मस्ती में चुद गई सपना

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Masti Mein Chud Gayi Sapna

दोस्तो, मेरा नाम है संतोष (उम्र २०) । मैं मस्त मौला मिज़ाज का हूँ। मुझे मुठ मारना बहुत पसंद है। मैं घर बैठकर पोर्न फ़िल्म देखता हूँ और दिन बिताता हूँ।

१२ कक्षा में लगातार ३ बार असफल हो गया इसलिए मेरी छिनाल माँ ने मुझे ट्यूशन भेजना शुरू कर दिया। मुझे रोज़ सुबह उठकर ट्यूशन जाना पड़ता है। पहले तो ट्यूशन जाने में बिलकुल मन नहीं लगता था।

मगर कुछ हफ़्तों से मैं ख़ुशी-ख़ुशी ट्यूशन जाने लगा था। हमारे ट्यूशन में सपना (उम्र १९) नाम की एक लड़की आने लगी थी।

सपना है तो दुबली-पतली, लेकिन उसके स्तनों का आकर किसी मस्त जवान लड़की जैसा है - गोल और उभरे हुए। सपना हमेशा टाइट कपडे पहनकर आती थी।

उसे टाइट कपड़ों में देखकर मेरा लंड टाइट हो जाता था। ट्यूशन में हमारी टीचर सोफे पर बैठी होती हैं और हम सब निचे फर्श पर। जब से सपना ट्यूशन में आने लगी, तब से मैं उसके पीछे बैठने लगा था।

सपना जब पढ़ने बैठती थी, तब वह भूल जाती थी कि पीछे से उसकी चड्डी दिख रही होती है। रोज़ मुझे सपना की रगीन चड्डी के दर्शन मिल जाते थे। कभी-कभार तो मुझे उसकी गांड की दरार भी दिख जाती थी।

किताब को वह जब जमीन पर रखकर पढ़ती थी, तब आगे झुकते हुए उसकी गांड की दरार हलकी-सी नज़र आती थी। रोज़ मेरा लंड उसे देखकर खड़ा होता था और रोज़ मैं उसके नाम की मुठ मारता था।

हम दोनों १२वीं कक्षा के थे, इसलिए टीचर ने हमे सुबह थोड़ा जल्दी आने को कहा। अब सपना और मैं, सुबह ट्यूशन में आधे-एक घंटे तक अकेले होते थे।

हम भले ही सुबह जल्दी आते थे, लेकिन टीचर हमे अपने नियमित समय पर ही सिखाती थी। मैंने इस आधे-एक घंटे को सपना के साथ मस्ती करने में बिता दिया। मैं सपना के बाजू में बैठकर नंगी लड़कियों की तस्वीरें देखता था।

वह भी तिरछी नज़रों से मेरे मोबाइल पर नंगी लड़कियों की तस्वीरें देखती थी। थोड़े देर बाद, वह ठीक से बैठ नहीं पाती थी। मुझे पता चल गया कि वह तस्वीरें देखकर गरम हो रही थी।

मेरा भी लंड खड़ा हो जाता था तस्वीरें देखने के बाद। मेरे खड़े लंड को देखकर वह शर्माने लगी थी। ट्यूशन में होने की वजह से मैं सपना के साथ खुलकर मस्ती नहीं कर पाता था।

मैंने फिर सोच लिया कि ट्यूशन से घर जाते समय सपना को पढ़ाई के बारें में कुछ पूछने के बहाने, उसे रास्ते पर जो पुरानी फैक्ट्री है वहाँ पर लेकर जाता हूँ। उसे मेरे इरादों पर शक ना हो, इसलिए मैंने उसे पहले कुछ दिन पढ़ाई के बारें में पूछा।

धीरे-धीरे हम वहाँ पर थोड़ा वक़्त बिताने लगे। हसी-मज़ाक करते हुए, सपना और मैं ट्यूशन से छूटकर रास्ते में पड़ने वाली पुरानी फैक्ट्री पर आकर गप्पे लड़ाने लगे थे।

फिर एक दिन, रोज़ की तरह हम पुरानी फैक्ट्री में आकर कंपाउंड में एक बेंच पर बैठ गए। मैंने जो नाश्ते में रोटी-सब्ज़ी लाई थी वह निकाली। सपना ने भी अपना डब्बा निकाला और हम खाने लगे।

खाते समय सपना ने थोड़ी सब्ज़ी अपनी टॉप पर गिरा दी। तेल का धब्बा ना लग जाए, इसलिए सपना पानी की बोतल लेकर झाड़ियों में चली गई।

मुझे तब एक मस्ती सूझी। मैंने सोचा कि मैं पानी डालने में सपना की मदत करूँगा और उस बहाने मैं पानी उसकी टॉप पर गिराकर उसकी टॉप भीगा दूँगा।

मैं सपना के पीछे चला गया। झाड़ियों के पास पहुँचकर मैंने सपना से कहा कि मैं पानी डालता हूँ और वह साफ़ करले अपना टॉप। मैंने उसके हाथ से पानी की बोतल ली और उसके हाथों पर पानी डालता गया।

