[color=rgb(184,]प्रोलॉग[/color]


हमने हमारी फिल्मों में देखा है सीखा है के लड़का लड़की मिले दोनो में प्यार हुआ दोनो की जिंदगियों में कुछ मुसीबतें आई बाद में दोनो की शादी हो गई दोनो मिल गए और बस कहानी खतम लेकिन इसके बाद की कहानी कोई नही बताता लेकिन क्या हो के किसी लव स्टोरी की शुरुवात ही एक शादी से हो या शादी के बाद हो ?

शादी का रिश्ता बहुत प्यारा और पवित्र होता है। चाहे वह लव मैरिज हो या अरेंज, दोनों में प्यार और विश्वास होना बेहद जरूरी है। अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि लव मैरिज और अरेंज मैरिज में से कौन सी ज्यादा अच्छी है। कुछ लोग यह धारणा बना लेते हैं कि लव मैरिज में व्यक्ति एक दूसरे के बारे में पहले से सब कुछ जानता है। ऐसे में आगे का जीवन बेहद बोरिंग हो जाता है। वहीं कुछ लोग यह भी धारणा बनाते हैं कि अरेंज मैरिज में एक दूसरे को नहीं जानते ऐसे में अगर भविष्य में उनके विचार नहीं मिले तो क्या होगा।

शादी दो लोगों को एक सूत्र में बांधती है। लेकिन सात फेरे उनके बीच प्यार भी पैदा करें, ऐसा जरूरी नहीं है। खासतौर से, अरेंज मैरिज में दोनों ही व्यक्ति को एक - दूसरे को समझने व प्यार करने में थोड़ा समय लगता है। शादी उनके बीच रिश्ता तो जोड़ देती हैं, लेकिन उस रिश्ते में प्यार को पनपने में समय लगता है। लेकिन इसके लिए दोनों ही व्यक्ति को कुछ कदम आगे बढ़ाने पड़ते हैं।

देखो हमारे भारत में हर कोई लव मैरेज नही करता है आपको पता है भारत में लव मैरिज का परसेंटेज केवल 3 प्रतिशत है और बाकी 97% लोगो की शादी उनके घरवाले ही कराते है जहा दो लोग एक दूसरे से अनजान शादी के पवित्र बंधन में बंधते है।

ये कहानी भी ऐसे ही दो लोगो की है जिन्हे उनके परिवार वालो ने शादी के बंधन में जोड दिया है लेकिन क्या वो इस शादी को निभा पाएंगे? क्या वो इस पवित्र रिश्ते को प्यार की डोर से जोड़ पाएंगे? एक दूसरे को संभाल पाएंगे ?

राघव एक सक्सेसफुल बिजनेस मैन लेकिन उतना ही गुस्से वाला अकडू जिसके लिए गलती की कोई माफी नहीं

नेहा एक खूबसूरत मृगनयनी सुलझी हुई लड़की जिसकी परवरिश उसके चाचा चाची ने की है , क्या होगा जब राघव और नेहा बंधेंगे इस नए रिश्ते की डोर में

क्या नेहा राघव के कठोर दिल में अपने लिए जगह बना पाएगी?

राघव के परिवार में अपनी जगह बना पाएगी?

और इन सब में क्या कोई ऐसा भी होगा जो राघव के दिल को जीतने में नेहा की मदद करे?

अब इन सवालों के जवाब के लिए आपको ये कहानी पढ़नी पड़ेगी तो साथ बने रहिए, रिप्लाइ देते रहीये...

तो मिलते है कल कहानी के पहले अपडेट के साथ अपनी राय देना न भूले।

सायोनारा।
 

[color=rgb(184,]Update 1[/color]


इस वक़्त सुबह के लगभग 9 बज रहे थे, देशपांडे वाडे मे सभी लोग इस वक़्त एक एक करके नाश्ते के लिए जमा हो रहे थे, अब जब तक ये सभी लोग नाश्ते के लिए जमा हो रहे है तब तक मिलते है इस कहानी के किरदारो से

सबसे पहले तो परिवार के मुखिया शिवशंकर देशपांडे, अपने जमाने के एक जाने माने बिज़नेसमॅन और पॉलिटीशियन, जिनकी बात घर मे तो क्या बाहर भी कोई नही टाल सकता, बिज़नेस वर्ल्ड से लेके एरिया पॉलिटिक्स तक अगर शिवशंकर देशपांडे ने कोई बात बोली है तो वो होनी ही है क्यूकी वो कोई भी बात हवा ने नही करते थे उनकी बोली हर बात के पीछे कोई ना कोई गहन विचार ज़रूर होता था, फिलहाल तो ये अपनी रिटायरमेंट लाइफ एंजाय कर रहे है अपने बेटे बहू और पोते पोतियो के साथ..

वैसे तो शिवशंकर भाऊ की बात कोई नही टाल सकता लेकिन केवल एक शक्स है जिनकी बात भाऊ भी नही टाल सकते, उनकी पत्नी श्रीमती गायत्री देशपांडे जो इस वक़्त उनके बगल की खुर्ची पर बैठे हुए अख़बार पढ़ रही है, शिवशंकर देशपांडे जीतने हसमुख आदमी है उतनी ही गायत्री देवी शांत और थोड़े गुस्सैल स्वाभाव वाली है...

गायत्री - अभी तक कोई भी नही आया है नाश्ता करने सब के सब आलसी हो रहे है घर मे

गायत्री देवी ने हल्के गुस्से मे कहा

शिवशंकर - अरे आ जाएँगे, अभी देखो जानकी और मीनाक्षी बहू तो किचन मे नाश्ता तयार कर रही है और रमाकांत और धनंजय आते ही होंगे, धनंजय को कल ऑफीस से आने मे लेट हो गया था और रमाकांत सुबह सुबह दिल्ली से लौटा है बाकी बच्चो की बात करू तो राघव सुबह सुबह ऑफीस के लिए निकल गया है और बाकी के भी आते होंगे..

वेल इस देशपांडे परिवार के कुछ नियम थे जैसे के सुबह का नाश्ता और रात का खाना सारा परिवार साथ खाएगा, घर मे ना तो पैसो की कोई कमी थी ना नौकर चाकर की लेकिन गायत्री देवी का मानना था के खाना घर की बहू ने ही बनाना चाहिए हालांकि ऐसा नही था के वो प्रोग्रेसिव नही थी अपने जमाने में उन्होंने काम में शिवशंकर जी का हाथ बखूबी बटाया था और अपनी बहुओं को भी वही सिखाया था और ये भी इनपर छोड़ा था के वो घर संभालना चाहती है या नहीं जिसपर उनकी बहुओं ने भी उनकी बात का सम्मान किया था और काम और घर बखूबी संभालना जानती थी,

गायत्री - हा.. ये हो गया आपका रेडियो शुरू, क्यू जी आपने क्या घर के सभी लोगो के पीछे जासूस लगा रखे है क्या जो कौन कहा है क्या कर रहा है आपको सब पता होता है ?

शिवशंकर - अनुभव, इसे अनुभव कहते है और अपने परिवार की परख

अब ज़रा उनलोगो के बारे मे जान लिया जाए जिनका जिक्र अभी इस उपर वाली बातचीत मे हुआ है,

शिवशंकर और गायत्री देशपांडे के दो बेटे है रमाकांत देशपांडे और धनंजय देशपांडे, जहा रमाकांत देशपांडे अपनी कान्स्टिट्यूयेन्सी से एमपी है वही धनंजय देशपांडे अपनी फॅमिली का ज्यूयलरी का बिज़नेस संभालते है वही इन दोनो की पत्निया रेस्पेक्टिव्ली जानकी और मीनाक्षी देशपांडे अपने घर को संभालने के साथ साथ एक एनजीओ भी चलती है

ये लोग बात कर ही रहे थे के एक लड़का आकर शिवशंकर जी के खुर्ची के बाजू मे आकर बैठ गया,

"गुड मॉर्निंग दादू, दादी "

ये है गायत्री और शिवशंकर देशपांडे का छोटा पोटा शेखर देशपांडे, धनंजय और मीनाक्षी का बेटा, जिसने अभी अभी अपना एमबीए कंप्लीट किया है और फिलहाल अपनी छुट्टियां बिता रहा है,

शिवशंकर - गुड मॉर्निंग हीरो, और क्या प्लान है आजका

शेकर- बस कुछ खास नही, अभी नाश्ते के बाद बढ़िया कोई फिल्म देखूँगा और शाम को दोस्तो के साथ बाहर जाने का प्लान है

गायत्री - अरे ऐसे टाइम वेस्ट करने से अछा ऑफीस जाया करो अब तुम भी, वाहा काम सीखो अपने भाई से..

शेखर- अरे सीख लूँगा दादी क्या जल्दी है

"जल्दी है"

ये आवाज़ थी शेखर के पिता धनंजय देशपांडे की

धनंजय- जल्दी है भाई मैं भी चाहता हू के अपना सारा बिज़्नेस का भार तुम्हे सौप के थोड़ा रीटायरमेंट लाइफ एंजाय करू जैसे भैया ने अपनी बिज़नेस की सारी ज़िम्मेदारी राघव को दे दी है वैसे ही मैं भी जल्दी से चाहता हू के तुम अब बिज़नेस मे मेरा हाथ बटाओ, बहुत मस्ती कर ली बेटा आ करियर पे फोकस करो थोड़ा

इधर जैसे ही धनंजय का लेक्चर शुरू हुआ वैसे ही शेखर ने अपने दादाजी की तरफ बचाओ वाली नज़रो से देखा

शिवशंकर- अच्छा ठीक है शेखर कल से तुम ऑफीस जाना शुरू करोगे धनंजय सही कह रहा है

शेखर- लेकिन दादू.

तब तक वाहा नाश्ते के लिए सभी लोग जमा हो चुके थे.

सिवाय एक के, राघव

शिवशंकर- अच्छा अब सब लोग ध्यान से सुनो मुझे तुम सब से एक ज़रूरी बात करनी है.

शिवशंकर की बात सुन कर सब उनकी तरफ देखने लगे

शिवशंकर - मैं सोच रहा था के अब राघव ने सब कुछ संभाल ही लिया है तो मुझे लगता है के अब हमे उसकी शादी के बारे मे सोचना शुरू कर देना चाहिए

शिवशंकर की बात सुनकर सब लोग चुप चाप हो गए और उन्हे देखने लगे

शिवशंकर- अरे भाई क्या हुआ? मैने ग़लत कहा क्या कुछ ?

गायत्री- एकदम सही बात बोली है आपने मेरे भी दिमाग़ मे कबसे ये बात चल रही थी

रमाकांत - हा बाबा बात तो सही है और मुझे लगता है के जब आप ये बात कर रहे हो तो आपने ज़रूर लड़की भी देखी ही होगी

रमाकांत की बात सुन कर शिवशंकर जी मुस्कुराने लगे

धनंजय- मतलब भैया का अंदाज़ा सही है आप लड़की से मिल चुके है

शिवशंकर- नही मिला तो अभी नही हू लेकिन हा लड़की देख रखी है, नेहा नाम है उसका, बड़ी प्यारी बच्ची है

शेखर- मैं कुछ बोलू?

शिवशंकर- हम्म बोलो

शेखर- नही ये शादी वग़ैरा का प्लान आपका एकदम सही है दादू लेकिन भाई से तो बात कर लो वो अलग ही प्राणी हो रखा है, सनडे को कौन ऑफीस जाता है यार..

रमाकांत- बात तो शेखर की भी सही है

शिवशंकर- अरे तुम सब राघव की चिंता मत करो उससे मैं बात कर लूँगा वो मुझे मना नही करेगा मैं सोच रहा था के आज सनडे है तो क्यू ना हम सब उनके घर जाकर उनसे मिल आए..

गायत्री- अब जब आपको ये रिश्ता जच रहा है तो हर्ज ही क्या है आज ही चलते है

"कहा जाने की बात हो रही है?" ये इस जनरेशन की एकलौती बेटी रिद्धि

शेखर- भाई के लिए लड़की देखने

रिद्धि - वाउ, मतलब घर मे शादी, मतलब ढेर सारी शॉपिंग.. मैं अभी से प्लान बनाना शुरू कर देती हू

गायत्री- ये देखा अभी बात पक्की नही हुई और इनके प्लान बनने लगे

"मैं भी चलूँगा" ये इस घर का सबसे छोटा बेटा, विवेक

धनंजय- तुम चल के क्या करोगे सिर्फ़ हम बडो को जाने को बाद मे चलना

विवेक- डैड..!

शिवशंकर- अरे बस बस पहले सब नाश्ता करो फिर बाद मे बात करेंगे इसपे

अगले दिन रात 11.30

देशपांडे वाड़े के मेन गेट से एक गाड़ी अंदर आई, जिसमे से एक 26-27 साल का लड़का निकला जिसने एक पाउडर ब्लू कलर की शर्ट पहन रखी थी और ब्लॅक पैंट जिसका ब्लॅक कोट और एक बैग उसने हाथ मे पकड़ रखा था, सुबह जो बाल जेल लगा कर सेट किए थे वो अब थोड़े बिखर गये थे, हल्की ट्रिम की हुई दाढ़ी, वेल बिल्ट बॉडी लेकिन काम की थकान उसके चेहरे से साफ पता चल रही थी..

उसने घर का गेट खोला और अंदर आया, यूजुअली सब लोग इस वक़्त तक अपने अपने रूम मे जा चुके होते है लेकिन आज घर के हॉल मे शिवशंकर बैठ कर अपने बड़े पोते का इंतजार कर रहे थे..

ये इस घर का बड़ा पोटा राघव..

हॉल मे बैठे शिवशंकर को देख कर राघव थोड़ा चौका

राघव - दादू? आप सोए नही अभी तक?

शिवशंकर - अगर मैं सो जाता तो अपने पोते का चेहरा कैसे देखता? तुमसे मिलने के लिए लगता है के अब घर वालो को भी अपॉइंटमेंट लेना पड़ेगा

दादू थोड़े गुस्से मे लग रहे थे

राघव- दादू वो आजकल तोड़ा काम..

शिवशंकर- खाना खाया?

राघव- हा वो आज एक क्लाइंट के साथ ही डिनर किया

शिवशंकर- 15 मिनट मे फ्रेश होकर मुझे मेरी स्टडी मे मिलो.

