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Antarvasna, hindi sex story: मैं ऑफिस से घर लौटा ही था कि मैंने अंकिता का उतरा हुआ चेहरा देखा मेरे कुछ समझ में नहीं आया मैं कुछ देर तक तो बैठक में ही बैठा रहा फिर मैंने अंकिता से कहा कि तुम आज इतनी उदास क्यों हो। अंकिता कहने लगी उदास की तो बात है ही ना मैंने अंकिता से कहा लेकिन हुआ क्या है मुझे बताओ तो सही। अंकिता कहने लगी मैं आपको क्या बताऊं आजकल आस-पड़ोस में कुछ अच्छा माहौल नहीं है। मैंने अंकिता से कहा लेकिन आस पड़ोस में अच्छा माहौल क्यों नहीं है आखिरकार हुआ क्या है। अंकिता कहने लगी कि अब तुम्हें क्या बताऊं पड़ोस में कुछ लोग रहने के लिए आए हैं वह मुझे ऐसे घूर कर देखते हैं मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता। मैंने अंकिता से कहा तो इसमें गुस्सा होने कि बात क्या है अंकिता कहने लगी कि मेरा तो बाहर जाना भी परेशानी का कारण बन चुका है मैं बाहर भी नहीं जा सकती। मैंने अंकिता से कहा तुम बेवजह टेंशन ले रही हो ऐसा कुछ भी नहीं है अंकिता कहने लगी देखा ना तुम्हारे पास भी इस बात का कोई जवाब नहीं है।

मैंने अंकिता से कहा भला हम लोग कब तक इन सब चीजों से भागते रहेंगे यह सब तो तुम्हें अब खुद ही देखना पड़ेगा ना अंकिता कहने लगी ठीक है मैं खुद ही देख लेती हूं। अंकिता के अंदर अब एक जुनून सा आने लगा और वह मार्शल आर्ट क्लासेस जाने की जिद पर अड़ गई तो मैं भी उसकी बात को मना ना कर सका। वह अगले दिन से मार्शल आर्ट क्लास लेने लगी थी हालांकि मैं नहीं चाहता था लेकिन अब मैं अंकिता के आगे कुछ कह भी तो नहीं सकता था। मैंने अंकिता को मार्शल आर्ट क्लास भेज दिया था लेकिन मुझे नहीं पता था कि अब यह मेरे लिए ही परेशानी का सबक बनने वाला है। अंकिता अब मार्शल आर्ट सीख चुकी थी और हमारे पड़ोस में रहने वाले लड़के उसे घूरा करते थे। एक दिन अंकिता ने एक लड़के की जमकर धुलाई कर दी जब अंकिता ने उसकी धुलाई की उसके बाद से वह हमारे आस पड़ोस में भी नहीं दिखे और उन्होंने शायद अपना घर ही बदल लिया था। अंकिता के अंदर कॉन्फिडेंस आ चुका था और वह अब कहीं पर भी गलत बर्दाश्त नहीं करती थी यदि कहीं पर कुछ गलत होता तो अंकिता वहां पर कह दिया करती थी। मैंने अंकिता को समझाया और उसे कहा कि देखो अंकिता यह बिल्कुल भी ठीक नहीं है यदि इस प्रकार से ही चलता रहा तो किसी दिन हम लोग मुसीबत में पड़ जाएंगे।

