लिए इतना पज़ेसिव नेस देख कर मन ही मन मुस्कुरा रही थी

जब वो लोग नेहा के चाचा के घर पहुचे तो उसने देखा के आसपड़ोस के लोग खास कर लड़किया राघव को ही देख रही थी और जैसे ही नेहा ने ये देखा उसने झट से राघव का हाथ थाम लिया और उसके अचानक अपना हाथ पकड़ते ही राघव ने अपना गॉगल उतार नेहा को देखा और नेहा ने एक स्माइल के साथ कहा

नेहा- मेरी सौतन ना ला सके तो गर्लफ्रेंड से काम चला रहे है

नेहा का ताना पहले तो राघव को समझ नहीं आया लेकिन जैसे ही ध्यान मे आया उसने अपना फोन अपनी जेब मे रखा और नेहा का हाथ पकड़ा और उसके माथे को चूमके बोला

राघव- ठीक है तो बीवी पर फोकस कर लेते है!

राघव ने मुस्कुराकर करा वही नेहा उसकी बात पर शर्मा दी

राघव- चले अंदर!

जिसके बाद वो लोग घर के अंदर जाने लगे और जाते जाते नेहा ने मूड कर उन लड़कियों को देखा जो राघव को ताड़ रही थी और उनके उतरे चेहरे देख नेहा के चेहरे पे स्माइल आ गई वही घर के अंदर जाते ही नेहा के चाचा चाची ने दोनों का अच्छे से वेलकम किया नेहा ने दोनों को गले लगाया वही राघव ने वो किया जो नेहा ने सोचा भी नहीं था के राघव करेगा, उसने नेहा के चाचा चाची दोनों के पैर छूए, राघव की इस बात पर नेहा तो शॉक थी ही नेहा के चाचा चाची भी शॉक थे क्युकी वो भी राघव के स्वभाव से परिचित थे।

राघव चाचा के पैर छूने झुका ही था के उन्होंने उसे गले लगा लिया और उसने भी स्माइल के साथ रेस्पोंड किया और उसे हसता देख नेहा की चाची की आंखे बड़ी हो गई क्युकी शादी के वक्त तो उन्होंने राघव को बस सपाट चेहरे के साथ ही देखा था

संगीता - ये सही मे राघव है??

चाची ने नेहा के कान मे पूछा और उसने भी हा ने गर्दन हिला दी

संगीता- आप लोग बैठो मैं अभी चाय नाश्ता लेकर आती हु

चाची ने कहा और वो किचन मे चली गई

नेहा- मैं चाची की मदद कर देती हु

इतना बोल के नेहा भी वहा से चली गई और राघव को ऑक्वर्ड सिचूऐशन मे छोड़ गई, एक तो उसे नए लोगों ने बात करने मे थोड़ी दिक्कत होती थी उसे बिल्कुल समझ नहीं आता था के बात कहा से शुरू करे क्या बात करे अपने बिजनेस के अलावा वो ज्यादा बात ही नहीं करता था, ऑफिस मीटिंग्स मे उसके पास बात करने के लिए टॉपिक होता था, उसका असिस्टन्ट ही बहुत से काम निपटा लेता था लेकिन बगैर किसी टॉपिक के बात छेड़ना राघव के बस का नहीं था वो तो नेहा के चाचा का शूकर था के उन्होंने बात शुरू की और राघव को थोड़ा सहज किया वही किचन मे

संगीता- नेहू ये वही राघव है ना जिनसे शादी हुई थी तुम्हारी

चाची ने किचन से हॉल मे चाचा के साथ बात करते राघव को देख नेहा से पूछा, राघव दिन ब दिन बदल रहा था ऐसे मे कोई भी शॉक होता, जो राघव कभी किसी से सीधे मुह नहीं बोलता था जिसके चेहरे पर स्माइल बस दिवाली होली जैसी साल मे एक दो बार दिखती थी वो हस हस के बाते कर रहा था,

नेहा- ये वही है चाची

नेहा ने मुस्कुराकर कहा

संगीता- ऐसा है तो दामादजी बहुत बदल गए है जिन्हे हम जानते थे वो तो ये लग ही नहीं रहे पहले कितने जिद्दी थे ना

नेहा- चाची! वो जिद्दी नहीं है

नेहा ने राघव की साइड लेते हुए कहा

संगीता- हा हा नहीं है बस

अब चाची भी नेहा को छेड़ने के मूड मे थी

संगीता- अच्छा है तुमने बदल दिया है उन्हे

चाची की बात सुन नेहा शर्मा दी वही उसे याद आया के पहले कैसे राघव उससे दूर भागा करता था वही आजकल वो उसके साथ सब शेयर करता था, नेहा यही सब याद कर नेहा के गाल लाल होने लगे थे

संगीता- क्या हुआ नेहू लगता है कुछ याद आ गया
1f92d.png


चाची ने नेहा को छेड़ते हुए कहा वही नेहा के गाल शर्म से लाल हो चुके थे तभी

सतीश- अरे संगीता कितना समय लगेगा भई ?

संगीता- बस अभी आई

चाची ने किचन से जोर से कहा और चाय का ट्रे लिए वहा से चली गई नेहा ने भी अपने आप को सही किया और नाश्ते के ट्रे के साथ बाहर आई उसने नाश्ता सामने के टेबल पर रखा और राघव ने उसे देख एक स्माइल पास की

नेहा- सचिन कहा है??

नेहा ने जब अपने भाई को कही नहीं पाया तो पूछा

संगीता- इन्होंने उसे आज शॉप का खयाल रखने भेजा है ताकि तुम्हें मिल सके वो वहा गया है, बड़ा गुस्सा था बहुत मिस करता है तुम्हें

चाची ने नेहा को बताया

नेहा- कोई ना शाम मे मिल लूँगी उससे मैं अभी 2 दिन यही रुकने वाली हु

नेहा ने राघव को देखते हुए कहा जिसपर राघव बोला तो कुछ नहीं लेकिन उसके इक्स्प्रेशन बता रहे थे के उसे ये बात पसंद नहीं आई थी

संगीता- ये तो और भी अच्छा है बहुत दिनों बाद तो आई हो

सतीश- दामादजी बिजनेस कैसा चल रहा है मैंने सुना नेहू भी सीख रही है आपसे

राघव- बढ़िया है और अभी तो मार्केटिंग सीखा रहा हु नेहा को

संगीता- हमने इसे कितनी बार कहा के अपनी अकादेमी खोल के हम है सपोर्ट करने लेकिन इसने कभी हमारी बात नहीं मानी मा बाप आखिर मा बाप होते है

नेहा- ऐसा नहीं है चाची और ये बात आप जानती है आप मेरे लिए मम्मा पापा से कम नहीं है

नेहा ने अपनी चाची को साइड से गले लगाया तभी राघव बोला

राघव- उम्म!! इक्स्क्यूज़ मी, वाशरूम??

राघव ने थोड़ा ऑक्वर्ड होकर पूछा

सतीश- नेहू दामादजी जी को ऊपर अपने कमरे मे ले जाओ बेटा

संगीता- हा तुम लोग जाओ तब तक मैं कुछ और खाने का बनाती हु

फिर नेहा राघव के साथ अपने रूम की ओर बढ़ गई नेहा आगे आगे चल रही थी और राघव उसे फॉलो कर रहा था

रूम मे पहुचते ही राघव ने रूम को देखते हुए दरवाजा बंद किया वो पूरे रूम को देख रहा था नेहा ने उसे वाशरूम का दरवाजा दिखाया लेकिन उधर जाने के बजाय राघव उसके पास आया, राघव को अपनी ओर बढ़ता देख नेहा पीछे हटने लगी उसने एक कदम पीछे लिया लेकिन राघव नहीं रुका पर नेहा का पैर बेड से टकराते ही नेहा रुक गई, राघव नेहा के करीब पहुचा और जब उनदोनों के बीच बस 1 इंच का फासला था राघव ने अपना एक हाथ उसकी कमर पर रखा और दूसरा उसके सर पर और अपने आप को कुछ इस तरह पुश किया ये वो दोनों बेड पर गिर गए, नेहा ने अपनी आंखे बंद कर ली थी वही राघव बस उसे देख रहा था

राघव- अपनी आंखे तो खोलो बेबी

राघव नेहा के कान मे फुसफुसाया वही नेहा के हाथ उसकी शर्ट पर कस गए और उसने अपना चेहरा दूसरी ओर घुमाया

राघव- तो अब बात नहीं मानोगी मेरी

राघव ने अपनी नाक से नेहा का चेहरा छेड़ते हुए कहा नेहा की साँसे तेज होने लगी उसे गुदगदी हो रही थी

नेहा- राघव प्लीज

राघव- पता है तुम मुझे नाम से बुलाती हो बड़ा अच्छा लगता है

राघव ने नेहा के गाल को चूमते हुए कहा

नेहा- अब आपको वाशरूम नहीं जाना

राघव- नोप!!

राघव ने अपनी उंगलियों को नेहा की कमर पर घुमाते हुए कहा

नेहा- आप.... आपको ऑफिस नहीं जाना क्या??

राघव- अपनी फ्रीडम इन्जॉय करने के लिए कितनी डेस्परेट हो ना तुम

नेहा- ऐसा नहीं है आप ही ने कहा था आपकी मीटिंग है

राघव- मिसेज देशपांडे मैं अभी अपनी सबसे इम्पॉर्टन्ट मीटिंग अटेन्ड कर रहा हु

राघव ने नेहा के बालों की लट को उसके कान के पीछे करते हुए कहा और एक छोटी की स्माइल नेहा के चेहरे पर उभर आई जिसके बाद राघव उठा और उसने अपने कपड़े सही किया और वैसा ही नेहा ने किया

राघव- पक्का ना तुम यहा रह लोगी ना??

राघव ने अचानक से पूछा और नेहा ने उसे देखा

नेहा- हा बाबा, मिस्टर देशपांडे क्या हो गया है आपको जो मेरे बिना एक दिन नहीं रह सकते?

राघव- ऐसा कुछ नहीं है ठीक है! वो तो मैं तुम्हारे बारे में सोच रहा था के मेरे बिना कैसे रहोगी

नेहा- ऐसा है ठीक है फिर देखते है हम ना एकदूसरे को कल तक ना तो कॉल करेंगे ना मैसेज और परसो तो वैसे भी मैंने आ ही जाना है

नेहा ने राघव को चैलेंज करते हुए कहा और अपनी हसी दबाने लगी जो राघव का चेहरा देख फूटने ही वाली थी

नेहा- क्या हुआ?? डर गए??

राघव- हूह मैं किसी से नहीं डरता

नेहा- सोच लीजिए रह पाएंगे मेरे बिना?

राघव- बस 2 दिन की बात है चिक्की मैं तो नहीं लेकिन तुम मुझे बहुत मिस करोगी

राघव ने उसे आँख मारते हुए कहा

नेहा- देखते है आप मेरे बिना एक दिन नहीं रह पाएंगे

नेहा ने राघव को चैलेंज किया

राघव- डन डील! हम कल तक ना तो मैसेज करेंगे न कॉल करेंगे लेकिन अब ये बताओ इसके बदले मे मुझे क्या मिलेगा

नेहा- अगर मैं जीती तो आप पूरा गणेशोत्सव मेरे साथ रहेंगे और वो भी बगैर किसी काम में उलझे

राघव- ये तो तुम्हारा हुआ मैने पूछा अगर मैं जीता तो??

नेहा- तो आप बताओ आपको क्या चाहिए

राघव- उम्म....

नेहा- जल्दी बताइए ना

राघव - पता चल जाएगा सही समय पर

राघव ने एक स्माइल के साथ कहा और वहा से चला गया और नेहा उसे देखती रही.....

