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हेल्लो दोस्तों. मेरा नाम विक्की है , और आज मैं आप लोगों को अपनी पहली कहानी सुनाने जा रहा हूँ उम्मीद है आपको पसंद आएगी. चूंकि यह मेरी पहली कहानी है, तो अगर मुझसे कोई गलती होती है तो आप अपने कीमती सुझाव भेजने का कष्ट अवस्य करें.

पहले मैं आपको अपने बारे में बता हूँ. मैं यू .पी का रहने वाला हूँ पर फ़िलहाल पूना में जॉब कर रहा हूँ. मेरी उम्र 24 साल है कद 5'10",रंग गेहुआ, गठीला शरीर , देखने में भी स्मार्ट हूँ. तो अब कहानी पे आते हैं.

जैसा की आप सब लोग जानते हैं की आज कल प्रोफेशनल लाइन में सब बिलकुल खुल कर बातें करते हैं. लड़के लड़की सेक्स की बातें भी खुल कर करते हैं. हमारे ग्रुप में भी ऐसी बात होती रहती थीं पर मुझे ये अंदाजा नहीं था की ग्रुप की एक लड़की पे इसका गहरा असर पड़ेगा. उस लड़की के बारे में बता दूं. नाम रूपा, कद 5'3″, रंग सांवला जरूर था लेकिन उसका फिगर एकदम मस्त था चूचियां एकदम राकेट की तरह तानी रहती थीं बहुत बड़ी नहीं थीं पर जब वो फिटिंग की शर्ट या टीशर्ट पहनती थी तो मेरे अंदर हलचल जरुर हो जाती थी. और उसके हिप्स के क्या केहने चिपकी हुई जीन्स देख के लगता था की पीछे से ही पकड़ के मीश दूं. इतनी हलचल होने के बावजूद मैं कुछ नहीं कर सकता था क्योंकि उसकी और मेरी बहुत पटती थी हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे हर तरीके की समस्या को मिल कर सुलझाते थे.

खैर ये हादसा तब शुरू हुआ जब सितम्बर'2012 के महीने में हम दोनो कुछ ज्यादा ही करीब आये और आपस में ब्लू-फिल्म्स के बारे में भी बात करने लगे थे लेकिन इतना खुले नहीं थे की "चूत" "लंड" जैसे शब्दों का प्रयोग करें.

उसको मेरे बारे में पता था कि मेरे कॉलेज में सम्बन्ध रहे हैं पर उसको उससे कोई अप्पति नहीं थी क्योंकि मैं स्वभाव से बहुत हेल्पिंग और केयरिंग हूँ और उसके साथ कभी कोई ऐसी हरकत नहीं की जिसकी वजह से मेरे बारे में गलत सोचे.

ऐसे ही एक दिन ब्लू-फिल्म के बारे में सामान्य बात चल रही थी और उसने मुझसे cunnilingus(चूत चाटना) और fellatio(लंड चूसना) के बारे में पूछा, कि मेरी क्या राय है. मैंने मजाक में कहा कि "क्या तुम्हारा मन हो रहा है". तो बोली "नहीं बस ऐसे ही लोगों की राय जानना चाहती हूँ". तो मैंने बताया की "मेरे विचार में ये व्यक्ति पर निर्भर है कि वो ये चाहता है की नहीं जैसे कि कॉलेज में कुछ लड़कियों को चूसना पसंद नहीं था मैंने उनपे कभी जोर नहीं डाला और नाही उन्होंने ने मुझे उनकी चाटने से मना किया क्योंकि उनको उसमे मज़ा आता था. और कुछ जानना है ?"

रूपा : "अच्छा... तो तुम्हारे साथ कोई ऐसा भी था क्या जिसे केवल वही करना या कराना होता था ?"

मैं : "हाँ एक ऐसी भी थी, वो कुँवारी थी और अपना कुंवारापन खोना नहीं चाहती थी उसे केवल मौखिक मज़ा लेना था "

रूपा : "ओके.. तो उसकी कोई स्पेशल ख्वाहिश होती थी क्या ?"

मैं : "इस चीज में सफाई बहुत जरुरी होती है तो ये ख्वाहिश हम दोनों की ही थी बल्कि इसके अलावा कोई स्पेशल चीज नहीं कही उसने कभी "

रूपा : "ओके... ओके..." और उसने फिर बात का विषय बदल दिया, मैंने भी बात को सामान्य समझ कर वही छोड़ दिया, इस बात से अंजान कि उसके दिमाग में कुछ और ही चल रहा था.