अंकिता को तो अपने ऊपर घमंड हो चुका था और वह कहने लगी कि मुझे मार्शल आर्ट आता है। मैंने अंकिता से कहा देखो अंकिता किसी दिन ऐसी कोई मुसीबत आएगी जिसमे तुम्हारा मार्शल आर्ट भी काम नहीं आएगा और शायद वह घड़ी अब नजदीकी आने वाली थी। मैं और अंकिता मार्केट घूमने का प्लान बना रहे थे हम लोगों को मार्केट से कुछ सामान खरीदना था लेकिन मुझे कहां पता था कि मेरी कार खराब हो जाएगी। मेरी कार खराब हो चुकी थी तो हम लोगों ने ऑटो का इंतजार किया परंतु हमें ऑटो भी नहीं मिल रहा था थक हार कर हम लोगों को बस में ही जाना पड़ा। हम लोग बस में बैठे हुए थे तभी कुछ लड़के एक लड़की को परेशान कर रहे थे शायद यह बात अंकिता को नागवार गुजरी और अंकिता बीच में उस लड़की का बचाव करने के लिए कहने लगी परंतु अंकिता को पता नहीं था कि वह लोग बहुत ही खतरनाक है। मैंने अंकिता को समझाने की कोशिश की लेकिन कुछ ही समय बाद वहां पर कई लोग इकट्ठा हो गए और बात अब काफी आगे बढ़ चुकी थी। वह लोग खूंखार हो चुके थे और मुझे इस बात का डर था कि कहीं अंकिता को वह लोग कुछ नुकसान ना पहुंचा दे। मुझे भी अंकिता के बचाव में जाना पड़ा लेकिन आस पास जितने भी लोग थे वह सब लोग पीछे हट गए अंकिता भी घबराने लगी थी और मुझे तो पता भी नहीं था कि अब आगे क्या होने वाला है लेकिन शायद मेरी किस्मत अच्छी थी कि तभी वहां से मंत्री जी का दस्ता गुजरा और मंत्री जी के कारवां के साथ पुलिस वाले भी वहां से गुजर रहे थे उन्होंने यह सब देख लिया तो वह बस में आए और उन्होंने उन लोगों को शांत करवाया। मैंने अंकिता से कहा अब हम लोग यहां से ऑटो में ही चल लेते हैं मैंने अंकिता को कहा चलो तुम मेरे साथ।

हम लोगों ने वहीं से ऑटो ले लिया और हम लोग वहां से मार्केट पहुंच गए लेकिन मेरे दिमाग में सिर्फ यही घूम रहा था की बेवजह ही किसी के साथ झगड़े मोल ले लेना कभी अपने लिए भी मुसीबत का सबके बन सकता है। इस बात का अंदेशा अब अंकिता को तो हो चुका था अंकिता को भी लग रहा था कि वह अपनी जगह बिल्कुल सही है मैंने अंकिता से कहा तुम अपनी जगह बिल्कुल सही हो लेकिन सब कुछ समय देखकर किया जाता है ऐसे ही किसी के बीच मत बोला करो। अंकिता के पास मेरी बात का कोई जवाब नहीं था लेकिन अंकिता का मूड काफी खराब था मुझे लगा कि अब अंकिता का मूड ठीक हो जाना चाहिए और उसके लिए मैंने उसे पानी पूरी खिलाई तो वह खुश हो गई। अंकिता को पानी पूरी का बड़ा शौक है और मुझे मालूम था कि जब वह पानीपुरी खाती है तो उसके बाद वह सब कुछ भूल जाती है। अब अंकिता का मूड भी ठीक हो चुका था अंकिता और मैं घर लौट आए हम लोगों ने काफी सामान खरीद लिया था। अब हम लोगों ने सामान खरीद लिया था तो हम लोग जैसे ही घर पर पहुंचे तो मैंने देखा मेरे चाचा जी घर पर आए हुए थे और वह हमारा इंतजार कर रहे थे। मैंने चाचा जी को कहा आप कब आए तो वह कहने लगे बस अभी 5 मिनट हुए होंगे लेकिन मैंने घर में ताला लगा देखा तो सोचा कुछ देर तुम्हारा इंतजार कर लेता हूं। मैंने चाचा जी से कहा आइए ना आप अंदर आइए मैंने ताले को खोलते हुए चाचाजी को अंदर बुला लिया और उसके बाद जब चाचा जी अंदर आ गए तो मैं और चाचा जी आपस में बात करने लगे तभी अंकिता ने भी चाचा जी के लिए चाय बना दी थी। हालांकि चाय पीने का वक्त तो नहीं था लेकिन घर में आए मेहमान को ऐसे ही खाली कैसे जाने दिया जा सकता था हम लोग चाय पीते पीते बात कर रहे थे तभी चाचा जी ने कहा कि बेटा मैं तुम्हारी मदद लेने के लिए आया था दरअसल हमारे जमीन के हिस्से पर कुछ लोग कब्जा कर रहे हैं तो मैं तुम से सलाह मशवरा लेना चाहता था कि हमें क्या करना चाहिए।

