गोरी चूत मे काला लंड

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Desi kahani, antarvasna: मैं अपने ऑफिस के बाहर खड़ा था मेरे ऑफिस के बाहर जब मुझे शोभित मिला तो मैंने शोभित को कहा कि क्या तुम भी अब यही जॉब करने लगे हो। शोभित कहने लगा कि मुझे तो यहां जॉब करते हुए करीब एक महीना हो चुका है। शोभित हमारे सामने वाले कॉरपोरेट ऑफिस में जॉब करता था लेकिन यह पहली बार था जब वह मुझे मिला था शोभित मेरे दोस्त का छोटा भाई है। मैंने उससे पूछा कि हर्षित आजकल कहां है हर्षित का ना तो कोई फोन आता है और ना ही उसके बारे में मुझे कुछ जानकारी है काफी वर्ष हो गए हैं उससे मुलाकात भी तो नहीं हुई है। शोभित ने मुझे कहा कि हर्षित भैया आजकल न्यूजीलैंड में हैं और वह घर भी काफी समय से नहीं आए हैं। मेरी और हर्षित की दोस्ती काफी पुरानी है हम लोग कॉलेज के समय से एक दूसरे को जानते हैं। हम दोनों एक दूसरे को पहली बार जब कॉलेज में मिले थे तो उस वक्त हम दोनों की दोस्ती काफी अच्छी हो गई थी।

मैंने शोभित को कहा कि चलो अभी मैं चलता हूं तुमसे कभी और मुलाकात करूंगा और यह कहकर मैं अपने ऑफिस में चला गया। ऑफिस का काम शाम के 6:30 बजे तक खत्म हो गया था और मैं भी अब घर जाने के लिए ऑटो का वेट कर रहा था। मैं अपने ऑफिस के बाहर ही बस स्टॉप पर खड़ा था लेकिन भीड़ काफी ज्यादा थी इसलिए ऑटो वाला भी कोई नजर नहीं आ रहा था लेकिन तभी एक ऑटो वाला आया और उसने मुझे देखकर ऑटो रोक लिया उसके बाद उसने मुझे मेरे घर तक छोड़ दिया। मैं अपने घर पर पहुंचा तो मैंने देखा कि हमारे घर पर मेरी बहन आई हुई है मेरी बहन मुंबई में ही रहती है और वह काफी समय बाद घर आई थी। मैंने उससे पूछा दीदी आप कैसी हो तो मेरी बहन सरिता ने मुझे कहा मैं तो ठीक हूं अविनाश लेकिन तुम पिछले हफ्ते घर पर आए थे उसके बाद तुमने मुझे कहा था कि मैं आपको मिलने के लिए दोबारा आऊंगा लेकिन तुम आए ही नहीं। मैंने दीदी से कहा कि दीदी आजकल ऑफिस में कुछ ज्यादा काम हो गया था इस वजह से मैं आपको मिलने के लिए आ नहीं पाया खैर आप यह सब छोड़िए और यह बताइए कि जीजा जी कहां है।