बस मुझे इतना समझ आया कि वो मेरी हर बात को बहुत ध्यान से सुन रही थी पर मैंने समझा उसके लिए नया है सब तो इतना इंटरेस्ट आ रहा होगा.

बात आई गयी हो गयी. हमारी बात सामान्य तरह से चलती रही , फिर एक दिन नवम्बर के आखिरी हफ्ते के सन्डे को उसका कॉल आया कि उसे कुछ जरुरी बात करनी है मैंने कहा कि कल ऑफिस आके कर लेंगे वो कहने लगी जरुरी है. मैंने पूछना चाहा की इतना क्या जरुरी है, फ़ोन पे ही बता दो तो बोली नहीं फ़ोन पे नही सामने ही बताना है. मैंने कहा अच्छा मिलते हैं 10-15मिनट में.

मैं जैसे घर पे पड़ा हुआ था वैसे ही चला गया लोअर और टीशर्ट में. उसने ऑफिस के पास ही बुलाया था क्योंकि सन्डे के दिन वहां तो खली ही रहता है. खैर उसे देखते ही लगा की कुछ चल रहा है इसके मन में, क्योंकि वो मेकअप वगैरा कर के आई थी, जो कि वो सामान्यतः नहीं करती थी. मैंने पूछा 'ऐसी क्या जरूरी बात है बताओ जल्दी'. तो उसने कहा 'आये हो बैठो आराम से, बात करते हैं'.

मैंने कहा 'तुम कह रही थी जरुरी बात है तो मैं ऐसे ही आ गया बताओ ना '. वो बोली ' अरे यार घर पे बोर हो रही थी तो बुला लिया और जरुरी इसलिए बोला ताकि जल्दी आ जाओगे और वही हुआ '. और ठहाका लगा के हंस दी मैं भी हंस के बैठ गया और बात करने लगे.

हमेशा की तरह बात सामान्य तरीके से शुरू हुई फिर मोड़ लेके नॉन-वेग पे आ गयी. आज वो पहली बार अपनी रूम-पार्टनर्स के बारे में अपने आप खुल के बता रही थी, मेरे बिना पूछे, की उसका ये चक्कर है उसका वो चक्कर है. उसकी रूम-मेट उसे सब बताते थे. वो सब भी ओरल सेक्स करते थे और बड़े से खुल के बताते थे, मैं सब आराम से सुन रहा था कि अचानक उसने उस दिन की बात उठाते हुए कि ' जिस लड़की के साथ तुम सिर्फ ओरल सेक्स करते थे उसके साथ कभी इंटरकोर्स नहीं किया क्या ?' मैंने कहा 'नहीं '.

रूपा : "क्यों उसने करने नहीं दिया या तुम ने ही करना नहीं चाहा ?"

मैं : "ये सब करने से पहले हमारे बीच समझौता हुआ था की वो ओरल सेक्स के दौरान कितना भी कहे की सम्भोग करो पर मुझे नहीं करना होगा अपने पे कंट्रोल रखना होगा ".

रूपा : "और अगर तुम कंट्रोल ना रख पाओ तो ?"

मैं : "सेक्स के बीच में बार-बार उसने कहने पर भी मैंने कुछ और नहीं किया इतना तक की वो पागलों की तरह चिल्लाती थी की कर दो पर फिर भी मैंने नहीं किया और शायद इसी विश्वास की वजह से कॉलेज में सबसे ज्यादा मेरा उसी से चला"

रूपा : "वाओ.. गजब कंट्रोल है यार तुझमे तो "

मैं : "हाँ जी, खैर ये मुझे उसके साथ रह के पता चला"

रूपा : "मेरे साथ कण्ट्रोल आजमाएगा ?" मुझे लगा की मजाक कर रही है तो मैंने भी वैसे ही जवाब दिया.

मैं : "हाँ हाँ बिलकुल, बताओ कब कहाँ कैसे आजमाना है मुझे ?"

रूपा : "यार मैं मजाक नहीं कर रही सीरियस हूँ ". और उसका चेहरा देख के लगा की वाकई सीरियस थी, मेरी तो साँस ही रुक सी गयी मैंने कभी उसके बारे में ऐसे सोचा भी नहीं था कि ऐसे एकदम से मुझसे ऐसा करना को कहेगी, बात करना अपनी जगह है पर सही मे करना अलग है,खैर फिर भी मुझे लगा की शायद पोपट बनाने की कोशिश कर रही है तो मैंने कहा ' यार सुबह से और कोई नहीं मिला क्या बनाने को जो, मुझे पकड़ लिया ?'