क्रमश:
 

[color=rgb(184,]Update 53[/color]

राघव नेहा को उसके मायके छोड़ अपने ऑफिस आ गया था लेकिन उसका ऑफिस मे किसी भी काम मे मन नहीं लग रहा था राघव ने नेहा को चैलेंज तो कर दिया था लेकिन कही ना कही वो खुद भी जानता था के वो इस चैलेंज को पूरा नहीं कर पाएगा पिछले कुछ दिनों मे उनके रिश्ते मे बहुत से बदलाव आए थे जो सकारात्मक थे और अब कही ना कही राघव को नेहा की आदत सी होने लगी थी और नेहा से दूर रहना उसके लिए मुश्किल होने वाला था वही नेहा राघव की इस सिचूऐशन का खूब मजा ले रही थी लेकिन मन ही मन वो राघव को खूब मिस भी कर रही थी।

देखते देखते दोपहर का समय हो चुका था और राघव और नेहा दोनों ने ही एकदूसरे से किसी तरह का कोई कॉन्टेक्ट नहीं किया था

'ये काम मे बिजी होंगे, लेकिन इतना भी क्या काम के मैं भी याद नहीं इनको! ऐसा लगता है मैं ही पागल हु जो इन्हे मिस किए जा रही हु, ये मेरा चैलेंज ही मेरी जान लेने वाला है'

नेहा राघव को याद करते हुए अपने फोन को देख सोच रही थी तभी एक आवाज आया

"दीदी!!!!!"

ये आवाज सुन नेहा ने आवज ही ओर देखा तो उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गई उसका भाई सचिन घर आ गया था

नेहा- अरे तू आ गया

नेहा ने सचिन को गले लगाया

सचिन- मैंने आपको बहुत मिस किया है, कैसे हो आप? सब सही है ना एकदम? जिजू खयाल रखते है ना आपका?? कोई प्रॉब्लेम नहीं है ना?? कोई कुछ बोलता तो नहीं ना??

सचिन ने एकदम से नेहा पर सवालों की झड़ी लगा दी थी और उसे चुप कराने के लिए नेहा को उसके मुह पर हाथ रखना पड़ा

नेहा- अरे चुप चुप!! बाबारे इतने सवाल!! सब ठीक है मैं ठीक हु और कुछ टेंशन नहीं है

नेहा ने एक लाइन मे सचिन के सारे सवालों का जवाब दे डाला जिसके बाद दोनों भाई बहन की बाते शुरू हो गई पुराने दिन याद आने लगे वही दूसरी तरफ ऑफिस मे.....
.
.
.
.
.

"सर मेरे हिसाब से यही सबसे बढ़िया ऑप्शन रहेगा" नेहा ने राघव ने कहा वही राघव बस उसकी खूबसूरती मे खोया हुआ था उसका ध्यान भी नहीं था नेहा की बातों पर वो बस नेहा को देखे जा रहा था उसकी स्माइल, उसकी आंखे, उसके हवा के साथ लहराते बाल उसे सब कुछ अच्छा लगने लगा था

राघव अपनी जगह से खड़ा हुआ और नेहा के करीब गया और उसका हाथ पकड़ा नेहा की आंखे बड़ी हो गई थी और वो इधर उधर देखने लगी

"सर.... सर क्या... क्या कर रहे है?" उसने नर्वस होते हुए कहा

राघव- सर?? तुम मुझे सर क्यू कह रही हो चिक्की? नाम से बुलाओ ना अच्छा लगता है अपना नाम तुम्हारे मुह से सुन कर

राघव ने नेहा को कमर से थामे अपनी ओर खिचा नेहा की आंखे बाहर आने लगी वो राघव की बाहों मे छटपटाने लगी

राघव- क्या हुआ?? ऐसे छटपटा क्यू रही हो जैसे पहली बार हो

"पहली बार ही है"

राघव- क्या????

"सर!!!!!!!" उसने राघव को हिलाया तब राघव अपने होश मे आया और जैसे ही राघव ने उस बंदे को देखा उसे छोड़ पीछे हट गया

राघव- रवि!!! तुम कब आए ??

वो राघव का असिस्टेंट रवि था जिसे राघव नेहा समझ रहा था उसे हर जगह नेहा ही दिख रही थी

रवि- मैं तो कबसे यही हु सर आप भी प्लीज मैडम के सपने देखना बंद कीजिए वरना लोग हमारे बारे मे गलत समझेंगे

रवि ने कहा जिसने राघव को थोड़ा शर्मिंदा कर दिया

रवि- सर मैं जाऊ??

राघव- हम्म

जिसके बाद रवि जितनी जल्दी हो सके वहा से निकल गया और राघव अपने बाल खिचते हुए अपनी खुर्ची पर जाकर बैठा

'तू क्या पागल हो गया है क्या राघव? ये क्या हो गया था अभी अभी पता नहीं रवि क्या सोच रहा होगा! हट्ट यार!!' राघव अपने आप पर चिढ़ा हुआ था

'ये सब नेहा की गलती है जानबुझ के चैलेंज दिया है उसने और मैंने भी जोश जोश मे हा बोल दिया अब क्या करू?? ये दो दिन दो साल जैसे लग रहे है'

राघव अपने आप से ही बड़बड़ाए जा रहा था

'कॉल कर लू क्या?? नहीं नहीं नहीं!! हारना नहीं है जब चैलेंज लिया है तो पूरा करूंगा ही लेकिन यार उससे बात करने का भी बहुत मन है'

'ये तुमने मुझे क्या कर दिया है चिक्की जो तुम्हारी एक झलक के लिए मरा जा रहा हु मैं! मैं पहले कभी इतना इम्पैशन्स नहीं रहा जितना आज हो गया हु । मैं क्यू तुमसे एक दिन भी दूर नहीं रह पा रहा हु??'


राघव नेहा को बहुत ज्यादा मिस कर रहा था

देखते देखते रात का समय हो गया था

सतीश- चलो बढ़िया है तुम दोनों के बीच अब सब सही चल रहा है

चाचा ने डिनर करते हुए नेहा से कहा

संगीता- हा फिर मेरी बेटी है ही ऐसी जो सब सही कर देती है

नेहा- ऐसा कुछ नहीं है चाची

सचिन- बाकी दी जिजू भी आपको मिस कर रहे होंगे नहीं

सचिन ने कहा और इसी के साथ ही नेहा का दिमाग सुबह वाले चैलेंज पर शिफ्ट हो गया दूसरी तरफ देशपांडे वाडे मे

श्वेता- भईया!!! भईया!!!!

राघव- हूह??

श्वेता ने राघव को हिलाया तब राघव अपने खयालों से बाहर आया वही डिनर टेबल पर सब लोग उसे कन्फ्यूज़ होकर देख रहे थे सब अपना खाना खा रहे थे लेकिन राघव तो किसी और ही दुनिया मे था

श्वेता- आपका खाना... ठंडा हो रहा है...

श्वेता ने राघव की प्लेट की ओर इशारा किया और उसने भी गर्दन हिला कर खाना शुरू किया

शिवशंकर- आज नेहा नहीं है तो सब कितना अलग अलग लग रहा है ना

दादू ने जानबुझ कर धीमी आवाज मे कहा जिसपर राघव भी अनजाने मे अपने खाने से खेलते हुए जवाब दे बैठा

राघव- हा ना

धनंजय- मिस कर रहे हो उसे?

अब धनंजय जी भी राघव के मजे लेने के मूड मे आ गया थे और अपनी हसी दबा रहे थे

राघव- बहुत।

जानकी- तो बात कर लो उससे

राघव- वही तो नहीं कर सकता न..

रमाकांत- क्यू??

राघव- वो....

लेकिन राघव बोलते बोलते रुक गया क्युकी उसके दिमाग ने उसे इशारा कर दिया था के वो क्या बोलने जा रहा था उसे नजर उठा कर ऊपर देखा तो सब उसे ही देख रहे थे और राघव के ऊपर देखते ही सब हसने लगे और राघव अपने बड़ों को बोलता भी क्या यहां अगर शेखर होता तो उसे वो चुप करा देता लेकिन चाचा को क्या ही बोलता बस चुपचाप बैठा रहा

मीनाक्षी- राघव हम भी मिस कर रहे है नेहा को लेकिन उसके लिए ऐसे देवदास बनने की क्या जरूरत है कल आ जाएगी वो वैसे भी

चाची ने मुसकुराते हुए कहा

शेखर- अब भाई भी क्या करे मा रहा नहीं जाता न

शेखर ने चिढ़ाया और राघव ने बदले मे उसे घूर के देखा, आज डिनर टेबल का टॉपिक राघव ही था और सब उसे चिढ़ाने मे लगे थे लेकिन अपना देवदास कुछ नहीं कर पा रहा था

कुछ समय बाद राघव अपने रूम मे इधर उधर घूम रहा था और नेहा से बात करने के तरीके सोच रहा था

'सोच सोच राघव कुछ सोच इतना बड़ा बिजनेसमैन कोई आइडिया नहीं सोच पा रहा बीवी से बात करने का.... हा ये सही रहेगा फाइल के बारे मे पूछने के लिए फोन लगता हु जेनुइन भी लगूँगा, यस!!! लेकिन नहीं मैं थोड़ी बात कर सकता हु अब क्या करू'

राघव सोच ही रहा था के तभी उसे रिद्धि वहा से जाते हुए दिखी तो उसने रिद्धि को आवाज दी

राघव- रिद्धि सुनो

राघव की आवाज सुन रिद्धि रूम मे आई

रिद्धि- हा भाई

राघव- ये मेरा फोन लो और तुम्हारी भाभी को कॉल लगाओ

राघव ने अपने फोन रिद्धि के हाथ मे पकड़ाया

रिद्धि- ये काम तो आप भी कर सकते हो

रिद्धि थोड़ी कन्फ्यूज़ थी के राघव उसे कॉल करने क्यू कह रहा था

राघव- नहीं कर सकता

रिद्धि- क्यू??

राघव- बस कर दो ना यार और सुनो उससे पूछना मेरी रेड फाइल कहा रखी है

रिद्धि राघव को शक भरी नजरों से देख रही थी लेकिन फिर भी उसने नेहा को कॉल लगा दिया इधर नेहा ने जब अपने फोन का रिंग सुना तब वो अपनी चाची की किचन मे मदद कर रही थी और जैसे ही उसने कॉलर आइडी पर राघव का नाम देखा उसके चेहरे पर स्माइल आ गई लेकिन साथ ही चैलेंज भी दिमाग मे आ गया नेहा ने अपने फोन उठाया और सचिन के रूम मे गई

नेहा- सचिन ये लो अपने जिजू से बात करो

सचिन- हैं! क्यू? आप ही कर लो ना बात

सचिन भी कन्फ्यूज़ था

नेहा- नहीं कर सकती तुम बस कहा वो करो

और सचिन ने नेहा के हाथ से फोन लेकर कान से लगाया और दूसरी तरफ रिद्धि थी

रिद्धि- हैलो!

सचिन- दी जिजू को कोई प्रॉब्लेम है क्या? उनका आवाज लड़की जैसा आ रहा है

सचिन ने धीमी आवाज मे नेहा से कहा और नेहा चौकी

नेहा- क्या? 'लड़की का आवाज! ये किसी लड़की के साथ तो नहीं है ना इसीलिए इन्होंने चैलेंज के लिए हा कहा था'

नेहा- लाओ मुझे दो फोन

नेहा ने एक झटके के साथ सचिन के हाथ से फोन छीना

नेहा- व्हाट द हेल कौन हो तुम और मेरे हज़बन्ड का फोन तुम्हारे पास क्या कर रहा है?? और इन मिस्टर देशपांडे को तो मैं छोड़ूँगी नहीं

नेहा एकदम फोन पर चिल्लाने लगी वही दूसरी तरफ रिद्धि उसकी आवाज सुन सकते मे थी

रिद्धि- भाभी! भाभी रीलैक्स मैं हु रिद्धि आप क्या बोल रहे हो भाई किसी के साथ नहीं है वो तो घर पर है

नेहा- हैं?

अब नेहा सचिन को घूर के देखने लगी

नेहा- सॉरी रिद्धि वो मुझे लगा कोई और है वो मेरे भाई ने फोन उठाया था और वो तुम्हें नहीं जानता ना लेकिन इनका फोन तुम्हारे पास?

रिद्धि- वो पता नहीं क्यू लेकिन भाई आपसे बात नहीं कर रहा है और उनको उनकी कोई रेड फाइल चाहिए

नेहा- रेड फाइल?

नेहा के पहले तो कुछ समझ नहीं आया फिर उसे फोन के दूसरे साइड से खुसफुसाहट सुनाई दी राघव रिद्धि से फोन स्पीकर पर रखने कह रहा था और नेहा के चहरे पर मुस्कान आ गई

नेहा- मुझे कोई रेड फाइल नहीं पता बाय!

