चन्द्रमा झाड़ कर एक दम शांत हो गयी थी मनो शरीर का सारा रास निकल गया हो, मैं भी चन्द्रमा के पैरों के बीच से उठ कर उसके बगल में लेट गया, मेरे होटों, ठोढ़ी और गाल पर लार और छूट रास लिसाड़ा हुआ था चन्द्रमा ने एक बार मेरे चेहरे के और देखा और अपनी ऊँगली से इशारा किया, मैं समझ गया था की वो मुझे अपना चेहरा साफ़ करने के लिए बोल रही थी, मैंने भी लेटे लेटे अपनी बनियान खींच कर अपना मुँह और ठोड़ी पोंछ लिया , मैं चाहता तो पास पड़े तौलिये से भी पोंछ सकता था लेकिन मैंने जान बुझ कर अपने बनियान से पोंछा आखिर पहलीबार उसकी चूत का पानी टेस्ट किया था, कुछ निशानी तो रखना बनता था।
चन्द्रमा अब पूरी तरह शांत हो चुकी थी और उसके चेहरे पर सुंख की एक अनोखी अनुभूति साफ़ नज़र आरही थी, मैंने हाथ आगे बढ़ा कर उसको होनी बहा में समेत लिया, चन्द्रमा भी बिना देर किये मेरे शरीर से चिपक गयी, अभी तक चद्र्मा का टॉप उसके गले में उत्का हुआ था और उसकी लेग्गिंग्स घुटनो तक मुड़ी हुई थी, ना तो चन्द्रमा ने अपनी कपडे ठीक किये थे और न मैंने, चन्द्र्मा के माथे पर एक किस किया लेकिन जैसे ही मैं उसके लिप्स पर किस करना चाहा उसने अपना मुँह घुमा लिया " गंदे पहले मुँह धो कर आओ "
मैं : अरे इसमें गन्दा क्या है ?
चन्द्रमा : आप तो पागल हो वो कौन किस करता है भला ?
मैं : सब करते है, भला इतनी प्यारी चीज़ को कौन नहीं प्यार करेगा
चन्द्रमा : आप प्यार कम और खा ज़्यदा रहे थे, लग रहा था जैसे पूरा खा जाओगे मुझे
मैं : तुम मौका तो दो फिर देखो अगर खा न जाऊ तुमको पूरा का पूरा
चन्द्रमा : एक दम जानवर हो आप, ज़रा सा टाइम नहीं लगाते, पता नहीं लगता कब क्या कर बैठोगे
मैं : अच्छा छोड़ो ये बताओ मज़ा आया की नहीं ?
चन्द्रमा : (एक दम कस कर चिपकते हुए कान में पुसफुसाई) हम्म बहुत
मैं : तो फिर करे एक बार और मज़ा आएगा
चन्द्रमा : नहीं अब बस बहुत हो गया फिर किसी और दिन, अब सोते है, मैं बुरी तरह थक गयी हूँ
मैं : जो हुकुम बेगम साहिबा
ये सुन कर चन्द्रमा ही ही करके है पड़ी, मैं भी सुबह का जाएगा हुआ था और पता नहीं कब से चन्द्रमा के जिस्म से खेलने में लगा हुआ था, टाइम का कोई अंदाज़ा ही नहीं था, जितना भी हुआ था प्लान से बहुत ज़्यदा हो गया था और अब पूरा विश्वास था की जल्द ही चन्द्रमा की चूत चोदने को मिलेगी।
चन्द्र्मा ने अपने कपडे ठीक कर लिए थे और अब करवट हो कर लेट गयी थी, मैंने भी कम्बल कंधो तक खींच कर चन्द्रमा की ओर मुँह करके लेट गया और चन्द्रमा अपने से सटा लिया। आज शाम से मैं चन्द्रमा के शरीर से खेल रहा था लेकिन अभी तक एक भी लण्ड झरा नहीं था, बार बार अकड़ कर उसकी हालत ख़राब थी, मैंने ट्रॉउज़र में हाथ दाल कर लण्ड को सेट किया और थप थापा कर उसको चूत मिलने का भरोसा दिलाया, लण्ड की हालत बुरी थी, थोड़ा थोड़ा लुंड का रस टपकने से चिप चिपा हो चूका था, मैंने लण्ड सीधा किया किया और चन्द्रमा की कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर खिसकाया और उसकी मस्त गरम गांड को अपने लण्ड से सटा दिया । गांड की गर्मी पाकर लण्ड कुछ में देर में फिर से पूरा अकड़ गया और गांड की दरार में घुस कर चन्द्रमा की गांड करदने लगा। चन्द्रमा जो अब आराम से लेट कर हलकी नींद की आगोश में जा रही थी शायद लण्ड की ठोकर को उसने अच्छे से महसूस कर लिया, एक दो मिनट तो वो चुप रही लेकिन जब लण्ड की शैतानी ज़्यादा बढ़ने लगी तो मेरी ओर गर्दन घुमा के बोली
"सोने दो ना, बहुत तेज़ की नींद आरही है "
मैं : हाँ तो सो जाओ मैं कहा मन कर रहा हूँ
चन्द्रमा : आप सोने दो तब ना, ये शांत क्यों नहीं हो रहा है ? आपने तो बोलै था की बस ठोड़ी देर करने दो तो तब शांत हो जायेगा और आराम से सो जायेंगे।
मैं : तुमको शान्ति मिल गयी लेकिन इसको नहीं मिली है इसीलिए
चन्द्रमा : तो कैसे होगा शांत ? अभी आपने किया तो उस से शांत नहीं हुआ क्या ?