वो और सीरियस हो गयी और बोली कि ' रूम-पार्टनर्स की सुन-सुन के मेरा मन बहुत पहले से हो रहा था कि कोई मेरे साथ भी करे पर यही डर था कि जो करेगा वो सब कुछ करना चाहेगा पर मुझे केवल ओरल का मज़ा चाहिए था. मुझे लगा कि तुमसे बात करके थोड़ी तो शंतुष्टि मिलेगी पर तुमने तो और बेचैन कर दिया. मैंने खुद कभी नहीं सोचा था कि तुम्हारे साथ ही मन बन जायेगा. मैंने बहुत सोच समझ के आज तुम्हारे सामने बात रखी है.'

मैंने कहा ' ये गलत है यार हम बहुत अच्छे दोस्त है ये सही है होगा.'

वो बोली ' मेरे मन में तुम्हारे लिए ऐसे ख्याल आ चुके है तो मैं तो अब तुम्हे नार्मल नहीं ले पाऊँगी '. ' और आज तुम्हारे कंट्रोल के बारे में सुन के पक्का हो गया कि तुमसे ही करवाउंगी.'

मैं : "कंट्रोल वाली बात बनायीं हुई भी हो सकती है या फिर अगर तुम्हारे साथ खुद को रोक नहीं रह पाया तो सब कुछ चौपट हो जाएगा " मेरा एक तरफ मन हो भी रहा था और एक तरफ नहीं भी हो रहा था. बड़ी दुविधा थी दोस्तों.

रूपा : "एक और कारण है जिसकी वजह से तुम्हे चुना." जब से बात शुरू हुई थी उसकी गर्दंन नीचे ही थी.

मैं : "क्या ?" जिज्ञासा हुई की ऐसी क्या खासियत है मुझमे.

रूपा : "मेरा रंग "

मैं : "मतलब ?" मेरे समझ में कुछ कुछ आ रहा था.

रूपा : "तुमने अपने एक रिलेशन के बारे में बताया था कि वो भी सांवली थी जिसके साथ 'सब कुछ' किया तो मेरे साथ भी कर सकते हो और मुझे भी खुशी दे सकते हो क्योंकि मुझे तो केवल ओरल ही करना और करना है."

मैं : "ये सोचना गलत है तुम्हारा की सांवले रंग की वजह से तुम्हे कोई ओरल सेक्स का मज़ा नहीं देगा ?"

रूपा : "मेरे सभी रूम-पार्टनर्स के बॉय-फ्रेंड्स का यही मानना है काली चूत कौन चाटना चाहेगा, अभी तक तुम्ही एक ऐसे मिले हो जिसे इस चीज से दिक्कत नहीं है तो मेरा तुम्हारे तरफ झुकाव गलत नहीं है "

उसके मुह से चूत सुन कर 1सेकंड के लिए तो मैं सन्न हो गया. खैर संभल कर बोला "ऐसे कोई भारतीय लड़की नहीं है जिसकी योनी गुलाबी होगी भारत की हवा ही ऐसी है की लड़का हो या लड़की उसका गुप्त अंग उसके शरीर के रंग से दबे हुए ही होंगे."

रूपा : "आज तक इतना किसी को नहीं समझाया होगा अपनी सबसे अच्छी दोस्त को ही सब समझाने को बचा रखा था क्या ?" वो अब गुस्से में थी, उठी और चल पड़ी, मैंने रोका भी पर रुकी नहीं.

मेरे वाकई नहीं समझ आ रहा था कि क्या किया जाये, कॉल भी किया पर काट दे रही थी बार-बार. फ़िलहाल के लिए सोचा कि कल ऑफिस आके बात करूँगा रात-भर में शायद थोडा नार्मल हो जाये.

अगले दिन ऑफीस मे भी बात नही कर रही थी. मैने उसे बुलाया की कल के बारे मे बात करनी है, तब वो आई और हम बॅस्केटबॉल कोर्ट मे गये ताकि कोई हमारी बात सुन ना ले.

मैं : "क्या है यार ये, दिमाग़ खराब कर दिया है तुमने मेरा कल से और अब बात भी नही कर रही हो ?"

रूपा : "मैं तो बड़े मज़े मे हूँ ना ?"

मैं : "क्यों अब क्या हुआ तुम्हे ?"

रूपा : "इतने अंजान ना बनो, सब जानते हो फिर भी मेरे से ही सुनना चाह रहे हो !!"