और नेहा ने अचानक फोन काट दिया और इधर फोन कटते ही राघव रिद्धि से बोला

राघव- फोन क्यू काटा

रिद्धि- मैंने नहीं भाभी ने कट किया है और आपको हुआ क्या है ऐसे देवदास क्यू बने हो आ जाएगी भाभी कल और बात करना है तो कर लो ना यार, क्या आप दोनों का झगड़ा हुआ है क्या??

रिद्धि के सवाल पर राघव ने ना मे गर्दन हिला दी

रिद्धि- फिर क्या बात है

और अब राघव से रहा ना गया वो अपने बेड पर बैठा और उसने अपनी दुखभरी कहानी अपनी बहन को सुनाई पहले को रिद्धि को हसी आई लेकिन फिर अपने भाई की हालत उससे देखि भी नहीं जा रही थी

रिद्धि- आप लोग बच्चे हो क्या यार!! अच्छा अब मुह मत सड़ाओ एक आइडिया है मेरे पास

आइडिया का सुनते ही राघव ने रिद्धि को देखा

राघव- क्या है जल्दी बताओ

फिर रिद्धि ने राघव के कान मे आइडिया कहा

राघव- पागल है क्या, ऐसा करने पे सब मेरे बारे मे क्या सोचेंगे रिद्धि?

रिद्धि- ठीक है दूसरा आइडिया सुनो फिर

फिर रिद्धि वापिस उसके कान मे फुसफुसाई

राघव- ये तो उससे भी बुरा है ये नहीं होगा मुझसे

रिद्धि- क्या भाई हर आशिक अपने प्यार के लिए ये करता है फिर आप क्यू नहीं

राघव- कौन करता है ऐसा?

रिद्धि- मेरी किताबों का हीरो तो करता है

राघव- तुम नेहा के साथ कम रहा करो थोड़ा उसकी आदते आ रही है तुममे

रिद्धि- ऐसा कुछ नहीं है मैंने आइडिया बता दिया है लेना है लो वरना जाने दो

जिसके बाद रिद्धि वहा से चली गई और राघव अपना लैपटॉप लेकर बैठ गया ताकि काम के चक्कर मे नेहा के खयालों को दिमाग से निकाल सके लेकिन वो उसे बहुत ज्यादा मिस कर रहा था उसे अपना रूम खाली खाली सा लग रहा था, उसे एक तरह से नेहा की आदत हो चुकी थी उसे अपनी नजरों के सामने देखने की और यही आदत अब उसके लिए मुसीबत बनी हुई थी

दूसरी तरफ नेहा अपने परिवार के साथ समय बिताकर अपने रूम मे आ गई थी लेकिन उसके दिमाग मे भी बस राघव ही छाया हुआ था उसने बेड पर लेटे लेटे सोने की कोशिश की लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी

नेहा ने अपना फोन उठा कर राघव का नंबर भी डाइल किया लेकिन कॉल नहीं लगाया, नेहा भी राघव को बहुत ज्यादा मिस कर रही थी राघव को जैसे नेहा की आदत हो चुकी थी वैसा ही हाल नेहा का भी था, नेहा अपने बेड पर लेटी सोने की कोशिश करने लगी उसने अभी करवट ली ही थी के उसके कुछ आवाज आया नेहा अचानक से उठी, उसने इधर उधर देखा लेकिन कुछ नहीं था वो वापिस लेटने ही वाली थी के वापिस से आवाज आई जिसने उसे इस बार थोड़ा डरा दिया

ऊपर के फ्लोर पे बस नेहा का अकेली का रूम था बाकी सबके कमरे नीचे थे माने अभी वहा उस फ्लोर पर नेहा के अलावा और कोई नहीं था

नेहा- क.... कौन है??

नेहा ने डरते डरते पूछा और रूम मे रखी सचिन की क्रिकेट बैट उठा ली

नेहा- कौन है? देखो जो भी है सामने आ जाओ वरना इस बैट से बहुत मारूँगी

तभी वहा उसे एक बिल्ली के होने का एहसास हुआ कमरे के लाइट डीम थे और बाहर से चलती हवा माहोल को थोड़ा डरावना बना रही थी हवा के चलते एक फ्लावर पॉट नीचे गिरा था नेहा ने उसे उठा कर उसकी जगह पर रखा

और जैसे ही वो पलटी उसकी नजरे किसी पर पड़ी उसकी आंखे बड़ी हो गई मुह खुल गया और वो जोर से चीखी.......

क्रमश:
 

[color=rgb(184,]Update 54[/color]

अपने सामने किसी को खडा देख नेहा एकदम से चौकी और वो चीखी लेकिन तभी उस बंदे से अपने हाथ से नेहा का मुह दबा दिया ताकि उसकी चीख कोई सुन ना पाए और तभी नेहा ने अपने हाथ मे पकड़े बॅट से उस बंदे के सर पे दे मारा जिससे वो बंदा थोड़ा हिला उसके मुह से हल्की सी आह निकली लेकिन फिर वापिस उसने अपने हाथ से नेहा का मुह बंद कर दिया और उसके हाथ से बॅट छीन लिया नेहा छूटने के लिए छटपटाने लगी और इसी कशमकश मे वो लोग बेड पर जा गिरे पहले नेहा और उसके ऊपर वो बंदा

"ओये चिक्की चीखो मत मैं हु"

अब आधे लोगों ने अंदाजा पहले की लगा लिया होगा ये वो राघव ही था

नेहा- मम्मम्मम्

नेहा ने बोलने की कोशिश की

राघव- ओ हा सॉरी

राघव ने नेहा के मुह से अपना हाथ हटाया

नेहा- आप क्या...

राघव- धीरे! धीरे मेरी मा सबको जगाओगी क्या

राघव ने फुसफुसाकर कहा

नेहा- आप क्या पागल हो गए है क्या? ये क्या कोई तरीका है आने का? वो भी इस टाइम पर??

राघव- हा तो क्या तुम ऐसे मारोगी मुझे

राघव अपना सर सहलाने लगा जहा नेहा ने उसे बॅट से मारा था और नेहा को भी फिर ये ध्यान मे आया

नेहा- शीट!!! सॉरी सॉरी मुझे नहीं पता था ना आप है इसीलिए

बोलते बोलते नेहा की आँखों ने आँसू आ गए और यही राघव बाबू पिघल गए उसे खास लगी भी नहीं थी लेकिन अपन ने राघव को मारा है इस बात से नेहा को तकलीफ हो गई थी वही राघव से नेहा के आँसू नहीं देखे जा रहे थे

राघव- हे चिक्की क्या हुआ? कोई कुछ बोला क्या? ऐसे रो क्यू रही हो? मुझे बताओ अभी सीधा करता हु उसे

राघव ने एकदम अपनी जगह से उठते हुए कहा वही नेहा ने उसे खिच के वापिस बीठा लिया और राघव के गले लग गई

ऐसे अचानक नेहा के गले लगने से राघव पहले तो थोड़ा चौका लेकिन फिर जैसे ही उसने नेहा की रोने की सिसकी सुनी उसे अपने से चिपका लिया

राघव- क्या हुआ नेहा ऐसे रो क्यू रही हो मुझे टेंशन हो रही है यार बताओ ना?

नेहा- मैंने बहुत मिस किया आपको

राघव- बस इतनी सी बात! उसमे रोने जैसा क्या है यही हु मैं

राघव ने अपने हाथ से नेहा के आँसू पोंछे

नेहा- आप यहा क्यू आए वो भी इतना लेट ?

राघव- क्यू सप्राइज़ पसंद नहीं आया क्या? और मिस करने का ठेका क्या तुम्हारा है मैं भी मेरी चिक्की को मिस कर रहा था तो आ गया

नेहा- आइ हेट यू

राघव- क्यू?

नेहा- आप कितने दुष्ट है ना एक बार भी कॉल नहीं किया मुझे

राघव- हा तो चैलेंज भी तो तुमने दिया था वैसे मैडम कॉल आप भी कर सकती थी

नेहा- मैं कॉल करती तो चैलेंज फेल हो जाता ना

नेहा ने राघव को देख कहा और दोनों हसने लगे

राघव- फिर कौन हारा चैलेंज?

नेहा- आप और कौन!

राघव- कैसे? मैडम आपने मुझे पकड़ रखा नहीं मैंने आपको नहीं

नेहा- हा तो पहले आप आए हो यहा मैंने थोड़ी बुलाया था

फिर कुछ देर दोनों ऐसे ही बात करते रहे एकदूसरे को बताते रहे के उन्होंने एकदूसरे को कितना मिस किया और कुछ समय बाद

राघव- चलो सोते है अब बहुत रात हो गई है तुम्हारी आँखों मे भी नींद है

नेहा- लेकिन आप??

राघव- लेकिन क्या? मैं यही रुक रहा हु

नेहा- कोई देख लेगा आपको जाइए आप

राघव- कैसी बीवी हो यार एक तो मैं इतना रिस्क लेकर पाइप से चढ़ कर बालकनी से आया हु और तुम हो के मुझे भगाने मे लगी हो..... पत्थर दिल बीवी

राघव ने उदास चेहरा बनाए कहा

नेहा- अच्छा अच्छा बाबा रुक जाइए लेकिन सुबह सबके उठने से पहले चले जाइएगा

नेहा को राघव को देख कहा जो अभी किसी कॉलेज स्टूडेंट की तरह ड्रामे कर कहा था

नेहा- हम किसी कॉलेज जाने वाले कपल की तरह बिहेव कर रहे है ऐसा नहीं लगता आपको

दोनों बेड पर लेट गए नेहा ने अपना सिर राघव के सीने पर रखा और उसका एक हाथ अपने कंधे पर, खिड़की से वो लोग आसमान मे निकले चाँद को देख सकते थे

नेहा- अब आप मेरे साथ गणेशोत्सव मे पूरे 10 दिन आरती में शामिल होंगे

नेहा ने राघव को करीब करीब ऑर्डर देते हुए कहा

राघव- सब कितना बदल गया है ना?

राघव ने चाँद को देखते हुए कहा

नेहा- क्या??

राघव- हमारा रिश्ता! कितना बदल गया है ना? हम... मतलब मैं उस टाइम कितना गधा था जो इस शादी से भाग रहा था तुमसे दूर भाग रहा था और अब देखो तुम्हें देखने तुमसे मिलने यहा भागा भागा आया हु

नेहा- हम्म बदलाव तो आया है

नेहा ने स्माइल के साथ कहा

राघव- आइ प्रॉमिस मैं कभी तुमसे झगड़ा नहीं करूंगा भले कोई रीज़न हो हा छोटी मोटी नोक झोंक के बारे मे कुछ नहीं कह सकते लेकिन अब तुम्हें कभी वो राघव नजर नहीं आएगा जिससे तुम 6 महीने पहले मिली थी, तुम जैसे हो वैसी ही मुझे बहुत पसंद हो नेहा कभी भी अपने आप को मत बदलना... और अपना सेल्फ रिस्पेक्ट कभी मत छोड़ना तुम जैसी हो परफेक्ट हो

राघव की बात सुन नेहा ने उसकी तरफ देखा

नेहा- क्या हुआ आप अचानक ऐसे क्यू बात कर रहे है? मैं जानती हु आप कभी मेरा साथ नहीं छोड़ेंगे

राघव- पता नहीं बस लगा के कहना चाहिए तो कह दिया.. हा एक और बात कोई तुम्हें कुछ कहे किसी से कंपेयर करे किसी की बातों को दिल से लगाने की जरूरत नहीं है बस इतना ध्यान मे रखो के मुझे तुम जैसी हो वैसी ही बहुत बहुत बहुत अच्छी लगती हो

राघव ने नेहा को अपनी बाहों मे कस लिया

नेहा- पता है आप उतने बुरे भी नहीं है जितना लोग सोचते है

राघव- मतलब मैं क्या बुरा हु

नेहा- नहीं बात मेरा वो मतलब नहीं था

राघव- जो भी मतलब था मेरा ये साइड सिर्फ तुम्हारे लिए है चिक्की किसी और के लिए नहीं बाकी लोगों के लिए मुझे खडूस ही रहने दो और सो जाओ अब

'मैं नहीं जानता के मैं तुम्हें डिजर्व भी करता हु या नहीं चिक्की लेकिन मैं इतना तो जानता हु के अब चाहे कुछ हो जाए हमे अलग नहीं कर सकता मैं तुम्हें कभी अपने से दूर नहीं जाने दूंगा' राघव ने सोचा जिसके बाद वो दोनों नींद के आगोश मे समा गए

अगले दिन सुबह नेहा की आँख खुली तो राघव वहा से जा चुका था और नेहा के फोन पे उसने एक मैसेज छोड़ा हुआ था

"गुड मॉर्निंग मिसेस चिक्की! जैसा मैंने कहा था मैं सुबह जल्दी निकल गया हु और अब कोई चैलेंज नहीं है तो अब हर 3 घंटे मे मेरा कॉल बजेगा"

राघव का मैसेज देख नेहा के चेहरे पर स्माइल आ गई लेकिन उसके कोई रिप्लाइ नहीं दिया और मैसेज को सीन पर छोड़ दिया राघव ताकि राघव को छेड़ सके और बाथरूम मे चली गई

जब वो बाथरूम मे बाहर आई तो उसका फोन घनघना रहा था और कॉलर आइडी पर राघव का नाम फ्लैश हो रहा था

नेहा- हैलो!

