नौकर के लंड ने पति का लंड भुला दिया मुझे

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(Naukar Ke Lund Ne Pati Ka Lund Bhula Diya Mujhe)

मेरा नाम स्वाति है, मेरी उम्र 28 साल है। में वैसे तो रायपुर की रहने वाली हूँ, लेकिन फिलहाल हैदराबाद में अपने पति के साथ रह रही हूँ। मेरे पति कहते है कि उन्होंने मेरे चेहरा और बूब्स देखकर ही मुझसे शादी के लिए हाँ की थी। मेरा रंग एकदम गोरा तो नहीं, लेकिन मेरी स्किन एकदम चिकनी और बेदाग है और मेरा फिगर 38D-30-38 है। ये कहानी एक साल पहले मेरी शादी के बाद मेरे ससुराल में पहले महीने की है। अब मेरे पति शादी की रस्मों के बाद अपना ऑफिस जॉइन करने हैदराबाद चले गये। वैसे हमने सुहागरात मनाई थी, मेरे पति ने मुझे पूरी तरह संतुष्ट किया था। उनका 7 इंच का लंड मेरे लिए काफ़ी था और उनके चोदने के अंदाज ने मुझे आने वाले कुछ दिनों तक बहुत तड़पाया था। Naukar Ke Lund Ne Pati Ka Lund Bhula Diya Mujhe.

अब शादी के 4-5 दिनों के बाद मुझे हर रात काटना मुश्किल लग रहा था, मुझे सेक्स का चान्स और मज़ा शादी के पहले से ही मिलने लगा था और ऊपर से पति की सुहागरात की चुदाई ने मेरी आग और भड़का दी थी। अब में उनसे फोन पर ही चुदाई की बातें करके गीली होने लगी थी, मेरे ससुराल में सास (48) , ससुर (54), ननद (20), देवर (22) और भैया (32), भाभी (30) रहते थे। हमारे घर में एक नौकर था जिसका नाम संतोष (30) था। हमारा घर 3 मंज़िला था, जिसमें नीचे के फ्लोर पर सास, ससुर और तीसरे फ्लोर पर भैया, भाभी और देवर और मेरे फ्लोर पर ननद और मेरा कमरा था। मेरे कमरे की बालकनी घर के पीछे तालब की तरफ थी। हमारा नौकर संतोष नीचे के फ्लोर पर हॉल में ही सोता था।

अब अकेली और नई होने की वजह से मेरा खूब ख्याल रखा जाता था, ख़ासकर देवर और ननद तो हमेशा मेरे कमरे में बिना नॉक किए घुस जाते और बिना कहे ही खाने पीने की चीज़े ले आते और मेरी काम करने में मदद करते। फिर एक दिन में अपने पति से रात को डिनर के बाद बालकनी में बैठकर सेक्स की बातें कर रही थी, जब मैंने गाउन पहना हुआ था और अंदर सिर्फ़ पेंटी पहनी हुई थी। अब पति से बात करते हुए कई बार जाने अनजाने में मेरा हाथ मेरी चूत की तरफ चला जाता था। अब मुझे अचानक लगा कि जैसे मुझे कोई देख रहा हो तो मैंने पीछे देखा तो बालकनी के दरवाजे का पर्दा वैसे का वैसा था। "Naukar Ke Lund"

फिर कुछ देर के बाद जब मैंने फोन रखा तो में पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और अपनी गाउन को जांघो तक ऊपर करके खुद को सहलाने लगी। तभी मुझे पर्दा हटने की आवाज़ आई, तो मैंने हड़बड़ा कर पीछे देखा तो वहाँ संतोष अपने हाथ में दूध का गिलास लेकर खड़ा था। फिर उसने कहा कि मेरी सास ने आपको दूध देने के लिए भेजा है। तो मैंने देखा कि उसकी नज़रे मेरी जांघो पर ही है, तो फिर मुझे मस्ती सूझी और मैंने अपना गाउन ऐसे ही रहने दिया और उसे दूध लाने को कहा।