इतना बोल कर दादू वाहा से चले गये और राघव भी अपने रूम की ओर बढ़ गया..

15 मिनट मे राघव शिवशंकर के स्टडी मे था

शिवशंकर ने दो मिनिट तो कुछ नही कहा बस राघव को देखते रहे जिसपर राघव ने चुप्पी तोड़ी

राघव- दादू क्या हुआ ऐसे क्या देख रहे हो

शिवशंकर- अपने आप को देख रहा हू बेटा एक जमाने मे जब मैने ये बिज़नेस शुरू किया था तब मैं भी तुम्हारी ही तरह था.. और अपने जीवन के अनुभव से मैने सीखा है के काम में इतना ना उलझो के परिवार के लिए वक़्त ही ना बचे

राघव- पर दादू काम भी तो ज़रूरी है ना

शिवशंकर- हा ज़रूरी तो है खैर इस बारे मे फिर कभी अभी जो बात मैं तुमसे कहना चाह रहा हू उसे ध्यान से सुनो, क्या तुम किसी लड़की को पसंद करते हो?

राघव- क्या? दादू ये बात करने बुलाया है आपने मुझे?

राघव ने तोड़ा कन्फ्यूज़ टोन मे कहा

शिवशंकर- क्यू, अरे भाई तुम दिखते अच्छे हो, इतना बड़ा बिज़नेस संभालते हो तो कोई गर्लफ्रेंड भी तो होगी तुम्हारी? आजकल तो ये आम बात है..

राघव- क्या दादू आप भी

शिवशंकर- हा या ना बताओ मेरे बच्चे फिर मुझे जो बात करनी है वो आगे बढ़ाऊंगा

राघव- ओके फाइन, कोई गर्लफ्रेंड नही है मेरी

शिवशंकर - गुड, क्यूकी मैने तुम्हारे लिए एक लड़की पसंद की है मैं चाहता हू तुम्हारी शादी उससे हो, इनफॅक्ट हम सब उससे मिल आए है कल मैं बस तुमसे जानना चाहता था के तुम किसी को पसंद तो नही करते ना

राघव- क्या?? दादू लेकिन.

शिवशंकर- अगर तुम्हारे पास कोई बढ़िया रीज़न हो ना कहने का तो ही कहना क्यूकी मैं शादी नही करना चाहता अभी ये रीज़न नही चलेगा, रही बात काम की तो मैं भी बिज़नेस संभाल चुका हू सब मॅनेज हो सकता है

शिवशंकर की बात से राघव के चेहरे के एक्सप्रेशन्स बदलने लगे.. ये बात तो साफ थी के उसके पास कोई रीज़न नही था शादी से भागने का लेकिन वो अभी शादी भी नही करना चाहता था.

शिवशंकर- राघव काम सारी जिंदगी होता रहेगा लेकिन कभी ना कभी तो बेटा परिवार भी आगे बढ़ाना पड़ेगा ना.. इसी बहाने तुम हमे घर मे तो दिखोगे

राघव ने कुछ नही कहा..

शिवशंकर- कल तक अच्छे से इस बारे मे सोच लो राघव फिर मुझे बताना.

जिसके बाद राघव वाहा से अपने रूम मे आने के लिए निकल गया और शिवशंकर अपने रूम मे चले गये.

तो क्या फ़ैसला लेगा राघव? वो शादी के लिए मानेगा या नही, देखते है अगले भाग मे..

क्रमश:
 

[color=rgb(184,]Update 2 [/color]

'जैसे ही उसने उस धीमी रोशनी वाले कमरे मे कदम रखा उसे अपने ऊपर किसी की आखे जमी हुई महसूस हुई जो सीधे उसके दिल को भेद रही थी, वो जानती थी के वो खतरनाक है लेकिन फिर भी उससे दूर नाही जा पा रही थी, उसके खिचाव से अपने आप को बचा नही पा रही थी, उसका चलना उसके बात करने का तरीका मानो पूरी दुनिया उसके कदमों मे हो.. उसे अपनी ओर खीच रहा था

"तुम्हें यहा नाही आना चाहिए था" वो हल्की आवाज मे गुरगुराया

"मैं.. मैं बस तुम्हें देखना चाहती थी, अब और दूर नाही रहा जाता" उसने उसकी आँखों से आंखे डाल कर कहा

धीरे धीरे वो उसकी ओर बढ़ने लगा' लेकिन तभी

"दीदी" इस आवाज से उसका ध्यान भंग हुआ और उसने सर उठा कर दरवाजे की तरफ देखा, आज फिर कोई उसके नॉवेल मे खलल डाल गया था

ये है हमारी कहानी की नायिका, नेहा एक खूबसूरत और उतनी ही सुलझी हुई लड़की, नेहा के माता पिता अब इस दुनिया मे नही रहे इसीलिए 10 साल की उम्र से ही अपने चाचा चाची के साथ ही रही है, उसके चाचा चाची ने भी नेहा को अपनी सगी बेटी से भी ज्यादा प्यार किया है, शिवशंकर ने राघव के लिए नेहा को चुना था, नेहा को उन्होंने एक चैरिटी ईवेंट मे देखा था जहा उन्हे वो देखते साथ ही राघव के लिए पसंद आ गई थी।

नेहा एक मिडल क्लास फॅमिली से बिलॉंग करती थी और जब शिवशंकर ने उसके चाचा चाची से नेहा का हाथ मांगा तब वो लोग काफी खुश हुए और आज शाम ही वो लोग उनके घर मिलने आने वाले थे जिसकी खबर देने ही नेहा का भाई अभी अभी उसके नॉवेल मे उसे डिस्टर्ब करने आया था..

नेहा- ऑफफो सचिन संडे के दिन तो आराम से नॉवेल पढ़ने दिया करो

सचिन- नॉवेल छोड़ो दीदी काम की बात सुनो पहले, मा आपको नीचे बुला रही है

नेहा- हा चाची से कहो आ रही हु

कुछ समय बाद नेहा अपने चाचा चाची के सामने हॉल मे बैठी थी

संगीता ( नेहा की चाची ) - नेहा बेटे तुम्हारे लिए एक बहुत अच्छा रिश्ता आया है..

नेहा को कुछ पल तो क्या रिएक्शन दे समझ ही नही आया वो कुछ नाही बोली

संगीता - नेहा बेटा बहुत अच्छे परिवार से खुद चल कर रिश्ता आया है, वो लोग आज शाम मे आ रहे है तुमसे मिलने

नेहा - लेकिन चाची मैं अभी शादी नही करना चाहती, मुझे मेरी डांस एकेडमी खोलनी है उसमे करिअर बनाना है,

सतीश- वो सब तो बेटा शादी के बाद भी हो जाएगा, देशपांडे जी के परिवार से रिश्ता आया है, शिवशंकर देशपांडे जी के बड़े पोते का, एक बार उन लोगों से मिल लो

नेहा - ठीक है चाचू...
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उसी दिन शाम को शिवशंकर देशपांडे और घर के बाकी लोग नेहा और उसके परिवार से मिल आए सबको नेहा और उसके घरवाले सही लगे थे और जब वो मिल कर लौट रहे थे तब गाड़ी मे..

शिवशंकर- क्या हुआ गायत्री क्या सोच रही हो ?

गायत्री - सोच रही हु के क्या एक छोटे से मिडल क्लास परिवार की लड़की हमारे घर को संभाल पाएगी? कही कुछ ज्यादा जल्द बाजी तो नाही न हो रही ?

शिवशंकर- तुम भी तो छोटे परिवार से ही थी लेकिन तुमने तो सब संभाल लिया, मेरा हमेशा साथ दिया तो क्या अब मुझपर भरोसा नही रहा?

गायत्री- ऐसी बात नाही है, आप ने जब इस रिश्ते के बारे मे बताया था तभी मैं समझ गई थी के आपने कुछ तो सोचा होगा इस बारे मे लेकिन क्या राघव मानेगा ?

शिवशंकर- जरूर मानेगा और तुम देखना नेहा से बढ़िया और कोई लड़की नाही हो सकती राघव के लिए.
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प्रेजेंट डे

कल रात अपने दादा से बात करके जब राघव अपने रूम मे आया तो वो उनकी बातों के बारे मे ही सोच रहा था और जब उसका दिमाग सोच सोच कर थक गया तो उसने अपने जिगरी दोस्त को लंदन मे फोन लगाया

विशाल- और मेरे भाई क्या हाल है तेरे क्या मुसीबत या गई अब

राघव- मैं जब भी तेरे से बात करने फोन लगता हु तो तुझे को ऐसा क्यू लगता है के कोई मुसीबत आई होगी ?

विशाल- भाई जितना अच्छे से मैं तुझे जानता हु न कोई और नाही जानता अब बता बात क्या है

फिर राघव ने विशाल को दादू से हुई सारी बात बताई

राघव- अब बता मैं क्या करू ?

विशाल- करना क्या है शादी के लिए हा कर और क्या, राघव 3 साल बीत चुके है उस बात को कब तक उसी मे उलझा रहेगा कभी न कभी तो आगे बढ़ना ही होगा न

राघव- मैं कन्फ्यूज़ हु विशाल एक हिसाब से दादू की बात भी सही है लेकिन...

विशाल- भाई दादू ने जिसे भी तेरे लिए चुना होगा वो सही होगी, वो कभी कोई काम बगैर सोचे नाही करते है मेरी मान तो शादी के लिए हा कर दे

राघव- चल ठीक है सोचता हु इस बारे मे

विशाल- और क्या सोचा वो बताना वरना साले अड्वाइज़ लेने के लिए मुझे याद करता है तू

राघव - हा हा चल गुड नाइट

और राघव ने फोन रख दिया

राघव ने रात भी इस बारे मे खूब सोचा और अगली सुबह जल्दी ही दादू के कमरे के सामने पहुच कर उनके रूम का दरवाजा खटखटाया तो उसकी दादी ने दरवाजा खोला

राघव - गुड मॉर्निंग दादी

राघव ने मुस्कुरा कर कहा

गायत्री- गुड मॉर्निंग, अब आज सुबह सुबह तेरा चेहरा देख लिया आज मेरा दिन बहुत अच्छा जाएगा आजा अंदर आ

राघव - गुड मॉर्निंग दादू

राघव ने अंदर घुसते हुए दादू से कहा जो अखबार पढ़ रहे थे

शिवशंकर - गुड मार्निंग और आज तुम सुबह सुबह रास्ता भूल गए क्या ऑफिस की जगह यहा आए हो

राघव - वो आज मैंने छुट्टी ली है इसीलिए घर पर ही हु लेकिन आपसे जरूरी बात करनी है इसीलिए चला आया

गायत्री - अच्छा किया जब देखो तब काम मे लगा रहता है, बेटा छुट्टी भी जरूरी होती है

शिवशंकर - अरे तुम रुको जरा हा राघव तो क्या सोचा फिर तुमने

राघव - मैंने आपकी बातों पर रात भर सोचा दादू और फिर इस डिसिशन पर पहुचा हु के हा मैं तयार हु शादी के लिए

शिवशंकर - शाबास यही उमीद थी मुझे, सही डिसिशन लिया है तुमने लेकिन पहले लड़की तो देख लेते

राघव - आप लोगों ने देख ली है न बस काफी है

गायत्री - मैं नाश्ते मे मीठा बनवाती हु कुछ..

कुछ समय बाद घर के सभी लोग नाश्ते के टेबल पर जमे हुए थे

विवेक- अरे वाह आज क्या कुछ स्पेशल है क्या ?

विवेक ने टेबल पर बैठते हुए पूछा

रिद्धि - तुझे घर मे क्या चल रहा है कुछ पता भी होता है

विवेक- हा तो मेरे पीछे और भी काम होते है वैसे बता ना क्या खास है आज तो भाई भी घर पर ही दिख रहे

विवेक ने राघव की तरफ देखते हुए रिद्धि के कान मे पूछा काहे से के ये राघव के सामने मुह नाही खोलता था क्या पता घुसा पड जाए

रिद्धि- भाई ने शादी के लिए हा कर दी है

विवेक- हैं! सच मे

रिद्धि ने हा मे गर्दन हिलाई

ऐसे ही बात चित मे देखते देखते दो महीनों का समय कब बीत गया पता नाही चला लेकिन इन दो महीनो में राघव के अपने आप को काम में और ज्यादा उलझा लिया था उसने हा तो कर दी थी लेकिन कही ना कही अपने डिसीजन पर अब भी कंफ्यूज था लेकिन अब वो पीछे भी नही हट सकता था

राघव और नेहा की शादी तय हो चुकी थी और अब बस उनकी शादी को बस 2 दिन बचे थे लेकिन इन 2 महीनों मे राघव और नेहा ने 2 बार भी ठीक से एक दूसरे से बात नही की थी एक दुसरे से मिलना तो बहुत दूर की बात थी,

जहा एक तरफ नेहा इस शादी को लेकर थोड़ी एक्साइटेड थोड़ी नर्वस थी वही राघव अभी भी अपने डिसिशन पर कन्फ्यूज़ था लेकिन अब इस शादी को ना करने के लिए बहुत देर हो चुकी थी घर मे शादी की रस्मे शुरू हो चुकी थी, इन दो महीनों मे राघव ने अपने आप को मानो ऑफिस मे बंद कर लिया था शेखर ने भी ऑफिस जॉइन कर लिया था और उसे राघव का बिहेवियर थोड़ा खटक रहा था लेकिन जब उसने इस बारे मे राघव से बात करने की कोशिश की तब राघव ने बात पलट कर उसे काम मे उलझा दिया था

आज राघव और नेहा की शादी का दिन था और सुबह से ही राघव कुछ परेशान सा दिख रहा था, आज सुबह सुबह राघव को एक फोन आया था जिसके बाद उसका मूड खराब हो चुका था लेकिन अभी वो बात घर मे बता कर वो सबकी खुशी कम नही करना चाहता था

राघव ने अपने असिस्टेंट को फोन करके आज रात की उसकी फ्लाइट टिकट बुक करने कहा और बाद मे शादी की रस्मे करने चला गया

धीरे धीरे वो समय भी आया जब राघव और नेहा सात फेरो के बंधन मे बंध गए

नेहा के परिवार वाले उसकी इतने बड़े परिवार मे शादी होने से काफी खुश थे, उसके चाचा को लगा मानो उन्होंने नेहा के स्वर्गीय पिता का सपना पूरा कर दिया हो

रात मे नेहा राघव के कमरे मे उसका इंतजार कर रही थी, आज उसकी जिंदगी की नई शुरुवात होने वाली थी, नेहा अपने आने वाले जीवन के बारे मे सोच रही थी, पिछले दो महीनों मे नेहा ने इस घर के सभी लोगों को अच्छे से जाना था लेकिन वो राघव से, जो उसका जीवन साथी था उससे अभी भी अनजान थी तभी उसे दरवाजा खुलने का आवाज आया

राघव करमे मे आ चुका था, उसने एक नजर नेहा की तरफ देखा और अपने रूम मे बने वॉर्ड्रोब मे चल गया और नेहा बस उसे जाते हुए देखती रही

कुछ समय बाद राघव चेंज करके बाहर आया तो उसके साथ उसका एक बैग भी था,

राघव ने नेहा की तरफ देखा और कहा

राघव- नेहा मैं जानता हु तुम्हारे मन मे इस वक्त कई सवाल चल रहे है और सच कहू तो मेरे भी लेकिन मैं इस वक्त यहा नही रुक पाऊँगा मुझे कुछ काम से बाहर जाना पड रहा है 2 महीनों के लिए मैं तुमसे कुछ ही घंटों मे इसे समझने की उम्मीद तो नाही कर सकता लेकिन कोशिश करना और हो सके तो मुझे माफ भी..