मैं : पागल अभी जो किया उस से ये और भड़क गया है इसको शांत करने के लिए और कुछ करना पड़ेगा और उसमे तुमो भी साथ देना पड़ेगा
चन्द्रमा : ना बाबा न, अब नहीं मैं थक गयी हूँ बस सोना है मेको
मैं : सो जाओ तुम इसको ऐसे ही शरारत करने दो ठोड़ी देर में शांत हो जायेगा खुद फिर मुझे भी नींद आजायेगी
चन्द्रमा : देख लो अगर आप खुद करके होना चाहो तो कर लो बाकी आज मैं कुछ हेल्प नहीं कर पाउँगाी सॉरी, प्लीज आप नाराज़ मत होना (उसकी आवाज़ में हल्का सा गिल्ट था )
मैं : अरे पागल हो क्या मैं क्यों नाराज़ होऊंगा भला, हमने जो कुछ किया मस्त किया और मुझे खूब मज़ा आया, थैंक यू फॉर सपोर्टिंग मे।, इसका तो बाद में कोई सलूशन देखेंगे।
ये सुन कर चन्द्रमा ने एक किस मेरे माथे पर कर डाला जैसे मैं अब तक उसको करता आया था और फिर वापिस करवट ले कर लेट गयी और मैं भी लण्ड उसकी गांड की गहरी दरार में डाल कर नींद के हिलोरे लेता हुआ सो गयa
चन्द्रमा अब पूरी तरह शांत हो चुकी थी और उसके चेहरे पर सुंख की एक अनोखी अनुभूति साफ़ नज़र आरही थी, मैंने हाथ आगे बढ़ा कर उसको होनी बहा में समेत लिया, चन्द्रमा भी बिना देर किये मेरे शरीर से चिपक गयी, अभी तक चद्र्मा का टॉप उसके गले में उत्का हुआ था और उसकी लेग्गिंग्स घुटनो तक मुड़ी हुई थी, ना तो चन्द्रमा ने अपनी कपडे ठीक किये थे और न मैंने, चन्द्र्मा के माथे पर एक किस किया लेकिन जैसे ही मैं उसके लिप्स पर किस करना चाहा उसने अपना मुँह घुमा लिया " गंदे पहले मुँह धो कर आओ "
मैं : अरे इसमें गन्दा क्या है ?
चन्द्रमा : आप तो पागल हो वो कौन किस करता है भला ?
मैं : सब करते है, भला इतनी प्यारी चीज़ को कौन नहीं प्यार करेगा
चन्द्रमा : आप प्यार कम और खा ज़्यदा रहे थे, लग रहा था जैसे पूरा खा जाओगे मुझे
मैं : तुम मौका तो दो फिर देखो अगर खा न जाऊ तुमको पूरा का पूरा
चन्द्रमा : एक दम जानवर हो आप, ज़रा सा टाइम नहीं लगाते, पता नहीं लगता कब क्या कर बैठोगे
मैं : अच्छा छोड़ो ये बताओ मज़ा आया की नहीं ?