मैं : "नही यार ऐसा नही है, खैर पहेली ना बुझाओ सॉफ सॉफ बात बताओ"

रूपा : "मेरे लिए दिक्कत है की अगर तुम नही करते हो जो मैने माँगा है तुमसे तो मैं तुमसे नज़रे नही मिला सकती,मैने यही सोच कर तुम्हारे सामने बात रखी थी की तुम समझ जाओगे और मेरी ज़रूरत को पूरा करोगे पर इतना ड्रामा हो जाएगा नही सोचा था". मैं तो इसे समझाने आया था पर पासा तो उल्टा ही पड़ रहा है, बात तो उसकी सही थी की आगे हमे एक दूसरे को मिलने मे दिक्कत आएगी वो भी उसके लिए ज़्यादा बड़ी बात थी क्योंकि उसने बोला और मैने माना किया.

दिमाग़ मे बहुत तेज़ी से प्रोसेस करके मैने उसे उत्तर दिया.

मैं : "यही सोच कर मैने तुम्हे तुम्हारी माँगी हुई चीज़ देने का निर्णय लिया है". मैने सोचा की करते हैं जो होगा देखा जाएगा, कम से कम दोनो को मज़ा तो आना ही था और इस दुविधा से भी निकल जाएँगे.

रूपा : "सच ! अब तुम मेरे साथ मज़ाक तो नही कर रहे ?" उसकी आँखों मे चमक आ गयी थी और वासना भी.

मैं : "नही ! अब मज़ाक का नही गंभीर बातों का समय है, अब तुम बताओ कि प्लान क्या है ?"

रूपा : "प्लान ये है की केवल ओरल करना है, कितनी भी,कहीं भी चुम्मा चाटी पर नो फक्किंग".

मैं : "अरे बेवकूफ़ लड़की ! ये तो हमे भी मालूम है, हमने पूछा की कब और कहाँ करना है ?"

रूपा : "ये तो तुम्हे देखना है, तुम लड़के हो तुम ही करो सब इंतेजाम." सब कुछ अपने हिसाब से चाहती है और कुछ करनी भी नही चाहती, खैर अब हां की है तो आगे भी करना ही पड़ेगा.

मैं : "ठीक है शाम तक बताता हूँ, तुम्हारी कोई रिक्वाइर्मेंट ?"

रूपा : "हां ! जितना जल्दी हो सके उतना" बोल कर आँख मार दी उसने. अभी थोड़ी देर पहले मुह लटका था अब देखो कैसे उछल रही है.

मैं : "ओके". फिर हम अपने काम पे लग गये जाके.

मैने दिमाग़ दौड़ाया और पाया की अगर वीकेंड का सोचा जाए तो कोई आसार नही दिखे, तो अगर करना है तो साप्ताह के बीच मे करना होगा ताकि मेरे और उसके रूम-पार्ट्नर्स ऑफीस मे रहेंगे.
दूसरा जगह के दो ही विकल्प थे उसका और मेरा फ्लॅट. उसका फ्लॅट एक PG था जिसमे आठ लोग रहेते थे, तो वो उचित नही था हमारे मज़े के लिए, क्योंकि क्या पता कर कौन वास आ जाए.
तो बचा मेरा फ्लॅट, वैसे कोई दिक्कत नही थी पर ओनर का नाटक था की कोई लड़की नही आनी चाहिए चाहे दोस्त ही क्यों ना हो. अब मज़े के आगे कौन दिखता है मैने सोचा भाड़ मे गया ओनर अब तो सब यहीं होगा.

शाम को मैने उसे कॉल करके पूरा प्लान बताया कैसे क्या करें की सब हो जाए और किसी को सक भी ना हो. और बोला की ओरल के लिया सफाई ज़रूरी है तो वो कर लेना तब बता देना. वो बोली की वो तो अभी के लिए भी तैयार है.

खैर, तय हुआ था आने वाला गुरुवार. हमरे पास अभी भी ३ दिन थे तो हमने खूब बातें की कि क्या क्या करना है.

आख़िर वो दिन आ ही गया.

प्लान के मुताबिक मैं ऑफीस नही गया, रूपा गयी पर बहाना बना के १२ बजे वापस आ गयी कि उसके पीरियड्स हैं. मैने उसे पिक किया और अपने फ्लॅट ले आया.

उस दिन उसने मेरे कहने पर मटमैले रंग की शर्ट पहनी थी जिसकी फिटिंग उसके उपर मस्त आती थी और दोस्तों शर्ट के बटन खोलने का अलग ही मज़ा है बजाए की टी-शर्ट उतरने के. नीचे उसने काले रंग का कार्गो पहना था. मैने जैसा की पहले भी बताया की फिगर के मामले मे वो अव्वल थी, बस उपर वाले ने शकल और रंग दिया होता तो कयामत ढा रही होती और शायद मैं अभी तक उसे चोद चुका होता. और मैं अपने लोवर और टी-शर्ट मे था.