फिर जब वो मेरे पास आया, तो मैंने दूध उठाया और उससे उसकी बीवी के बारे में बात करने लगी। तो उसने बताया कि उसकी शादी 2 साल पहले हुई थी, लेकिन उसे गाँव गये 1 साल हो गया था। अब मुझे उसकी इस बात पर और मस्ती सूझी तो मैंने थोड़ा सा दूध जानबूझ कर अपने बूब्स के पास गिरा दिया और ऊफ कह कर पोछने के बहाने उसे गाउन पर अपने निप्पल के आसपास फैला दिया। फिर मैंने उससे पूछा कि तुम्हारी बीवी तुम्हें बुलाती नहीं है, तो वो शर्मा गया और मेरे बूब्स पर देखने लगा। फिर मैंने कहा कि पति काम करने चला जाता है और बीवी यहाँ तड़पति रहती है। तो वो मुस्कुरा दिया और बोला कि क्या करे मालकिन? कोई और उपाय है क्या? और वो ये बोलकर मेरे गाउन में से दिख रहे निप्पल के उभारो को देखने लगा। फिर नीचे से संतोष के लिए मेरी सास की आवाज़ आई और वो दूध का गिलास लेकर चला गया। फिर में उस दिन पहली बार अपनी उंगली से झड़ी, पता नहीं संतोष को अपना जिस्म दिखाने और उसकी बीवी की बातें करके मुझे क्या हो गया था? "Naukar Ke Lund"

फिर संतोष अलग-अलग बहाने से मेरे कमरे में आता और मेरे शरीर को घूरता। अब में भी कभी अपनी साड़ी का पल्लू गिराकर तो कभी अपनी सलवार बिना ब्रा के पहनकर उसको भरपूर छेड़ती। अब मेरी शादी के लगभग 2 हफ्ते के बाद एक दिन घर के सारे लोग एक शादी के सिलसिले में बिलासपुर चले गये। अब घर पर मेरा देवर संतोष और में ही रह गये थे। मेरे देवर का एग्जॉम था तो वो मुझे पढ़ने की बोलकर चला गया। फिर एक दिन मेरा देवर अपना एग्जॉम देने चला गया और में किचन में थी और मुझे कोई मसाल नहीं मिल रहा था तो मैंने संतोष को आवाज़ दी, तो कोई रिप्लाई नहीं आया। तो में उसे ढूँढने गई तो मुझे स्टोर रूम में फोन पर बात करने की आवाज़ आई, तो में छुपकर उसकी आवाज सुनने लगी, अब संतोष अपनी बीवी से बात कर रहा था। "Naukar Ke Lund"

संतोष : रानी तुझे चोदने के लिए मेरा लंड रोजाना तड़पता रहता है, मुझे हर औरत में तू नज़र आती रहती है, बहुत दिन हो गये चूत का स्वाद लिए, फिर उधर से मुझे हल्की आवाज़ उसकी बीवी की बातें सुनाई दी।

बीवी : तो चोद ले उन्हीं औरतो को। फिर तो मेरे राजा का लंड ठंडा हो जाएगा ना, वैसे कोई खास औरत तो नहीं गर्मा रही तुझे।

संतोष : रानी ये नई मालकिन एकदम भरपूर माल है, उसकी तेरे से भी ज़्यादा भरी जवानी है।

बीवी : अरे वो होगी जवानी से भरपूर, लेकिन मेरे राजा तेरा लंड अगर देख लिया तो वो खुद ही चुदवा बैठेगी, संभलकर रहना।

अब ये सुनकर में शर्मा गई और अपने रूम में आ गई। फिर मैंने सोचा कि देवर तो अपना एग्जॉम देकर अपने दोस्त के घर पर होता हुआ शाम के 4 बजे तक आएगा, तो क्यों ना इस मौके का फायदा उठाया जाए? फिर मैंने तुरंत अपना एक सेक्सी ब्लाउज लिया, जो पिंक कलर की बैक में डोरी वाली थी। फिर मैंने काली ब्रा पहनी और मेरे आधे बूब्स ब्लाउज में से ऊपर उठकर बाहर आ रहे थे। फिर मैंने पिंक कलर की साड़ी पहनी एकदम नीचे, पीछे से कूल्हों पर और आगे से चूत के 3 उंगली ऊपर और नीचे गई और स्टोर रूम के पास जा कर संतोष को आवाज़ लगाई। तो संतोष स्टोर रूम से ही घबराता हुआ बाहर आया, उसने पजामा पहना था जिसमें से उसका लंड इतना सेक्सी लग रहा था कि अब मेरा मन किया कि उसका पजामा नीचे करके उसके लंड को चूम लूँ, अब संतोष मुझे देखता ही रह गया था। "Naukar Ke Lund"

