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नमस्कार दोस्तों मै आयशा फिर से एक बार आपके सामने हाजिर हूं, अपनी कहानी का अगला भाग लेकर। अब तक आपने पढा, मेरे पतिदेव मेरे देवर और देवरानी को लेकर कमरे में आए। उस समय मै नग्न थी, और मेरे हाथ पैर बिस्तर से बंधे हुए थे। उसके बाद, मेरे पतिदेव और देवरानी जी उनके कमरे में गए, और मुझे देवर जी के साथ हमारे कमरे में अकेला छोड दिया। इस कहानी में आप को पढने को मिलेगा, किस तरह से देवर जी ने मुझे चुदासी बनाकर मेरी चुत का भरता बनाते हुए मेरे ऊपर से चुदाई का बहुत उतार दिया। अब आगे -

जैसे कि आपने पिछले भाग में पढा, मेरे पतिदेव और देवरानी के जाते ही देवर जी ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और मेरे पास आकर मेरे लबों को चूसने लग गए। वो मुझे खा ही जाने वाले थे, ऐसा लग रहा था। मै तो पहले से ही नंगी उनके सामने बिस्तर में बंधी हुई पडी थी, उन्होंने मुझे खोलना भी ठीक नही समझा। और ना ही उन्होंने खुद के कपडे उतारने में कोई जल्दबाजी दिखाई। वो बडे ही आराम से मुझे चूमते हुए मेरे बदन को सहलाते जा रहे थे। उनके हाथ के स्पर्श से ही मेरे शरीर मे कंपकंपी सी होने लगी थी, जिस वजह से मेरी चुत भी अब गीली हो चली थी।
देवर जी ने सबसे पहले मेरे होठों को चूसते हुए धीरे धीरे नीचे की ओर बढते जा रहे थे। होठों के बाद उनके हाथ मेरे उरोजों को मसल रहे थे, और उनके होंठ मेरी गर्दन पर थे। उनका इस तरह से मुझे चूमना, मुझे बहुत ही रोमांचित लग रहा था। मेरे उरोजों को अच्छे से मसलकर निचोडने के बाद, उन्होंने अपने होंठ मेरे स्तनों पर लाकर रख दिए, और अपने हाथ मेरी कमर और पीठ पर घूमाने लगे। देवर जी हाथ घुमाने के साथ साथ ही बीच बीच मे अपने नाखूनों से मुझे रगड देते, जिस वजह से मेरे मुंह से सिसकारियां भी निकल जाती थी। देवर जी बहुत ही कामुक अंदाज में मेरे शरीर के साथ खिलवाड किए जा रहे थे।
उन्होंने मेरी पीठ को अपने नाखूनों से सहलाना शुरू किया, जिससे मुझे मजा भी आए और पीठ पर निशान भी ना रहे। देवर जी को देखकर लग रहा था, कि इन्होंने तो बहुत लडकियों के संग रंगरेलियां मनाई होगी। मेरे हाथ पैर बंधे हुए थे, और मै इधर झडने को हो रही थी। मै इस वक़्त अपनी चुत पर कुछ चाहती थी, लेकिन मेरे हाथ पैर बंधे होने के कारण कुछ नही कर पाई। और अपनी कमर उठा उठाकर झडने लगी। मेरे झडने के बाद, देवर जी दो पल के लिए रुके और मेरे पास आकर बोलने लगे, "बस इतने में ही झड गई? मुझे तो लगा था , तुम लंबी रेस की घोडी हो।"
तो उसी अंदाज में मैने भी उनको कहा, "अगर आपको ऐसा घोडा मिल जाए, तो लंबी रेस की घोडी भी उसके आगे झुक जाती है।"
मेरी यह बात सुनकर देवर जी बहुत खुश हुए, और नीचे झुककर मेरे होठों पर एक गहरा चुम्बन दे दिया। मैने भी उनका पूरा साथ दिया। लेकिन अभी भी मुझे कुछ कम लग रहा था, वो मेरे हाथ पैर खुले ना होने के कारण ही था। तो मैने देवर जी से कहा, "कम से कम मेरे हाथ तो खोल दो, तो मै भी खुलकर मजा ले सकती हूं।"
इस पर देवर जी कहने लगे, "यह इस घर की परंपरा है, कि पहली बार जब भी कोई गैर मर्द किसी घर आई औरत को चोदेगा, तो वो औरत बंधी हुई होनी चाहिए। इसलिए मै तुम्हारे हाथ नही खोल सकता।"
अब मै भी कुछ नही बोल सकती थी, तो मै भी चुपचाप लेटी रही। देवर जी अब थोडा और नीचे की ओर होते हुए, मेरी कमर को चूमने लगे। अब उनके हाथ मेरे योनि प्रदेश में घूमने लगे थे, जहां छोटे छोटे बाल उगे हुए थे। मैने अभी तीन दिन पहले ही अपने सारे बाल साफ किए थे। मेरी कमर को चूमते हुए देवर जी के होंठ मेरी नाभि के आसपास भी घूमने लगे थे। तभी देवर जी ने अपनी जीभ बाहर निकालकर पहले मेरे नाभि के आसपास चाटने लगे, उसके बाद उन्होंने अपनी जीभ को मेरी नाभि के अंदर घुसेड कर फिर उसे अंदर बाहर करने में लग गए। और नीचे मेरी चुत के पास उनकी उंगलियां घूमने लगी थी।
अब तक तो मेरी चुत फिर से पानी छोडने लगी थी। तभी देवर जी ने मेरी चुत में अपनी एक उंगली घुसा दी, और उसे अंदर बाहर करने में लग गए। मेरे पतिदेव ने मेरी चुत को अच्छे से बजाया था, तो मुझे उनकी उंगली अंदर लेने में कोई ज्यादा तकलीफ नही हुई। थोडी देर तक एक उंगली अंदर बाहर करने के बाद, उन्होंने दूसरी उंगली भी मेरी चुत के अंदर घुसा दी। अब मुझे थोडा चुत में लग रहा था कि, कुछ मेरी चुत के अंदर है। तभी देवर जी ने मेरे चुत के दाने को सहलाना शुरू कर दिया। अब मै फिर से एक बार झडने को हो रही थी। मैने देवर जी से कहा, "मै फिर से झडने वाली हूं, और तेज उंगली करो।"
तो देवर जी ने अपनी उंगलियां बाहर निकाल ली, और अपना मुंह सीधे मेरी चुत पर लगा दिया। अब देवर जी अपनी जीभ से मेरी चुत को चोदे जा रहे थे। वो भी अब मेरे चुत के दाने को अपनी जीभ से सहला रहे थे। थोडी देर तक चुत चुसवाने के बाद, मै फिर से झडने को हुई। देवर जी ने मेरे दोनों चुतड़ों को अपने हाथों में पकडकर थोडा ऊपर की ओर उठाते हुए मेरी चुत में अपनी जीभ घुसाकर मेरी चुत चूस रहे थे। मै फिर से झडने लगी थी, और देवर जी ने अपना मुंह मेरी चुत के ऊपर दबाए रखा। मै अपने दोनों पैरों से देवर जी के सर को अपनी चुत पर दबाने की कोशिश कर रही थी। इस बार मै काफी लंबे समय तक झडती रही।

