चुदकर किसी और की हो गई

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Antarvasna, hindi sex kahani: घर में किसी भी चीज की कभी कोई कमी नहीं थी इसलिए शायद मेरा स्वभाव ही ऐसा हो चुका था मैं किसी से भी कभी सीधे मुंह बात नहीं किया करती थी और इसी वजह से मुझे सब लोग घमंडी समझा करते थे। मेरी अपनी अलग ही दुनिया थी मैं अपनी दुनिया में खुश थी मेरे माता-पिता ने मुझे बड़े लाड़ प्यारों से पाला है। घर में इकलौती होने की वजह से शायद मैं बहुत बिगड़ भी गई थी मैं किसी को भी अपने से बढ़कर नहीं समझती थी लेकिन मेरा घमंड एक दिन चकनाचूर तो होना ही था। मेरे कॉलेज में पढ़ने के लिए एक लड़का आया वह हमारे साथ ही था हम लोग एम.एस.सी की पढ़ाई कर रहे थे सब कुछ तो ठीक चल रहा था लेकिन वह लड़का मुझसे बिल्कुल भी बात नहीं किया करता था। वह देखने में बड़ा ही सिंपल और साधारण था उसका नाम रुपेश है रुपेश और मेरे बीच में बिल्कुल भी बात नहीं होती थी मुझे लगता था कि शायद रूपेश को मुझसे बात करना अच्छा नहीं लगता था।

उसे कॉलेज में सब लोग परेशान किया करते थे हमारे क्लास में भी सब लोग उसके सीधे होने का फायदा उठाया करते थे। मुझे रूपेश के बारे में ज्यादा कुछ तो जानकारी नहीं थी लेकिन मुझे इतना मालूम था कि वह एक मिडल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखता है। एक दिन हम लोग केंटीन में बैठे हुए थे उस दिन मेरा और आकांक्षा का झगड़ा हो गया आकांक्षा ने मेरे ऊपर गर्म चाय फेंक दी जिससे कि मेरे मुंह पर गरम चाय गिरने की वजह से मेरा मुँह जल गया था। मैं अब कुछ दिनों तक कॉलेज नहीं गई और शायद सब लोग इस बात से खुश थे क्योंकि आकांक्षा ने मेरे ऊपर जो चाय गिराई थी उससे सब लोग बहुत खुश थे। जब मैं कॉलेज गई तो उस वक्त आकांशा ने मुझे कहा कि संजना आइंदा से कभी भी मेरे साथ ऐसा मजाक मत करना। मैंने आकांक्षा के परिवार को लेकर कुछ बात कह दी थी जिससे कि वह मुझ पर गुस्सा हो गई थी। काफी दिनों से मेरी पढ़ाई भी नहीं हो पाई थी इसलिए मेरे पास अब टीचर के पढ़ाये हुए नोट्स भी नहीं थे और ना ही मुझे कोई नोट्स देने को तैयार था क्योंकि किसी के साथ भी मेरी बनती नहीं थी इसी वजह से तो कोई भी मुझे नोट्स देने को तैयार नहीं था लेकिन मैं शायद दिल की इतनी बुरी भी नहीं थी।