घर मे आके मैने ध्यान से सब बंद किया और उसको आपने रूम मे ले गया. वो थोड़ी सी डरी सी लग रही थी. मैने उसे समझाया और कहा की मेरे उपर भरोसे रखे और मैने उसके कंधे पे हाथ रखा ही था की वो मुझसे लिपट गयी और मैने भी उसे कस के हग किया.

वो मुझे छोड़ ही नही रही थी तो मैने सोचा की इसको उत्तेजित ही करना पड़ेगा तभी कुछ होगा.

मैने उसके सिर पर किस किया हाथों को पीठ से नीचे कमर पे ले गया और कस के दबा दी, ऐसा करने से उसने और तेज़ जाकड़ लिया, फिर मैने दोनो हाथों से उसके चेहरे को अपनी छाती से अलग करके उसके माथे पे किस किया, उसकी आँखें बंद थी तो मैने दोनो आँखों पे हल्के हल्के से होंठ रखे, अब उसकी पकड़ थोड़ी ढीली पद रही थी जिसका मैने फ़ायदा उठा कर उसके गालों पे हल्के से किस किया, उसकी नाक पे किस किया, फिर उसकी चिन पे किस किया.

अब तो पूरी तरह से ढीली हो गयी थी, मैने उसे वहीं पे अपने बेड पे धीरे से लेटाया. उसको अपने बायें तरफ रख के उसका सिर अपने बायें हाथ पर रखा, थोड़ा सा रुकने के बाद मैने उसके कान पे किस थी तो उसकी पहली सिसकारी निकली. फिर क्या था. मैने हल्के हल्के पूरे चेहरे पे किस करना चालू कर दिया, पर अभी तक उसके होंठ बचे थे. मैने चाहता था की वो मुझे होंठ के किस करे. तो मैने उसे उपर वाले लिप के उपर किस किया और फिर नीचे वाले की नीचे, २-३ बार यही किया तो उससे अपनी आँखे खोल के इशारों से सवाल किया मैने भी इशारों से जवाब दिया तो उसने झट से मेरा चेहरे को पकड़ के होंठ से होंठ लगा दिए. और हुआ 5-7मिन लंबा smooch. किस के दौरान ही पहले मैं उसके उपर चढ़ गया aur फिर पलट के उसे अपने उपर ले लिया. पूरे समय उसके हाथ मेरे चेहरे पे ही रहे और मेरे, उसकी पीठ और कमर से होते हुए गाड़ तक घूम रहे थे.

किस ख़तम करने के लिए मैं उसके उपर आ गये और दोनो हाथ अपने बीच मे लाके उसके पेट के रखे और उपर की तरफ करने लगा, जैसे ही मेरे हाथ उसके चुचो को नीचे की तरफ से छुए उसकी सिसकारी निकली और किस छूट गयी, जो मुझे चाहिए था, उसके बाद मैने उसकी गर्दन पे किस की बौछार कर दी, गर्दन से नीचे छाती पे आया और शर्ट के उपर से ही चुचों पे जैसे ही किस किया वो उछल पड़ी. ये सब उसके लिए पहली बार हो रहा था तो उसे उत्तेजना भी बहुत हो रही थी. किस करते हुए मैने पेट तक गया और उसके बाद उपर आ गया. अब मैने किस के साथ बटन खोलने चालू किए और एक करके सारे खोल दिए. अंदर मेरे लिए सर्प्राइज़ था जो की बिल्कुल सफेद ब्रा मे क़ैद था, दोस्तों रूपा काली ज़रूर थी पर इस समय सफेद ब्रा और उसके शरीर के रंग का कॉंट्रास्ट मुझे उत्तेजित कर रहा था,मैने ब्रा से झँकते हुए हिस्से पे किस देनी चालू की तो वो पागल होने लगी. मैं उसको उत्तेजना के हर पायदान पर धीरे धीरे ले जाना चाहता था ताकि उसे मज़ा ही मज़ा आए.

ब्रा के उपर से ही उसके चुचो को चुसते हुए उसकी शर्ट उतरवादी. शर्ट उतार के जैसे ही मैने देखा की उसने अपने अंडरआर्म्स के बॉल भी अच्छे से सॉफ किए हुए थे मैने तुरंत वहाँ पे किस करना स्टार्ट कर दिया. दोस्तों अंडरआर्म्स मे गुदगुदी होती है पर अगर सेक्स का खुमार चढ़ा हो तो वही पे उत्तेजना भी उतनी ही होती है, ये मैने अपने अनुभव से जाना. रूपा पे भी इसका असर वैसा ही हुई जैसा मैने सोचा था, वो किस लेते ही पलटने लगी ताकि मैं वहाँ पे किस ना कर सकूँ. पर मैने उसे कस के पकड़ रखा था क्योंकि मुझे मालूम था की वो ऐसा करेगी. थोड़ा तड़पाने के बाद मैं वापस उसके चुचो पे आ गया और पीछे से ब्रा का हुक खोल दिया और अपने दाँत से ही ब्रा को खींच कर निकल डाला.

