आप इस कहानी का शीर्षक पढ़कर ही समझ गए होंगे, आज आपको मैं अपने दुखी दिल की बात बताने जा रही हूँ।
मेरा नाम सायमा है, मैं दिल्ली में रहती हूँ। मेरे घर में मैं, और मेरी एक कमीनी माँ रहते हैं।
पापा नहीं हैं, मैं अपने माँ बाप की एकलौती औलाद हूँ।
अभी मैं 20 साल की हूँ, और मेरी माँ सोनिया की उम्र 38 साल है। स्कूल में टीचर हैं, घर में बहुत कुछ है, पापा मरने से पहले हमारे लिए बहुत कुछ छोड़ कर गए थे, पैसे कोई कमी नहीं थी।
मम्मी की सैलरी और पापा के पेंशन प्लान्स से हमे अच्छी इन्कम होती है।
इसी लिए मम्मी भी बहुत बन ठन कर रहती हैं।
मुझे एक बार पता चला था कि मम्मी का कोई बाहर बॉय फ्रेंड भी है, मगर मैंने इस बात को इग्नोर कर दिया क्योंकि मेरा भी तो एक बॉय था (अभी भी है, है भी या नहीं, पता नहीं, बस मेरे लिए तो है)।
अब वो बहुत ही खूबसूरत हैं, जवान हैं (38 साल भी कोई उम्र होती है)। मगर मुझे ये था कि माँ सुंदर हैं, सेक्सी हैं, जवान है तो उनका भी तो दिल करता होगा वो सब कुछ करने को, जो मेरा करता है, तो मैंने उनके बॉय फ्रेंड वाली बात को कोई तवज्जो नहीं दी।
मम्मी का अपना चलता रहा और मेरा अपना चलता रहा।
ऐसे ही एक दिन मेरे बॉय फ्रेंड अक्की (आकाश) ने पूछा- तुम्हारे घर वालों से मिलना चाहता हूँ, मैं चाहता हूँ, जब हमारी पढ़ाई पूरी हो जाए तो हम शादी कर लें, पापा का जमा जमाया बिसनेस है, वही संभाल लूँगा, बोलो कब मिलवा रही हो अपने घर वालों से?
मेरे लिए तो वो दिन सबसे खुशी का दिन था, मेरी शादी की बात शुरू हो गई थी।
मैंने अक्की के गले में बाहें डाल दी और उसके होंठों को चूम लिया।
उसके बाद मैंने अपनी मम्मी से बात की, उन्होंने बड़े आराम से मेरी बात सुनी और अक्की को घर बुलाने को कहा।
फिर एक दिन, अक्की हमारे घर आया, मम्मी से मिला, बड़े प्यार से सब बातें हुई, कितनी देर वो हमारे बारे में और अपने बारे में बात करता रहा।
जब जाने लगा तो मम्मी के पाँव छू कर गया।
मैं बहुत खुश थी।
उसके बाद तो अक्सर अक्की हमारे घर आने लगा, हम अक्सर घर में ही मिलते, दोनों अपने रूम में बैठे घंटों बातें करते, अपने फ्यूचर के बारे में।
पर अब जब हम दोनों बाहर की बजाए घर में, मेरे बेडरूम में मिलने लगे तो मोहब्बत अपना रंग भी बदलने लगी।
जो मोहब्बत पहले सिर्फ किसिंग या गले मिलने तक थी, वो अब ज़्यादा एरोटिक ज़्यादा कामुक हो गई थी।
कुछ ही दिनों में हमने एक दूसरे को बिल्कुल नंगे भी देख लिया।
मगर मैंने अक्की को सेक्स नहीं करने दिया, हालांकि वो उसने बहुत मजबूर किया मुझे।
मैंने उसे समझाया कि सुहागरात को जो चाहे कर लेना पर अभी नहीं।
हाँ, मैंने उसका लंड (अब मुझे इस शब्द का प्रयोग करने में कोई दिक्कत नहीं) चूसा, उसने मेरे बूबू चूसे, नीचे मेरी चूत को सहलाया, बहुत मज़ा आया।
मगर मैंने अपना पक्का इरादा रखा और अक्की को सेक्स नहीं करने दिया।
कुछ दिनों बाद की बात है, अक्की हमारे घर शाम को आया, हम दोनों बैठे थे, मम्मी चाय लेकर आई।
जब वो चाय देने के लिए अक्की के सामने झुकी तो उनकी साड़ी का पल्लू नीचे सरक गया और उनके 34 डीडी साइज़ के बूब्स मेरे हीरो के सामने बेशर्म हो गए।