नेहा ने धीमे से कहा और अपनी स्माइल दबाने के लिए अपने होंठ दांतों से दबा लिए

राघव- मैंने कितनी बार कहा है अपने होंठ मत चबाया करो

राघव की बात सुन नेहा की आंखे बड़ी हो गई उसने इधर उधर देखा लेकिन राघव वहा नहीं दिखा

राघव- इधर उधर मत देखो चिक्की मैं वहा नहीं हु

नेहा- फिर आपको कैसे पता की मैंने...

राघव- जस्ट अ सेक्सी गेस
1f609.png


नेहा फोन पर ही राघव के चेहरे पर आई स्माइल फ़ील कर सकती थी

नेहा- आपने क्यू कॉल किया

राघव- अरे न कोई मॉर्निंग विश न किस!

नेहा- नहीं!

राघव- क्यू?

नेहा- मुझे विश नहीं करना है

राघव- तो किस के बारे मे क्या खयाल है
1f609.png


राघव की बात सुन नेहा की आंखे बड़ी हो गई और उसके चेहरे पर लाली उभर आई

नेहा- शट उप

राघव- अरे तुम यहा नहीं हो ऐसे मे मैं शर्ट कैसे ऊपर कर सकता हु

राघव ने मासूमियत से कहा और नेहा ने अपने माथे पे हाथ मार लिया

नेहा- आपको पता है ये फ्लर्ट की डिक्शनेरी मे सबसे पुराना लाइन है

राघव- मुझे कैसे पता होगा मेरी बीवी खुद तो रोमांटिक नोवेल्स पढ़ती है लेकिन मुझे कुछ नहीं सिखाती

नेहा- आपको ऑफिस नहीं जाना क्या जाइए तयार होइए मुझे नीचे जाना है बाय!

जिसके बाद बगैर राघव के रिप्लाइ के नेहा ने फोन काट दिया और नीचे चली गई, उसे रह रह कर राघव की बातों पर हसी आ रही थी

पूरा दिन किसी पानी के झरने जैसा बह गया राघव अपने वादे मुताबिक उसे हर 3-4 घंटे मे कॉल या विडिओ कॉल कर रहा था और जब कॉल पर राघव ने नेहा के चाचा चाची को उसे कुछ दिन और रोकने के बारे मे सुना तो उसे तो हार्ट अटैक ही आने वाला था वो तो उसी समय नेहा को लेने जाने वाला था लेकिन नेहा ने उसे सुबह आने का बोला

अगले दिन राघव नेहा को लेने उसके घर पहुचा तो वो बहुत खुश था जिसके बाद वो दोनों शॉपिंग करने के लिए गए

ये पहली बार था जब नेहा और राघव ऐसे शॉपिंग करने गए थे क्युकी गणेशोत्सव में बस दो ही दिन बचे थे और जब वो सब निपटा कर घर पहुचे तो देशपांडे वाड़े मे नेहा का जोरदार स्वागत हुआ सब उसे बताने लगे के सबने उसे कितना मिस किया और जब नेहा को घरवालों ने राघव की हालत बताई तो नेहा की हसी नहीं रुक रही थी वही गणेशोंत्सव की तयारिया शुरू हो चुकी थी अब पता नहीं ये गणेशोत्सव इनके जीवन मे क्या नया तूफान लाने वाला था.......

क्रमश:
 

[color=rgb(184,]Update 55[/color]

अगले दो दिन पूरे देशपांडे वाडे मे चहल पहल थी बाप्पा के आगमन की तयारिया पूरे जोर शोर से चल रही थी सारे शहर मे देशपांडे वाडे का गणेशोत्सव मशहूर था ये शहर का सबसे बड़ा घरगुती गणपती था और अब आने वाले 10 दिन वाडे मे बाप्पा के दर्शन को आने वाले और देशपांडे परिवार के खास लोग और बिजनस पार्टनर्स को खास इन्वाइट किया जाने वाले था बेसिकली अगले 10 दिन घर के सब लोग बस आने वाले मेहमानों के स्वागत मे और बाप्पा की पूजा मे बिजी रहने वाले थे, इन 10 दिनों मे वाडे मे अलग अलग प्रोग्राम्स भी आयोजित किए जाते थे जैसे शास्त्रीय संगीत और भजन के कार्यक्रम, पिछले कुछ सालों मे राघव ने अपने आप को इन सब से दूर कर लिया था वो बस आरती के समय आता फिर वापिस गायब हो जाता था लेकिन इस बार वैसा नहीं था नेहा की वजह से राघव पूरे मन से इस बार का उत्सव मनाने वाला था वो भी अपने सारे कामों को भूल के और आज वो दिन था जब बाप्पा का वाडे मे आगमन होना था सुबह से घर मे सब लोग काम खत्म करवाने मे लगे थे गणेश स्थापना का मुहूर्त दोपहर का था और दोपहर मे पूजा के बाद शाम को भव्य आरती होने वाली थी जिसमे देशपांडेस के बिजनस पार्टनर्स और स्टेट के कुछ बड़े पोलिटिकल लीडर्स और भी की जानी आणि हस्तिया आने वाली थी l।

राघव भी आज सबके साथ सारे काम खुद देख रहा था सारी अरेंजमेंट्स जांच रहा था।

जानकी- राघव ये फूल प्रसाद की टोकरिया सब लेजाके मंडप मे रखो पूजा के सामान के साथ और ऐसे रखना के किसी बच्चे का उस तक हाथ न पहुचे वो लोग एक फूल नहीं छोड़ेंगे

जानकी जि ने राघव को बुला कर कहा और उसने भी अपनी मा की बात का पालन किया जिसके बाद उसकी नजर नेहा पर पड़ी जो रिद्धि और श्वेता के साथ किसी गहन चर्चा मे डूबी हुई थी तो राघव उनके पास पहुचा।

नेहा- मैं न बहुत कन्फ्यूज़ हु सारी पहनु या लहंगा या नऊवारी तुम लोग कुछ सजेस्ट करो ना...

रिद्धि- कुछ भी पहन लो भाभी आप पर सब सूट करता है

श्वेता- हा और एक ईजी ऑप्शन दु जो भईया पहने उससे कुछ मैचिंग पहन लो

तभी वहा राघव पहुंचा

राघव- और लेडिज क्या चल रहा है

रिद्धि- डिस्कशन! भाभी का अभी तक क्या पहनना है डिसाइड नहीं हुआ है!

राघव- ये क्या कोई डिस्कशन का टॉपिक है क्या
1f644.png
1f602.png


राघव की बात पर नेहा ने उसे घूर कर देखा तभी राघव की नजर नेहा ने हाथ मे पकड़ी नऊवारी पर पड़ी

राघव- तुम ये पहनने वाली हो?? मुझे नहीं पता था तुम्हें नऊवारी पहननी आती है

(अबे शादी मे भी तो वही पहनी थी उसने
1f926-1f3fb-2642.png
)

नेहा- हा और आपको इसका कुछ नहीं पता है तो आप चुप रहिए

तभी श्वेता और रिद्धि वहा से चली गई और राघव और नेहा ही वहा बचे

राघव- जो भी हो बट मुझे नहीं लगता नऊवारी अच्छी लगेगी तुमपे

राघव ने नेहा को सर से पाओ तक देखते हुए कहा वही नेहा हाथ बांधे उसे देख रही थी

नेहा- कहना क्या है आपको

राघव- कुछ नहीं मैं तो बस सच कह रहा हु

नेहा- पक्का?

राघव- हा और नहीं तो अच्छा चलो एक वादा करता हु अगर तुम्हें देख कर मैं अपनी जगह पर जमा रह गया तो पूरे 10 दिन बस तुम्हारे पीछे पीछे घूमूँगा

राघव ने नेहा के कान मे कहा

नेहा- तो फिर तयार हो जाइए मेरे पीछे घूमने के लिए मिस्टर देशपांडे

इतना बोल कर नेहा वहा से चली गई और राघव भी दूसरे कामों मे लग गया

कुछ समय बाद घर के सब मर्द जाकर ढोल ताशे के साथ बप्पा को ले आए और उन्हे मंडप मे स्थापित किया गया जिसके बाद विधिवत स्थापना की गई और अब शुरू हुई शाम की भव्य आरती की तयारिया....

शाम का वक्त हो चला था और मेहमान आने लगे थे आरती का वक्त हो रहा था और घरवाले भी सब गेस्ट्स को अटेन्ड कर रहे थे राघव और धनंजय अपने बिजनस क्लाइंट्स को संभाल रहे थे वही शेखर रमाकांतजी के साथ उनका पोलिटिकल सर्कल हैंडल कर रहा था शिवशंकर देशपांडे भी सबसे मिल रहे थे

रमाकांत- सब रेडी है?

धनंजय- हा भाईसहब सब डन है!

गायत्री- चलो सब आरती का समय हो गया है

शिवशंकर- नेहा कहा है

दादू ने जब अपनी बहु को नहीं देखा तो पूछा फिर राघव भी इधर उधर देखने लगा लेकिन नेहा उसे नहीं दिखी अभी विवेक ने इशारा किया

विवेक- वो रही भाभी

और जैसे ही राघव ने उस ओर देखा वो नेहा की खूबसूरती मे खो गया, उसने एक नीले रंग की नऊवारी साड़ी पहनी हुई थी गले मे चपला हार, माथे पर चंद्र कोर बिंदी और नाक मे नथ, उसने अपने बालों का जुड़ा बनाया हुआ था जिसमे गजरा लगा हुआ था और इस पारंपरिक महराष्ट्रीयन लुक मे वो कमाल की खूबसूरत दिख रही थी।

राघव की आंखे बस नेहा पर जमी हुई थी एक पल के लिए भी उसने अपनी नजरे नेहा ने नहीं हटाई थी वही सेम टाइम मे कई और लोगों की नजरे नेहा पर जमी हुई थी और ये राघव को रास नहीं आ रहा था जो झट से जाकर नेहा के बाजू मे खड़ा हो गया मानो कह रहा हो के वो सिर्फ उसकी है

शिवशंकर- चलो भाई सब आ गए तो आरती शुरू करते है

जिसके बाद शुरू हुई बप्पा की भव्य आरती

नेहा के साथ बप्पा की आरती करते समय राघव के चेहरे की मुस्कान एक पल के लिए भी गायब नहीं हुई थी, वो तो इस वक्त दुनिया का सबसे खुश आदमी था और वो मन ही मन बप्पा को धन्यवाद दे रहा था नेहा को उसकी जिंदगी मे लाने के लिए

आरती के बाद नए आए गेस्ट्स के स्वागत मे सब लग गए

"congratulations मिस्टर देशपांडे फॉर योर मेरिज, सॉरी मैं तब आ नहीं पाया था" एक 40 की उम्र के आसपास के आदमी ने राघव से हाथ मिलते हुए कहा

"कोई बात नहीं मिस्टर शाह मीट माइ वाइफ मिसेज नेहा राघव देशपांडे"

राघव ने मिस्टर शाह को नेहा से मिलाया

"नाइस तो मीट यू मिसेज देशपांडे, आई मस्ट से मिस्टर देशपांडे योर वाइफ इस ब्यूटीफुल आप दोनों की जोड़ी काफी अच्छी लगती है"

राघव- थैंक यू, प्लीज इन्जॉय

जिसके बाद राघव और नेहा कई और लोगों से मिले राघव सबसे नेहा को इन्ट्रोडूस करा रहा था और जब दोनों के आसपास कोई नहीं होता तो दोनों अपनी प्यार भारी नोक झोंक मे बिजी थे तभी विवेक वहा नेहा को बुलाने आया