इतना बोल कर राघव वहा से निकाल गया और जाते जाते नेहा की आँखों मे पानी छोड़ गया

लेकिन राघव ने ऐसा क्यू किया? किसका फोन आया था उसे जो उसे अपनी शादी की पहली रात छोड़ कर जाना पड़ा , अब नेहा कैसे निभाएगी अपना ये नया रिश्ता?

क्रमश:
 

[color=rgb(184,]Update 3[/color]

सुबह सुबह खिड़की से कमरे मे आती सूरज की रोशनी बेड पर सोई उस खूबसूरत लड़की की नींद मे खलल डाल रही थी.. उसने आती हुई रोशनी से परेशान होकर अपनी करवट बदली और उसका सीधा हाथ बेड की दूसरी ओर गया मानो किसी को वहा ढूंढ रहा हो लेकिन...

बेड पर उसके अलावा कोई नाही था, उसने अपनी आंखे सहलायी और बची कूची नींद को अपनी आँखों से दूर किया और बेड पर उठ कर बैठ गई, उसने एक नजर घड़ी की तरफ देखा तो घड़ी मे इस वक्त सुबह के 7 बज रहे थे।

उसने एक नजर अपने कमरे मे घुमाई फिर दोबारा बेड को देखा, एक लंबी सास छोड़ी और मुह ही मुह मे कुछ पुटपुटाकर वो अपनी दैनिक क्रिया निपटने के लिए उठ गई और बाथरूम की ओर चली गई..

बाथरूम से आकार और रेडी होकर उसने नीचे जाने से पहले आखरी बार अपने आप को आईने मे देखा, उसे अपने आप को प्रेसेंटेबल रखना था आखिर वो इस परिवार की बड़ी बहु थी..

नेहा राघव देशपांडे...

नेहा और राघव की शादी को पाँच महीने बीत चुके थे...

नेहा ने नीचे जाकर सबसे पहले किचन मे कदम रखा जहा राघव की मा और चाची पहले ही मौजूद थे

नेहा- गुड मॉर्निंग मा, चाची

नेहा ने मुस्कुराकर उन दोनों को मॉर्निंग विश की

"गुड मॉर्निंग बेटा" नेहा की सास जानकी ने भी उसे मुस्कुरा कर जवाब दिया

"गुड मॉर्निंग नेहा" मीनाक्षी ने कहा

नेहा - तो बताइए आज क्या बनाना है नाश्ते के लिए

नेहा ने अपनी सास की ओर देख कर पूछा

"कुछ बढ़िया पराठों के बारे मे क्या खयाल है?" पीछे से एक आवाज आई जो कोई और नही बल्कि इस घर के मुखिया शिवशंकर जी थे

"गुड मॉर्निंग पापाजी" कहते हुए जानकी और मीनाक्षी ने उनके पैर छूए

शिवशंकर- खुश रहो

नेहा- गुड मॉर्निंग दादू

नेहा ने भी शिवशंकर जी के पैर छूए

शिवशंकर- खुश रहो और अब बताओ कब बन रहे मेरे पराठे

तभी पीछे से गायत्री जी की आवाज आई

गायत्री- आज नेहा जानकी या मीनाक्षी कुछ नही बनाने वाली है

गायत्री जी का इशारा सब समझ रहे थे

दरअसल एक बात तो आप लोगों को बताने की ही रह गई थी, पिछले पाँच महीनों मे शेखर का प्रेमप्रकरण सब घरवालों के सामने आ गया था जिसके चलते शेखर की भी शादी हो चुकी थी

आज शेखर की पत्नी की पहली रसोई थी जिसकी ओर गायत्री जी का इशारा था लेकिन इसमे नेहा जानकी और मीनाक्षी करते भी क्या, देशपांडे परिवार की छोटी बहु अभी तक आयी ही नाही थी

गायत्री- कहा है वो ? उसे अब ये भी बताना पड़ेगा क्या की इस वक्त उसे यहा होना चाहिए था?

गायत्री जी ने ताना कसते हुए कहा, वो वैसे तो इस शादी के खिलाफ नही थी लेकिन उतना ज्यादा खुश भी नाही थी,

गायत्री जी को बगैर डिसप्लिन वाले लोग बिल्कुल पसंद नाही थे और उसमे भी उनकी ये नई बहु मिडल क्लास परिवार से थी और उससे भी ज्यादा वो उनके छोटे पोते की पसंद थी
वैसे तो नेहा भी मिडल क्लास परिवार से थी लेकिन जब गायत्री जी ने नेहा का वेल कल्चर्ड व्यव्हार देखा और जाना के वो कितने बढ़िया डिसप्लिन वाली लड़की है तो उन्होंने उसे खुशी खुशी अपना लिया, वेल सबकी पसंद से ही नेहा इस घर की बहु बनी थी सिवाय एक के..

इस घर के सारे नियम गायत्री जी ही बनाती थी और घर मे उनकी बात केवल शिवशंकर जी काट सकते थे लेकिन वो भी बस कभी कभी। उन्हे सब अपने हिसाब से चाहिए होता था।

"मैं यहाँ हु दादीजी" उन सबने एक आवाज सुनी और उस आवाज की दिशा मे घूमे

किचन के गेट पर देशपांडे परिवार ही नई बहु खड़ी थी

श्वेता शेखर देशपांडे

श्वेता ने अंदर आते ही वहा मौजूद सभी बड़ों का आशीर्वाद लिया और सबसे मुस्कुराकर उसे आशीर्वाद दिया सिवाय गायत्री जी के

गायत्री - जानकी और मीनाक्षी तुम दोनों जाओ और जाकर देखो के पूजा की तयारिया हुई या नाही और नेहा आज श्वेता की पहली रसोई है तो तुम उसे बताओगी के कहा कहा क्या क्या रखा है लेकिन सिर्फ बताना है कुछ भी बनाने मे उसकी मदद नाही करनी है समझ आया ?

गायत्री जी ने सबको अपना अपना काम बता दिया और सबने मुंडी हिला कर हा कहा जिसके बाद गायत्री जी वहा से चली गई और उसके साथ साथ जानकी और मीनाक्षी भी चली गई

शिवशंकर- गायत्री को थोड़ा समय दो बेटा वो जितनी अभी दिख रही है न उतनी बुरी नाही है,

शिवशंकर जी ने श्वेता के सर पर हाथ फेरते हुए कहा और वो भी वहा से चले गए

नेहा- दादी की बात का बुरा मत मानना श्वेता वो ऐसी ही है, मैंने भी मेरे पहले दिन ये सब सहा है,

नेहा ने मुस्कुराकर श्वेता का मूड लाइट करने के लिए कहा

श्वेता - कोई बात नाही भाभी, अच्छा अब बताओ क्या बनाऊ मैं ?

नेहा - उम्म क्या बना सकती हो तुम वो बताओ ?

श्वेता - उम्म... मैं... उम्म वो मुझे कहना बनाना नही आता

श्वेता ने एकदम धीमी आवाज मे कहा जिससे नेहा के चेहरे पर एक मुस्कम आ गई

नेहा- इट्स ओके तुम मुझसे कह सकती हो मैं यहा तुम्हारी मदद के लिए ही हु, ऐसा करते है खीर बनाते है मैं जैसा जैसा बताऊ वैसा वैसा करना

नेहा ने कहा जिसपर श्वेता मे हामी भारी

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श्वेता जब हाथ धो रही थी तब किसी ने पीछे से आकार उसे गले लगा लिया श्वेता जानती थी के वो कौन है

श्वेता - अब क्या चाहिए तुम्हें? रात काफी नाही थी क्या

श्वेता ने बगैर पीछे मुड़े कहा

शेखर- अब क्या मुझे अपनी ही बीवी से प्यार करने के लिए समय भी देखना पड़ेगा क्या

श्वेता - शेखर कोई देख लेगा न छोड़ो मुझे

श्वेता ने शेखर के हाथों से निकलते हुए कहा

शेखर - उमहू पहले मुझे मेरा मॉर्निंग किस दो

शेखर ने श्वेता को कस के पकड़ते हुए कहा

श्वेता- बाद मे ले लेना अभी नही प्लीज, मुझे काम करने दो हटो

श्वेता ने पीछे मूड कर शेखर कों देखते हुए कहा और मूड कर वो एकदम फ्रीज़ हो गई

शेखर- तो अब तुम्हारा काम मुझसे भी ज्यादा जरूरी है ?

शेखर ने श्वेता के बालों की लट को उसके कान के पीछे करते हुए पूछा लेकिन श्वेता ने कोई जवाब नही दिया

शेखर- अब बोलो भी ऐसे पुतले जैसे क्यू खड़ी हो तुम

शेखर ने जब श्वेता की नजरों का पीछा किया और मूड कर देखा तो वो भी वही जम गया

शेखर ने अपना थूक गटका और सामने खड़ी त्रिमूर्ती को देखा इतने मे श्वेता शेखर के बाजुओ से निकल कर उसके बगल मे आकार खड़ी हो गई थी और उसका सर शर्म से नीचे झुका हुआ था

शेखर- वो... भा.. भाभी वो... मैं... वो... पानी पीने आया था

शेखर बुरी तरह से झेंप गया था और नेहा अपनी स्माइल छुपाते हुए बस उसे एक टक देखे जा रही थी लेकिन शेखर को ऐसे हकलाते देखते वहा नेहा के साथ मौजूद दोनों लोग अपनी हसी नही रोक पाए और जोर जोर से हसने लगे जिससे श्वेता और भी ज्यादा शर्म से गडे जा रही थी

विवेक - सिरीयसली भाई आप पानी पीने आए थे? इससे पहले तो मैंने आपको कभी घर के इस कोने मे नही देखा और पानी वो तो आपको कोई भी ला देता

विवेक इतना कह के वापिस हसने लगा

रिद्धि- भाई वेरी बैड कम से कम बहाना तो अच्छा बनाओ

विवेक और रिद्धि की बात सुन कर नेहा ने अपनी हसी छुपाने की कोशिश की लेकिन वो नाकाम रही

नेहा- विवेक रिद्धि चुप करो दोनों ऐसे अपने भाई भाभी को परेशान नाही करते

रिद्धि- पर भाभी भाई इससे पहले कभी पानी लेने किचन मे भी तो नाही आया था न

और रिद्धि वापिस हसने लगी

नेहा- हा तो कल ही तो शादी हुई है मेरे देवर की अब इतना तो बनता है

नेहा ने शेखर की साइड लेते हुए कहा

शेखर- देखा इस घर मे सिर्फ मेरी भाभी को मेरी फिक्र है समझे नालायको

शेखर ने नेहा के पास आते हुए कहा, नेहा शेखर के लिए भाभी के रूप मे बड़ी बहन जैसी थी, नेहा ने प्यार से शेखर के सर पर हाथ फेर और श्वेता उन्हे देख मुस्कुराने लागि, शेखर ने श्वेता को बताया था के नेहा का उसकी लाइफ मे क्या इम्पॉर्टन्स है

रिद्धि- भाभी सारा प्यार क्या सिर्फ शेखर भईया के लिए और हम

रिद्धि ने अपने होंठों को गोल कर प्यार का मुह बनाते हुए कहा

नेहा- अरे तुम दोनों तो जान हो मेरी यहा आओ

और नेहा ने अपने हाथ फैला दिए जिससे रिद्धि और विवेक
उसके गले लग गए और शेखर ने भी इन्हे जॉइन कर लिया

नेहा- तुम वहा क्यू खड़ी हो श्वेता तुम भी आओ

और श्वेता ने भी मुस्कुरा कर उन्हे जॉइन किया

विवेक - अब लग रही है अपनी गैंग कम्प्लीट

तभी उन्हे मीनाक्षी जी का आवाज आया वो उन्हे आरती के लिए बुला रही थी

आरती होने के बाद परिवार के सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे थे और नेहा और श्वेता सबको नाश्ता परोस रही थी

गायत्री- उम्मीद है ये सब श्वेता ने ही बनाया होगा

गायत्री जी ने खीर को देखते हुए कहा

श्वेता- जी दादी

सब लोग खीर खाने लगे और श्वेता बस उन्हे नर्वसली देख रही थी तब नेहा ने उसे इशारे से शांत रहने कहा

रमाकांत- खीर बढ़िया बनी है बेटा

रमाकांत जी की बात सुनकर श्वेता के चेहरे पर मुस्कान आ गई

जानकी- हा श्वेता खीर बहुत बढ़िया बनी है

फिर श्वेता ने अपने पति की ओर देखा जो खीर की दूसरी कटोरी खतम करने वाला था लेकिन अभी तक उसने खीर कैसी बनी है नही बताया था

"भूक्कड़" श्वेता ने धीमे से कहा

धनंजय- यहा आओ बेटा ये लो

जिसके साथ ही धनंजय ने मीनाक्षी को इशारा किया और उन दोनों ने एक जूलरी सेट श्वेता को पहली रसोई के नेग मे दिया

श्वेता ने उसे लेने से पहले शेखर को देखा और शेखर ने एक स्माइल के साथ हा का इशारा किया फिर श्वेता ने उन दोनों का आशीर्वाद लिया

जिसके बाद रमाकांत और जानकी ने उसे एक 51000 का एन्वलोप दिया

शिवशंकर- और भई हम हमारा तोहफा तो जब तुम अपने पगफेरे की रस्म से लौट आओगी तब देंगे, सप्राइज़ है तुम्हारे लिए

विवेक- वॉव दादू सप्राइज़

विवेक ने एक्सईट होकर कहा

गायत्री- तुम क्यू इतने खुश हो रहे हो ये नए जोड़े के लिए है तुम्हारे लिए नही

गायत्री की बात सुन कर सब मुस्कुराने लगे, नेहा ने पूजा को डायमंड ईयररिंग गिफ्ट किए

रमाकांत- नेहा बेटा तुम्हारा पति कहा है

रमाकांत जी को जब अपना बेटा कही नही दिखा तब उन्होंने नेहा से पूछा जिससे सब नेहा को देखने लगे उसके जवाब के लिए जिसका नेहा के पास कोई जवाब नाही था..

