कहानी एक पीसीएस मतलब पतोह चोदू ससुर की[ भाग-2]

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तो कहानी के पहले भाग में बताया कि बाबा रंगू ने अपने भतीजे बम्पू की शादी करके उसके लिये एक खूबसूरत कामुक गरमा गर्म बहू ले आये। पीसीएस का मतलब फ़िर से बता दें- पतोह(पी) चोदू(सी) ससुर(एस) मतलब कि ऐसा ससुर जो पतोहू को चोद दे। बाबा रंगू रिटायर्ड टीचर हैं और उनका लंड बड़ा ही घातक और प्रचंड है, उसपर तुर्रा ये कि उनकी बीबी की चूत एकदम सड़े हुए खीरे की तरह नाकाम हो चली है। अब काम कैसे चलेगा, तो बाबा रंगू ने अपने भतीजे की शादी एक गरीब बाप की खबसूरत बेटी से तय कर दी थी। दुल्हन अपने पिया के घर आयी, चुदाई के रंगीन सपने लिये। सुहागरात का सीन, चलने से पहले बता दें कि बम्पू जी बड़े ही दुबले पतले लंड वाले और हिले हुए पुर्जे के इंसान थे, जिनके बस का किसी गांड को मारना या, चूत की सील तोड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था। सुहागरात की रात बाबा रंगू ने ये सीन देखने के लिये एक बड़ा ही चौकस जुगाड़ किया और जैसा कि फ़िट था, अपना कमरा और सुहागरात वाला कमरा आजू बाजू ही था और एक ही दीवाल दोनों को अलग करती थी।

एक खिड़क्की थी जो सुहाग रात वाले कमरे में झांकने का रास्ता थी, उसे उसने पहले से ही थोड़ा हिला हिला के झिर्रीदार बना दिया था। जैसे ही चूत की कहानी शुरु होती, बाबा ने अपनी आंखें खिड़की से लगा दीं। बम्पू हिलते हुए अपनी दुल्हन के सामने खड़ा था, वो नीचे देख रही थी और वो उपर देख रहा था। कौन किसको चोदने वाला है ये समझ नही आ रहा था लेकिन दुल्हन ने पह्ल ली। वो समझ गयी थी कि ये लौंडा एकदम बकचोदू है और चिकलांडू है क्योंकि सामने चूत का मौका देख कर कोई बकलँड ही इस तरह कांप सकता है। बाबा रंगू को खिड़की से ये सीन दिखाई दे रहा था और उनका लंड धोती के अंदर डिस्को भांगड़ा करने लगा था। उन्होंने आंखें गड़ा दीं। बहु ने बम्पू की शेरवानी खोल दी, और पैजामे का नाड़ा जल्दी में खीच के तोड़ डाला। कहानी उल्टी चल रही थी और बाबा रंगू इतनी गरम बहू देख कर एक दम बाग बाग थे, क्योंकि वो जान गये थे कि इतनी गरम और कामुक बहू इस नादान और नामर्द लौंडे से संभलने वाली नहीं है इसीलिए तो उन्होंने इसकी जल्दी ही शादी करवा दी थी। बहू ने बम्पू को पूरा नंगा कर दिया।

आज वो अपना हक अपने मरद से छीन लेने वाली थी कि अपने पति का 'टिंकू लंड' देख कर उसका दिल बैठ गया। एक दम दो इंच का लंड था और खड़ा होकर साढे तीन इंच का हो गया था, इसे तो चूसा भी नही जा सकता, हद्द है। बम्पू जी हांफ़ रहे थे दुल्हन के इस गरमा गरम रुप को देख कर्। पटक कर उसने बम्पू के मुह पर अपनी चूत रख दी और बम्पू की सांसें फ़ूलने लगीं। गाली देते हुए बोली साले लंड में नही था गूदा तो लंका में काहे कूदा। काहे तेरे मास्टर बाप ने मेरी शादी तेरे से की माधरचोद ले अब चूस मेरी चूत और सुबह उस धोती वाले की धोती में आग लगा न दिया तो मेरा नाम सरिता नहीं। लगभग आधा घंटा अपनी चूत और गांड उसके मुह पर रगड़ने के बाद उसने लाईट आफ़ कर दी और अपनी चूत पसार के सोने चली गयी। बाबा रंगू का दिल बागम बाग हो गया, लंड को तेल लगा कर उन्होंने मोटा और नुकीला किया और अपनी धोती खोल के सहलाते हुए सो गये। बहुत जल्दी सीन में उन्हे एंट्री मारते हुए अपनी बहू को कब्जा लेना था। कहानी के अगले भाग 3 में पढेंगे कि कैसे बाबा रंगू ने अपने भतीजे की बहू का शीलभंग किया और चोद कर एक पतोह चोदू ससुर बन गये।
 
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