विवेक- भाभी आपको दादी बुला रही है और भाभी मैंने पहले बोला नहीं लेकिन आप बहुत अच्छी दिख रही हो आज

विवेक ने कहा

नेहा- थैंक यू विवेक कम से कम कोई तो है जो कॉम्प्लीमेंट करना जानता है

नेहा ने राघव को देखते हुए विवेक से कहा और वहा ने चली गई और विवेक भी जाने ही वाला था के राघव ने उसे पकड़ा और उसके गले मे अपना हाथ डाल के उससे बोला

राघव- तुझे हमेशा कबाब मे हड्डी क्यू बनना होता है बे

विवेक- मैंने क्या किया अब और वैसे भी गलती आपकी है आप भाभी की तारीफ नहीं करते और मैं तो प्रैक्टिस कर रहा हु आगे अपने को कोई दिक्कत नहीं चाहिए
1f60e.png


जिसके बाद विवेक भी वहा से चला गया और राघव अपने क्लाइंट्स से मिलने लगा

कुछ समय बाद राघव और नेहा फिर से साथ साथ थे और इस बार राघव उसे लेकर एक साइड मे आया था जहा कोई उन्हे डिस्टर्ब करने वाला नहीं था और उसी वक्त वहा देशपांडे वाडे के गेट पर एक गाड़ी आकार रुकी और उसमे से एक शक्स उतरा जो फोन पर किसी से बार कर रहा था

"हा पहुच गया हु मैं..... हा हा उससे मिलने की जल्दी तो मुझे भी है...... उसे उम्मीद नहीं होगी के मैं आज यह आने वाला हु.... देखते है वो कैसे रीऐक्ट करेगा..... " जिसके बाद उस इंसान ने फोन काट दिया और वो अंदर आया

उसे आता देख रमाकांत जी उसे लेने के लिए गए वही राघव जो नेहा के साथ था उसकी नजर जैसे ही उस इंसान पर पड़ी वो अपनी जगह जम गया, उसका दिमाग एकदम ब्लैंक हो गया.......

कौन था वो और उसे देख राघव ऐसे चौक क्यू गया किससे मिलना था उस इंसान को बहुत से सवाल है जिनका जवाब आने वाले भागों मे मिलेगा तब तक साथ बने रहिए कहानी कैसी लग रही है कमेंट्स करिए

क्रमश:
 

[color=rgb(184,]Update 56[/color]

राघव नेहा को सबसे दूर लेके आया था ताकि अकेले मे उसके साथ कुछ प्यार भारी बाते कर ले लेकिन तभी देशपांडे वाडे के गेट से एक शक्स की एंट्री हुई जिसे देख राघव अपनी जगह पर जम गया उससे भी ज्यादा हैरत उसे तब हुई जब उसने देखा के उसके पापा रमाकांत उस इंसान का स्वागत कर रहे थे और उनके साथ शेखर था

उस शक्स को देख राघव का दिमाग एकदम ब्लैंक हो गया उसके दिमाग मे पुरानी यादें चलने लगी वो नेहा से एकदम दूर हो गया वही अचानक राघव में आए इस बदलाव का कारण नेहा को समझ नहीं आ रहा था राघव नेहा से बगैर एक शब्द कहे वहा से चला गया वही नेहा को इस तरह उसके ऐसे बर्ताव का कारण समझ नहीं आ रहा था वो राघव को आवाज देते हुए उसके पीछे भागी तब तक जब तक वो घर के दूसरे कोने मे नहीं पहुचे राघव की आंखे एकदम लाल हो गई थी और उसे ऐसे देख नेहा को और चिंता होने लगी

नेहा- राघव क्या हुआ है आपको?

नेहा ने अपने हाथों से राघव का चेहरा थामते हुए उससे पूछा और राघव ने एकदम से उसे गले लगा लिया वो भी एकदम कस कर

नेहा- अचानक क्या हुआ आपको बताइए मुझे?

नेहा ने राघव की पीठ सहलाते हुए उससे पूछा

राघव- वो... वो है यहा जिससे मैं जिंदगी मे कभी नहीं मिलना चाहता था वो यही है मैंने देखो उसे

राघव बहुत ज्यादा नर्वस था उसकी साँसे भी तेज चल रही थी वही राघव की बात सुन नेहा समझ चुकी थी के वो किस बारे मे बात कर रहा है

नेहा- मैं जानती हु राघव, सब जानती हु

नेहा ने कहा जिसे सुन राघव ने उसे अपने से अलग किया और कन्फ़्युशन मे उसे देखने लगा

राघव- तुम.. तुम जानती हो?

नेहा- हा! शेखर ने बताया उस दिन जब मैं ऑफिस से रोते हुए घर आई थी

अब राघव के दिमाग मे सब क्लियर था कैसे उस दिन के बाद नेहा में एकदम बदलाव आया था वो डरी हुई नेहा और बोल्ड नेहा, उनके रिश्ते मे भी उसी दिन से बदलाव आया था वो नेहा को देखने लगा

राघव- तुम सब जानती थी लेकिन फिर भी मुझे कुछ नहीं बताया?

नेहा- मुझे लगा आप वापिस उन बातों मे उलझ जाएंगे इसीलिए काभी ये बात छेड़ी ही नहीं लेकिन उससे आपको हर्ट नहीं करना था मुझे

नेहा की बात सुन राघव कुछ नहीं बोला वो अपने ही खयालों मे गुम था नेहा ने उसे पुकारा तब जाकर वो अपने खयालों से बाहर आया उसने अपने चेहरे से नेहा का हाथ हटाया और पीछे हटने लगा

नेहा- क्या हुआ कहा जा रहे है आप

राघव- मुझे.... मुझे थोड़ा वक्त चाहिए नेहा मेरा दिमाग अभी जगह पर नहीं है और प्लीज मुझे रोकना मत

इतना बोल राघव वहा से चला गया और नेहा बस उसे जाते हुए देखती रही

'है बप्पा इनकी रक्षा करना, सब ठीक कर देना' नेहा ने मन ही मन प्रार्थना की

-----

राघव ने अपनी गाड़ी निकाली और घर से दूर निकल गया उसके दिमाग मे इस वक्त बहुत कुछ चल रहा था और जब वो एक सुनसान जगह पर पहुचा उसने गाड़ी रोकी और बाहर आया, उसे कुछ घुटन सी महसूस हो रही थी उसने अपने कुर्ते के ऊपर के 3 बटन खोले उसके दिमाग मे लोगों की आवाजे गूंज रही थी

"राघव यू आर अ लूसर"

"सब तुम्हारी वजह से हुआ है"

"ये तो साला है ही मनहूस"

"इसके साथ कभी कोई खुश नहीं रह पाएगा"

"अरे तभी तो इसका कोई दोस्त नहीं है"

"किलर..."

राघव- नहीं!! नहीं!!! नहीं!!

राघव अपने दोनों कानों पर हाथ रख जोर से चीखा वो पसीने से पूरा तरबतर था और उसकी साँसे भी तेज चल रही थी और वो अपनी गर्दन बार बार ना मे हिला रहा था

राघव- ये तुमने सही नहीं किया नेहा!! तुम्हें मुझे ये बात बता देनी चाहिए थी के तुम मुझ पर तरस खा रही हो इसीलिए मेरे साथ हो मेरे पास्ट की वजह से

राघव अपने घुटनों पर बैठ गया, उसकी आंखे नम हो गई थी और जैसे ही उसने अपनी आंखे बंद की वो उन्ही यादों मे खो गया

इधर घर मे नेहा इधर से उधर चक्कर काट रही थी रात के 1 बज रहे थे और राघव अभी तक लौटा नहीं था और नेहा को अब उसकी चिंता होने लगी थी वो कई बार राघव को कॉल लगा चुकी थी लेकिन राघव ने किसी कॉल का जवाब नहीं दिया था नेहा ने घरवालों के सामने तो जैसे तैसे राघव के काम का बहाना बना दिया था लेकिन चिंता के मारे उसका दिल इसवक्त जोरों से धडक रहा था उसने दोबारा राघव को कॉल लगाया लेकिन इस बार उसे फोन की रिंगटोन भी सुनाई दी देखा तो राघव आ चुका था

नेहा- कहा थे आप? और मेरा फोन क्यू नहीं उठा रहे थे? आप ठीक है ना??

बदले मे राघव ने बस हा मे गर्दन हिला दी और अपने रूम मे चला गया और उसके पीछे पीछे नेहा भी, राघव का उतरा हुआ चेहरा नेहा से देखा नहीं जा रहा था उसके दिमाग मे भी इसवक्त बहुत सी बाते चल रही थी और उसकी तंद्री तब टूटी जब राघव उसके बाजू मे आकार बैठा नेहा ने बेड पर उसके लिए जगह बनाई और राघव लेट गया

नेहा- राघव, आप ठीक है?

राघव- मैं ठीक हु नेहा बस थका हुआ हु सोना चाहता हु

राघव की बात सुन नेहा ने भी फिर किसी बात पर जोर नहीं दिया और राघव से लिपट कर सो गई

अगली सुबह जब नेहा की आँख खुली तो राघव वहा नहीं था नेहा ने राघव को बाद मे पूरे घर मे ढूंढा लेकिन वो उसे कही नहीं दिखा और जब नेहा ने राघव को कॉल करने के लिए अपना फोन खोला तो उसने राघव का मैसेज था

'अर्जन्ट मीटिंग मे हु'

बस। सिर्फ चार शब्द उसने उसे भेजे थे बदले मे नेहा ने उसे घर जल्दी आने के लिए कहा जिसे रिप्लाइ मे राघव बस इतना बोला के 'कह नहीं सकता कोशिश करूंगा'

नेहा को राघव के रिप्लाइज कुछ रूखे से उखड़े से लग रहे थे उसके अतीत के खयाल अब तक उसे तंग कर थे और नेहा का अब राघव से बात करना जरूरी था उसने राघव के घर आने के बाद उससे बात करने का फैसला किया लेकिन राघव उसके बाद घर आया ही नहीं

राघव इसवक्त बिल्कुल भी नेहा के सामने नहीं जाना चाहता था, उसे ये बात सबसे ज्यादा तकलीफ दे रही थी के उसकी चिक्की उसके अतीत की वजह से अबतक बस उसपर तरस खा रही थी। उसने ऑफिस से ही धनंजयजी को बता दिया था के वो 7 दिनों के लिए किसी बिजनस ट्रिप पर जा रहा है न तो उसने नेहा को कॉल किया न उसके कॉल का जवाब दिया, नेहा राघव के इस बर्ताव से बहुत खफा थी लेकिन वो ये भी जानती थी के वो तकलीफ मे था और अब उसे सब सही करना था।

आज 5 दिन हो चुके थे और अब राघव को ये सब फेस करना ही था

नेहा- शेखर अपने भाई को कॉल लगाओ

नेहा ने शेखर के रूम मे जाते हुए कहा,

शेखर- क्या हुआ भाभी

नेहा- अपने भाई को कॉल लगाओ और उनसे आज के आज वापिस आने कहो

शेखर- लेकिन भाभी भाई कभी कोई डील अधूरी छोड़ के नहीं आएगा

नेहा- उनसे कहो मेरी हालत बहुत खराब है और मुझे वो मेरी आँखों के सामने चाहिए

शेखर- भाभी सब ठीक है ना??

नेहा- जो ठीक नहीं है वो हो जाएगा

शेखर ने राघव को कॉल लगाया लेकिन राघव ने उसका कॉल नहीं उठाया और जब 5-6 बार ऐसा हुआ तो

नेहा- तुम्हारे पास उनके दोस्त विशाल का नंबर है

शेखर- हा

नेहा- वो विशाल के साथ होंगे विशाल को कॉल करो

जिसके बाद शेखर ने विशाल को कॉल किया और विशाल ने एक झटके मे कॉल उठाया

विशाल- हा शेखर बोलो

शेखर- भाई राघव भैया आपके साथ है?

शेखर की बात सुन विशाल ने उसके साथ बैठे राघव को देखा लेकिन कुछ नहीं बोला राघव ने उसे फोन स्पीकर पर रखने कहा

शेखर- है या नहीं मैं नहीं जानता वो बस हमारे किसी कॉल का जवाब नहीं दे रहे है अगर आपका उनसे कॉन्टेक्ट हो तो कहना के भाभी...