ये एकलौता ऐसा सवाल था जो नेहा को चुप करा देता था

लेकिन क्यू??

उससे तो बस उसके पती के बारे मे पूछा गया था इसमे चुप होने वाली क्या बात थी?

और कहा था उसका पती??

क्रमश:
 

[color=rgb(184,]Update 4[/color]

नेहा के पास घरवालों के सवाल का कोई जवाब नही था, वो सब के चेहरे देखते हुए खामोश रही फिर उसने बात संभालते हुए कहा

नेहा - पापाजी वो सुबह जल्दी चले गए उनकी कोई अर्जन्ट मीटिंग थी

नेहा ने सधी हुई आवाज मे नम्रता के साथ जवाब दिया

शिवशंकर- मुझे समझ नाही आता ये लड़का इतना काम क्यू करता है। अभी उसकि शादी को बस 5 ही महीने हुए है और ये है के अपने परिवार को थोड़ा समय देने के बदले काम मे उलझ हुआ है..

शिवशंकर जी ने थोड़ा इरिटेट होते हुए कहा उनको अपने बिजी पोते पर बहुत गुस्सा आ रहा था

गायत्री- आज कल तो वो घर पर रहता ही नही है, तुम्हें उससे बात करनी चाहीये न इस बारे मे नेहा, उसे घर पर रोकना तुम्हारा काम है पत्नी हो तुम उसकी

गायत्री जी ने नेहा को ताना मारा

नेहा बस सर झुकाए सबकी बाते सुन रही थी वो इसका जवाब नही देना चाहती थी या ये कहना ज्यादा सही होगा के उसके पास इसका कोई जवाब ही नही था।

उसका डीयर हसबंड शादी की रात को ही सारी रस्मे पूरी होने के बाद दो महीनों के लिए बिजनेस ट्रिप पर निकल गया था, और पिछले तीन महीनों से वो उसे पूरी तरह से इग्नोर कर रहा था मानो नेहा उसके लिए उस घर मे मौजूद ही नही थी, पता नही के उसने नेहा का चेहरा भी सही से देखा था या नही, नेहा ने राघव को उनके रूम मे बस 6-7 बार ही देखा था वो भी तब जब राघव भूल जाता था के नेहा भी उसी कमरे मे रहती है, वो रात मे देरी से आता था और सुबह जल्दी चला जाता था, उसके इस बर्ताव की वजह से नेहा उसकी ओर देख भी नही पाती थी, उसने तो राघव का चेहरा भी इन पाँच महीनों मे बस 4-5 बार ही देखा था बाकी समय राघव नेहा को देखते ही अपना रास्ता बदल लेता या नेहा उसे उसके बर्ताव की वजह से इग्नोर कर देती

उन्हे देख के कोई नही कह सकता था के वो दोनों शादी शुदा है, दो अनजान लोग अगर बातचित करे तो भी इनसे ज्यादा बाते कर सकते थे

विवेक- दादी इसमे कोई कुछ नही कर सकता, जब भईया किसी की बात सुनते ही नही तो इसमे भाभी क्या करेगी

विवेक ने नेहा की साइड लेते हुए कहा

शेखर- हा दादी, राघव भाई बैक टु बैक मीटिंग्स मे बिजी है नई ब्रांच के लॉन्च को लेकर इसमे भाभी की क्या गलती ,उझे तो यकीन है भाई ने भाभी की बात को भी इग्नोर कर दिया होगा

नेहा ने शेखर को इशारे से ही चुप रहने कहा

गायत्री- हा हा इसमे इसकी कहा गलती है, राघव के पास जब घर पर रुकने का कोई रीज़न ही नही है तो वो क्यू रुकेगा

गायत्री जी ने नेहा को फिर से ताना मारा

श्वेता ने नेहा की तरफ देखा लेकिन वो नीचे देख रही थी

शिवशंकर- बस बहुत हो गया गायत्री, तुम्हारा पोता इतना भी छोटा नही है के वो ये बात ना समझ सके, उसे भी ये बात सोचनी चाहिए के उसका भी एक परिवार है

रमाकांत- हा मा राघव अब बच्चा नाही है और हर बार हमेशा नेहा क्यू समझ के ले, राघव को भी अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होना चाहिए

शिवशंकर जी के बाद रमाकांत ने भी नेहा की साइड ली जीसे सुन कर गायत्री जी अपनी जगह से उठी और "मेरे सत्संग का समय हो गया है" बोल कर अपने कमरे मे चली गई और उनके पीछे पीछे शिवशंकर जी भी चले गए

कुछ ही समय मे विवेक और रिद्धि भी कॉलेज के लिए निकल गए और शेखर भी अपने रूम मे काम के लिए चला गया

रमाकांत- बेटा आइ एम सॉरी उसकी...

नेहा- कोई बात नाही पापा आप क्यू सॉरी कह रहे है वो बिजी है इसीलिए सबको टाइम नही दे पा रहे

नेहा की बात सुनकर धनंजय उसके पास आए और उसके सर पर हाथ रख कर बोले

धनंजय- हर बार उसकी साइड लेकर उसे बढ़ावा मत दो बेटा

नेहा ने कुछ नही कहा

धनंजय- चलिए भईया

जाते जाते रमाकांत के नेहा के सर पर हाथ फेरा और वहा से चले गए

जानकी - मुझे पता है तुम मेरे नालायक बेटे को सही रास्ते पर ले आओगी वो शुरू से ही ऐसा है

जानकी की बात सुन कर नेहा मुस्कुरा दी

मीनाक्षी- बेटा तुम जाओ और अपने बाकी के काम निपटाओ यहा मैं और जीजी संभाल लेंगे और घर मे सब नौकर है

जिसपर नेहा से गर्दन हिलाई और अपने रूम मे चली गई और जैसे ही वो रूम मे पहुची उसके पीछे किसी ने दरवाजा खटखटाया, नेहा ने दरवाजा खोला तो वहा श्वेता खड़ी थी

नेहा- हम्म तो मेरी देवरानी को मुझसे क्या काम है

नेहा ने थोड़े शरारती अंदाज मे पूछा

श्वेता- कुछ नही मैं तो बस अपनी जेठानी जी से मिलने आई थी

श्वेता ने भी उसकी टोन मे जवाब दिया

श्वेता- भाभी... आपसे एक बात पुछु ??

नेहा- हा हा पूछो न

नेहा ने बेड पर के कपड़े समेटते हुए कहा

श्वेता- भईया कहा है? मैंने तो उन्हे हमारी शादी मे भी नही देखा

श्वेता के सवाल ने नेहा के हाथ रोक दिए थे

नेहा- जैसा मैंने कहा वो काम मे बिजी है वरना ऐसा कौनसा भाई होगा जो अपने छोटे भाई की शादी मिस करेगा

नेहा के जवाब से श्वेता थोड़ा कन्विन्स हो गई थी

श्वेता- हा ये तो सही है लेकिन भाभी...

श्वेता कुछ आगे बोलती इससे पहले ही उसका फोन बजने लगा देखा तो वो शेखर का था

श्वेता- भाभी मैं आपसे बाद मे बात करती हु शेखर मुझे बुला रहे है

और श्वेता वहा से चली गई और उसके जाते ही नेहा अपने रूम के सोफ़े पर बैठ गई और उसने एक लंबी सास ली

"ये तो मुझे भी नाही पता के वो कहा है तो मैं तुम सबको क्या बताऊ ? मुझे तो ये भी नही पता के वो कल रात घर आए भी थे या नही, अब तो कभी कभी लगता है मेरी शादी हुई भी है या नही"

नेहा ने अपनी आंखे बंद की और सोफ़े पर ही लेट गई

--x--

शेखर- इतना क्या सोच रही हो स्वीट्हार्ट

शेखर ने श्वेता को पीछे से गले लगाते हुए कहा

श्वेता- भईया और भाभी के बारे मे सोच रही हु

शेखर- हूह? क्यू?

श्वेता- दादी ने कहा ना के भईया बहुत बिजी रहते है और उन दोनों की शादी को भी बस 5 ही महीने हुए है तुम्हें नाही लगता भईया को भाभी के साथ टाइम स्पेन्ड करना चाहिए ? तुमने भाभी का चेहरा देखा था जब बड़े पापा ने उन्हे भईया के बारे मे पूछा था ?

शेखर- बात तो तुम्हारी सही है, भाई हमेशा घर से दूर रहता है और उसने अपने आप को काम मे इतना उलझा लिया है के वो कभी कभी तो ऑफिस मे ही सो जाता है

श्वेता - तुम्हें क्या लगता है उनकी शादी बगैर उनकी मर्जी के हुई है?

शेखर - न, मुझे तो ऐसा नही लगता, हा ये सच है के उनकी अरेंज मेरिज है लेकिन अगर वो एक दूसरे को पसंद ना करते तो इस शादी से मना कर सकते थे और भाभी फॅमिली के साथ बहुत खुश लगती है और मैंने जब भी भाई भाभी को साथ देखा है वो मुझे नॉर्मल ही लगे और जहा तक भाई की बात है तो वो अपने आप को एक्स्प्रेस नाही करता और अब वो रूम के अंदर कैसे है ये मैं नहीं बता सकता सब हमारे जैसे नही होते न बेबी,

शेखर ने श्वेता के गाल को चूमते हुए कहा और उसे अपनी तरफ घुमाया और धीरे धीरे अपने होंठों को उसके होंठों की तरफ बढ़ाने लगा

----x----

जानकी- नेहा बेटा तुम ऑफिस चली जाओ अभी, तुम्हारे पापाजी ने एक इम्पॉर्टन्ट फाइल मँगवाई है और कहा है ये किसी फॅमिली मेम्बर के हाथ से ही भेजे, शेखर तुम्हारे साथ चला जाएगा और इन लोगों का लंच भी लेती जाओ, वैसे तो मैं शेखर को ही भेजती लेकिन उसे ऑफिस के बाद कही बाहर जाना है

नेहा- कोई बात नाही मा आप मुझे फाइल और लंच दे दीजिए मैं चली जाऊँगी

जानकी- हा मैं पैक करवाती हु तुम तब तक जाके रेडी हो जाओ

जिसके बाद नेहा अपने रूम मे रेडी होने चली गई

थोड़े समय बाद जानकी ने नेहा को 2 फाइल और लंच बोक्सेस दिए

जानकी- नेहा इस बात का खास ध्यान रखना के मेरा नलायाक बेटा और तुम्हारा पति खाना खा ले तुम तो जानती हो के वो इस मामले मे कितना लापरवाह है

और जैसे ही नेहा ने राघव के बारे मे सुना उसकी दिल की धड़कन बढ़ गई, वो तो उसके बारे मे भूल ही गई थी फिर भी उसने हा मे गर्दन हिला दी

शेखर- चले भाभी..

शेखर ने सीढ़ियों से उतरते हुए कहा लेकिन उसका ध्यान उसके फोन मे था

वो दोनों कार मे जाकर बैठे

'हे भगवान मैं उनसे कैसे बात करूंगी मैंने तो इन 5 महीनों मे कभी उनसे बात नाही की' नेहा बहुत नर्वस थी और अपनी ही सोच मे गुम थी

शेखर- क्या हुआ भाभी? आप नर्वस हो क्या? आप आज पहली बार अपनी कंपनी मे जा रही है न

शेखर की बात पर नेहा ने हा मे गर्दन हिलाई

शेखर- अरे इतना नर्वस मत होइए भाभी भईया भी तो वही है

नेहा- वही तो प्रॉब्लेम है

नेहा ने ये बात एकदम धीमे से कही थी जीसे शेखर नही सुन पाया

शेखर- आपने कुछ कहा क्या?

नेहा- न... नही तो..

शेखर- आपको पता है भाभी हम ना अभी शेर की गुफा मे जा रहे है

शेखर ने नेहा को छेड़ते हुए कहा लेकिन नेहा उसकी बात नही समझी

नेहा- शेर? हमने ऑफिस मे शेर क्यू रख रखा है ?