मेरे झडने के बाद देवर जी उठे और उन्होंने अपने कपडे उतार दिए। उनका लंड उनकी चड्डी में तनकर खडा था। जैसे ही उन्होंने अपनी चड्डी को निकाल दिया, उनका लंड एक झटके से बाहर आ गया। लंड के बाहर आते ही उन्होंने उसे हाथ मे लेकर एक बार सहलाया, और फिर मेरी ओर देखकर हंसने लगे। मैने भी उनके लंड की तरफ देखते हुए एक फ्लाइंग किस दे दी। इस से देवर जी मेरे ऊपर आकर मेरी चूचियों पर बैठ गए। अब उनका लंड मेरे मुंह के सामने झूल रहा था।
मैने अपना सर उठाकर उसे अपने मुंह मे लेने की कोशिश की, लेकिन ले नही पाई। तो वो मेरी बेबसी पर हंसने लगे। फिर उन्होंने अपने दोनों हाथ बिस्तर पर टिकाते हुए अपने लंड को मेरे मुंह मे ठूंस दिया। और धीरे धीरे उसे आगे पीछे करने लगे। अब वो अपनी कमर को धीरे धीरे तेज किए जा रहे थे, जिस वजह से मेरे मुंह मे भी दर्द होने लगा था। लेकिन देवर जी थे, कि मानने का नाम ही नही ले रहे थे। थोडी देर बाद तो वो गालियां देते हुए ही मेरे मुंह को चोदे जा रहे थे। कुछ देर तक ऐसे ही मुंह मे लंड डालकर चोदने के बाद, उन्होंने अपना लंड बाहर निकाल लिया।
देवर जी का लंड मेरे पतिदेव के लंड से थोडा मोटा था।

उठते ही देवर जी ने एक तकिया लेकर मेरी कमर के नीचे रख दिया, और मेरी चुत के पास आकर वहां एक चुम्बन दे दिया। फिर उन्होंने अपने लंड को हाथ मे लेते हुए उसे मेरी चुत के द्वार पर रख दिया। और पहले तो एक हल्के से धक्का लगाया। जिस वजह से उनका आधा लंड मेरी चुत के अंदर समा गया। फिर उन्होंने बिना रुके और दो झटके मार दिए, जिससे उनका पूरा लंड मेरी चुत के अंदर चला गया। उनका लंड मोटा होने से मुझे पूरा लंड अंदर लेने में थोडा दर्द तो हुआ, लेकिन कुछ देर बाद चुत ने लंड के लिए अपने आप जगह बना ली।
उसके बाद जो चुदाई का दौर चला, वो सीधे मेरी कमरतोड चुदाई के बाद ही रुका। मेरे देवर जी ने उस एक ही बार की चुदाई में मेरी सारी अकड निकाल कर रख दी। मेरी चुत की प्यास बुझा दी। उसके बाद भी वो रुके नही, बल्कि उनका इरादा तो मेरी गांड मारने का था, जो अब तक मैने अपने पतिदेव को भी नही करने दिया था। लेकिन मेरे मनाने पर वो मेरी बात मान गए, और चुत चोद कर ही शांत हो गए। उस पूरी रात मेरे देवर जी ने मेरी चुत को तीन बार चोदा। जिनमे से एक बार उन्होंने अपना वीर्य मेरे मुंह मे निकाला, जिसे मुझे मजबूरन पीना पडा।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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