गार्डन में चूत का खोला पिटारा

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में आज आपका इस मनमोहक कथा में हार्दिक स्वागत करता हूँ इसे आपकी बिलकुल किस लड़की की चूत की ही तरह देख मज़े लेंगे | दोस्तों उस लड़की का नाम दीपा था और वो कोई और नहीं बल्कि मेरी ही बहन की अपनी अच्छी दोस्त थी जो धीरे - धीरे मेरे प्यार के जाल में फसती जा रही थी | मैंने यह सारी क्रिया अपनी बहन से छुपकर ही कर रहा था और वो भी इसमें मेरा अच्छा - ख़ासा साथ दे रही थी | हमारा प्यार वाला बंधन कुछ ही महीनो में बहुत आगे जा चूका था और किसको पता था की कुछ ही दिनों में आसमान छूने वाला था | मैं जब से दीपा से मिला करता तो वो मुझे जाने से पहले मेरे गालों पर चुम्मा दिया करती थी |

अब मैंने उससे अपने होठों पर भी चुम्मा माँगा तो उसने काफी नखरे भरे पर दे ही दिया और मैंने उसके दो दिन बाद ही अपने घर के पीछे वाले गार्डन में उसको बुलाकर ठंडी घास के उप्पर चोदा | मैंने एक दिन दीपा को को किसी बहाने मज़े करने के लिए अपने घर के पीछे वाले गार्डन में बुलाया और वहाँ की सारे बत्ती भी भुजा दि | हमने काफी देर पहले वहीँ एक - दूसरे की गौद में लेटकर बात की और कुछ देर में एक दूसरे से शारीरिक शरारतें करते हुए मज़े लेने लगे | मैंने उस खुले मौहोल में उसे चुमते हुए जब बेसबर हो गया तो उसकी कुर्ती को उतार दिया और अपनी शर्ट भी उतारते हुए उससे लिपट कर उसके चुचों के पीने लगा और निप्पल से साथ छेड़ा - खानी करने लग |

मैंने चुसम - चुसाई करते हुए उसकी सलवार खोलते हुए उसकी चूत की फांकों के बीच पानी दो उँगलियों को आगे पीछे मसलने लगा | अब मैंने कुछ देर बाद ही उसकी चूत में अपनी उँगलियों को देना शुरू कर दीं जिससे थोड़ी ही देर में उसकी चूत गीली हो भी गयी और मैंने अपने लंड के सुपाडे को उसकी चूत पर उप्पर नचाते हुए बुराझटका मारा जिससे धम्म करके मेरा लंड एक बार में उसकी चूत में पार हो गया | मैंने कई देर उसके छींकों और दर्द को नज़रंदाज़ करते हुए बस अपने लंड की वासना की सुनी और कुछ देर बाद होश लिया तो देखा की दीपा रो रही थी और साथ ही अपनी चूत को मसल भी रही थी |

मेरा पार इससे अच्छा मौका ना था और मैंने फिर कुछ उसकी चूत में ऊँगली करते हुए अपने लंड को देने लगा | अब तो दीपा का दर्द भी जैसे गुल हो गया था और बस हालकी - हल्की गारम आहें भर रही थी मेरा लंड की किसी रेलगाड़ी की तरह छप्प छाप करते हुआ उसकी चूत में आर - पार हो रहा था | मेरे पार उस वक्त कुछ कहने और सुनने के लिए कुछ ना था और अगर था तो बस उसकी चूत का आनंद लेना | मैंने आखिर में थक हार कर उसकी चूत में आखिर के कुछ झटकों में अपने वीर्य को छोड़ दिया ओर वहीँ उसके उप्पर लेता कुछ देर के लिए सो गया |
 
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