फिर मैंने कहा कि क्यों संतोष? क्या देख रहे हो? अपनी बीवी की याद आ गई क्या? तो संतोष मुस्कुराया और अपने लंड को पेंट के ऊपर से छूते हुए बोला नहीं मालकिन बीवी अपना यौवन आँचल में थोड़े ना छुपाती है। फिर में अपना पल्लू किनारे करते हुए उसकी तरफ बढ़ी और कहा कि अब बताओ अब तुम्हारी बीवी की याद आ रही है। तो संतोष बोला कि मालकिन अब तो एक जवान बीवी सामने है, वो भी इतनी सुंदर और गदराई हुई। अब तो में अपनी शादी भी भूल गया। अब ये बोलकर संतोष मेरे बूब्स देखने लगा जो कि अब ब्लाउज से बाहर निकल आने को हो रहे थे। फिर में संतोष के पास गई और कहा कि लेकिन इस बीवी को बड़े तगड़े लंड का पति ही चाहिए। ये कह कर मैंने उसके पजामे के अंदर अपना हाथ डालकर उसका लंड पकड़ लिया, तो में उसके लंड का अहसास पा कर एकदम से सिहर गई, उसका लंड कम से कम 8 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा था। "Naukar Ke Lund"

अब मैंने उसके लंड को दबाते ही संतोष की आँखे बंद हो गई थी, अब मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने उसका पजामा उतार दिया, तो में उसका काले लंड पर वीर्य से गीला सुपाड़ा देखते ही रह गई। फिर मैंने तुरंत उसके मुँह में अपना मुँह डाल लिया और चूसने लगी। तो संतोष मेरे बालों को पकड़कर मेरा सिर आगे पीछे करने लगा, अब इतना प्यारा लंड मुझे काफ़ी दिनों बाद मिला था। फिर संतोष ने मेरी पीठ से मेरे ब्लाउज की डोरी खोल दी और मुझे ऊपर उठाकर बेतहासा चूमने लगा और मेरे बूब्स मसलने लगा।

अब वो इतनी ज़ोर-ज़ोर से मेरे बूब्स दबा रहा था कि मेरी आहें निकली जा रही थी, लेकिन मुझे मज़ा इतना आ रहा था कि मैंने उससे कुछ नहीं कहा, बस उसके होंठो से होंठ मिलाए उसके होंठ चूसती रही और उसकी जीभ से खेलती रही। अब में उसमें इतनी डूब गई थी कि मुझे पता ही नहीं चला कि कब संतोष ने मुझे कमर से पकड़कर उठा लिया और डाइनिंग टेबल पर बैठा दिया। फिर उसने मेरे बूब्स को पूरा नंगा कर दिया और एक-एक करके मेरे बूब्स को अपने मुँह में लेकर ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा। फिर वो मेरी साड़ी को जांघो तक ऊपर उठाकर मेरी चूत को पेंटी के ऊपर से ही रगड़ने लगा। "Naukar Ke Lund"

अब में उसे अपने बूब्स पर दबाने लगी थी, अब संतोष मेरे निपल्स को काटने लगा था। अब मेरी दर्द से आवाज़े निकलने लगी थी। फिर संतोष ने मेरी पारदर्शी पेंटी खींचकर निकाल दी और मेरी चूत पर अपनी उंगलियाँ फैरने लगा। अब मैंने पूरी मस्त हो कर अपने दोनों हाथों से उसके लंड को पकड़ लिया और अपनी चूत की तरफ खींचने लगी, लेकिन उसने मुझे पीछे धक्का देते हुए टेबल पर लेटा दिया, इधर में इतनी बैचेन हो गई थी कि मैंने उससे कहा कि अब चोदना राजा, अब तड़पा मत, तेरा लंड मेरी चूत में डाल दे। तो फिर संतोष मुस्कुराया और अपने कपड़े आराम से उतारते हुए मुझे देखता रहा, अब उसे मुझे तड़पाड़ने में मज़ा आ रहा था। फिर वो नंगा हो गया और फिर उसने मेरी दोनों टाँगे अपने दोनों हाथों से फैलाई। अब में उसका लंड अंदर लेने के लिए बिल्कुल तैयार थी और में बार-बार उसके लंड को खींच रही थी। फिर उसने अपने लंड से मेरा हाथ हटाया और एकदम से मेरी चूत से अपनी जीभ चिपका दी और अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर डालकर मेरी चूत को चाटने लगा। "Naukar Ke Lund"