मैंने चाचा जी से कहा आप उसकी चिंता ना करें कल आप ऑफिस में आ जाएगा तो वहां पर ही आप मुझे पूरी बात समझा दीजिएगा आप को घर आने की भी जरूरत नहीं थी आप मुझे फोन कर देते तो कल मैं आपको मिल लेता। चाचा कहने लगे कोई बात नहीं बेटा इस बहाने तुमसे मिलना तो हो गया और चाचा जी भी 15 मिनट बाद चले गए। अंकिता मुझसे पूछने लगी की क्या हुआ तो मैंने अंकिता को बताया कि उनकी जमीन पर कुछ लोग कब्जा करना चाह रहे हैं और उसी के संबंध में वह मुझसे बात करने के लिए आए थे। अगले दिन चाचा मेरे ऑफिस में आए तो मैंने उन्हें कहा चाचा जी आप चिंता ना करें मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा। चाचा जी मेरे ऑफिस में ही बैठे हुए थे वह काफी देर तक मेरे पास रहे। उसके बाद वह चले गए मैंने जब इस बारे में जानकारी पता करवाई तो मुझे पता चला कि वह परिवार सही नही है। उनकी चाचा जी के साथ बिल्कुल भी नहीं बनती मैं चाहता था कि उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई की जाए उसके लिए मैंने कानून का सहारा लिया। वह लोग मेरे पास गिड गिडाते हुए आए वह लोग मेरे पास आए तो उनकी पत्नी भी आई हुई थी। मुझे उससे कोई लेना देना नहीं था वह अपनी पत्नी को मुझे सौंपने को तैयार हो गया वह कहने लगी साहब आप मेरे साथ जो मर्जी कर लीजिए लेकिन मुझे इसके से बचा लीजिए। मुझे भी क्या चाहिए था उस महिला का नाम शालू था वह मेरे साथ सोने के लिए तैयार थी।

मैंने उसे अपने पास बुला लिया और जब मैंने उसे अपने पास बुलाया तो वह मुझे कहने लगी आप बताइए क्या करना है? मैंने उसे कहा तुम शुरुआत करो उसने मेरी पैंट को खोलते हुए मेरे लंड को बाहर निकाला और उसे अपने मुंह में लेकर वह बड़े अच्छे से चूसने लगी काफी देर तक मेरे लंड को चूसती रही लेकिन जब मेरे लंड से पानी बाहर निकलने लगा तो मैंने उसे कहा तुम अपने कपड़े उतार दो। उसने अपने कपड़े उतार दिए और मेरे सामने उसकी बड़ी चूतडे थी मैंने उसे घोड़ी बनाया और उसकी योनि के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवा दिया। मेरा लंड उसकी योनि में जाते ही वह चिल्ला उठी और कहने लगी साहब आपका लंड कितना मोटा है। मैंने उसे कहा तुम ऐसे ही रहो वह अपनी चूतडो को मुझसे टकराने लगी थी। जब वह अपनी चूतडो को मुझसे मिलाने लगी तो जिस प्रकार से वह मेरी इच्छा पूरी कर रही थी उससे तो यही प्रतीत होता था कि वह एक नंबर की गिरी हुई महिला है लेकिन मुझे उसकी चूत मारने में बड़ा मजा आता।

जब मैंने उसकी गांड पर कंडोम लगाकर मारनी शुरू की तो मुझे और भी ज्यादा मजा आने लगा मैं बड़े ही अच्छे तरीके से उसकी गांड मार रहा था। जिस प्रकार से मैं उसकी गांड मारता उससे वह चिल्लाने लग जाती वह अपनी बड़ी गांड को मुझसे टकराने लगी थी। मुझे बड़ा आनंद आ रहा था और मैं बड़ी तेजी से उसे धक्के मार रहा था काफी देर तक ऐसा करने के बाद वह पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगी तो उसकी गांड से पसीना निकलने लगा। मैं भी उसकी गांड की गर्मी को न झेल सका जैसे ही मेरे लंड से वीर्य बाहर निकला तो वह कहने लगी साहब अब तो आप मेरे पति को छोड़ देंगे। मैंने उसे कहा ठीक है तुम्हारे पति के खिलाफ जो मैंने केस करवाया है उसे वापस ले लूंगा और उसी के साथ वह खुश हो कर चली गई। वह मुझे कहने लगी आपका मन जब हो तो आप मुझे बुला लीजिएगा। मैंने उसे कहा ठीक है जब मेरा मन हुआ तो मैं तुम्हें बुला लूंगा।
 
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