खेल खेल में लंड: आइसपाइस[भाग-1]

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खेला में लंड रेला।

तो दोस्तों कालेज टाइम की कहानी तो सबको याद आती ही होगी। तब मैं एक खेल होता है आइस पाइस, जिसको चोर सिपाही भी कहते हैं। अपने मुहल्ले के लड़कों के बीच यह खेल काफी प्रचलित था। हम लोग विशेष तौर पर इस्खेल को तब खेलते थे जब कि कोई नयी लौंडिया हमारे मुहल्ले में आती थी और उसकी चूत मारनी होती थी। हमारे ग्रुप में मैं आजाद, अमन और आकाश के अलावा एक और लौन्डिया शामिल थी जिसका नाम था आशा। हम चारोन नये शिकारों को बखूबी फांसते थे। आशा भी एक नम्बर की छिनाल थी।

तो उस दिन जब कि हमारे मुहल्ले में एक नयी माल रेनु का आगमन हुआ, तो हम दोस्त उसे देख कर ही दंग रह गये थे। रेनु एक दम बुम्म्बाट चूंचे वाली, बड़ी गांड वाली और पतले कमर वाली शोख हसीना थी। वो भी कालेज में ही पढती होगी, हमारी हम उम्र ही लगी। उसका एक भाई चन्दन भी साथ में आया था। वो मेरे पड़ोस में आई थी। अब सवाल था कि उसे पटाएगा कौन और आइसपाइस खेलाएगा कौन। इसके लिए हम लोगों ने आशा का चयन किया। उसे कहा गया कि तू लड़के और लड़की दोनों को पटाकर हमारे खेल में शामिल कराएगी।

आशा ने कहा ओके, ' वैसे भी चंदन तुमलोगों से जयादह स्मार्ट और हैंडसम दिखता है, तो क्यो नहीं उसके साथ ही आज शाम गुजारुं, ऐसा कहके उसने अपनी गांड टेढी की और मुस्कराई। साली की इस अदा पर हम दोस्तों का मन किया कि अभी पटक के चोद दें। उसे जब भीकोई नयी लड़की पर हम दोस्त डोरे डालते, तो जलन होने लगती थी। वैसे भी जलना नारी सुलभ गुण है। इसके बाद वही हुआ जो होना था, आशा ने चंदन से दोस्ती गांठी और फिर रेनु से। दोनों आज शाम आइसपाइस खेलने आने वाले थे। हम दोस्तों ने अपने लंड पिंजा लिए थे।

आते ही आशा ने परिचय कराया, ये आजाद, ये अमन और ये आकाश हम चारों बड़े ही फास्ट फ्रेंड्स हैं। उसने लपक के हाथ मिलाया, मैने हाथ पकड़ा और एक्क हल्की चिकोटी काट दी, वो इस अदा से मुस्कराई कि मुझे समझ आ गया कि वो पटाउ माल है। खेल स्टार्ट हुआ, इधर हम सब ने कह दिया कि चंदन को लेकर रेनु कहीं व्यस्त रहेगी, वो उसे फंसाए रहेगी, और इधर हम लोग रेनु को लपेट देंगे। वो अपना काम सफाई से करती थी।

हम सब ने मिलके खेला - अक्कड़ बक्कड़ बम्बे बों, अस्सी नब्बे पूरे सौ, और चन्दन बन गया चोर। अब प्लान ये था कि सबसे पहले आशा चंदन को मिल जाएगी और उसे लेकर किसी कमरे में धप्पा धप्पा करेगी। मतलब कि हल्का फुल्का काम। और इधर हम लोग उसकी बहन की चूत का करेंगे काम तमाम। ऐसा ही हुआ, आशा चंदन को लेकर गेस्ट रुम में छुप गयी। मैने दोस्तों से कहा कि मैं चल रहा हूं रेनु को पटाने जैसे ही चोदने लगूं तुम सब पीछे से आकर धप्पा बोलना और फिर खेल में शामिल हो जाना।