मैने जैसी कल्पना की थी उसके बूब्स बिल्कुल वैसे ही थे एकदम सही आकर, सही सख्ती और बड़ा सा निप्पल. बड़े निप्पल मुझे बहुत पसंद हैं, शादी शुदा औरतों के और भी बड़े होते हैं पर दुर्भाग्यवास मुझे अभी तक कोई शादी शुदा नही मिली.

खैर मनचाही चीज़ पा कर मैं तो उनपे टूट पड़ा. प्यार से, ज़ोर से हर तरीके से चूस रहा था मैं रूपा के मस्त चूचे. और वो आँखे बंद किए बस मज़े ले रही थी और सिसकारियाँ ले ले कर मेरा नाम ले रही थी.

मैने रुक कर अपनी टी-शर्ट उतरी तब उसने आँखें खोल के मुझे देखा और मुस्काई. मैं जैसे ही उसकी तरफ झुकने को हुआ उसने मुझे रोको और खुद उठ के बैठ गयी.

मैं : "क्या हुआ जी, मज़ा नही आ रहा क्या ?"

रूपा : "मज़ा तो जितना सोचा था उससे भी ज़्यादा आ रहा है"

मैं : "अभी तो शुरुआत है डार्लिंग"

रूपा : "जानती हूँ" और उसने अपने हाथों से मेरी बनियान उतारी "मेरे सारे उतारते जा रहे हो और अपने एक एक उतार रहे हो ?"

मुस्करा कर मैने उसे धकेला और उसके उपर झपट के होंठ से होंठ लागा दिए और फिर से स्मूच चालू हो गया, इस बार मैं उसके चूचे दबा रहा था और वो मेरी पीठ पे हाथ चला रही थी और गड़ा भी रही थी. इस बार ज़्यादा देर किस ना करते हुए मैने उसके गर्दन से होते हुए बूब्स पे आया और थोड़ी देर उन्हे चूस के नीचे गया और नाभि पे आस पास किस करने पे रूपा फिर से उछल पड़ी थोड़ा सेट्ल हो जाने के बाद मैने उसकी नाभि मे जीभ डाल के उसे चूसना शुरू किया तो उसकी सिसकारियाँ एकद्ूम से तेज़ हो गयी तो मुझे रुकना पड़ा क्योंकि दोपहर मे हमारे यहाँ बहुत शांति रेन्टी है और ज़्यादा तेज़ आवाज़ भी मामला बिगड़ सकती थी. उसको समझा कर फिर से चालू किया और अबकी सीधे नाभि से, पहले तो दोनो हाथों से उसके चूचे रगड़ रहा था अब धीरे से एक हाथ नीचे ला कर उसकी चूत के पास हल्के से फिरने लगा. उसकी उत्तेजना फिर से वापस आने लगी, हाथ का दबाव जैसे जैसे चूत पर बढ़ रहा था उसकी टांगे वैसे ही खुलती जा रही थी.

मैं वापस किस करते हुए उपर की तरफ गया और स्मूच शुरू किया, और एक हाथ से उसकी जींस का बटन खोला और चेन खोल कर अंदर panty के उपर से ही चूत को रगड़ने लगा, रूपा की छटपटाहट मुझे अपने होंठों पे समझ आ रही थी, पर इस समय रुकना मतलब शुरू से शुरुआत करनी pad जाएगी, इसलिए मैने अपना काम जारी रखा, हाथ को वापस निकल कर पेट तक लाया उसके बाद फिर अंदर ले गया पर इस बार panty के अंदर से, क्या गरमा गरम इलाक़ा था भाई, और उपर से एकदम चिकना, जैसे कभी कोई बॉल उगा ही ना हो वहाँ पे, रूपा जानेमंन पूरी तैयारी करके आई थी.

हाथ से उसकी चूत रगड़ रहा था और होंठों से उसके होंठ, थोड़ी देर बाद उसके चूचों पे आ गया और कस के चूसना चलो किया, साथ ही साथ छूट की रगदाई भी तेज़ कर दी.