अब मेरी हालत ख़राब हो गई थी, अब में तड़पने छटपटाने लगी थी और उसे गाली देने लगी, राजा मादारचोद तड़पा क्यों रहा है? चोद दे देना मुझे हरामी। फिर वो उठा और मेरी जांघो को आराम से अपने दोनों हाथों में पकड़ते हुए अपना लंड मेरी चूत के सामने रख दिया। फिर उसने धीरे से अपना लंड अंदर पेलना शुरू किया। अब उसका लंड आधा ही अंदर जाते ही में हांफने लगी कि अचानक से उसने एक झटके में मेरी गीली चूत में अपना पूरा 8 इंच का लंड पेल दिया और रुक गया। अब मेरी तो सांस रुक गई थी, फिर उसने मुझे अपना लंड अंदर किए हुए ही मुझे ऊपर खींचा। अब में उसके सीने से चिपक गई थी, अब मेरे बूब्स उसके बालों से भरे सीने में दस कर दब गये थे। फिर उसने मेरे कान में कहा कि साली रंडी तेरी चूत एकदम चिकनी है, में तुझे आज ऐसे चोदूंगा कि तुझे ये चुदाई जिंदगी भर याद रहेगी और ये बोलकर उसने मेरे कूल्हों को पकड़कर अपने लंड का जोर से धक्का दिया तो अब में कांपने लगी, अब मेरी चूत कांपने लगी थी।

फिर उसने अपनी एक उंगली मेरे मुँह में डाली और कहा कि चूस इसे तो मैंने चुपचाप ऐसा ही किया। फिर उसने मुझे गांड से पकड़कर वो उंगली मेरी गांड के छेद में डाल दी, तो में सहम गयी। फिर उसने मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोदना शुरू किया, अब में मज़े से पागल हो गई थी। अब मेरी चूत में उसका लंड और मेरी गांड में उसकी उंगली पूरी चली गई थी। अब में बस उउफ़फ्फ़ आहह हम्मम्म हम्फफफफ्फ़ चोद मेरे राजा आआहम्म करती रही। फिर करीब 5 मिनट में ही में उसके लंड पर फव्वारे की तरह झड़ गई, फिर उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया और में उसे पागलों की तरह सहलाने लगी। अब में ज़ोर-ज़ोर से उसका लंड हिला रही थी, फिर उसके लंड से ढेर सारा रस निकला जो मेरे शरीर के हर हिस्से पर हर तरफ़ फैल गया मेरे बूब्स, मेरी नाभि, मेरा पेट, यहाँ तक की कुछ बूंदे मेरे होंठ पर भी पड़ी थी, जिन्हें में चाट गई थी। "Naukar Ke Lund"

उसने काफ़ी दिनों के बाद ये चुदाई की थी, इसलिए उसका इतना रस मेरे शरीर और आसपास टेबल पर फैला हुआ था। अब में इतने मज़े में थी कि मुझे अपनी कंडीशन का अहसास ही नहीं था, अब संतोष के सफेद रस में लिपटे और संतोष मेरे कंधे पर अपना सिर रखकर आहें भर रहा था। फिर करीब पूरे 10 मिनट के बाद मुझे याद आया कि हम हॉल के बीचो बीच में है, दरवाजा भले ही लॉक हो अगर कोई घर के बाहर सामने से हमारे बगीचे को पार करके आए और किचन की खिड़की से देखे तो उसे हम साफ़- साफ़ दिख सकते है, ये मुझे बाद में पता चला था। इसके बाद संतोष और मैंने एक दूसरे की कमी खूब मिटाई और हमने आने वाले हर मौके का 1 हफ्ते तक खूब फायदा उठाया । "Naukar Ke Lund"
 
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