शेखर- वो तो आपको वही जाकर पता चलेगा

शेखर ने स्माइल के साथ कहा जिसने नेहा को और भी ज्यादा कन्फ्यूज़ कर दिया लेकिन इससे पहले नेहा कुछ और पूछ पाती वो लोग ऑफिस पहुच चुके थे

कार से उतारने के बाद नेहा ने सामने देखा और उसका नर्वसनेस और बढ़ गया, इसीलिए नाही क्युकी वो देश की टॉप कंपनी के सामने खड़ी थी बल्कि इसीलिए क्युकी वो नही जानती थी के वो राघव से कैसे बात करेगी और सबसे इम्पॉर्टन्ट बात राघव उसे ऑफिस मे देख कर कैसे रीऐक्ट करेगा

शेखर- आओ भाभी

शेखर ने कहा जिसके बाद वो दोनों ऑफिस मे इंटर हुए, उनके अंदर घुसते ही सब लोगों ने उन्हे ग्रीट करना शुरू कर दिया

शेखर- भाभी मुझे एक कॉल आ रहा है आप आगे जाइए मैं कुछ देर मे आता हु, मैं किसी को कहता हु आपको कैबिन तक छोड़ दे, उम्म मिस रूबी प्लीज भाभी को कैबिन तक छोड़ आइए

शेखर ने वहा खड़ी एक एम्प्लोयी से कहा जिसके जवाब मे उसने हा मे गर्दन हिला दी और स्माइल के साथ नेहा को देखा बदले मे नेहा ने भी उसे एक स्माइल दी

रूबी- मैडम प्लीज मेरे साथ आइए

जिसके बाद नेहा रूबी के पीछे पीछे जाने लगि लेकिन बीच रास्ते मे ही एक लड़की ने आकार उनको रोक दिया और कहा

"रूबी, धनंजय सर ने अपॉइन्टमेंट लिस्ट मँगवाई है जल्दी" उस लड़की ने कहा

रूबी- मैं तो भूल ही गई थी कोई बात नाही मैं अभी सर को वो लिस्ट दे देती ही लेकिन पहले मुझे...

नेहा- नही कोई बात नाही बस आप मुझे बात दीजिए मैं चलि जाऊँगी

नेहा ने रूबी से कहा जिसपर पहले तो रूबी थोड़ा रुकी लेकिन फिर बाद मे उसने नेहा को रास्ता बता दिया

नेहा उस फ्लोर पर पहुची जो उसे रूबी ने बताया था, वो आगे कैबिन की तरफ जा ही रही थी के किसी ने उसे रोक दिया

"मिस कहा जा रही है आप?"

उस लड़की ने थोड़ा कड़े शब्दों मे पूछा जिससे उस फ्लोर पर सबका ध्यान उनकी ओर चला गया

नेहा- वो मुझे कुछ काम था तो...

पर उसने नेहा की बात पूरी ही नही होने दी कुछ लोगों ने उस लड़की को रोकने की भी कोशिश की लेकिन वो किसी की नही सुन रही थी

"काम?" उसने नेहा को ऊपर से नीचे तक देखा

"तुम तो कोई इम्प्लॉइ नही लगती हो और बगैर अपॉइन्टमेंट के यहा कोई नही आ सकता, सर बिजी है अभी" उसने रुडली कहा

नेहा - मैं कोई इम्प्लॉइ नाही हु और ना ही मुझे यहा आने के लिए किसी अपॉइन्टमेंट की जरूरत है, मैं.....

नेहा को अब थोड़ा गुस्सा आ रहा था जिस तरीके से वो बात कर रही थी लेकिन उसने एक बार फिर नेहा की बात काट दी

"मैं तुम जैसी लड़कियों को अच्छे से जानती हु जिन्हे बस आमिर लोगों की अटेन्शन चाहिए होती है" उस लड़की की बात सुनकर नेहा की आंखे बड़ी हो गई वही वहा खड़े लोगों को थोड़ा शॉक लगा लेकिन नेहा उसकी बात का कुछ जवाब दे पाती उससे पहले ही वहा एक आवाज गूंजी

ऐसी आवाज जिससे नेहा अपनी सुध खो देती थी वो जब भी उसे सुनती थी और उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती थी..
नेहा अपनी जगह जाम गई थी और वहा खड़े को डर से नीचे देख रहे थे

क्या होगा अब?

जानेंगे अगले भाग मे

क्रमश:
 

[color=rgb(184,]Update 5[/color]

"क्या हो रहा है वहा"

पीछे से एक डीप डोमीनेट करने वाली आवाज आई, उस आवाज मे एक जरब थी, हुकिमीपन था जो किसी को भी अपने सामने झुका सकता था

नेहा अपनी जगह पर जम गई थी हर बीतते पल के साथ उसके दिल की धड़कने भी बढ़ रही थी और नेहा को अब उसके गुस्से से डर लग रहा था

वहा खड़े सब लोग डर से नीचे देख रहे थे और नेहा भगवान से प्रार्थना कर रही थी के इस फ्लोर पर मौजूद सभी को उसके गुस्से से बचा ले

"स.. सर.. वो.. ये लेडी बगैर अपॉइन्टमेंट के आपके केबिन की तरफ जा रही थी और जब मैंने उसे रोका तो उसने कहा के उसे किसी अपॉइन्टमेंट की जरूरत नाही है" जिसने नेहा को रोका था उस लड़की ने कॉन्फिडेंट बनते हुए कहा और तभी नेहा के दिमाग मे एक बात आई

वो तो उसके केबिन मे नही जा रही थी वो तो पापा के केबिन मे जा रही थी

"टर्न"

उसने नेहा से कहा मानो वो उसकी कोई इम्प्लॉइ हो नेहा अपनी सारी का पल्लू पकड़ा और उसकी ओर मुड़ी, उसकी वो डोमीनेट करने वाली आवाज नेहा को कुछ सोचने ही नही दे रही थी, उसकी आवाज मे कोई नम्रता नही थी लेकिन नेहा ने अपने आप को शांत रखा

और वो उसकी तरफ मुड़ी और उस इंसान की तरफ देखा जो अभी उसके सामने खड़ा था

जो उसका सबकुछ था

परफेक्ट जॉलाइन तीखी नाक और उससे भी खूबसूरत आंखे, जेल लगा कर सेट किए हुए बाल हल्की दाढ़ी और काले रंग के सूट में वो वहा कहर ढा रहा था, उसके ऑफिस की लगभग हर लड़की को उसपर क्रश था और हो भी क्यू न वो था ही वैसा, इस जगह का राजा

राघव देशपांडे

नेहा ने उसकी नीली आँखों मे देखा, पहली बार उसने उसके साथ नजर मिलाई लेकिन बस एक सेकंद के लिए बाद ने उसने अपनी नजरे घुमा ली

राघव ने कुछ समय तक उसको देखा और फिर एक ऐसा सवाल पूछा जिसकी नेहा को कोई उम्मीद नही थी,

राघव- नाम क्या है तुम्हारा?

राघव ने साफ सर्द आवाज मे पूछा

नेहा और बाकी इम्प्लॉइ उसे ऐसे देख रहे थे मानो वो कोई भूत हो लेकिन वो बस नेहा को देख रहा था ईमोशनलेस चेहरे के साथ

राघव- इनसे इनका नाम पूछो

राघव ने उस लड़की से कहा जिसने नेहा को रोका था, उसकी आवाज से खतरे का अंदाज लगाया जा सकता था

"आप.. आपका नाम क्या है मैडम" उस लड़की ने हकलाते हुए पूछा

नेहा- न.. नेहा

नेहा ने इधर उधर देखते हुए अपनी आँखों मे जमे आँसुओ को छुपाते हुए कहा जिसमे वो कमियाब भी रही

कौन लड़की चाहेगी के उसका पति उससे शादी के पाँच महीने बाद उसका नाम पूछे वो भी ऐसे लोगों के सामने जो उनका रीलेशन जानते थे

राघव- पूरा नाम।

नेहा- नेहा देशपांडे

राघव- मैंने पूरा नाम पूछा है

राघव ने दोबारा नेहा की तरह देखते हुए अपने हर शब्द पर जोर देते हुए कहा

नेहा- नेहा राघव देशपांडे

नेहा ने नीचे देखते हुए कहा

राघव- मिसेस नेहा राघव देशपांडे

राघव ने एक एक शब्द पर जोर देते हुए नेहा को देखते हुए कहा जिससे नेहा ने भी उसकी ओर देखा

उसके मुह से आज अपना नाम सुन कर नेहा को अच्छा लगा लेकिन साथ ही उसके रूखे व्यवहार से तकलीफ भी हो रही थी राघव ने फिर उस लड़की की तरफ देखा

राघव - मुझे लगता है ये पहचान काफी है

राघव ने एक सर्द आवाज मे कहा और फिर अपने अससिस्टेंट से बोला

राघव- रवि, इसका टर्मिनेशन लेटर बनाओ

इतना बोल कर राघव अपने केबिन मे वापिस चला गया बगैर किसी की तरफ देखे और नेहा शॉक होकर उसकी तरफ देखती रही लेकिन नेहा से ज्यादा वो लड़की शॉक मे थी

"मैडम सॉरी मैडम, मुझे नाही पता था आप सर की वाइफ है, मुझे माफ कर दीजिए मैडम" उस लड़की की हेकड़ी उतर चुकी थी

नेहा- मैं बात करती हु

इतना बोल कर नेहा राघव के पीछे पीछे उसके केबिन मे चली गई

नेहा रघाव के पीछे बगैर नॉक किए केबिन मे जाने वाली थी लेकिन वो अपनी जगह रुक गई और उसने सोचा

'ये पहले ही गुस्से मे है कही इनका गुस्सा ज्यादा ना बढ़ जाए'

नेहा ने केबिन का दरवाजा खटखटाया लेकिन कोई जवाब नही आया, नेहा ने दोबारा थोड़ा जोर से खटखटाया लेकिन इस बार भी हालत सेम ही रही फिर नेहा सीधा दरवाजा खोल कर अंदर चली गई

अंदर राघव अपनी खुर्ची पर आंखे मूँदे बैठा था

केबिन मे आने के बाद नेहा ने एक बात नोटिस की थी के अब राघव ने सिर्फ सफेद शर्ट और पैन्ट पहनी हुई थी कोट उसका सोफ़े पर पड़ा हुआ था..

नेहा को समझ नही आ रहा था के बात कैसे शुरू करे, बाकी लोगों के सामने तो वह बहुत बातुनी थी लेकिन राघव के सामने उसकी बोलती बंद हो गई थी ऐसा लग रहा था मानो उसके गले मे आवाज ही ना हो

राघव- अब तुम कुछ बोलोगी या वैसे ही मुझे देखती रहोगी

राघव ने वैसे ही बैठे बैठे बंद आँखों के साथ पूछा उसकी आवाज मे इरिटेशन झलक रहा था, नेहा ने अपनी नजरे घुमाई और बोली

नेहा- प्लीज उसे फायर मत कीजिए उसकी कोई गलती नही थी

राघव- तो किसकी गलती थी?

राघव ने अपनी आंखे खोली और अपने दोनों हाथ टेबल पर रखते हुए नेहा की ओर देखते हुए उससे पूछा और इससे पहले नेहा कुछ कह पाती वो आगे बोला

राघव - अगर पापा को पता चला के मैंने इस मामले मे कोई एक्शन नही लिया है तो मुझे उनका लेक्चर सुनना पड़ेगा तो मैंने एक्शन ले लिया ज्यादा मत सोचो

राघव ने थोड़ा रुडली कहा जिसके बाद नेहा से कुछ बोलते ही नही बना

राघव - वैसे तुम क्यू आई हो ?

राघव ने अपना लैपटॉप ऑन करते हुए पूछा जिसके बाद नेहा का दिमाग चला के वो वहा क्यू आई थी

नेहा- वो पापा का केबिन कहा है, मुझे उन्हे ये फाइल देनी थी
जिसके बाद राघव ने अपना एक हाथ बढ़ा दिया लेकिन नजरे उसकी लैपटॉप मे ही जमी हुई थी जिससे नेहा थोड़ा उदास हो गई

राघव- मुझे दे दो मैंने ही वो फाइल पापा से कह कर मँगवाई थी

नेहा- नहीं

जिसके बाद राघव ने अपना काम रोका और नेहा को देखा

नेहा- वो... मतलब पापा ने कहा था के फाइल बस उन्हे ही देनी है इसीलिए उन्होंने फॅमिली मेम्बर को लाने कहा था

जिसके बाद राघव ने उसे थोड़ा घूर के देखा

'नेहा क्यू शेर को शिकार का मौका दे रही हो' नेहा ने मन ही मन सोचा

राघव- मुझे दे दो मैं दे दूंगा पापा को

नेहा- नहीं, मैं सिर्फ पापा को ही ये फाइल दूँगी आपको चाहिए तो पापा से ले लेना

नेहा से थोड़ा कॉन्फिडेंट बनते हुए कहा और इसके आगे राघव कुछ बोल पाता शेखर वहा आ गया

राघव- अंदर घुसने से पहले नॉक नहीं कर सकते क्या!

राघव शेखर पर भड़क गया जिससे वो दोनों ही वही जम गए

शेखर- अरे यार भाई आराम से मुझे नाही पता था आपको भाभी के साथ प्राइवसी चाहिए

राघव- शट उप !

राघव पहले ही बाहर हुए वाकये से गुस्से मे था और अब उसमे शेखर उसे छेड रहा था

शेखर- भाभी बड़े पापा ने कहा है के फाइल भाई को ही दे दो

शेखर की बात सुनते ही नेहा ने हा मे गर्दन हिलाई और फाइल राघव की डेस्क पर रख दी और राघव उसे ऐसे देखने लगा मानो वो कोई ऐलीअन हो

'वाह! मैंने कहा फाइल मुझे दे दो तो मेरी बात तो नहीं मानी लेकिन शेखर के बोलते ही फट से फाइल रख दी' राघव ने मन ही मन सोच जिससे उसका गुस्सा थोड़ा और बढ़ गया

शेखर- और हा मैंने पापा और बड़े पापा को लंच दे दिया है आपने भाई को दे दिया ?

जिसके बाद नेहा ने लंच बॉक्स भी टेबल पर रख दिया

नेहा - मा ने कहा है पहले कहना खा लीजिएगा फिर काम कीजिएगा

नेहा से बहुत प्यार से कहा जीसे कोई मना कर ही नहीं सकता था लेकिन अपने राघव भाई बस लैपटॉप मे नजरे टिकाए बैठे रहे

शेखर- चलो भाभी हम लोग चलते है भाई खाना खा लेना और भाई दादू का स्ट्रिक्ट ऑर्डर है के आज 8 बजे के पहले घर आ जाना वरना दादू का गुस्सा देखने के लिए रेडी रहना

शेखर की बात सुनकर राघव ने नेहा की ओर देखा और सोचा के काही इसने अपनी कम्प्लैन्ट तो नहीं कर दी जिसके बाद नेहा और शेखर दोनों वहा से चले गए

आज इन पाँच महीनों मे पहली बार उन दोनों के बीच इतनी बात हुई थी और यही वो दोनों इस वक्त सोच रहे थे और यहा मैं सोच रहा हु के दादू को ऐसी कौनसी बात करनी है जिसके लिए उन्होंने राघव को जल्दी बुलाया है अगर आप भी यही सोच रहे है तो साथ बने रहिए आगे भाग मे तब तक आप लोग अपने कमेंट्स मे राघव को गाली दे सकते है मुझे बुरा नहीं लगेगा मिलते है आप से अगले अपडेट मे..