रूपा के मुह से कुछ ही शब्द निकल रहे थे 'आहह.' 'ह्म्म्मा.' 'सी.'और मेरा नाम, जिससे साफ समझ आ रहा था की मेडम को खूब मज़ा आ रहा है. मैं तो apne काम मे पूरी तत्परता से लगा हुआ था, उसका एक हाथ बराबर मेरे बॉल सहला रहा था, और दूसरा मेरे दूसरे हाथ से प्रेम बंधन बनाए बैठा था, उस हाथ को कभी कभी मैं उसीकी चुची दबाने मे इस्तेमाल कर रहा था. लड़की से उसीकी चुची मसलवाने का मज़े ही अलग होता है यार.

अब मैने सोचा की यौन क्रीड़ा को आगे बढ़ाया जाए, तो मैं किस करते करते नीचे गया और जींस के उपर से ही उसकी चूत के पास चुम्मा दे दिया, इस्पे रूपा के उछलना लाज़मी था. फिर उसकी जीन्स उतरने लगा, पर हमेशा की तरह लड़कियों का नाटक की आख़िरी चीज़ है तो मेरी इज़्ज़त को बचाए है उसे रहने दो, पर मैने झट से रूपा को होंठ पे hard किस किया और वो तैयार हो गयी, फिर क्या था थोड़ी ही देर मे वो सिर्फ़ सफेद panty मे थी जिसपे चूत के पानी का गीलापन झलक रहा था. वो अपनी टाँगों को बुरी तरह से चिपकाए हुए थी, maine भी कोशिश नही की अलग करने की क्योंकि थोड़ी देर मे वो खुद ही अलग होने वाली थी. मैने उसकी चूत के पास से उसके पंजे तक चुंबनो की बारिश कर दी और जाँघ पे कभी कभी हल्के से चूस लेता था जैसे चुची पे करते हैं, दोस्तों जांघों पे किस करना और उनपे अपना शरीर रगड़ने का जलवा ही अनोखा है जिसे शब्दों मे बयान नही किया जा सकता.

मैने उसकी जाँघो पे जी भर के किस करने बाद उसे पलट जाने को कहा, उसने फिर मुझे सवालिया नज़रो से देखा तो मैने आसवस्त किया किया की करो तो सही, मेरी बात मानते हुए वो उल्टी लेट गयी, फिर उसके चूतदों पर बैठ गया और उसके लंबे बॉल जो कि कमर तक आते थे एक साइड करके उसकी गर्दन पे किस किया, जैसे ही किस किया मैने उसकी आँखें फिरसे बंद हो गयी और मैं किस करने के काम पे लग गया, लड़की जब उल्टी लेती हो तो उसके अंडरआर्म्स और चूचों के उभरे हुए भाग पर किस करने से दोनो की उत्तेजना मे और व्रद्धि होती है. मेरे करने से भी वही हुआ उसने अपने हाथ समेटने चाहे पर कर ना पाई. गर्दन, पीठ, अंडरआर्म्स, चूचों की साइड, और कमर के किस करने बाद आई panty की रुकावट. मैने पहले तो उसके हिप्स पे panty के उपर से किस किया, उसके बाद panty को नीचे ख़ासकने के लिए मैने अपने हाथ नही लगाए बल्कि अपने दाँतों से उसकी पनटी को नीचे खींचना चालू किया, पर हो नही पा रही थी क्योंकि रूपा मेरी सहायता नही कर रही थी खैर मैने नीचे हाथ डाल कर उसे उठाया और मेरा काम हो गया, panty गाड़ को छोड़ नीचे जाँघ पे आ चुकी थी, और पीछे से उसकी चूत के जो पहले दर्शन हुए मेरा तो लंड फटने को होगया, एकडम मखमली लग रही थी, काली ज़रुरू थी पर बिल्कुल ऐसी लग रही थी की आज तक किसी ने उसे छुआ तक नही है, होता भी कैसे रूपा ने बताया था की उसे नही मालूम अकेले मज़े कैसे करते हैं तो उसने तो कभी अपनी चूत को मज़े करने के लिए नही छुआ और उसके बाद मैं दूसरा इंसान था जो उसकी चूत के दर्शन कर रहा था. मैने उसके दोनो चूतदों को पकड़ के हल्के से दबाया तो रूपा ने उन्हे और ज़कड़ लिया जिससे वो और टाइट हो गये, मैने झुक के दोनो हिप्स पे एक एक किस क्या दी रूपा की तो हवा ही खराब हो गयी. मैने उसकी इस उत्तेजना का सहारा लेते हुए उपर से नीचे तक किस करना चालू किया और साथ ही उसकी panty पूरी उतार के बाहर कर दी. अब वो ब्लॅक ब्यूटी मेरे सामने पूरी नंगी पड़ी थी वो भी मेरी तरफ गाड़ करके.

