खेल में आई पहली दस्थक

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नस्मते दोस्तों,

आज मैं आपको अपनी से छोटी लड़की की चुत - चुदाई के बारे में विशेष रूप से बताना चाहता हूँ और मुझे पता है आप भी अपना लंड मसल उतना ही नाद उठाएगे जितना की मैंने इस वक्त के दौरान उठाया था | उसकी चुत कोई मामूली चुत नहीं थी क्यूंकि दोस्तों वो बिलकुल कुंवारी थी और चुदाई के दर्द को अपनी पुरी जिंदगी में पहली बार ही चुदाई को रहस्यों को अनुभव करने जा रही थी | वो अक्सर ही मेरी बिल्डिंग के नीचे अपनी दोस्तों के साथ खेला करती थी और उसी वक्त के दौरान मैंने उसे पसंद कर लिया था और अपने लंड का शिकार बनाने के लिए भी चुन लिया था | मैं कभी - कभार जब नीचे जाकर बैठ जाया करता तो सब सभी बच्चे मेरे साथ आकर इधर - उधर के सवाल और बातें करने लगते जिनमें से एक वो भी थी |

एक दिन जब उसकी सारी दोस्त और सहेलियाँ वहीँ बाजु में खेल रहे तो मैं उसे कुछ दिखाने अपनी बिल्डिंग की सीडियों पर ले गया | मैं बातों - बातों में उसके हाथ को सहला रहा था और फिर धीर - धीरे उसके नरम चुचों तक भी पहुँच गया | मैं अब उसके अंगों को सहलाते हुए बस अजब से रस का मज़ा ले रहा था और ज़ल्दी से उसके टॉप को भी उतार दिया | मैं एवाहीं उसे बैठकर उसके नंगे चुचों को बारी - बारी मसलते हुए चूसने लगा जिसपर वो अनजान लड़की सिसकियाँ ले रही थी | मैंने अब कुछ ही देर मैं उसके सभी कपड़ों को उतार दिया और उसे नंगी कर वहीँ सीडियों पर ही लिटा दिया | वो अब पागल सी हो गयी थी की मैंने अब उसकी चुत को रगडना चालू कर दिया और उसके कुछ देर बाद ही अपने लंड को निकाल उसकी टांगों के बीच चुत पर टिका दिया |

वो इस पहले कुछ सोचती मैंने हलके - हलके धक्के मारना शुरू कर दिया जिसपर उसे दर्द उठने लगा और मैंने उसके मुंह को पूरी तरह अपने हाथों से दबा कर बंद कर दिया | अब उसकी चींखें बहार नहीं निकल पर रही थी और मैंने भी खूब भारी - भारी झटके देना शुरू कर दिया | मैं उसकी चुत को बस अब गंदे तरीके चोदे जा रहा था रहा था जिसपर हौले - हौले सिस्कारियां निकल रही थी | मैं वहीँ उसके चूतडों को मसलत हुआ पने लंड को उसकी चुत में डाला जा रहा था और उसकी आँखें रोती हुई मानो रहम की भीक मांग रही थी | जब काफी देर उसने मेरे झटकों इसी तरह से सह लिया तो आखिरकार उसकी चुत को भी समझो मेरे लंड की आदत सी लग पड़ी |

अब उसे इतना दर्द नहीं हो रहा था जितना की पहले हो रहा था | वो भी बस अपना मुंह खोले मेरे झटकों लिए जा रही थी और मैं अपने कमर को पकडे अपने लंड को मिल रहे आनंद में खोया हुआ था | हम दोनों ही अपनी मस्त चुदाई में खोये हुए थे | मैं उसके उप्पर बिलकुल सपाट होकर लेट गया था और मेरा सारा वज़न सहती हुई बस हौले - हौले अपनी गांड को हल्का - फुल्का हिला रही थी | आखिरकार मैं भी लंड के आगे ना बाद पाया और कुछ देर बाद उसके उप्पर अपने लंड की पिचकारी भी छोड दी |
 
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