रूपेश ने उस वक्त मेरी मदद की रूपेश का उसमें कोई भी स्वार्थ नहीं छुपा था उसने मेरी निस्वार्थ भाव से मदद की थी रूपेश और मेरी दोस्ती अब होने लगी थी और हम दोनों अच्छे दोस्त बन चुके थे। मैंने रूपेश से कहा कि तुम्हारे पापा क्या करते हैं उस दिन रूपेश ने मुझे पहली बार बताया कि उसके पिताजी एक सरकारी विभाग में क्लर्क की नौकरी करते हैं। रूपेश बहुत ही भोला भाला और सीधा सा लड़का है वह मुझे कहने लगा कि संजना तुम्हें कॉलेज में कोई भी पसंद नहीं करता है। मैंने रूपेश से कहा मुझे इस बात से फर्क ही नहीं पड़ता कि कौन मुझे पसंद करता है और कौन नहीं लेकिन तुमने आज मेरी मदद की उसके लिए मैं तुम्हारा धन्यवाद कहना चाहती हूं। रूपेश कहने लगा कोई बात नहीं इसमें मदद की कोई ऐसी बात नहीं है तुम्हें पढ़ने के लिए नोट चाहिए थे और मैंने तुम्हारी इसमें मदद कर दी। एक दिन मैं अपनी कार से कॉलेज जा रही थी उस दिन रूपेश अपनी मोटरसाइकिल से जा रहा था मैंने रूपेश को देखते हुए अपनी कार रोकी और उससे कहा कि तुम मेरे साथ कॉलेज चलो। वह कहने लगा नहीं मैं अपनी मोटरसाइकिल में ही आ जाऊंगा मुझे नहीं मालूम था कि रूपेश का घर मेरे घर के रास्ते में ही पड़ता है। अब रूपेश मेरे साथ ही अक्सर आने जाने लगा था और हम दोनों के बीच बहुत अच्छी दोस्ती होने लगी थी मुझे भी बहुत खुशी थी कि कम से कम रूपेश के साथ तो मेरी अच्छी दोस्ती हो पाई है। बचपन से लेकर अब तक मेरा कोई अच्छा दोस्त नहीं था लेकिन रुपेश से दोस्ती कर के मुझे लगा कि शायद वह बिल्कुल ही सामान्य और साधारण सा है और वह पढ़ने में भी बहुत ही अच्छा है। रूपेश मुझे अपने घर पर ले गया तो उसके घर में मुझे बहुत प्यार मिला जो आज तक कभी मुझे मिला नहीं था मैंने कभी भी सोचा नहीं था कि इतना प्यार और दुलार मुझे रूपेश के घर पर मिलेगा जितना की मेरे जीवन में आज तक मुझे कभी मिला ही नहीं था।

मेरे माता पिता ने मेरे हर एक जरूरतों को तो पूरा किया था लेकिन उन लोगों ने मुझे कभी भी समय नहीं दिया शायद यही कारण था कि मुझे रूपेश के घर जाना अच्छा लगता था और उसके परिवार से मिलना मुझे बहुत ही अच्छा लगता। मैं जब भी रूपेश को कहती कि मुझे तुम्हारे घर जाना है तो वह कहता कि तुम्हारा जब भी मेरा घर आने का मन होता है तो तुम मुझे कह दिया करो। अब रूपेश के परिवार वाले भी मुझे अच्छा मानने लगे थे और शायद उन लोगों को लगता था कि मेरे और रुपेश के बीच में कुछ चल रहा है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था हम दोनों सिर्फ अच्छे दोस्त थे। एक दिन रुपेश की दीदी ने मुझसे कहा कि क्या तुम दोनों के बीच में कुछ चल रहा है, मुझे यह बात बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी और मैंने रूपेश से कई दिनों तक बात नहीं की लेकिन रूपेश ने मुझे कहा कि तुम मुझसे बात क्यों नहीं कर रही हो। मैंने उसे कहा कि तुमने अपने घर में मेरे बारे में क्या बताया है तो रूपेश कहने लगा मैंने अपने घर में तुम्हारे बारे में ऐसा कुछ भी नहीं बताया है मैंने सिर्फ यही बताया कि तुम मेरी एक अच्छी दोस्त हो। मैंने रूपेश से कहा लेकिन तुम्हारी दीदी तो मुझे कह रही थी कि तुम दोनों के बीच कुछ चल रहा है। रूपेश मुझे कहने लगा कि ऐसा कुछ भी नहीं है दीदी को गलतफहमी हो गई होगी।