तो मैंने देखा, रेनु मेरे पापा के बेडरुम में छुपी थी। मम्मी पापा आफिस गये थे और देर से आने वाले थे। मैं दबे पांव गया और रेनु को पीछे से पकड़ के बोला - धप्पा। रेनु डर गयी, तो मैने कहा 'देखा डरा दिया ना' जब उसने मुझे देखा तो स्माइल देने लगी, मैने अपने हाथ ढीले नहीं किये बल्कि उसके गांड पर अपने लंड का दबाव बढाते हुए उसके चूंचों को मसलने लगा। वो साली एक नमबर की छिनाल थी, कहने लगी, छोड़ो न कोई आ जाएगा। मैं समझ गया कि यह चुदना चाहती है पर इसे पकड़े जाने का भय है।

चमेली का तेल लगा के गांड में लंड पेला

मैने कहा कोई नहीं आएगा, मेन गेट बंद है, और ये मेरा अपना घर है, मेरे दोस्त भी अपने हैं और रानी आज तो तुम भी अपनी ही हो। ऐसा सुन के वो हंसने लगी और उसने मेरा लंड पकड़ लिया। मैने खुद उसको जिप खोल कर बाहर निकाला और उसे पकड़ा दिया। अब हम दोनों एक् दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे और वो मेरा लंड मसलने लगी। अब मैने उसे अपने गोद में उठा लिया, उसकी स्कर्ट उपर की और पैंटी खोल के फेंक डाली। वो एक छरहरी और सुन्दर लौंडिया थी जिसको चोदने का खवाब देखना हर लंड का काम था। उसने मेरे गोद में आते ही अपनी दोनों टांगे मेरे कमर के चारों ओर फेंक कर फंसा लीं और उसके हाथ मेरे गर्दन में फंस गये। उसकी चूत नंगी थी, बिना बालों वाली। मैने अपना पैंट खोल दिया। वो सरक के नीचे जा गिरा और अड़रवियर सरका के मोटा लंड उसकी चूत के दरवाजे पर रखा। अब एकदम निशाना बैठ चुका था और मेरा लंड अंदर जाने के लिए तैयार था। मैने उसकी कमर को पकड़कर नीचे ढील दी, और लंड सरक सरक के अंदर जाने लगा। वो कहने लगी ' उई मां ऐसे पेलोगे, तो मेरी फट जाएगी' मैने कहा - रानी ऐसे पेलने वाले बड़े कम मिलेंगे। और उसको झूला झुलाते हुए चोदने लगा। वो उपर नीचे करते हुए आह, उफ्फ, आउच, फक मी येह, फक मी येह, करने लगी और मैं अपना लंड अन्दर करके चुदाई के घोड़े तेजी से अंदर बाहर दौड़ाता रहा।

पंद्रह मिनट तक झूला झूला के हवा में चोदने के बाद मैने उसको कुतिया बना दिया। और उसके गांड छेद पर चमेली का तेल लगा कर अपना लंड अंदर घुसाने लगा। वो चिचिआने लगी, और कहने लगी, प्लीज गांड मत मारो, मत मारो ना, पर मेरा मन कहां मानने वाला था, मैने धक्के पे धक्का रेले पर रेला, देना जारी रखा और वो धीरे धीरे मेरे पूरे लंड को अंदर लेने में कामयाब हो गयी। बेहतरीन टाइट गांड में पेलते हुए स्वर्गिक आनंद आ रहा था। जन्नत अगर कहीं है तो लौन्डिआ की टाइट गांड को अपने मोटे लंड से ढीला करने में। बस यही बात मुझे उस दिन रेनु को चोदते समय अहसास हो रही थी। वो खुद ही धीरे धीरे अपनी गांड आगे पीछे करने लगी थी और कहने लगी थी, फक माय ऐस्स फक माय ऐस्स्। इसका मतलब मुम्बई रहने वाली रेनु बहुत बीएफ देखती थी। खैर आधे घंटे में मैने उसको चोद कर अपना लंड उसके मुह में दे दिया, वो उसे साफ कर गयी। अगले भाग में पढिए कैसे दोस्तों ने भीअपने लंड का उपहार रेनु को दिया, आइसपाइस भाग 2 में
 
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