बोलते बोलते शेखर रुका वही राघव के कान भी फोन पर जम गए

शेखर- भाभी की तबीयत बहुत खराब है उनकी कन्डिशन...

लेकिन शेखर आगे कुछ कहता उससे पहले ही राघव ने विशाल से फोन लिया

राघव- क्या हुआ नेहा को?? शेखर क्या हुआ है उसे? वो ठीक है ना? टेल मि डैमइट

राघव की आवाज मे चिंता साफ थी, वो भले नेहा को अवॉइड कर रहा था सोच रहा था के नेहा बस उसपर तरस खा रही थी लेकिन चिंता तो वो उसकी बहुत करता था आखिर उसे पसंद करता था वो, भले को घर मे किसी से बात नहीं कर रहा था लेकिन जब भी उसकी शेखर या अपने चाचा के बिजनेस रिलेटेड बात होती तो वो उसमे बीचमे नेहा के बारे मे पूछ लेता था। वो भी नेहा से बात करना चाहता था सब क्लियर करना चाहता था लेकिन बस उसे थोड़ा वक्त चाहिए था

राघव- शेखर क्या हुआ है उसे!!

राघव चीखा

शेखर- भाई आप बस जल्द से जल्द घर आ जाओ

जिसके बाद शेखर ने फोन काट दिया और नेहा का प्लान सक्सेस हो गया अब शेखर को इतना करना था के जब भी राघव का फोन आए उसे ना उठाए

नेहा जब अपने रूम मे आई तो एक मिनट मे उसके फोन पर राघव के 5 मिस कॉल आ चुके थे और जितना वो राघव को जानती थी उस हिसाब से राघव अब तक वापिस आने की तयारी शुरू कर चुका होगा

नेहा- अगर ये अभी आने के लिए निकलते है तब भी आधी रात से पहले नहीं पहुच पाएंगे तब तक अपने काम निपटा लेती हु

नेहा ने सोचा मानो ये कोई बड़ी बात ना हो लेकिन अंदर ही अंदर वो बहुत डरी हुई थी, आज बहुत सी चीजों का खुलासा होना था और उसे कोई आइडिया नहीं था के राघव कैसे रीऐक्ट करेगा जब वो यहा पहुचेगा..

इस वक्त रात के 11.30 बज रहे थे घर पर नेहा के अलावा कोई नहीं था बाकी सभी लोग गणपती दर्शन के लिए गए हुए थे और वो 1-2 बजे तक नहीं लौटने वाले थे उन्होंने नेहा से भी चलने कहा लेकिन उसने तबीयत ठीक नहीं है का बहाना बना दिया

नेहा इस वक्त अपने रूम मे बैठी टीवी के चैनल्स बदल रही थी तभी झटके के साथ उसके रूम का दरवाजा खुला और राघव हाफते हुए अंदर आया, राघव को देख नेहा के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई और इससे पहले के नेहा कुछ कहती राघव ने उसे कस के गले लगा लिया, नेहा ने भी राघव को गले से लगाया

राघव ने नेहा को ऐसे पकड़ रखा था मानो उनकी जिंदगी बस नेहा से साथ है वो किसी कीमत पर उसे नहीं खोना चाहता था और नेहा भी राघव की बढ़ी हुई धड़कनों को महसूस कर सकती थी

राघव- तुम ठीक हो?? क्या हुआ है तुम्हें?? शेखर ने कहा था तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है?? बेबी क्या हुआ है??

राघव ने नेहा का चेहरा अपने हाथों मे थामते हुए उसे ऊपर से नीचे देखते हुए पूछा

नेहा- मैं ठीक हु मुझे कुछ नहीं हुआ है मैंने ही शेखर से आपसे झूठ कहने कहा था

नेहा की बात सुन राघव उसे शॉक मे देखने लगा वो बस नेहा पर चिल्लाने ही वाला था के उसे अपना नेहा से किया वादा याद आया के वो कभी उसपर गुस्सा नहीं करेगा और उसके ट्रिप पर जाने का भी यही रीज़न था के वो अपने आप को शांत करना चाहता था उसने नेहा के वादा किया था के बगैर बात करे किसी नतीजे पे नहीं पहुचेगा लेकिन फिर भी उसने अपने मन मे ये धारणा बना ली थी के नेहा को उसपर बस तरस आ रहा था, उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था और वो एकदम से नेहा पर अपने सवालों की बारिश नहीं करना चाहता था जिससे नेहा को लगे के वो उसे दोष दे रहा है

राघव- क्यू??

राघव बस एक शब्द बोला, उसकी आवाज मे गुस्सा साफ था जिसे वो कंट्रोल कर रहा था

नेहा- आप मेरे कॉल्स का जवाब क्यू नहीं दे रहे थे?

नेहा के सीधा पॉइंट पर आते हुए सवाल का जवाब मे सवाल किया

राघव- तो इसीलिए शेखर से झूठ कहने कहोगी?? छोटी बच्ची हो क्या!! तुम्हें कोई आइडिया है मेरी क्या हालत हुई

नेहा- वही तो मैं भी जानना चाहती हु, मुझे पता है आप मेरे सवालों से बचने के लिए ही इस ट्रिप पर गए थे, आप मुझे इग्नोर क्यू कर रहे है??

राघव- मैं तुम्हें इग्नोर नहीं कर रहा हु मैं बस.... काम मे बिजी था

राघव ने नेहा से नजरे चुराते हुए कहा

नेहा- राघव मेरी ओर देखिए, आप मुझे उस दिन से इग्नोर कर रहे है, अगर आपके दिमाग मे कुछ चल रहा है तो प्लीज मुझे बताइए मैं हमेशा आपके साथ हु (नेहा ने राघव का हाथ पकड़ा) राघव मेरी ओर...

लेकिन नेहा बोलते बोलते रुकी जब उसने देखा के रघाव की आँखों मे पानी था

राघव- तुम मेरे अतीत की वजह से मुझपर तरस खा रही हो न? ये सब प्यार ये केयर सब मेरे पास्ट की वजह से है

नेहा- नहीं!!! नहीं नहीं!! आप ऐसा कैसे सोच सकते है ऐसा बिल्कुल नहीं है

राघव- तो फिर तुम्हारा बिहेवियर तब ही क्यू बदला जब शेखर ने तुम्हें सब कुछ सच बताया ?

नेहा- अब आप पहले मेरी बात ध्यान से सुनिए! हा शेखर ने मुझे सब बताया है क्युकी मैंने हमारे रिश्ते से सारी उम्मीदें खो दी थी ना तो आप कोशिश कर रहे थे ना ही मैं अब और आगे कुछ करना चाहती थी लेकिन इस रिश्ते को सार्थक करने किसी न किसी को तो कदम बढ़ाना ही था, मुझे फिक्र है आपकी और मुझे पूरा हक है ये जानना का की ऐसी कौनसी बात है जो आपको परेशान करती है और मैं इतना भी बता दु के उस सब मे आपकी कोई गलती नहीं थी आप बहुत बहादुर है राघव

नेहा- मेरा बिहेवियर इसीलिए नहीं बदला क्युकी मुझे आपके अतीत के बारे मे बात चला बल्कि मैं आपको मुझसे मिलाना चाहती थी आपका अतीत जो भी रहा हो मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता मुझे फर्क पड़ता है आपसे मुझे आपकी फिक्र है, आई एम सॉरी मुझे ये सब आपसे जानना चाहिए था ना की किसी और से लेकिन सिचूऐशन ही ऐसी थी के शेखर को मुझे सब बताना पड़ा वरना वो मुझे कभी वो बात नहीं बताता

नेहा ने राघव का गाल सहलाते हुए कहा

नेहा- शेखर ने मुझे सब बताया है लेकिन मुझे सब आपसे सुनना है। सब कुछ। शेखर ने मुझे सब सुनी सुनाई बाते बताई है लेकिन मुझे आपसे जानना है के क्या हुआ था, बताइए राघव आपका गुस्सा आपका डर आज सब बाहर आने दीजिए आज यहा आपको जज करने वाला कोई नहीं है आपको अपने डर का सामना करना होगा

राघव बस नेहा को देख रहा था

'मुझे उसे सब बता देना चाहिए वो मेरी सारी बात मानेगी' राघव ने मन ही मन सोचा

क्रमश:
 

[color=rgb(184,]Update 57[/color]

राघव अपने बेड पर बैठ हुआ था और नेहा उसके बाजू मे बैठी थी..

कुछ समय बाद राघव ने बोलना शुरू किया...

राघव- शेखर को पूरी बात नहीं पता है उसे बस सुनी सुनाई बाते पता है और जो कुछ उसने विशाल से सुना है लोगो से सुना है, लेकिन आज तुम्हें पूरी बात बताता हु

नेहा- बोलिए राघव...

राघव- मैं हमेशा से ऐसा नहीं था नेहा, मतलब मैं हमेशा से ही मितभाषी रहा हु, मुझसे लोगों से मिला नहीं जाता , मैं नये दोस्त नहीं बना पाता हु , मुझे सोशल एलिमेंट नहीं कहा जा सकता था, और पहले तो मैं ऐसा दिखता भी नहीं था और शायद इसीलिए मेरे ज्यादा दोस्त नहीं है लेकिन किस्मत से नज़ाने कैसे विशाल मेरा दोस्त बना और उसका मेरे साथ होना किसी वरदान से कम नहीं है क्युकी उनसे मेरा वो फेज देखा है जो किसी को नहीं पता लेकिन विशाल अकेला नहीं है उसके जैसे दो और लोग थे या यू कहू के सिर्फ एक ही थी, वो दूसरा था उसका नाम निखिल था, उसे तुम मेरा लंदन पहला दोस्त कह सकती थी या सिर्फ वो दोस्ती बस एक तरफा हि थी क्युकी निखिल के इरादे ही कुछ और थे..

मैंने अपना पोस्ट ग्रेजुएशन लंदन से किया है नेहा। राघव देशपांडे भारत मे एक बूसिनेस फॅमिली का चिराग था लेकिन वहा एकदम अकेला था, लोग मेरा मजाक बनाते थे मुझे बुली करते थे मुझे मेरे लुक्स पर कभी कभी अनकंफर्टेबल फ़ील होता था,,

मुझे लोगों से कनेक्ट करने मे बात करने मे इनसिक्योर फ़ील होता था, अपने लुक्स पर अपने कपड़ों पर मैं बुरा फ़ील करता था, ऐसा नहीं था के मैं कुछ अफोर्ड नहीं कर सकता था लेकिन मैं क्या पहन रहा हु कैसा दिख रहा हु इसपर मैंने कभी ध्यान ही नहीं दिया था, जो मुझे सही लगता मैं पहन लेता था, उस टाइम मेरा और विशाल का कॉलेज अलग हुआ करता था वो इंजीनियरिंग कर रहा था और मैं बीजनेस स्टडीस

सब कुछ एकदम सही चल रहा था मैं अपने फर्स्ट ईयर मे था मैं अपनी क्लास मे जा रहा था रास्ते मे लोगों के मुझपर पास होते कमेंट्स सुन रहा था जिसकी वैसे तो मुझे आदत थी लेकिन वो दिन कुछ अलग था, मैं उस दिन कुछ अलग महसूस कर रहा था अब अच्छा या बुरा पता नहीं बड़ी मिक्स फीलिंग थी, मैं अपनी क्लास मे पहुचा जहा वो थी, मेरी सबसे अच्छी दोस्त, निशा, वो अकेली थी जिसे उस वक्त मैं अपना बेस्ट फ्रेंड कह सकता था, वो अकेली थी जो मेरे साथ हर वक्त रहती थी जब भी कोई मुझे बुली करता वो अकेली होती जो उनसे मेरे लिए लड़ती थी पर उसके बाद मुझे भी डाट देती थी के मैं वो सब बाते क्यू सुनता हु कुछ कहता क्यू नहीं हु निखिल हमेशा हम दोनों को चिढ़ाया करता था कहता था वो निशा को मेरी मा कहता था लेकिन मैंने उसकी बातों पर कभी ध्यान ही नहीं दिया वो मेरा दोस्त था पर बाद मे मुझे समझ आया के निखिल ने तो मुझे कभी अपना दोस्त माना ही नहीं