मैने उसे धीरे से सीधा किया और उसकी चूचियों पे भीड़ पड़ा, तोड़ा पीने के बाद उसके होंठों पे किस किया, कान के किस करके मैने उससे पूछा "क्या तुम तैयार हो आख़िरी पड़ाव के लिए ?" उसने मुझे बिना देखे हां मे सिर हिलाया और बोली "विक्की आज मुझे अपने बनालो, खूब प्यार करो मुझे, मेरे हर अंग पे अपने होंठों की छाप छोड़ दो" और उसने मेरे कान के किस करके हल्के से काट के aage बढ़ने का इशारा किया.

इतना सुनना था की मैने फिर से चालू हो गया किस पे किस करते हुए नीचे आया और बंद टाँगों के उपर से ही उसकी चूत पे किस करने लगा, एक अजीब से महेक आ रही थी उस जादुई गुफा से, मेरी किस की वजह से उसकी टांगे खुलने लगी और मैं अंदर घुसने लगा, जैसे ही पूरी खुल गयी मैने रुक के चूत के पास जाके उसकी महक का जायजा लिया.

मुझे मालूम था की मेरे चूत पे होंठ लगते ही रूपा फिर से उछालने लगेगी इसलिए पहले से ही मैने उसकी जांघों को कस के पकड़ लिया और हल्के से clitoris के पास किस थी, अब तो रूपा का तांडव चालू हो चुका था, मैने भी देर ना करते हुए चूत के होंठों से अपने होंठ लगा दिए और शुरू हुआ चुसाई और सिसकारियों का दौर, मुझे ये भी मालूम था की अगर मैने झटके से उंगली डाली चूत मे तो रूपा को दर्द होगा इसलिए मैने सबसे छोटी उंगली को धीरे धीरे डाला जब उसने अपनी जगह बना ली उसके बाद उसके स्पीड बढ़ा दी और अपनी जीभ से उसकी भागनासा को चाटता रहा. जब वो उस क्रिया से थोड़ी सी संभाल गयी घोड़ी बना के उसकी चूत के छेद को जीभ से चोदना शुरू किया और नीचे से हाथ डाल के उसके clitoris को रगड़ता रहा.

थोड़ी देर मे फिर उसे सीधा किया और जैसे ही चूत चाटने जा रहा था रूपा ने मेरे चेहरे को पकड़ के अपनी तरफ खींचा और रगड़ के स्मूच किया मैने इसका फायदा उठाते हुए उसकी चूत मे बीच वाली उंगली डाली, जिसने चिकनाई की वजह से आराम से जगह बना ली, रूपा अभी भी मेरे होंठों को निचोड़ रही थी इसलिए मैने उसे उंगली से चोदना शुरू कर दिया, अब तो उसकी हालत देखने लायक थी ऐसे जैसे कि बिन पर के कोई पंछी. रूपा ने जैसे ही मेरे होंठ छोड़े मैं झट से उसकी चूत को चाटने के लिए कूद पड़ा, अब मैने दोनो हाथों से उसके चुचे पकड़ रखे थे और puri ताक़त से उन्हे मसल रहा था और नीचे अपनी जीभ से उसकी चूत चोद रहा था, रूपा की हालत का कोई व्याख्यान नही है मेरे पास, वो मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत मे आगे पीछे कर रही थी, थोड़ी देर मे वो मेरा सिर छोड़ कर लेट गयी और ज़ोर ज़ोर से गाड़ उठा के चटवाने लगी अब उसकी आवाज़ बता रही थी की उसका स्खलन नज़दीक है इसलिए मैने एक हाथ की उंगली से उसे चोदना चालू रखा जीभ से चूत चाट ही रहा था और एक हाथ उसके पूरे शरीर पे रगड़ रहा था, ज़्यादातर उसकी चुचियों को मसालने के लिए. २min हुए होंगे और वो अकड़ गयी खूब तेज़ चिल्लाई और उसकी चूत से पानी निकला जिसने ये साबित कर दिया की रूपा डार्लिंग अब झड़ चुकी हैं. जब तक पानी निकलता रहा मैं चाटता रहा रूपा की रसीली चूत, बहुत दिन बाद मुझे कोई चूत मिली थी चाटने को तो मुझे भी बहुत मज़ा आया.

रूपा और मैं इस हादसे के बाद और करीब आ गये और हमने सब कुछ किया बस लंड को चूत मे डालने को छोड़कर.

वो कहानी भी जल्द ही आपके सामने लाने की कोशिश करूँगा.

तब तक के लिए नमस्कार.

आपका अपना
-विक्की
 
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