क्रमश:
 

[color=rgb(184,]Update 6[/color]

नेहा और शेखर ऑफिस से घर लौट आए थे।

शाम को नेहा किचन मे सब्जियां काट रही थी लेकिन उसके दिमाग मे अभी भी ऑफिस वाली बाते ही घूम रही थी, कैसे राघव ने उसका नाम लिया और बाद मे राघव का ये कहना के वो सब उसने सिर्फ पापा की वजह से किया था, ये कहना साफ झूठ होगा के नेहा को उस बात का बुरा नही लगा था, अपनी पत्नी के सन्मान की रक्षा करना आखिर पति का फर्ज होता है उसके लिए उसे किसी रीज़न की जरूरत नही होती,

नेहा अपने की खयालों मे गुम काम कर रही थी और उसे उसके खयालों से बाहर निकाला श्वेता ने जो दौड़ते हुए किचन मे आई थी

नेहा- क्या हुआ श्वेता ऐसे भाग क्यू रही हो??

श्वेता- भाभी वो... वो..

श्वेता थोड़ा हकलाई, अब क्या बहाना बनाए उसे समझ नही आ रहा था और सच वो नेहा को बता नही सकती थी की उसने शेखर को उसे किस करने का चैलेंज किया है जिससे बचने के लिए वो यहा भाग कर आई है और वो ये भी जानती थी के नेहा के सामने भी शेखर पीछे नाही हटेगा क्युकी शेखर देशपांडे कभी चैलेंज नही हारता था और अब श्वेता को उसे चैलेंज देने का अफसोस हो रहा था और अब शेखर वहा पहुचे इससे पहले उसे नेहा वो वहा से बाहर भेजना था, नेहा ने श्वेता के चेहरे के सामने चुटकी बजा कर उसे होश मे लाया

नेहा- क्या हुआ है बताओगी?

श्वेता- भाभी.. वो.. वो.. राघव भईया आपको रूम मे बुला रहे है

श्वेता ने झट से कहा जैसे ही उसके ध्यान मे आया के उसने राघव को सीढ़िया चढ़ कर रूम मे जाते देखा था

नेहा- क्या...!!!

नेहा ने करीब करीब चीख कर कहा जिससे श्वेता भी थोड़ा चौकी

श्वेता- भाभी क्या हुआ? मैंने तो बस इतना कहा के भईया आपको बुला रहे है

नेहा- तुम मजाक कर रही हो न!

नेहा को अब भी श्वेता पर यकीन नही हो रहा था

श्वेता- न.. नहीं भाभी मैं क्यू मजाक करूंगी

श्वेता ने एक नर्वस स्माइल के साथ कहा

नेहा- तुम शुअर हो न? तुमने कुछ और तो नही सुना?

नेहा ने श्वेता से वापिस कन्फर्म करना चाहा

श्वेता- भाभी भईया ने मुझे आपको अभी भेजने कहा है अब जल्दी जाइए वो पहले ही काफी गुस्से मे है

श्वेता अब इस सवाल जवाब से थोड़ा परेशान हो गई थी, श्वेता की बात सुन कर नेहा ने हा कहा और वहा से चली गई

'ये अब मुझे क्यू बुला रहे है? श्वेता सच कह रही थी न? उसने कहा ये गुस्से मे है अगर वो गुस्सा मुझ पर निकला तो?' रूम मे जाते हुए यही सब सवाल नेहा के दिमाग मे चल रहे थे

--x--x--

शेखर- तो यहा है मेरी डीयर वाइफ

शेखर ने किचन मे घुसते हुए कहा और श्वेता बस आँखों के इशारे से उसे रुकने कहने लगी

श्वेता- शेखर, बेबी प्लीज यहा नहीं बेबी मैं.. मैं अपना चैलेंज वापिस लेती हु

श्वेता पीछे सरक रही थी और शेखर उसकी ओर बढ़ रहा था

शेखर- उमहू अब तो चैलेंज पीछे लेने का कोई चांस ही नहीं है तुम तो जानती हो शेखर देशपांडे चैलेंज से पीछे नाही हटता अब तो मुझे ये चैलेंज पूरा करना ही होगा

श्वेता- शेखर प्लीज ना यहा नही प्लीज मैं वादा करती हु रूम मे जो तुम कहोगे करूंगी यहा कोई देख लेगा ना

श्वेता शेखर को रोक रही थी और शेखर उसके सामने रुक गया

शेखर- मैं जो भी कहूँगा करोगी?

शेखर ने अपनी एक भौ उठाते हुए पूछा

श्वेता- हा बाबा जो कुछ कहोगे

श्वेता के कन्फर्म करने पर शेखर के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई

शेखर- सोच लो तुमने ही कहा है अब तयार रहना बाद मे मैं कोई बहाना नही सुनूँगा

श्वेता ने एक राहत की सास तो ले ली लेकिन शेखर की उस शरारती मुस्कान से उसे मामला गड़बड़ लग रहा था

गायत्री - तुम यहा क्या कर रहे हो ?

दादी ने किचन मे आते हुए जब शेखर को किचन मे देखा तो पूछा जिसपर वो दोनों थोड़ा हड़बड़ा गए

शेखर- वो.. दादी.. मैं.. मैं.. हा पानी... पानी लेने आया था

दादी ने शेखर को थोड़ा शकी नजरों से देखा और शेखर ने झट से एक पानी बोतल उठाई और वहा से बाहर चला आया जिसके बाद दादी की नजरे सीधे श्वेता पर पड़ी

दादी- और तुम यहा क्या कर रही हो तुम अभी खाना नहीं बना सकती आज पहला ही दिन है तुम्हारा और नेहा कहा है ?

श्वेता - वो दादी भाभी रूम मे है भईया ने उन्हे कुछ काम के लिए बुलाया था

श्वेता ने दादी को भी वही बताया जो उसने नेहा से कहा था लेकिन वो जानती थी के इसका जवाब उसे नेहा को तो देना ही पड़ेगा के उसने झूठ क्यू कहा था, दादी ने श्वेता की बात पर मुंडी हिलाई और वहा से चली गई जिसके कुछ ही पल बाद जानकी और मीनाक्षी किचन मे आई और उन्होंने वहा श्वेता को उतरे हुए चेहरे के साथ खड़ा देखा तो वो समझ गई के वहा क्या हुआ होगा

श्वेता- मा-बड़ी मा भाभी उनके रूम मे गई है कुछ काम से कुछ ही समय मे आ जाएंगी

मीनाक्षी- हा वो ठीक है बेटा लेकिन तुम यहा क्या कर रही हो नई दुल्हन पहले ही दिन काम नहीं करती

मीनाक्षी ने एक स्माइल के साथ कहा

जानकी- हा, जाओ बेटा वो विवेक और रिद्धि कुछ समय पहले तुम्हारे बारे मे पुछ रहे थे उनसे मिल लो

जिसपर श्वेता ने हा मे गर्दन हिलाई और वहा से चली गई।
--x--

नेहा अपने रूम के दरवाजे के बाहर खड़ी होकर सोच रही थी के अंदर जाए या ना जाए और आखिर मे उसने रूम मे जाने का फैसला किया और बगैर नॉक किए अंदर चली गई और यही उसने गलती कर दी

अंदर उसे वो काही नाही दिखा और अचानक उसे बाथरूम का दरवाजा खुलने का आवाज आया और उसने उस तरफ देखा और..

नेहा- आह्ह!

नेहा अपनी आंखे बड़ी करके चीखी

क्यू??

क्युकी वहा उनके पतिदेव श्रीमान राघव देशपांडे बगैर कपड़ों के खड़े थे अपनी इज्जत को अपनी कमर पर लपेटे एक टॉवल से बचाते हुए

राघव भी नेहा की तरफ आंखे बड़ी करे मुह फाडे देख रहा था और नेहा एकदम से पलट गई

नेहा- वो... मैं... आ... मैं... आप.. सो.. सॉरी... वो.. मैं...

नेहा के मूह से शब्द ही नही निकल रहे थे और वो इससे ज्यादा कुछ नही बोल पा रही थी जिससे वो वहा एक पल भी नहीं रुकी और रूम से बाहर आ गई वही राघव अब भी वहा खड़ा हुआ अभी अभी हुए सीन को पचाने की कोशिश कर रहा था

नेहा अपने रूम से बाहर भाग आई और एक जगह रुक कर अपनी बढ़ी हुई सासों पर काबू करने लगी

'हे भगवान ये... ये क्या हुआ अभी अभी' नेहा ने सोचा

विवेक- भाभी क्या हुआ आप इतनी जोर जोर से सासे क्यू ले रही हो?

रिद्धि- हा भाभी क्या हुआ आपको?

विवेक और रिद्धि ने जब नेहा को देखा तो सेम सवाल पुछ डाला

नेहा- वो.. एक्चुअल्ली.. मैंने चूहा.. हा चूहा देख लिया तो डर गई और भाग आई यहा हे हे

नेहा ने बात संभालते हुए उन दोनों भाई बहनों को देखा जो अब भी नेहा को घूर रहे थे, उनके लिए ये बात पचा पाना मुश्किल था, वो नेहा को कुछ पल और वैसे ही देखते रहे और फिर जोर से हसने लगे

विवेक- क्या भाभी आप भी चूहे से डर गई

रिद्धि- हा ना वो चूहा आपको खा थोड़ी जाता जो आप ऐसे भाग आई

नेहा को उनकी बात पर कुछ बोलते नही बन रहा था क्युकी वो दोनों नही जानते थे के नेहा ने किस चूहे को देखा था

नेहा- अब हसना हो गया हो तो चलो खाने का वक्त हो गया है

नेहा ने बात बदल दी और वो तीनों डाइनिंग हॉल मे आ गए,

घर के सब लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे थे और नेहा और श्वेता सबको खाना परोस रही थी तब नेहा ने देखा के राघव एक ब्लैक टीशर्ट और ट्राउज़र मे सीढ़ियों से नीचे आ रहा है

'मुझे नाही पता था के ये कैजुअल कपड़ों मे भी इतने हॉट लगते है' नेहा ने मन ही मन राघव को देखते हुए सोचा

'नेहा सबसे सामने ऐसे तो मत घूरो उन्हे' नेहा ने अपने ही दिमाग मे अपने आप को डाट लगाई जिससे शर्म से उसके गाल लाल हो चुके थे, मोमेंट तो था

विवेक- अरे वाह देखो तो आज स्वयं महाराज राघव जी हम तुच्छ प्राणियों के साथ खाना खाने वाले है, हमारे तो भाग ही खुल गए

विवेक ने राघव को चिढ़ाते हुए कहा और बदले मे उसे मिला क्या तो राघव का गुस्से वाला लुक

धनंजय- बेटा कभी हस भी लिया करो क्या हमेशा एक ही इक्स्प्रेशन लिए रहते हो

धनंजय से राघव को समझाया

राघव- मुस्कुराने का रीज़न भी तो होना चाहिए न चाचू

राघव ने अपनी सीट पर बैठते हुए कहा

रमाकांत- कहना क्या चाहते हो राघव

लेकिन राघव ने रमाकांत जी की बात का कोई जवाब नही दिया और चुप रहा और माहोल थोड़ा गरम होते देख दादू को बोलना पड़ा

शिवशंकर- खाना खा ले पहले, उसके बाद राघव मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है

जिसकर राघव ने भी अपनी गर्दन हा मे हिला दी

मीनाक्षी- अरे तुम दोनों भी बैठो ना सब लोग सर्व कर लेंगे खाना

मीनाक्षी जी ने श्वेता और नेहा से कहा जिसके बाद स्वेता जाकर शेखर के बगल वाली खुर्ची पर बैठ गई और नेहा रिद्धि के तरफ जा रही थी के जानकी बोली

जानकी- नेहा उधर कहा जा रही हो देखो तुम्हारी सीट तो वहा राघव के बाजू मे रीज़र्व्ड है

जिसपर नेहा ने कहा तो कुछ नही लेकिन राघव का नाम आते ही उसे अभी थोड़ी देर पहले हुआ सीन याद आया और उसके गाल लाल हो गए, दिल की धड़कन बढ़ गई जैसे ही उसने राघव को देखा, वो राघव के बाजू मे आकार बैठी लेकिन राघव तो बस अपनी खाली प्लेट को घूरे जा रहा था जिससे नेहा का चेहरा थोड़ा उतर गया लेकिन तभी उसके ध्यान मे आया के ग्रेट राघव देशपांडे कभी अपनी थाली नहीं परोसते उसे कोई न कोई खाना सर्व करने के लिए चाहिए होता है, ऑफिस मे ये काम उसका अससिस्टेंट करता है और जब वो रात का खाना खाने घर आता है तब भी कोई न कोई नौकर उसे खाना सर्व कर देता है क्युकी नेहा वहा नही होती

ऐसा नही था के नेहा उसकी राह नही देखती थी लेकिन राघव घर ही इतना देरी से आता था के तब तक नेहा दिन भर के काम से थक कर सो चुकी होती थी और दोपहर मे सोने की आदत ना होने की वजह से वो कितनी भी कोशिश कर ले ज्यादा नही जाग पाती थी, पर जब उसने कुछ महीने पहले राघव के उनके रीलेशन के बारे ख्याल सुने थे के उसे इस सब से कोई मतलब नहीं है तब से वो उसे थोड़ा इग्नोर कर रही थी उसने उसकी राह देखना छोड़ दिया था पर आज जब सारा परिवार साथ खाना खा रहा था और कोई नौकर सर्व नही कर सकता था तो ये उन दोनों के लिए थोड़ी दुविधा थी

नेहा ने अपना हाथ बढ़ा कर राघव की प्लेट मे खाना सर्व किया जिसका उसने कोई विरोध नही किया और जब नेहा उसे खाना सर्व कर रही थी तब भी वो बस अपनी प्लेट को ही देखे जा रहा था, उन दोनों के देख के जानकी के चेहरे पर मुस्कान आ गई

विवेक- ओयेहोयहोय तो अब भाभी के परोसे बगैर भाई खाना भी नाही खा सकता, सही है

लेकिन राघव ने इस बार भी विवेक को कोई जवाब नाही दिया और वही नेहा ने अपना खाना शुरू किया

रिद्धि- भाई आपको पता है भाभी को चूहों से डर लगता है, कुछ समय पहले वो आपके रूम से निकल कर कॉरिडोर मे भाग रही थी जैसे चूहा उन्हे खा जाएगा

रिद्धि ने कहा जिससे राघव का निवाला उसके गले मे ही अटक गया और उसे ठसका लगा वही नेहा डर से अपनी आंखे बड़ी करके रिद्धि को देखने लगी लेकिन जब राघव जोर से खांसा तब उसने रिद्धि ने ध्यान हटाया और राघव को पानी का ग्लास पकड़ाया

जानकी- राघव, ठीक हो?