मेरा नाम सायमा है, मैं दिल्ली में रहती हूँ। मेरे घर में मैं, और मेरी एक कमीनी माँ रहते हैं।
पापा नहीं हैं, मैं अपने माँ बाप की एकलौती औलाद हूँ।
अभी मैं 20 साल की हूँ, और मेरी माँ सोनिया की उम्र 38 साल है। स्कूल में टीचर हैं, घर में बहुत कुछ है, पापा मरने से पहले हमारे लिए बहुत कुछ छोड़ कर गए थे, पैसे कोई कमी नहीं थी।
मम्मी की सैलरी और पापा के पेंशन प्लान्स से हमे अच्छी इन्कम होती है।
इसी लिए मम्मी भी बहुत बन ठन कर रहती हैं।
मुझे एक बार पता चला था कि मम्मी का कोई बाहर बॉय फ्रेंड भी है, मगर मैंने इस बात को इग्नोर कर दिया क्योंकि मेरा भी तो एक बॉय था (अभी भी है, है भी या नहीं, पता नहीं, बस मेरे लिए तो है)।
अब वो बहुत ही खूबसूरत हैं, जवान हैं (38 साल भी कोई उम्र होती है)। मगर मुझे ये था कि माँ सुंदर हैं, सेक्सी हैं, जवान है तो उनका भी तो दिल करता होगा वो सब कुछ करने को, जो मेरा करता है, तो मैंने उनके बॉय फ्रेंड वाली बात को कोई तवज्जो नहीं दी।
मम्मी का अपना चलता रहा और मेरा अपना चलता रहा।
ऐसे ही एक दिन मेरे बॉय फ्रेंड अक्की (आकाश) ने पूछा- तुम्हारे घर वालों से मिलना चाहता हूँ, मैं चाहता हूँ, जब हमारी पढ़ाई पूरी हो जाए तो हम शादी कर लें, पापा का जमा जमाया बिसनेस है, वही संभाल लूँगा, बोलो कब मिलवा रही हो अपने घर वालों से?
मेरे लिए तो वो दिन सबसे खुशी का दिन था, मेरी शादी की बात शुरू हो गई थी।
मैंने अक्की के गले में बाहें डाल दी और उसके होंठों को चूम लिया।
उसके बाद मैंने अपनी मम्मी से बात की, उन्होंने बड़े आराम से मेरी बात सुनी और अक्की को घर बुलाने को कहा।
फिर एक दिन, अक्की हमारे घर आया, मम्मी से मिला, बड़े प्यार से सब बातें हुई, कितनी देर वो हमारे बारे में और अपने बारे में बात करता रहा।
जब जाने लगा तो मम्मी के पाँव छू कर गया।
मैं बहुत खुश थी।
उसके बाद तो अक्सर अक्की हमारे घर आने लगा, हम अक्सर घर में ही मिलते, दोनों अपने रूम में बैठे घंटों बातें करते, अपने फ्यूचर के बारे में।
पर अब जब हम दोनों बाहर की बजाए घर में, मेरे बेडरूम में मिलने लगे तो मोहब्बत अपना रंग भी बदलने लगी।
जो मोहब्बत पहले सिर्फ किसिंग या गले मिलने तक थी, वो अब ज़्यादा एरोटिक ज़्यादा कामुक हो गई थी।
कुछ ही दिनों में हमने एक दूसरे को बिल्कुल नंगे भी देख लिया।
मगर मैंने अक्की को सेक्स नहीं करने दिया, हालांकि वो उसने बहुत मजबूर किया मुझे।
मैंने उसे समझाया कि सुहागरात को जो चाहे कर लेना पर अभी नहीं।
हाँ, मैंने उसका लंड (अब मुझे इस शब्द का प्रयोग करने में कोई दिक्कत नहीं) चूसा, उसने मेरे बूबू चूसे, नीचे मेरी चूत को सहलाया, बहुत मज़ा आया।
मगर मैंने अपना पक्का इरादा रखा और अक्की को सेक्स नहीं करने दिया।
कुछ दिनों बाद की बात है, अक्की हमारे घर शाम को आया, हम दोनों बैठे थे, मम्मी चाय लेकर आई।
जब वो चाय देने के लिए अक्की के सामने झुकी तो उनकी साड़ी का पल्लू नीचे सरक गया और उनके 34 डीडी साइज़ के बूब्स मेरे हीरो के सामने बेशर्म हो गए।