सरिता दीदी ने कहा कि तुम्हारे जीजा जी तो अभी कुछ दिनों के लिए कोलकाता गए हैं वहां से वह अगले हफ्ते तक ही लौटेंगे। मैंने दीदी को कहा यह तो आपने बड़ा ही अच्छा किया जो आप घर पर आ गई। दीदी का एक 5 साल का बेटा है जो कि बहुत ज्यादा शरारती है उसे संभालना बड़ा ही मुश्किल होता है फिलहाल वह मां के साथ खेल रहा था। जब मैं अपने रूम से कपड़े चेंज कर के बाहर निकला तो वह मुझे कहने लगा मुझे आपके साथ पार्क में घूमने के लिए जाना है। रात भी काफी हो चुकी थी इसलिए मैंने उसे मना किया लेकिन दीदी और मां ने कहा कि जाओ अविनाश तुम छोटू को अपने साथ पार्क में लेकर चले जाओ। मैं उसे पार्क में लेकर चला गया पार्क में मैंने उसे कुछ देर झूले में झुलाया और फिर वापस घर लौट आया। मैं घर लौट आया था और मां मुझे कहने लगी कि आज तुम्हारे पापा भी देर से आने वाले हैं मैंने मां से कहा कि लेकिन पापा आज कहां गए हुए हैं तो मां ने मुझे बताया कि वह अपने किसी दोस्त के रिटायरमेंट की पार्टी में गए हुए हैं और उन्हें आने में देर हो जाएगी। मैंने मां से कहा कि फिर तो हम लोग खाना खा लेते हैं मां कहने लगी हां बेटा हम लोग डिनर कर लेते हैं और फिर हम लोगों ने डिनर कर लिया। डिनर करने के बाद हम लोग कुछ देर साथ में बैठे हुए थे फिर मैं अपने छत की में चला गया टेरेस में ही कुछ देर तक मैं टहल रहा था। मैंने अपनी जेब से सिगरेट निकाली और मैं सिगरेट पीने लगा मैं सिगरेट पी रहा था तो मुझे तभी हर्षित का फोन आया हर्षित का फोन मुझे काफी समय बाद आया था उसने किसी अननोन नंबर से फोन किया था जो मेरे पास सेव नहीं था। मैंने उससे कहा आज तुमने मुझे काफी दिनों बाद फोन किया हर्षित मुझे कहने लगा कि मुझे तो लगा था की तुम मुझे पहचान भी नहीं पाओगे। मैंने हर्षित को कहा ऐसा तो कुछ भी नहीं है मैंने उसे बताया कि मुझे आज ही तो शोभित मिला था। हर्षित ने मुझे बताया कि शोभित से आज मेरी बात हो रही थी तो उसने तुम्हारा जिक्र किया और मैंने सोचा कि मुझे तुम्हे फोन करना चाहिए क्योंकि काफी समय हो गया था तुमसे बात भी तो नहीं हो पाई थी।

मैंने हर्षित को कहा चलो यह तो तुमने बड़ा अच्छा किया जो आज मुझे फोन कर दिया इतने समय बाद तुमने मुझे फोन किया है, मुझे इस बात की बड़ी खुशी है कि कम से कम तुम से मेरी बात तो हो पा रही है। मैंने हर्षित से पूछा खैर यह बात छोड़ो तुम यह बताओ तुम वापस कब आ रहे हो तो वह मुझे कहने लगा कि अभी तो मेरा मुश्किल हो पाएगा लेकिन थोड़े समय बाद मैं देखता हूँ कि मैं घर आ जाऊं। मैंने हर्षित को कहा चलो यह तो बड़ी अच्छी बात है कि तुम अगर घर आ जाओ, इस बहाने कम से कम तुमसे मुलाकात तो हो जाएगी। हर्षित के साथ मेरी काफी देर तक बात हुई और उसके बाद वह मुझे कहने लगा कि चलो अब मैं फोन रखता हूं मैंने हर्षित को कहा ठीक है हम लोग कभी और बात करेंगे। हर्षित ने फोन रख दिया और मैं भी अपने रूम पर आ गया तो मां मुझे कहने लगी कि बेटा तुम इतनी देर से टेरेस पर क्या कर रहे थे। मैंने मां से कहा मां मेरे दोस्त हर्षित का फोन आ गया था तो मैं उसी से बात कर रहा था मां कहने लगी चलो बेटा तुम सो जाओ कल तुम्हें ऑफिस भी तो जल्दी जाना है मैंने मां से कहा ठीक है मां।