राघव आज अपने मन मे दबी बाते नेहा को बता रहा था

राघव- निशा एक अनाथ थी जब वो छोटी थी तब ही उसके माता पिता चल बसे थे वो सब कुछ खुद से मैनेज करती थी और इतनी मुश्किलें होने के बाद भी एकदम बेफिक्र थी हमेशा मुसकुराते रहती थी सच का साथ देना जानती थी, उसे लोगों का दूसरों को नीचा दिखाना बिल्कुल पसंद नहीं था इससे उसे सख्त चिढ़ थी और उसके सामने वैसा होता देख वो लड़ पड़ती थी

हमारा बॉन्ड समय के साथ साथ बहुत मजबूत हो गया था फ्रेंड से बेस्टफ्रेंड का सफर हमने बहूत जल्दी पार किया था और ये कहना तो बिल्कुल ही गलत होगा के मैं उसे पसंद नहीं करता था लेकिन वो प्यार नहीं था कभी नहीं

जब भी वो आसपास होती ना तो मैं मैं नही रहता था मितभाषी राघव बातूनी हो जाता था, उसके साथ ऐसा लगता मानो बाते कभी खत्म ही ना हो, उसके साथ से मैने अपने अंदर बहुत से बदलाव महसूस किए थे जो कि ऑफकोर्स अच्छे थे, सब कुछ एकदम अच्छा जा रहा था लाइफ जैसे एक परफेक्ट ट्रैक पर चल रही थी तब तक जब तक उसे प्यार नही हुआ, वो हमारी यूनिवर्सिटी के एक लड़के मैथ्यू से प्यार करने लगी थी जोकि हमारा सीनियर था, मैथ्यू दिखने में काफी अच्छा था और वो निशा की केयर भी बहुत करता था और निशा उसे पागलों की तरह चाहती थी, निशा और मैथ्यू की बढ़ती नजदीकियों की वजह से मेरे और निशा के बहुत झगड़े हुए, मुझे कभी भी मैथ्यू से अच्छी वाइब नही आई मैंने उसके बारे में बहुत कुछ सुन रखा था जो कि बहुत ज्यादा अच्छा नही था लेकिन मैंने किसी बात का यकीन नही किया था क्युकी मुझे निशा पर भरोसा था के वो अपने लिए गलत इंसान तो नही चुनेगी लेकिन फिर मैंने उसे किसी से यूनिवर्सिटी के गेट पर बाते करते सुना, उसकी बात सुन मेरी रूह तक कांप गई थी वो निशा की बॉडी की डील कर रहा था..

मैने उसे अपने एक दोस्त से कहते सुना था के वो पहले निशा का अच्छी तरह से इस्तमाल कर लेगा उसे भोग लेता और फिर उसे इंजेक्ट करके बेच देगा, मैथ्यू फीमेल ट्रैफिकिंग में था, लड़कियों को फसा कर उनका इस्तमाल कर उन्हे बेच देना धंधा था उसका..

मेरा मन किया के उसे अभी के अभी खत्म कर दू लेकिन मेरा उस वक्त मैथ्यू से भिड़ना निशा को खतरे में डाल देता, मैं वहा से निकला और सीधा निशा के पास पहुंचा

निशा इस वक्त यूनिवर्सिटी के गार्डन में अपने कुछ दोस्तो से बात कर रही थी मैंने उसे वो सब कुछ बता डाला जो भी मैने मैथ्यू से सुना था

पहले तो वो मेरी बात सुन थोड़ा चौकी लेकिन उसे मेरी बात पर विश्वास नहीं हुआ, उसे मेरी बात का यकीन दिलाने मैं जो कुछ भी कर सकता था मैंने किया यहा तक ने मैने उसके सामने हाथ तक जोड़ लिए अपने घुटनों पर आ गया लेकिन उसने मेरी एक बात भी नही सुनी उसे मुझसे ज्यादा मैथ्यू पर भरोसा था

तुम सोच रही होगी के ये कैसी दोस्त है जिसने अपने सबसे अच्छे दोस्त की बात सुनी तक नहीं लेकिन बात इतनी ही नही है, निशा का मेरे साथ रहना कई लोगो को खटकता था, निशा हमारे बैच की हार्टथ्रोब थी उसके चाहने वाले कई थे और वो सबसे बात करती थी उसके कई दोस्त थे लेकिन मेरे लिए बस एक वही थी और एक खूबसूरत लड़की को एक चंपू के साथ घूमता देखना कई लोगो को खटकता है, कई बार हमारे ही बैच के कुछ लोग निशा के मेरे बारे में कान भरते थे, उसका मैथ्यू के साथ रिलेशनशिप में आने के बाद हमारे बीच सबकुछ सही नही था और कई लोग आपको एक ही बात बार बार रिपीट करके बोले तो आप कही ना कही उसपर यकीन करने लगते हो भले फिर वो बात झूठ ही क्यों न हो सच को दबा ही देती है आप किसी बात को एक बार इग्नोर करोगे दो बार करोगे के लेकिन कोई एक ही बात आपको 100 बार बोले तो आप एक बार के लिए तो उसपर यकीन कर ही लेते हो

निशा को लगा मैं उसे पसंद करता हु इसीलिए मैं उसके और मैथ्यू के बीच प्रॉब्लम क्रिएट करना चाहता हु, हा मैं पसंद करता था उसे लेकिन मैं कभी उसको खुशी के आड़े नही आता लेकिन जब मुझे दिख रहा था के मेरी दोस्त खुद को कुएं में धकेल रही है तो मैं चुप कैसे रहता, उस बात पर हम दोनो का बहुत बड़ा झगड़ा हुआ जिसने वहा मौजूद सभी स्टूडेंट्स का ध्यान खींचा, बढ़ते बढ़ते बात इतनी बढ़ गई के हमने हमारी दोस्ती तक खतम कर दी,

मैं तो वैसे ही टारगेट था तो इस झगड़े के लिए वहा इकट्ठा भीड़ ने मुझे ही दोष दिया के मैं जान बूझ के निशा की लाइफ में खलल डाल रहा हु लेकिन उसकी परवाह किसे थी, मेरी दोस्त खतरे में थी और मुझे उसे बचाना था, चुकी हमारा झगड़ा बहुत बड़ा था तो मैथ्यू भी वहा पहुंच गया और उसे समझ आ गया के उसे अपने खेल को जल्दी अंजाम देना होगा

हमारे झगड़े के बाद वो अपने घर की ओर निकल गई और मैं अपने क्युकी मैंने सोचा के वो खुद के घर पर तो सेफ ही होगी लेकिन मेरा मन बेचैन था, मैंने घर पहुच कर उसे कई बार फोन ट्राइ किया व्हाट्सप्प कर कई सॉरी नोट्स भेजे लेकिन उसने किसी का रिप्लाइ नहीं किया बस देख कर छोड़ दिया, मैं उस पूरी रात सो नही पाया और बार बार उसे कॉल लगाता रहा और वो हर बार मेरा फोन काट ते रही मुझे लगा वो मुझसे बहुत ज्यादा गुस्सा है और जब आखिर मे मुझसे रहा नहीं गया तो मैं उसके रूम पर जा पहुचा लेकिन उसने दरवाजा तक नहीं खोला और अंदर से ही चिल्लाकर मुझे वहा से जाने कहा लेकिन मैं वही रहा जब तक....

जब तक के मुझे मेरे लैंडलॉर्ड का कॉल नहीं आया, उसका बेटा सीढ़ियों से गिर गया था और वो काफी बूढ़ा आदमी था तो उसने मुझे कार ड्राइव करने बुलाया था ताकि अस्पताल जा सके और मैं जानता था के निशा कितनी जिद्दी है वो दरवाजा नही खोलती और मैंने सोचा के वो अपने घर मे है तो थोड़ी सेफ होगी इसीलिए मैं वहा से चला गया

अगले दिन जब मैं कॉलेज पहुचा वो वहा सब लोग मुझे घृणा भरी नजरों से दख रहे थे मेरे बारे मे बात कर रहे थे के कैसे निशा ने मुझे दोस्त माना और मैंने उसी को बिट्रै किया, निशा उस दिन कॉलेज नही आई थी जिससे मुझे उसकी थोड़ी चिंता होने लगी थी इसीलिए मैं उस दिन वापिस उसके घर गया, उसके घर का दरवाजा पहले से खुला हुआ था तो मैं अंदर चला गया और वहा जो मैंने दख उसे मैं सपने मे भी नहीं सोच सकता था.......

क्रमश:
 

[color=rgb(184,]Update 58[/color]

राघव- निशा उस दिन कॉलेज नही आई थी जिससे मुझे उसकी थोड़ी चिंता होने लगी थी इसीलिए मैं उस दिन वापिस उसके घर गया, उसके घर का दरवाजा पहले से खुला हुआ था तो मैं अंदर चला गया और वहा जो मैंने देखा उसे मैं सपने मे भी नहीं सोच सकता था...

मैंने सपने मे भी नहीं सोचा था के मुझे ऐसा दिन देखना पड़ेगा मैं आज भी उस दिन को उस सीन को भुला नहीं पाया हु

बोलते बोलते राघव की आँखों से आँसू बहने लगे थे उसने एक लंबी सांस खिची, उसकी आवाज टूट रही थी लेकिन फिर भी उसने बोलना शुरू किया

राघव- मैं जब उसके घर के अंदर पहुचा तो मैंने देखा के मेरी दोस्त मेरी सबसे अच्छी दोस्त अब इस दुनिया मे नहीं थी

उसकी लाश रस्सी से लटक रही थी, उसने आत्महत्या कर ली थी।

राघव की आँखों से कंटिन्यू आँसू बह रहे थे और उसकी हालत देख नेहा की भी आंखे पनिया गई थी उसने कस के राघव का हाथ पकड़ा हुआ था

राघव- अपने सामने निशा की लटकती लाश देख मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था के मैं क्या करू, अचानक मेरे शरीर ने, मेरे दिमाग ने मेरा साथ छोड़ दिया था, मैं एकदम ब्लैंक हो गया था जो इंसान मेरे लिए उस वक्त सबसे ज्यादा मायने रखता था उसने अपनी खुद की जान लेली थी लेकिन क्यू?? मैं नहीं जानता था,

मेरा सर घूमने लगा था आँसू बह रहे थे मैं चिल्ला चिल्ला कर मदद बुला रहा था मैंने उसके पास जाकर उसके पैर पकड़े और कुछ ही पालो मे मेरी आवाज सुन निशा के पड़ोसी वहा आए उन्होंने उसकी लाश उतारने मे मेरी मदद की मुझे लग रहा था के शायद शायद वो बच जाए लेकिन मैं गलत था वो मुझे छोड़ के जा चुकी थी

मेरे हाथ कांप रहे थे उसकी लाश मेरे हाथों मे थी उस इंसान की लाश जो मेरे लिए सबसे ज्यादा जरूरी था, वो दिन मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दिन था तुम सोच भी नही सकती मुझे उस वक्त कैसा महसूस हो रहा था मेरे हाथों मे उस इंसान की लाश थी जो मेरे दिल के सबसे ज्यादा करीब था वो मुझे हमेशा हमेशा के लिए छोड़ के जा चुकी थी

मैं उसकी लाश को अपने हाथों मे पकड़े जोर जोर से रोए जा रहा था चिल्लाए जा रहा था उससे मिन्नते कर रहा था के वो लौट आए पर ये मुमकिन ही नही था, मैंने उसे खो दिया था

राघव नेहा के गले लग कर रोए जा रहा था और अब तक नेहा की आँखों से भी आँसू बहने लगे थे।

राघव- सुसाइड केस था उसके पड़ोसियों ने पुलिस को खबर कर दी थी और जल्द ही पुलिस वहा पहुच चुकी थी, उन्होंने आकर अपनी कार्यवाही शुरू की अपनी इंक्वायरी करने लगे और निशा की बॉडी एम्बुलेंस से पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दी गई, मैं कुछ भी सोचने समझने की हालत मे नहीं था, डॉक्टर्स ने बताया के उन्हे पोस्टमॉर्टम के लिए थोड़ा टाइम लगेगा क्युकी वो निशा की डेथ का असल रीज़न पता नहीं कर पा रहे थे और मैं उसके जाने के गम मे डूबा हुआ था, ऐसे मे मुझे एंजाइटी के दौरे पड़ने लगे थे और मेरी हालत तब बिगड़ी जब मेरे कॉलेज के लोगों ने मुझे उसकी मौत का जिम्मेदार ठहराया, वो मुझे निशा की मौत के पीछे समझते थे क्युकी निशा के सुसाइड के पहले ही हमारा झगड़ा हुआ था और उन्हे लगा शायद वही झगड़ा उसके सुसाइड के पीछे का रीजन होगा, उन्होंने मुझे किलर और न जाने क्या क्या कहा, मैं डिप्रेशन मे जा चुका था और ऐसे मे विशाल मुझे संभाल रहा था और ऐसे मे मुझे उसकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिली जिसने मुझे और भी ज्यादा हिला के रख दिया