सपना थोड़ा पानी अपने टॉप पर छिड़कने लगी। उसकी पिली रंग वाली टॉप टाइट होने के कारण उसके स्तनों का आकर दिखने लगा। मैंने तभी बोतल में बचा हुआ पानी को उसके टॉप पर डाल दिया। सपना चिल्लाकर दूर हठ गई। वह मेरी तरफ गुस्से से देखने लगी।

[सपना:] कमीने! तूने जानबूझकर मेरे ऊपर पानी डाला है ताकि मेरी चूची देखने को मिले।

[मैं:] सपना ऐसी कोई बात नहीं है। मेरी पकड़ बोतल से छूट गई थी। तुम एक काम करो, तुम वहाँ अंदर जाकर साफ़ करलो।

[सपना:] तुम भी चलो मेरे साथ। तुम खड़े होकर देखना। मुझे नहीं! कोई आ न जाए वह देखना।

[मैं:] हम क्या वहाँ पर चुदाई करने थोड़ी ना जा रहे है।

सपना मुस्कुराते हुए पलटकर चली गई। मैं उसके पीछे चलने लगा। वह अपनी गांड कुछ ज़्यादा ही मटककर चल रही थी। सपना फैक्ट्री के अंदर चली गई और दीवार के कोने में खड़ी होकर मुझे उस बाजू मुँह करके खड़े रहने को कहा।

थोड़ी देर बाद सपना कुछ उलझन में फ़स गई हो वैसी आवाज़ निकालने लगी। मैंने पलटकर देखा कि सपना ऊपर से पूरी नंगी थी और उसकी ब्रा टूटे हुए कांच की खिड़की में फ़स गई थी।

मैं उसकी ब्रा को निकालकर उसके पास गया। वह अपनी छाती को अपने हाथों से ढककर खड़ी थी। मैंने उसकी ब्रा को उसके कंधे पर रख दिया। फैक्ट्री में गर्मी के कारण सपना के बगल में से पसीने छूँट रहे थे।

उसके पसीने की महक सूंघकर हवस के मारे मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने सपना की कमर को दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसके नज़दीक आ गया। सपना अपना सर झुकाकर खड़ी थी।

उसके स्तनों का कुछ हिस्सा मुझे दिख रहा था। मैंने देरी न करते हुए अपनी पैंट की ज़िप खोली और अपने खड़े लंड को बाहर निकाला।

शायद सपना भी हवस के मारे गरम हो गई थी। इतने दिनों से मेरे मोबाइल पर नंगी लड़कियों की तस्वीरें देखकर उसकी चुत से पानी जो निकला था। उसने मेरा लंड पकड़ लिया।

उसका हाथ मेरे लंड पर लगते ही मेरा लंड पूरी तरह से तनकर खडा हो गया। मैंने सपना के स्तनों को पकड़कर अपने हाथों से दबाया। उसकी सिसकियाँ निकलनी शुरू हो गई थी।

सपना मेरे लंड को हिलाने लगी जिससे मैं कामुक मुद्रा में आ गया। प्यार से मेरे होठों से मैंने सपना का निप्पल चूसना शुरू किया। एकदम धीरी से और मज़े लेते हुए मैंने सपना का निप्पल चूसा।

कुछ देर तक सपना मेरा लंड हिलाती रही और मैं उसके दोनों निप्पलों को बारी-बरी से चूसता रहा। मैंने सपना को घुमा दिया और उसकी पैंट को उतार दी।

उसकी चड्डी को उतारते वक़्त सपना ने मेरा हाथ पकड़ लिया। मैं समझ गया कि अभी तक उसकी चुदाई हुई नहीं है। मुझे भी सपना के साथ अपनी ज़िन्दगी बितानी नहीं थी इसलिए मैंने उसे समझाया कि मैं उसकी चुत या गांड में अपना लंड नहीं घुसाउँगा।

उसकी चड्डी को उतारकर मैंने उसे आगे झुका दिया और खुद निचे पैरों के बल बैठ गया। सपना के पसीने से भीगी गांड की दरार को मैंने अपनी ज़ुबान से चाटकर साफ़ कर दिया।

सपना की टाँगे फैलाकर मैंने उसकी गांड की छेद को चाटना शुरू किया। सपना अपनी गांड हिलाने लगी थी जब मैं ज़ोरो से उसकी गांड की छेद को चूसने लगा तब।

मैं अब खड़ा हो गया और सपना को भी खड़ा किया। उसके जाघों के बिच अपना लंड फसाकर मैं धक्के देने लगा। उसने भी अपने जाघों से मेरे लंड को कसकर दबा दिया।

मैं सपना के बड़े और गोल स्तनों को अपने हाथों से दबोचकर मसलने लगा। सपना की सिसकियाँ हलकी चीख़ों में बदल गई थी। कुछ देर ऐसे ही धक्के मारने के बाद मैंने सपना को निचे झुका दिया।

उसके मुँह में लंड रखकर मैं उसके मुँह की चुदाई करने लगा। आखिर में मैंने अपना लंड का माल सपना के मुँह के अंदर झड़ दिया। सपना को इसकी आदत नहीं होने की वजह से उसने तुरंत उलटी कर दी।

सपना मेरे बच्चे की माँ बनकर उलटी करे, इससे अच्छा मुझे उसकी यह वाली उलटी लगी। अगले दिन से आज तक सपना मुझे कभी नहीं दिखी। अब मैं उससे मिलने के लिए तड़प रहा हूँ।
 
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