जिसपर राघव ने बस गर्दन हिलाई

मीनाक्षी- आराम से खाओ

शेखर- आराम से कैसे खाएगा मा जब भाभी ने इतने प्यार से खाना बनाया है तो

शेखर ने राघव को छेड़ते हुए कहा और बदले मे पाया राघव का गुस्से वाला लुक

राघव- श्वेता मुझे माफ कर देना क्युकी अभी मैं तुम्हारे इस डीयर हज़्बन्ड के दात तोड़ने वाला हु

राघव ने शेखर को साफ साफ धमकी दे डाली एक तो नेहा ने उसे चूहा कहा था ऊपर से ये लोग भी उसे चिढ़ाये जा रहे थे राघव की बात सुन कर श्वेता मुस्कुराई लेकिन जब शेखर से उसे देखा तो बिचारी ने मुंडी नीचे कर ली, विवेक और रिद्धि हसने लगे लेकिन जैसे ही रमाकांत जी ने उन्हे देखा वो भी चुप हो गए

गायत्री- बस अब चुप चाप सब अपना खाना खतम करो

खाना खाने के बाद राघव स्टडी मे चला गया जहा उसके दादू पहले ही उसकी राह देख रहे थे, राघव ने दरवाजा खटखटाया और पर्मिशन मिलते ही अंदर घुसा तो देखा के दादू खुर्ची पर बैठे थे

राघव- जी दादू कहिए क्या बात करनी है आपको

शिवशंकर- बात बहुत जरूरी है राघव, मुझे तुम्हारे और नेहा के बारे मे बात करनी है.....

क्या बात करनी होगी दादू को?

राघव का कम बोलने वाला गुस्से वाला स्वभाव क्या राघव और नेहा को पास आने देगा?

देखते है अगले अपडेट मे..

क्रमश:
 

[color=rgb(184,]Update 7[/color]

"मुझे तुम्हारे और नेहा के रिश्ते के बारे मे तुमसे कुछ बात करनी है"

शिवशंकर जी ने राघव से सीधे मुद्दे पर बात करना शुरू किया

शिवशंकर- आराम से बैठ जाओ राघव ये बात चित थोड़ी लंबी चलेगी

जिसके बाद राघव वहा रखी खुर्ची पर बैठ गया जिसके बाद शिवशंकर जी ने अपनी बात आगे बढाई

शिवशंकर- राघव तुम्हारी तुम्हारे काम के प्रति कुछ जिम्मेदारिया है मैं ये बात जानता हु और वैसे ही तुम्हारी तुम्हारे दोस्तों तुम्हारे परिवार के लिए भी कुछ जिम्मेदारिया है लेकिन इन सब मे जो तुम्हारे लिए सबसे इम्पॉर्टन्ट होना चाहिए वो है तुम्हारी पत्नी, तुम समझ रहे हो ना मैं क्या कह रहा हु?

राघव ने कुछ नही कहा बस एक सपाट चेहरे के साथ दादू को देखा

शिवशंकर- राघव अब तुम्हारी शादी हो चुकी है और ऐसा भी नही है के ये सब तुमसे जबरदस्ती कराया गया हो, मैंने तुमसे इस मामले मे तुम्हारी राय ली थी लेकिन मैंने पिछले महीनों मे जबसे तुम्हारी शादी हुई है देखा है के तुम अपनी पत्नी की तरफ अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हो उसे इग्नोर कर रहे हो

दादू ने राघव को उसकी गलती समझाई

राघव- मैं अपनी जिम्मेदारियों से नाही भाग रहा हु दादू मैं तो बस...

लेकिन शिवशंकरजी ने राघव को बीच मे ही रोक दिया

शिवशंकर- तुम सिर्फ नेहा को इग्नोर कर रहे हो, है ना?

दादू की बात सुन राघव ने नजरे घुमा ली

शिवशंकर- बेटा किसी भी रिश्ते से भागना कोई ऑप्शन नही है, मैं जानता हु जिम्मेदारी निभाने का मतलब तुम्हारे लिए सबकी जरूरतों को पैसों से पूरा करना है लेकिन मेरे बच्चे तुम्हारी ये सोच गलत है। एक बिजनेसमैन होने के नाते मैं ये भी जानता हु के पैसों से तुम कुछ भी खरीद सकते हो लेकिन इसका ये मतलब नाही की पैसों से तुम सब कुछ खरीद पाओ, रिश्तों मे जिम्मेदारी का मतलब होता है प्यार, खुशी, एक दूसरे के साथ बिताया समय, प्यार तुम्हारे परिवार वालों के लिए तुम्हारे दोस्तों के लिए तुम्हारे जीवनसाथी के लिए।

बोलते बोलते दादू दो पल रुके और फिर बोलना शुरू किया

शिवशंकर- मुझे पता है तुम शादी नही करना चाहते थे और हमने तुमपर इस बारे मे कोई दबाव भी नही डाला था, जब मैंने नेहा के बारे मे तुम्हारे बताया था तब तुमसे तुम्हारी मर्जी भी पूछी थी और उस वक्त तो तुमने भी हा कहा था लेकिन फिर क्या हुआ? तुम उससे भाग क्यू रहे हो? बेटा मैं अपनी सारी जिंदगी के अनुभव के आधार पर कह सकता हु के तुम्हारी नेहा से शादी कराना मेरी जिंदगी का सबसे सही फैसला था जीसे मैं सपने मे भी नही झुठला सकता, मैं जानता हु तुम इतने तो समझदार हो के अपनी जिंदगी के फैसले खुद कर सको लेकिन मेरे परिवार के लिए क्या सही है और क्या गलत ये भी मैं जानता हु और जहा तक बात है नेहा की तो उसके जैसी साफ और नेकदिल लड़की का तुम्हारी जिंदगी मे होगा तुम्हें खास बनाता है तुम्हें उस हीरे को संजोना है, हर किसी की अपने जीवनसाथी से कुछ उमीदे होती है वैसी नेहा की भी तो होंगी कभी इस बारे मे सोचा है?

राघव- उसे और क्या चाहिए होगा दादू? किसी भी लड़की के लिए मैं परफेक्ट हु

राघव ने थोड़े घमंड मे कहा जिसपर दादू मुस्कुराये और उन्होंने ना मे गर्दन हिला दी जिससे राघव वापिस शांत हो गया

शिवशंकर- हर लड़की को जिंदगी मे सिर्फ पैसा ही नही चाहिए होता राघव जिसके बल पर तुमने अभी ये बात कही है कुछ को प्यार और अटेन्शन भी चाहिए होता है, मैंने नेहा को कभी तुम्हें प्यार से देखते नही देखा है जानते हो क्यू? क्युकी वो डरती है तुमसे, तुम्हारे गुस्से से जिसके बारे मे उसने सबसे सुन रखा है अरे उसे तो असली राघव क्या है राघव का सॉफ्ट साइड क्या है पता ही नही है

राघव- मैं ऐसा ही हु दादू मेरा कोई दूसरा साइड नही है

राघव ने नजरे घूमते हए कहा

शिवशंकर- ना! तुम ऐसे नहीं हो, मैं तुम्हें बाकी लोगों के मुकाबले ज्यादा अच्छे से जानता हु तुम्हारा सारा बचपन मेरी ही गोद मे बीता है राघव बस बात ये है ये तुम अपने आप को एक्स्प्रेस नहीं करते हो क्युकी तुम इस रिश्ते को स्वीकारना ही नही चाहते ना जाने इसके पीछे क्या वजह है। देखो शादी शुदा जिंदगी मे अजस्ट होने मे समय लगता है मैं जानता हु और जब से तुम्हारी शादी हुई है तुम बस यहा से वहा भाग रहे हो इस बात को इग्नोर करते हुए के तुम्हारी शादी हो चुकी है, इस रिश्ते को सफल बनाने के लिए तुम दोनों को एफर्ट्स करने पड़ेंगे।

शिवशंकर- नेहा को ये कभी अच्छा नही लगेगा के तुम उसे सिर्फ अपनी एक रीस्पान्सबिलटी मानो, वो डेफ़िनटेली चाहती होगी के तुम उसे अपने पूरे मन से अपनाओ जहा तुम उसका खयाल रखो इससलिए नही क्युकी वो तुम्हारी जिम्मेदारी है बल्कि इसलिए क्युकी तुम उससे प्यार करते हो। हा अब प्यार एक ऐसी चीज है जो कहने से नहीं होती लेकिन मैं बस ये चाहता हु के तुम इस रिशर्ते हो एक मौका दो थोड़ा वक्त दो और अगर फिर भी तुम्हें इससे भागना ही है तो मैं उस लड़की की जिंदगी खराब करने के पक्ष मे नहीं हु

दादू की बात सुन राघव ने उन्हे देखा

शिवशंकर- राघव, तुम्हारे मा बाप को तुम्हारा समय चाहिए, तुम्हारे चाचा चाची को तुम्हारा समय चाहिए मैं तुम्हारी दादी विवेक रिद्धि सबलोग तुमको घर मे बहुत ही कम देखते है सबको तुम्हारा थोड़ा वक्त चाहिए जो तुम उनके साथ बिताओ बाते करो लेकिन तुम्हारी वाइफ उसे तुम्हारा टाइम भी चाहिए तुम्हारी अटेन्शन भी और तुम्हारा प्यार भी।

शिवशंकर- इस घर मे सब जानते है के शेखर और श्वेता एकदूसरे से कितना प्यार करते है वो तो कॉलेज के समय से एकदूसरे को जानते है पसंद करते है उनको देखके क्या नेहा को ऐसा नही लगता होगा के तुम लोगों का रिश्ता भी काश उनके जैसा होता? वो कभी कुछ कहती नही है इसका ये मतलब तो नही के उसकी कुछ इच्छाए नही है, वो कभी बताती नही है लेकिन उसे तुम्हारी फिक्र है क्युकी शी केयर फॉर यू शी सीम्स तो लाइक यू।

दादू की बात से राघव थोड़ा शॉक हुआ, अपने पिछले महीनों के नेहा के साथ के बर्ताव को देखते हुए वो ये सोच ही नहीं सकता था के नेहा उससे प्यार करती होगी

शिवशंकर- इन पिछले 5 महीनों मे जब भी उसे तुम्हारी जरूरत थी तुम उसके पास नही थे पर अब मैं चाहता हु तुम उसकी भरपाई करो उसके साथ वक्त बिताओ इस रिश्ते को सफल बनाने के लिए एक चांस दो , अब भले तुम इसे मेरा ऑर्डर मानो या कुछ और लेकिन मैं तुम्हें और नेहा को साथ देखना चाहता हु, उसके साथ वक्त बिताओ उसे काही घूमने ले जाओ, नई शादी हुई है तुम्हारी इस पल को थोड़ा इन्जॉय करो तभी तो एकदूसरे को तुम थोड़ा जान पाओगे। एकदम से मैं तुम्हारा काम रोक तो नही सकता लेकिन अब से तुम्हारा ऑफिस टाइम बस सुबह 9 से शाम 7 तक होगा उसके पहले या बाद मे मुझे तुम घर मे दिखने चाहिए

दादू की बात से राघव का चेहरा ऐसा हो गया मानो किसी बच्चे के हाथ से उसका पसंदीदा चॉकलेट ले लिया हो किसी ने

राघव- दादू लेकी...