मैं सो गया और अगले दिन मैं अपने ऑफिस जाने के लिए जल्दी अपने घर से निकल गया। जब सुबह में अपने घर से निकला तो मैं बस का इंतजार बस स्टॉप पर कर रहा था वहां पर मुझे एक लड़की दिखाई दी उसकी सुंदरता देख मै उस पर मोहित हो गया और उसे मैं देखता ही रहा। यह भी इत्तेफाक था मेरी मुलाकात दोबारा उससे मेरे परिचित के घर पर हो गई। मेरी जान पहचान अब सुनीता से होने लगी सुनीता और मैं दूसरे से बातचीत करने लगे। मैंने सुनीता का नंबर ले लिया था हम लोगों को बात करते हुए करीब एक महीना हो चुका था। एक महीने में हम दोनों काफी बार बात कर चुके थे हम लोगों का मिलना भी होने लगा था इसलिए सुनीता को भी अच्छा लगने लगा था लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि सुनीता और मेरे बीच बात अब इतनी आगे बढ़ जाएगी कि एक रात मैं सुनीता के साथ फोन सेक्स करूंगा। वह मेरे साथ बड़ी खुश थी हम दोनों एक दूसरे के साथ इतने खुश हो गए कि वह मेरे साथ सेक्स करना चाहती थी। जब हम दोनों को मौका मिला तो हम दोनों एक दूसरे के साथ बंद कमरे में थे मुझे सुनीता को देखकर एक अलग तरह की आग जगने लगी। मैंने उसके होठों को चूम लिया मैं जब उसके होठों को चूमकर अपने अंदर की गर्मी को शांत किया तो वह उत्तेजित हो जाती और मुझे कहती मुझे बड़ा मजा आ रहा है। मेरे अंदर की गर्मी बढ़ने लगी थी मैं अपने अंदर की गर्मी को बिल्कुल भी रोक ना सका मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाल कर सुनीता के मुंह के सामने किया तो वह उसे अपने मुंह में लेकर चूसने लगी उसे बड़ा मजा आने लगा था। वह जिस प्रकार से मेरे लंड को चूस रही थी उससे मेरे अंदर की गर्मी बढ़ती जा रही थी वह भी बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गई थी। उसने मुझे कहा कहा मेरी उत्तेजना तुमने इस कदर बढ़ा दी है कि मैं बिल्कुल भी नहीं रह पा रही हूं। मैंने उसे कहा मुझे तुम्हारी चूत के अंदर लंड प्रवेश करवाना पड़ेगा। वह भी इस बात से बड़ी खुश थी उसने अपने कपड़ों को उतारने के बाद मेरे सामने अपनी चूत को किया उसने अपने पैरों को खोला हुआ था। मैं उसके पैरों को खोल कर उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाना चाहता था।

मैंने जैसे ही अपने मोटे लंड को उसकी योनि के अंदर घुसाया तो जोर से चिल्लाते हुए मुझे कहने लगी मेरी चूत में बहुत ज्यादा दर्द होने लगा है। मैंने उसे कहा मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा है वह मुझे कहने लगी अच्छा तो मुझे भी बहुत लग रहा है लेकिन दर्द हो रहा है। मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख कर उसे धक्के मारने शुरू कर दिए वह मुझे कहने लगी आप मेरी गर्मी को शांत कर दो। मैंने उसे कहा मुझे तुम्हें चोदने में बड़ा मजा आ रहा है मैं उसकी चूत के अंदर बाहर लंड को किए जा रहा था मेरा वीर्य जैसे ही बाहर की तरफ को गिरा तो मुझे मजा आ गया। उसने मेरे लंड को चूसकर खडा कर दिया जब वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर उसे चूसने लगी तो उसको मजा आने लगा।

वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा है मुझे लग रहा है बस तुमको चोदते जाऊं। मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के मार रहा था जब मैं उसे चोद रहा था तो उसकी चूत और मेरे लंड की टक्कर से जो आवाज आती वह मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित करती। मैंने सुनीता को कहा तुम घोड़ी बन जाओ। सुनीता की चूतडे मेरी तरफ थी और मेरा लंड उसकी चूत पर लगा तो वह उत्तेजित होने लगी। मैंने उसकी योनि के अंदर अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था। जब मैंने ऐसा करना शुरू किया तो उसे मज़ा आने लगा वह मुझे कहने लगी मुझे बड़ा मजा आ रहा है उसकी उत्तेजना पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी। मैं उसकी गर्मी को झेल नहीं पा रहा था मैंने उसे कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है। वह मुझे कहने लगी तुम अपने माल को मेरी योनि में गिरा दो। मैं अपने वीर्य की पिचकारी को उसकी चूत में गिराकर उसकी गर्मी को शांत कर दिया वह बड़ी खुश हो गई थी जब मैंने अपने माल को उसकी चूत मे गिराया।
 
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