रिपोर्ट मे लिखा था के निशा ने आत्महत्या नहीं की थी बल्कि उसका रेप किया गया था और उसके बाद उसे मार दिया गया था

राघव की बात सुन अब नेहा और भी ज्यादा शॉक थी उसे सुसाइड की बात तो पता थी लेकिन ये बात वो नहीं जानती थी, राघव की बताई गई कई बाते शेखर ने जो उसे बताया उससे अलग थी क्युकी शेखर ने बस ये सब सुना था लेकिन राघव ने जिया था

राघव- उस रिपोर्ट ने मुझे पूरी तरह हिला कर रख दिया था लेकिन मैं शायद इस सब के पीछे की, निशा के मरने के पीछे की वजह जानता था, इस सब के पीछे उसके सो कॉल्ड बॉयफ्रेंड मैथ्यू का हाथ था! मैंने उसे निशा की अंत विधि पर भी नही देखा था और ना ही वो उसके बाद कॉलेज आया था जिसने मेरा शक और बढ़ा दिया था

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने अपनी तहकीकात शुरू की और मैंने भी पुलिस को सब कुछ बता दिया था, मैंने खुद से भी मामले मे तहकीकात की और मेरी बहुत बहुत ज्यादा कोशिशों के बाद आखिर मुझे उसके ठिकाने का पता चला और मैंने उससे बात करने का सोचा और जब मैं उसके ठिकाने पहुचा मेरा माथा ठनका, वो पहले से ही निशा पर चीट कर रहा था और वहा किसी और लड़की के साथ था उन दोनों के शरीर आपस मे उलझे हुए थे बगैर कपड़ों के उसने तो दरवाजा तक लॉक नहीं किया था

मुझे कुछ समझ नहीं आया के मैं क्या करू एक तो वो ऐसी हालत मे थे लेकिन मुझे मेरे सवालों का जवाब चाहिए थे, मैंने सबसे पहले तो पुलिस को कॉल किया और फिर अपने फोन की रिकॉर्डिंग शुरू की और जोर से चिल्लाते हुए उनका ध्यान अपनी ओर खिचा, मेरी आवाज से वो लड़की सचेत हो गई और उसने उठकर कपड़े पहने और फिर मैथ्यू की तो मुझे चिंता ही नहीं थी

फिर मैंने ना आव देखा न ताव और मैथ्यू पर कूद पड़ा और एक जोर का मुक्का जड़ दिया, हम दोनों अब फिजिकली लड़ रहे थे

मैंने उससे पूछा के के उसने वो सब क्यू किया और उसने भी बता दिया क्युकी वो जानता था के मैंने उसकी बाते सुन ली थी और वहा हमारे अलावा और कोई नहीं था उसे जरा भी आइडिया नहीं था के मेरे फोन की रिकॉर्डिंग शुरू थी इसीलिए उसने अपनी गलती मानी उसने बताया था जिस दिन मेरी और निशा की लड़ाई हुई थी वो उस दिन निशा के रूम पर गया था,

मुझसे हुई लड़ाई की वजह से निशा रो रही थी और ऐसे मे उसके ईमोशनल स्टेट का फायदा मैथ्यू लेना चाहता था उसने तब उसका रेप किया, पहले तो उसने प्यार से कोशिश की लेकिन जब निशा नही मानी तो उसने उसके साथ जबरदस्ती की और तब निशा को समझ आया के मैं सही था वो मदद के लिए चीख रही थी लेकिन वहा उसकी मदद करने वाला कोई नहीं था

निशा ने उस हैवान से अपने आप को बचाने की काफी कोशिश की हाथापाई भी की उसके प्राइवेट पार्ट पर वार भी किया जिसने मैथ्यू को और भड़का दिया उसने गुस्से मे निशा का गला घोंट कर उसे मार डाला, उसने मुझे ये भी कहा था के उसका प्लान तो निशा की बॉडी की डील करना था वो उसे बेचने वाला था लेकिन अब मरने के बाद वो उसके किसी काम की नही थी उसका शरीर उसके लिए बस मास का टुकड़ा था जो जानवरों को खाना खिलाने के काम आता

जब तक पुलिस ना आ गई वो अपनी काली करतूते बताता गया, मैंने उसके जैसा घटिया इंसान अपनी जिंदगी मे कभी नहीं देखा था, पुलिस के आते ही मैंने वो रिकॉर्डिंग पुलिस के हवाले कर दी और उन्होंने उसे अरेस्ट कर लिया, बाद मे उसे डेथ सेन्टन्स दिया गया लेकिन जाते जाते वो मुझसे कह के गया था के वो मेरी जिंदगी को जीते जी नरक बना देगा और इसमे वो कामियाब भी रहा

राघव बोलते बोलते नेहा की बाहों मे रोए जा रहा था आज इतने सालों का समेटा गुबार बाहर आ रहा था राघव किसी के साथ अपना दर्द बाँट रहा था

राघव- उसके कॉलेज मे कुछ लोग थे जिन्होंने मेरा आखरी तक पीछा नही छोड़ा और मुझे ही निशा का कातिल बना दिया, सच सबको पता था लेकिन ब्लैम मुझे किया गया के अगर मैं उस दिन निशा से नही लड़ता तो शायद... शायद उसका रेप नहीं होता, शायद वो आज जिंदा होती मेरी क्या गलती थी नेहा.. मैं तो बस अपनी दोस्त को बचाना चाहता था ना,

बाद मे तो ये बाते होने लगी थी के मैं भी उस प्लान मे शामिल था, उन लोगों ने मुझे ब्लैम करने का एक मौका भी नहीं छोड़ा, और मैं उस गिल्ट मे धसता गया, और सबसे ज्यादा तकलीफ मुझे दी निखिल ने जिसे मैं अपना दोस्त मानता था जब उसने भी इस सब का दोष मुझे दिया मैं टूट चुका था और मुझे संभालते हुए विशाल की हालत खराब हो रही थी, मुझे किसी की कोई परवाह नहीं थी बस सबसे ज्यादा तकलीफ मुझे निखिल ने दी थी, वो निशा को चाहता था और उसका मेरे निशा के करीब रहना पसंद नहीं था ये बात मुझे बाद मे पता चली, उसने मुझे ही निशा की मौत का दोषी ठहराया और उसने मुझे अवॉइड करना शुरू कर दिया, मैंने उस दौर मे बहुत कुछ खोया है नेहा और लोगों पर भरोसा करना भी, उस दिन किसी के प्यार की वजह से दोस्ती टूटी थी और किसी के अंधे प्यार की वजह से एक जान गई थी

मेरे... मेरे पास उस वक्त कोई नहीं था जिससे मैं ये सब शेयर करू विशाल था, उसने कभी इसमे मेरा साथ नहीं छोड़ा, लेकिन वो हर वक्त मेरे साथ नहीं रह सकता था उसकी भी अपनी लाइफ थी वो भी तो उस वक्त कॉलेज मे ही था और आखिर मैं डिप्रेशन का शिकार हो गया, जब शेखर वहा आया तो उसके और विशाल की वजह से मेरी हालत थोड़ी ठीक हुई, कॉलेज मे शेखर के सामने जब कोई मुझे कुछ कहता तो शेखर उससे लड़ पड़ता लेकिन मैं उसे रोक देता क्युकी लड़ने का कोई मतलब नहीं था

मैंने भी अपने दिमाग के किसी कोने मे सोच लिया था के कही न कही इस सब के लिए मैं ही जिम्मेदार हु, मैं उसे बचा सकता था मैंने दोस्ती का फर्ज नहीं निभाया था, मुझे उसी दिन वापिस उसके घर जाना चाहिए था उसका खयाल रखना चाहिए था लेकिन मैंने वैसा नहीं किया अगर मैं उस दिन वहा चला जाता तो शायद... शायद आज वो मेरे साथ होती, हमारे साथ होती हमारे बीच होती

मुझे उस वक्त हर 2 दिन मे पैनिक अटैक आते थे, मेंटल हेल्थ एकदम ही बिगाड़ चुकी थी पर इतने सब मे भी इस सब की खबर घरवालों को नही थी, मेरा ट्रीट्मन्ट शुरू हो चुका था और जब मैं थोड़ा रिकवर हुआ तब मैं भारत लौट आया,

मैं अकेला रहता था, मैंने लोगों से बात करना बंद कर दिया था क्युकी मैं डरता था और मैं ऐसा बन गया

राघव नेहा के गले लग रोए जा रहा था,

राघव- शायद ये कई लोगों के लिए बहुत बड़ी बात ना हो लेकिन जिसके साथ ये होता है उसके लिए ये बहुत बड़ी बात होती है रोज टौंट सुनना, लोगो का तुम्हे उस बात के लिए अक्यूज़ करना जिसे तुमने किया नहीं है तुम्हें कातिल मानना, जिस बात को तुम भूलने की कोशिश कर रहे हो बार बार उसी बात को तुम्हें याद दिलाते रहना और ऐसे मे मजबूत से मजबूत दिमाग वाला आदमी भी डिप्रेशन मे चला जाएगा, मैं भले ऊपर से कितना ही मजबूत बन लू लेकिन ये बाते मुझे आज भी अफेक्ट करती है, वो शब्द आज भी मेरे कानों मे गूँजते है

शब्दों मे बहुत ताकत होती है, शस्त्रों से ज्यादा गहरे घाव शब्द दे जाते है जो कई बार आपका मानसिक संतुलन तक हिला देते है

राघव- रोज मैं नॉर्मल राघव बनने की कोशिश करता हु लेकिन वो राघव वो अब बदल चुका था वो एक घमंडी, गुरूर वाला, गुस्सैल आदमी बन चुका था जिसे बस लोगों पर चिल्लाना आता है, उन्हे तकलीफ देना आता है क्युकी वो खुद तकलीफ मे था

राघव की नजरे नेहा की नजरों से मिली

राघव- तुम्हारा राघव ऐसा नहीं है नेहा उस घटना ने मुझे ऐसा बना दिया है, तुम ही मुझे बताओ मैं कैसे....... कैसे प्यार पर यकीन कर लू जब मैंने अपनी सबसे अच्छी दोस्त को उसी के हाथों मरते देखा है जिससे वो प्यार करती थी? मैं कैसे किसी पर यकीन करू जब मैंने उस यकीन को पहले ही बिखरते देखा है? मैं आज भी उसे मिस करता हु, मुझे बताना नही आता इसका ये मतलब नहीं की मुझे तकलीफ नहीं होती, मैं रोज उस गिल्ट के साथ जी रहा हु के शायद.... शायद मैं उसे बचा सकता था

मुझे कोई फरक नहीं पड़ता के लोग क्या बोलते है क्या सोचते है मैंने उनमे से किसी के साथ कॉलेज के बाद कोई कान्टैक्ट नहीं रखा, लेकिन निखिल, मुझे उसकी बातों ने सबसे ज्यादा तकलीफ दी है , मैं उससे कॉलेज के बाद मिला हु लेकिन उससे कभी बात करने की हिम्मत ही नहीं हुई, मैंने उसकी आँखों मे मेरे लिए नफरत तो नहीं देखि लेकिन डरता हु के कही वो वापिस मुझे किलर न कहने लगे, तुम बताओ के क्या मैं निशा की मौत का जिम्मेदार हु?? अगर मैं मेरी दोस्त को ही नहीं बचा पाया तो अपनी फॅमिली को कैसे संभालूँगा??

बोलते बोलते राघव की आवाज कांप रही थी, वही नेहा को अब उसकी और भी ज्यादा चिंता हो रही थी, उसने राघव को ऐसी हालत मे कभी नही देखा था राघव इस वक्त पूरी बिखरी हालत मे था....

क्रमश:
 
Back
Top