शिवशंकर- ना! कोई बहाना नही चलेगा राघव तुम नही जानते तुम्हारी गैरमौजूदगी मे उसे कितने सवालों के जवाब देने पड़ते है, शेखर की शादी की सारी रस्में उसने अकेले की है जब तुम्हें उसके साथ होना चाहिए था लेकिन तुम कहा थे? तुम उससे भाग रहे थे पर अब बहुत हो गया अब ये सब अभी से बंद होना चाहिए

दादू की बातों से और आवाज से साफ पता चल रहा था के वो राघव से बहुत ज्यादा गुस्सा थे

शिवशंकर- जब तक तुम ही उसे पूरे मन से नही अपनाते वो इस परिवार को अपना परिवार कैसे माने बताओ? जब भी कोई उससे तुम्हारे बारे मे पूछता है वो कोई न कोई बहाना बना देती है जिससे तुम्हारी दादी के ताने उसे सुनने पड़ते है पर उसने कभी तुम्हारी शिकायत नहीं की। ऐसा नहीं है के वो इन बातों का या उन तानों का जवाब नही दे सकती लेकिन वो चुप रहती है सिर्फ तुम्हारे लिए

राघव चुप चाप बैठ सब सुन रहा था

शिवशंकर- एक लड़की अपना सब कुछ छोड़ कर अपने पति के साथ उसके जीवन मे प्रवेश करती है उसका पति ही उसके लिए सबकुछ होता है लेकिन जब उसका वो जीवनसाथी ही उसे अकेला छोड़ दे तब वो किसी से कुछ भी नही कह सकती।

शिवशंकर- मैं बस इतना चाहता हु के तुम इस शादी को एक मौका दो मैं अपने पूरे अनुभव के साथ कहता हु के तुम्हें अफसोस नही होगा

इतने कह कर दादू के राघव का कंधा थपथपाया और रूम मे बाहर चले गए और राघव वही सोच मे डूबा बैठा रहा

राघव ने अपने पीछे 5 महीनों के बर्ताव के बारे मे सोचा, उसने कभी नेहा से बात करने की कोशिश नही की थी पहली बार जब उसने नेहा से बात की तब वो शादी की रात को ही टूर पर निकल गया था और वापिस आने के बाद तो उसने उसे साफ और रुडली कह दिया था के वो उससे दूर रहे जससे उनके बीच दूरिया और बढ़ गई थी और बहुत देर इस बारे मे सोचने के बाद राघव ने एक लंबी सास ली और सीढ़िया चढ़ कर अपने रूम की ओर जाने लगा, जाते जाते उसकी नजर गार्डन मे बैठ कर बाते करते शेखर और श्वेता पर पड़ी जो एक हैप्पी कपल का बेहतरीन उदाहरण थे वही उसने तो कभी नेहा के साथ वक्त भी नही बिताया था या ये कहना ज्यादा सही होगा के उसने तो नेहा को कभी वाइफ समझा ही नही था, वो अपने रूम मे आया।

राघव जब रूम मे आया तो उसने देखा के नेहा बालकनी मे रजाई ओढ़े कोई बुक पढ़ रही थी, राघव ने कुछ पल तक नेहा को देखा और जब नेहा को लगा के कोई उसे देख रहा है तो उसने मूड कर देखा तो वहा राघव को पाया जिसके बाद नेहा ने नजरे नीची कर ली और दोबारा किताब पढ़ने लगी क्युकी वो जानती थी के राघव उससे बात नहीं करेगा और ऐसा जताएगा के वो वहा हो ही नही।

वो दोनों ही एकदूसरे के लिए अजनबी थे वो कोई बात कभी शुरू नही करता था वही नेहा भी कोई पहल नही करती थी क्युकी उसे शायद ये अच्छा ना लगे

राघव कुछ नही बोला और बेड पर जाकर काफी जगह छोड़ कर लेट गया, पिछले कुछ दिनों मे लगातार काम की थकान से उसे जल्दी नींद आ गई,

नेहा ने उसकी तरफ देखा और फिर लाइटस बंद कर दी, उसे वही बालकनी मे अच्छा लग रहा था वो तो वही सितारों को देखते हुए सो गई...

पता नहीं इनके जीवन मे क्या लिखा था...

क्या राघव इस शादी को एक मौका देगा??

अब क्या करेगा राघव??

और क्या नेहा कोई पहल करेगी??

देखेंगे अगले अपडेट मे..

क्रमश:
 

[color=rgb(184,]Update 8[/color]

अगली सुबह

अलार्म मे घनघनाने की आवाज से राघव की नींद खुली और वो उठ कर बैठा, पूरी आंखे खोलने के बाद उसने अपने बाजू मे बेड पर देखा तो उसका चेहरा उतर गया, उसके बाजू का बेड का साइड खाली था नेहा वहा नहीं थी।

(पहले खुद इग्नोर करो फिर वो क्यू नहीं है इसपे चेहरा भी उतारो, हिपाक्रसी की भी सीमा होती है राघव बाबू )

इस वक्त सुबह के 5 बज रहे थे और जहा तक राघव नेहा को जानता था वो सुबह 5 बजे नही उठती थी राघव ने अपने रूम मे इधर उधर नजरे घुमाई तो पाया के बालकनी का दरवाजा खुला है वो बेड से उठा और बालकनी मे जाकर देखा तो नेहा वहा सोई हई थी,

'इसको अचानक क्या हो गया? अब क्या मैडम मेरे साथ बेड भी शेयर नहीं कर सकती?' (जैसे तुमको तो रहना ही है उसके साथ ) राघव के दिमाग मे खयाल आया लेकिन वो कुछ नही बोला, उसने अपना सर झटका और रूम से बाहर चला आया जिम करने

यहा नेहा को बालकनी मे सोते सोते थोड़ी गर्मी लगने लगी जिससे उसकी आंखे खुल गई और उठकर जब उसने अपने आजू बाजू देखा तो पाया के वो रात को आसमान मे सितारे देखते हुए बालकनी मे ही सो गई थी, नेहा रूम मे आई और उसने घड़ी को देखा तो पाया के अभी उसके उठने का समय नहीं हुआ था इसीलिए वो वापिस बेड पर जाकर सो गई बगैर किसी बात की चिंता करे, नेहा को अपनी नींद से बहुत प्यार था लेकिन ये बात वो कभी मानती नहीं थी।

कुछ समय बाद..

राघव जिम से वर्काउट करके लौट रहा था और अपने रूम की ओर जा रहा था तब उसकी मा ने उसे रोका

जानकी- राघव रूम मे ही जा रहे हो ना?

राघव- हा मॉम! कुछ चाहिए आपको?

जानकी- नहीं बस नेहा को नींद से जगा देना उसने मुझसे उसे जल्दी जगाने कहा था वो आज श्वेता उसके मायके जा रही है न तो उसे बाय करने के लिए

राघव- दुनिया मे बहुत सालों पहले अलार्म का आविष्कार हो चुका है मॉम और इस काम के लिए उसने आपसे कहा?

जानकी- हा पर नेहा को नींद से जगाना अलार्म के बस का नहीं है या तो कोई उसे नींद से जगाए या वो खुद के हमेशा के टाइम पर ही उठेगी

ये नेहा के बारे मे एक नई जानकारी थी जो आज राघव को पता चली थी राघव ने हा मे गर्दन हिलाई और अपने रूम मे चला आया और जब वो रूम मे पहुचा तो उसने देखा के अब नेहा रूम मे आकर बेड पर सो रही थी तो राघव उसके पास आया

'वेट! इसको जगाऊ कैसे अब?'

'सुनो! ना ना ये सही नही लगेगा कुछ और सोचना पड़ेगा राघव'

'हैलो? ना ये भी नाही'

'हा एक काम करता हु इसके नाम से ही उठता हु लेकिन मैंने कभी इसके पहले उससे बात भी नहीं की है'

राघव का दिमाग सोच मे डूबा हुआ था के नेहा को कैसे जगाए क्या बुलाए उसे और आखिर मे उसने उसे उसका नाम पुकारके उठाने की ठानी (वाह! अपनी की बीवी को कैसे बुलाए इसपर दिमाग खपाया जा रहा है )

राघव- न..नेहा

'अबे जोर से बोल और हकला मत'

राघव- नेहा!

राघव ने थोड़ा जोर से कहा लेकिन नेहा अपनी जगह से एक इंच भी नहीं हिली, राघव ने रजाई खीचनी चाही लेकिन नेहा ने उसे कस के पकड़ा हुआ था राघव ने रजाई को अपनी ओर खींच कर निकालने की कोशिश की लेकिन नेहा ने नींद मे ही उसे वापिस अपने ऊपर खीच लिया और राघव बस उसे देखता ही रहा

राघव- नेहा उठ जाओ देखो लेट हो रहा है, तुम्हें श्वेता को सीऑफ करना था ना?

राघव ने एक और बार कोशिश की जिसपर

नेहा- बस 5 मिनट

उनींदी आवाज मे नेहा ने इतना कहा और वापिस सो गई, उसे वो क्या कर रही है क्या बोल रही है इसकी खबर भी नहीं थी

'मॉम सही कह रही थी इसके बारे मे' राघव ने मन मे सोचा

राघव- हे नेहा बहुत हुआ अब उठ जाओ

इतना बोल कर राघव ने पूरी रजाई खीच ली

नेहा- मैं नही उठने वाली जो करना है कर लो!

नेहा ने अपनी उसी उनींदी आवाज मे चीख कर कहा और वापिस सो गई और राघव बस उसे आंखे फाड़े देखता रहा, किसीने आज तक उसके साथ उची आवाज मे बात नही की थी और ये उसपर नींद मे ही सही लेकिन चिल्लाई थी

राघव- वापिस आकार सो जाना अब उठो

राघव ने नेहा का हाथ पकड़ कर उसे बेड पर बैठाते हुए कहा जिससे इरिटैट होकर नेहा ने एक तकिया उठाया और उसे सीधा राघव के मुह पर दे मारा और वापिस बेड पर गिर गई लेकिन आंखे उसकी अब भी बंद थी

बस अब बहुत हो गया था अब तो नेहा ने खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मार ली थी उसने ग्रेट राघव देशपांडे के मुह पे तकिया दे मारा था

राघव- ए पागल लड़की अभी के अभी बेड से नीचे उतरो!

राघव चिल्लाया लेकिन गेस करो क्या हुआ होगा,

राघव के चिल्लाने का नेहा पर कोई असर नहीं हुआ और वो वैसी ही सोई रही और उसको ऐसे देखते हुए अब राघव को गुस्सा आने लगा था और वो सीधा बाथरूम की तरफ गया और वहा से एक पानी की बाल्टी ले आया और पूरी पानी से भरी बाल्टी उसने नेहा पर उड़ेल दी जिससे नेहा हड़बड़ाकर उठी

नेहा- सुनामी! सुनामी! मेरा फोन कहा है... मेरा फोन!!

नेहा बेड से उठी और चिल्लाने लगी वही राघव अपने हाथ बांधे उसे देख रहा था और जब नेहा को होश आया और उसके ध्यान मे आया के कोई सुनामी नहीं है तो उसने रूम मे देखा और पाया के राघव उसे घूर रहा था और राघव के हाथ मे पानी की बाल्टी थी

नेहा- ये कोई तरीका है किसी को जगाने का?

नेहा ने धीमी आवाज मे पूछा और राघव अविश्वास से उसे देखने लगा, ये वही लड़की थी जो नींद मे उसपर चिल्लाए जा रही थी, उसके मुह पर तकिया फेक रही थी और अब इतना धीमे बात कर रही थी के इसपर यकीन होना मुश्किल था

राघव- पागल लड़की मैं तुम्हें पिछले 20 मीनट से जगा रहा था और तुम पुछ रही हो ये क्या तरीका है अरे मैं पूछता हु सोने का ये कौनसा तरीका है?

नेहा- झूठ मत बोलिए मैं एक आवाज मे ही उठ जाती हु

नेहा ने कॉन्फिडेंट बनते हुए कहा और राघव बस उसे चुप चाप देखता रहा

राघव- वो तकिया दिख रहा है तुम्हें ?

राघव ने उस तकिया की तरफ इशारा किया जो नेहा ने उसे मारा था और जो अभी फर्श पर पड़ा था, नेहा ने उसे देखते हुए हा मे गर्दन हिलाई

राघव- वो तुमने फेका है।

नेहा- तो??

राघव- मेरे मुह पे !

नेहा- ओह... हैं..! क्या??

राघव- हा तुम... तुम किसी नशे मे धुत आदमी जैसा बिहेव कर रही थी, नहीं.. उससे भी बुरा वो भी अच्छे होते है पागल कही की

नेहा- मैं पागल नहीं हु और ना ही बेवड़ी

नेहा भी अब डिफेन्स मोड मे आ गई थी

राघव- तुम हो

नेहा- नहीं!

राघव- ओह शट उप सोच रहा हु मॉम को कैसा लगता अगर मेरी जगह वो तुम्हें जगाने आती तो

और मॉम का नाम आते ही नेहा के दिमाग की बत्ती जली के उसी ने जानकी को उसे जगाने कहा था और वो सीधे बाथरूम की ओर भागी बगैर राघव की एक बात सुने

राघव- कहा जा रही हो मेरी बात पूरी नहीं हुई अभी

राघव उसके पीछे से चिल्लाया लेकिन उसने उसे इग्नोर कर दिया

'ये लड़की एक दिन मेरा ब्लड प्रेशर बढ़ा देगी' राघव बड़बड़ाते हुए रूम के बाहर चला गया

कुछ समय बाद नेहा ने रेडी होकर रूम मे इधर उधर नजरे घुमा कर देखा के कही राघव वहा तो नही है, सुबह के उनके सीन के बाद वो राघव के सामने नहीं जाना चाहती थी और जब उसे राघव कही नही दिखा तो उसने राहत की सास ली और अपने आप को आईने मे देखा तभी उसे किसी के गला खखारने की आवाज आई नेहा ने थोड़ा साइड से देखा तो पाया के राघव उसे देखते हुए उसके पीछे आ रहा है

नेहा पलट कर थोड़ा पीछे जाने लगी लेकिन फिर रुक गई क्युकी इससे ज्यादा वो पीछे नहीं जा सकती थी और राघव उसके पास आए जा रहा था

नेहा- वो.. वो.. वो..

नेहा के मुह से आवाज नहीं निकल रही थी और राघव ने सवालिया नजरों से उसे देखते हुए अपनी एक भौ उठाई

वो नहीं जानती थी के क्या करना है वो उसके बेहद पास था जिससे उसके दिल की धड़कने बढ़ गई थी नेहा उसकी नजरों के बचने के लिए इधर उधर देखने लगी लेकिन राघव की इन्टेन्स नजरों से वो अपने को नहीं बचा पा रही थी

नेहा- वो.. वो वहा क्या है?

नेहा ने राघव के पीछे देखते हुए पूछा जिससे राघव ने भी पीछे पलट कर देखा की नेहा क्या कहना चाह रही है लेकिन तभी नेहा ने उसे हल्का सा धक्का दिया और वहा से जितना हो सके उतना तेज भाग ली

जब वो भागते हुए बाहर आई तो वो रिद्धि से टकरा गई

रिद्धि- भाभी क्या हुआ ऐसे भाग क्यू रही हो आप?

नेहा- वो.. वो रिद्धि...

लेकिन नेहा को कोई बहाना नहीं मिल रहा था

रिद्धि- आपने वापिस चूहा देख लिया क्या??

रिद्धि ने अंदाज लगाते हुए पूछा जिसपर नेहा ने हा मे गर्दन हिला दी

रिद्धि- भाभी उसमे इतना क्या डरना वो एक चूहा ही तो है

नेहा- ये वाला बहुत बड़ा है

नेहा ने धीमे से कहा लेकिन रिद्धि से सुन लिया

रिद्धि - बड़ा वाला! कोई ना मैं कहती हु किसी से वो चूहा ढूँढने अब चलो श्वेता भाभी का जाने का समय हो गया है उन्हे बाय भी तो करना है

जिसके बाद वो दोनों वहा से चली गई...

क्रमश:
 
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