मैंने रुपेश से कहा आज मेरा मन बिल्कुल भी तुमसे बात करने का नहीं है इसलिए मैंने उस दिन तो रुपेश से बात नहीं की लेकिन जब मुझे मालूम पड़ा कि रूपेश को इस बात का कुछ भी पता नहीं था तो मैंने उसे कहा मैं तुमसे माफी मांगना चाहती हूं। रूपेश मुझे कहने लगा कि लेकिन अब फायदा क्या है तुम्हें मुझ पर भरोसा ही नहीं है तो मैंने रूपेश को कहा ऐसी बात नहीं है मुझे तुम पर पूरा भरोसा है इसीलिए तो मैं तुम्हारे अलावा किसी और से बात नहीं करती। ऐसा तो था ही नहीं मैं अपने जीवन में बहुत अकेली थी मुझे भी किसी के साथ की जरूरत थी रुपेश ही मेरा साथ दे सकता था क्योंकि वही मेरे साथ रहता था और उसने मेरे साथ बड़े अच्छे तरीके से दिया। हम एक दूसरे से बातें तो किया ही करते थे लेकिन हम दोनों के बीच किस हुआ तो मुझे बहुत अच्छा लगा रूपेश को मै अपना मानने लगी थी और कुछ समय के लिए ही सही लेकिन रुपेश मेरे जीवन में सब कुछ था। रूपेश ने मुझे सब कुछ सिखाया उस दिन जब हम दोनों साथ में थे तो मैंने रूपेश के होठों को चूमते हुए किस कर लिया रुपेश भी मुझे किस करने लगा। हम दोनों एक दूसरे को बड़े अच्छे से किस कर रहे थे मुझे बहुत अच्छा लग रहा ऐसा काफी देर तक हम दोनों करते रहे जब मेरी चूत से पानी बाहर निकलने लगा तो रुपेश मुझे कहने लगा कि संजना मैं अब तुम्हारे गोरे बदन को देखकर रह नहीं पाऊंगा। उसने मेरे बदन को ऊपर से लेकर नीचे तक चाटना शुरू कर दिया था मैं पहली बार किसी के सामने नंगी हुई थी लेकिन मुझे उस चीज की कोई परवाह नहीं थी। मुझे तो रूपेश के लंड को मुंह में लेकर अच्छा लग रहा था और रुपेश को भी बहुत अच्छा लग रहा था काफी देर तक हम लोगों ने एक दूसरे की बदन को गर्मी को महसूस किया। मैंने रूपेश को कहा कि मैं अब रह नहीं पा रही हूं तो वह मेरी चूत को चाटने लगा और उसने मेरी चूत चाटने में मजा आ रहा था।

वह मुझे कहने लगा कि पहली बार ही में किसी मुलायम चूत को चाट रहा हूं रुपेश पूरी तरीके से उत्तेजित हो गया था जब उसने मेरी योनि के अंदर अपने लंड को डालना शुरू किया तो उसका लंड मेरी योनि के अंदर तक जा चुका था। मेरे चूत से खून निकलने लगा था और रुपेश ने मेरे दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया था। मैं अपने मुंह से आवाज निकाल रही थी और रुपेश तो जैसे मेरी चूत के मजे लेने पर लगा हुआ था वह मेरी चूत पर बहुत तेजी से प्रहार कर रहा था और मुझे भी बहुत अच्छा लगता। काफी देर तक रुपेश ने ऐसी ही मेरी चूत मारी जो हम दोनों बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगे तो शायद मैं भी ना रह सकी और ना ही रूपेश अपने आपको रोक पा रहा था। मैंने रूपेश को कहा मुझसे अब रहा नहीं जा रहा है तो रुपेश कहने लगा लगता है मेरे लंड से भी पानी बाहर निकलने वाला है। रूपेश के लंड से पानी बाहर की तरफ निकल चुका था और मैंने रूपेश को कहा कि आज तो मेरी हालत खराब हो गई है।

मैं मन ही मन खुश थी लेकिन मैं रूपेश को यह बात नहीं बताना चाहती थी कि मैं बहुत खुश हूं उस दिन हम दोनों के बीच पहला शारीरिक संबंध बना और उसके बाद यह सिलसिला चलता ही रहा। रूपेश और मेरे रिश्ते अब किसी से छुपा नहीं थे मुझे भी लगने लगा कि शायद मैं रूपेश के साथ अपने रिश्ते को आगे नहीं बढ़ा पाऊंगा परंतु हम दोनों एक दूसरे के साथ शारीरिक संबंध बनाने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते थे। मैंने रूपेश को कभी भी यह सच्चाई पता नहीं चलने दी की मैं अब किसी और से प्यार करने लगी हूं लेकिन रुपेश के साथ मुझे शारीरिक संबंध बनाना बहुत अच्छा लगता था। वह मेरे साथ सेक्स का जमकर मजा लिया करता था कुछ दिनों पहले जब रुपेश ने मेरे साथ एनल सेक्स करने के बात कही तो मैंने उसे मना कर दिया लेकिन रुपेश ने भी मुझे किसी तरीके से मना लिया और मेरी गांड मारने की इच्छा को पूरा किया। रूपेश मुझसे तो दूर जा चुका है लेकिन मेरे दिल में रूपेश की यादें अब भी बसी हुई है। मैंने रूपेश को कॉलेज खत्म होने के बाद ही छोड़ दिया था और मैं अपनी नई जिंदगी शुरू कर चुकी हूं रूपेश मेरी जिंदगी से बहुत दूर जा चुका है लेकिन जब भी मैं उसके बारे में सोचते हूं तो चूत से पानी बाहर निकल आता है।
 
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