मिलने के लिए, शत का गुस्सा, बीज, और दर्द की जगह एक खुशी और उत्साह उसके चेहरे पर साफ झलक रहा था, मिसेस प्रेंडरिक मयूर की माँ ने देखा उनका लड़का मयूर अचीरता से कार में बैठा और कार गोली की तरह होटल के कपाउड से बहार निकल गयी।
उसने अपना वादा निभाया और 15 मिनिट में उसकी कार बस स्टैंड के पाल गौप पर पहुची रागिनी ने हाथ उठा कर इशारा किया, और कार की अगली सीट पर मयूर के पास आकर बैठ गई, कार बस स्टैंड पार करके दून ले जाने वाली घुमावदार इलान पर नागिन की तरह चलने लगी
कार की खिड़की में से ठी हवा नै माहौल को नशीला बना दिया था, सड़क के एक और पण्ड तो दूसरी और गहरी घाटी थी, पहाड़ी पर फूली का जाल बिछा था, थोड़ी थोड़ी दुरी पर उतरती हुई पानी की धाराय करने का रूप ले चुकी थी, और दूसरी और ढलान में बड़े बड़े बिड के पेड़, और घास के मैदान तो कही नदिया प्रकृति की सुन्दरता का अद्भुत नजर पेश कर रही थी
मयूर ने रागिनी की आँखों में देखते हुए कहा - तो तुम सरेंडर करती हो की हम एक दूजे के लिए बने है या मुझे और जंग लड़नी पड़ेगी।
माहौल का असर कहो, या सच्चा वाला प्यार रागिनी ने इस बार अपने दिमाग को बिच में नहीं आने दिया और मन से कहा- मैं अपने आपको और नहीं रोका सकती. मैं समप्ण करती हैं- उसके चेहरे पर मंतोष के भाव और हलकी मुस्कान थी। ये हुई न बात-मपूर ने दुशी से अपना हाथ कार के स्टीयरिंग पे मारा।
पुमावदार रोड का हर टर्न बहुत खतरनाक था पर कपूर इन रार्ती का खिलाडी था, लसावर देहरादून के पास एक छोटा सा गाँव था जहाँ हर साल तरावर का मेला लगता था, खूबसूरत नजावें, कल कल करते झरने और नदियों को पार करते करते वो लखबर पहुच गये पारम्परिक परिधान पहने महिला पुरुष गीत संगीत और रंग बिरंगे झंडों से सजा ये त्योहार
रागिनी की जिन्दगी के यादगार लम्हों में से एक साबित हुआ, महा मौजूद एक महिला ने जिद की और उन दोनों को भी गढ़वाली परिधान पहना दिए वो एक रंग बिरंगा पहनाया था, जिसमें वो पूरी तरह गढ़वाली ही लग रहे थे डांस, मली, शाने पिने और म्यूजिक में दिन कम बीत गया पता ही नहीं पाता।
रागिनी ने कहा- चलो मार झुले में हलले है।
मान ने कहा- तुम कोई बच्ची हो क्या जो पाने में झुतोगी " वो एक बड़ा गोल पहिये जैसा झुला था जो बहुत ऊचाई तक जाता था और फिर लौट कर आ जाता था. पर रागिनी की जिद के आगे मपूर की एक न चली और वो झूले के दो टिनिट खरीद लाया
बो टीमीट लेकर लाइन में लग गये. मेले में उस समय बहुत भीड़ थी, और उनके आगे भी कई लोग झाले की लाइन में लगकर अपने नंबर का इंतजार कर रहे थे, ने अपना एक राण्ड पूरा किया और पिर झूले वाला पुरानी सवारी को उतार कर नई सवारी को झूले में बिठा रहा था
उसने अपना वादा निभाया और 15 मिनिट में उसकी कार बस स्टैंड के पाल गौप पर पहुची रागिनी ने हाथ उठा कर इशारा किया, और कार की अगली सीट पर मयूर के पास आकर बैठ गई, कार बस स्टैंड पार करके दून ले जाने वाली घुमावदार इलान पर नागिन की तरह चलने लगी
कार की खिड़की में से ठी हवा नै माहौल को नशीला बना दिया था, सड़क के एक और पण्ड तो दूसरी और गहरी घाटी थी, पहाड़ी पर फूली का जाल बिछा था, थोड़ी थोड़ी दुरी पर उतरती हुई पानी की धाराय करने का रूप ले चुकी थी, और दूसरी और ढलान में बड़े बड़े बिड के पेड़, और घास के मैदान तो कही नदिया प्रकृति की सुन्दरता का अद्भुत नजर पेश कर रही थी
मयूर ने रागिनी की आँखों में देखते हुए कहा - तो तुम सरेंडर करती हो की हम एक दूजे के लिए बने है या मुझे और जंग लड़नी पड़ेगी।
माहौल का असर कहो, या सच्चा वाला प्यार रागिनी ने इस बार अपने दिमाग को बिच में नहीं आने दिया और मन से कहा- मैं अपने आपको और नहीं रोका सकती. मैं समप्ण करती हैं- उसके चेहरे पर मंतोष के भाव और हलकी मुस्कान थी। ये हुई न बात-मपूर ने दुशी से अपना हाथ कार के स्टीयरिंग पे मारा।
पुमावदार रोड का हर टर्न बहुत खतरनाक था पर कपूर इन रार्ती का खिलाडी था, लसावर देहरादून के पास एक छोटा सा गाँव था जहाँ हर साल तरावर का मेला लगता था, खूबसूरत नजावें, कल कल करते झरने और नदियों को पार करते करते वो लखबर पहुच गये पारम्परिक परिधान पहने महिला पुरुष गीत संगीत और रंग बिरंगे झंडों से सजा ये त्योहार
रागिनी की जिन्दगी के यादगार लम्हों में से एक साबित हुआ, महा मौजूद एक महिला ने जिद की और उन दोनों को भी गढ़वाली परिधान पहना दिए वो एक रंग बिरंगा पहनाया था, जिसमें वो पूरी तरह गढ़वाली ही लग रहे थे डांस, मली, शाने पिने और म्यूजिक में दिन कम बीत गया पता ही नहीं पाता।
रागिनी ने कहा- चलो मार झुले में हलले है।
मान ने कहा- तुम कोई बच्ची हो क्या जो पाने में झुतोगी " वो एक बड़ा गोल पहिये जैसा झुला था जो बहुत ऊचाई तक जाता था और फिर लौट कर आ जाता था. पर रागिनी की जिद के आगे मपूर की एक न चली और वो झूले के दो टिनिट खरीद लाया
बो टीमीट लेकर लाइन में लग गये. मेले में उस समय बहुत भीड़ थी, और उनके आगे भी कई लोग झाले की लाइन में लगकर अपने नंबर का इंतजार कर रहे थे, ने अपना एक राण्ड पूरा किया और पिर झूले वाला पुरानी सवारी को उतार कर नई सवारी को झूले में बिठा रहा था