चन्द्रमा : (एक दम कस कर चिपकते हुए कान में पुसफुसाई) हम्म बहुत
मैं : तो फिर करे एक बार और मज़ा आएगा
चन्द्रमा : नहीं अब बस बहुत हो गया फिर किसी और दिन, अब सोते है, मैं बुरी तरह थक गयी हूँ
मैं : जो हुकुम बेगम साहिबा
ये सुन कर चन्द्रमा ही ही करके है पड़ी, मैं भी सुबह का जाएगा हुआ था और पता नहीं कब से चन्द्रमा के जिस्म से खेलने में लगा हुआ था, टाइम का कोई अंदाज़ा ही नहीं था, जितना भी हुआ था प्लान से बहुत ज़्यदा हो गया था और अब पूरा विश्वास था की जल्द ही चन्द्रमा की चूत चोदने को मिलेगी।
चन्द्र्मा ने अपने कपडे ठीक कर लिए थे और अब करवट हो कर लेट गयी थी, मैंने भी कम्बल कंधो तक खींच कर चन्द्रमा की ओर मुँह करके लेट गया और चन्द्रमा अपने से सटा लिया। आज शाम से मैं चन्द्रमा के शरीर से खेल रहा था लेकिन अभी तक एक भी लण्ड झरा नहीं था, बार बार अकड़ कर उसकी हालत ख़राब थी, मैंने ट्रॉउज़र में हाथ दाल कर लण्ड को सेट किया और थप थापा कर उसको चूत मिलने का भरोसा दिलाया, लण्ड की हालत बुरी थी, थोड़ा थोड़ा लुंड का रस टपकने से चिप चिपा हो चूका था, मैंने लण्ड सीधा किया किया और चन्द्रमा की कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर खिसकाया और उसकी मस्त गरम गांड को अपने लण्ड से सटा दिया । गांड की गर्मी पाकर लण्ड कुछ में देर में फिर से पूरा अकड़ गया और गांड की दरार में घुस कर चन्द्रमा की गांड करदने लगा। चन्द्रमा जो अब आराम से लेट कर हलकी नींद की आगोश में जा रही थी शायद लण्ड की ठोकर को उसने अच्छे से महसूस कर लिया, एक दो मिनट तो वो चुप रही लेकिन जब लण्ड की शैतानी ज़्यादा बढ़ने लगी तो मेरी ओर गर्दन घुमा के बोली
"सोने दो ना, बहुत तेज़ की नींद आरही है "
मैं : हाँ तो सो जाओ मैं कहा मन कर रहा हूँ
चन्द्रमा : आप सोने दो तब ना, ये शांत क्यों नहीं हो रहा है ? आपने तो बोलै था की बस ठोड़ी देर करने दो तो तब शांत हो जायेगा और आराम से सो जायेंगे।
मैं : तुमको शान्ति मिल गयी लेकिन इसको नहीं मिली है इसीलिए
चन्द्रमा : तो कैसे होगा शांत ? अभी आपने किया तो उस से शांत नहीं हुआ क्या ?
मैं : पागल अभी जो किया उस से ये और भड़क गया है इसको शांत करने के लिए और कुछ करना पड़ेगा और उसमे तुमो भी साथ देना पड़ेगा
चन्द्रमा : ना बाबा न, अब नहीं मैं थक गयी हूँ बस सोना है मेको
मैं : सो जाओ तुम इसको ऐसे ही शरारत करने दो ठोड़ी देर में शांत हो जायेगा खुद फिर मुझे भी नींद आजायेगी
चन्द्रमा : देख लो अगर आप खुद करके होना चाहो तो कर लो बाकी आज मैं कुछ हेल्प नहीं कर पाउँगाी सॉरी, प्लीज आप नाराज़ मत होना (उसकी आवाज़ में हल्का सा गिल्ट था )
मैं : अरे पागल हो क्या मैं क्यों नाराज़ होऊंगा भला, हमने जो कुछ किया मस्त किया और मुझे खूब मज़ा आया, थैंक यू फॉर सपोर्टिंग मे।, इसका तो बाद में कोई सलूशन देखेंगे।
ये सुन कर चन्द्रमा ने एक किस मेरे माथे पर कर डाला जैसे मैं अब तक उसको करता आया था और फिर वापिस करवट ले कर लेट गयी और मैं भी लण्ड उसकी गांड की गहरी दरार में डाल कर नींद के हिलोरे लेता हुआ सो गयa