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नमस्कार दोस्तों,

आज मैं आपको अपनी नयी नवेली चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ जिसे सुन आप पक्का रोमांचित हो चलेंगे | यह कहानी उन दिनों की है जब मैं अपनी जवानी में कदम रख रख रहा था और उस वक्त मेरी जवान प्रेमिका भीमेरी तरह अपने यौवन काल में ही थी | दोस्तों यूँ समझ लो बस हमारा नया - नया प्यार था और बस जोश - जोश में अपने होश भी गँवा बैठे | मैंने उससे धीरे - धीरे बेहत चाहत करने लगा था और ना जाने कब मेरी चाहत ने एक वासना वाली भुत का रूप ले लिया और उसके बाद जैसे हम चुदाई के भंवर से कभी निकल ही नहीं पाए | मैं आज तक उसके साथ काम - क्रीडा का खूब आनंद लेता आ रहा हूँ |

दोस्तों अपने स्कूल के नए दाखिले में जब मेरी अंजू नाम की प्रेमिका बनी तो हम एक - दूसरे के प्रति मुघ्द होते चले गए और अपना ज्यादा से ज्यादा वक्त एक दूसरे के आठ बिताने लगे | मैं अंग्रेजी फिल्में अक्सर ही देखा करता था इसीलिए मैं खुद भी उसका अनुभव करने के लिए कई बार उसके साथ चुम्मा - चाटी कर चूका था और अब तो जब भी मौका मिलता तो मैं उसके होंठों के रस को चूसने में खो ही जाया करता था | दोस्तों मैं कभी - कभी उसके चुचों पर भी हाथ मार लिया करता था जिसपर वो काँप उठ जाया करती थी और मेरी हंसी छूट जाया करती थी पर मैं नहीं समझ पाया की असली मज़ा तो वहीँ से शुरू होता है |

अब जब मैंने पहली बार अपने दोस्त के साथ कामुक फिल्म देखि तो मुझे सारा काम - क्रीडा का ज्ञान हुआ और अमीन भी इसका अंजू के साथ अनुभाव करने की ठान ली | अगले ही पल मैं अंजू के साथ अपनि पढाई बंक कर पहाड़ियों पर चला गया जहाँ घूमने फिरने और इकलौते में बैठकर बात करने के लिए काफी अच्छा मौहल था | मैंने अब उससे वहीँ कई देर बात की और ओहिर उसे कुछ नया दिखाने के चक्कर में पहले तो वही उसके गुलाबी होठों को चूसा और फिर उसके चुचों को चुचों को छूते हुए गरम करने लगा जैसा की मैंने कामुक फिल्म में देखा था | अब वो भी काम क्रीडा पर मदहोश होती चली गयी और मुझे भी उसके मुलायम चुचों के साथ खेलने में कुछ अलग ही मज़ा आ रहा था | कुछ देर बाद बाद मैंने उसकी सलवार में से उबार आ रहे चुत की फाकों पर गौर फ़रमाया |

मैंने अपनी ऊँगली को उसकी चुत की फांकों के बीच मलने लगा जिसपर पहले वो रोकने लगी पर जब मैंने जोर आजमाया तो मान गयी | मैंने कुछ देर में उसकी पैंटी को उतार उसकी चुत में इतनी ज़बरदस्त ऊँगली की उसकी चुत का घी निकल गया और मैं उसे सूंघते हुआ मदहोश हो चला | अब मैंने अपने लंड को भी निकला और उसकी चुत के मुहाने पर टिका दिया और उसके ऊप्पर लेट गया जिसपर वो बुरी तरह दर गयी थी और मैंने भी बदले में जोरदार धक्के दिए जिससे कुछ जिद्द भरने के बाद उसकी सील को तोड़ता हुआ मेरा लंड उसकी चुत में आर पार होने लगा | कुछ देर बाद उसका दर्द काम हुआ तो वो मज़े में चुदाई करवाने लगी और मैंने पुरे अपने कॉलेज के समय तक वहीँ उसके उप्पर चडे हुए मस्त - मारी चुदाई की क्रिया चलायी |
 
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