चूत का रंग गुलाबी हो गया

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Antarvasna, hindi sex kahani: कॉलेज का वह दिन मुझे आज भी याद है जब मैंने पहली बार सुरभि को प्रपोज किया था और जब मैंने सुरभि को प्रपोज किया तो मुझे काफी ज्यादा अच्छा लगा। जिस तरीके से मेरे और सुरभि के रिलेशन आगे बढ़ रहे थे उससे मैं काफी खुश भी था लेकिन जब से सुरभि के पापा का ट्रांसफर हुआ है तब से हम दोनों का मिलना काफी मुश्किल हो गया है। वह लोग अब कोलकाता में रहते हैं और मैं पुणे में रहता हूं हम लोगों की सिर्फ फोन पर ही बातें होती रहती है लेकिन मैं चाहता था कि मैं सुरभि से मिलूं और मैं कई बार इस बारे में सुरभि से बात भी कर चुका हूं। हम दोनों के रिलेशन को दो वर्ष पूरे हो चुके हैं और मेरे कॉलेज को पूरे हुए अभी एक वर्ष हुआ है लेकिन मैं अपने आगे की पढ़ाई पूरी कर रहा हूं। मैं अपने पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पुणे से ही पूरी कर रहा हूं और मेरी बात अक्सर सुरभि से होती रहती है हम दोनों फोन पर ही बातें करते है।

मैं और सुरभि एक दूसरे से फोन पर बातें करते हैं तो हम दोनों को काफी अच्छा लगता है। एक दिन सुरभि मुझसे फोन पर बातें कर रही थी उस दिन घर पर कोई भी नहीं था और हम दोनों की बातें काफी देर तक हुई। पापा और मम्मी उस दिन मामा के घर गए हुए थे और वह लोग देर से घर आने वाले थे इसलिए मैं सुरभि से काफी देर तक बातें करता रहा था। जब मैं उससे बात कर रहा था तो मैं पता नहीं कब सो गया मुझे कुछ मालूम ही नहीं पड़ा लेकिन जब मैं उठा तो उस वक्त पापा मम्मी आ चुके थे और उन्होंने मुझे कहा कि बेटा तुमने खाना नहीं खाया, तब जाकर मुझे खाना खाना पड़ा। मैंने सुरभि को मैसेज किया कि मैं तुम्हें सुबह के वक्त फोन करता हूं और अगले दिन जब मैंने उसे सुबह फोन किया तो उसने मेरा फोन नहीं उठाया। मैं अपने कॉलेज के लिए तैयार हो रहा था तो तब सुरभि का मुझे फोन आया क्योंकि मैं उस वक्त पापा और मम्मी के साथ में था इसलिए मैं उसका फोन रिसीव नहीं कर पाया। मैंने सुरभि को कॉलेज जाते वक्त फोन किया मैं कॉलेज बस में ही बैठा हुआ था और उससे मैं बात कर रहा था। मैंने सुरभि को कहा कि मैं तुम्हें शाम को फोन करता हूं और शाम के वक्त मैंने सुरभि को फोन किया उससे मेरी काफी देर तक बात हुई। अब मेरा कॉलेज भी खत्म होने वाला था और पता ही नहीं चला की कब हमारा रिलेशन इतना आगे बढ़ चुका है।

मेरा कॉलेज पूरा हो जाने के बाद मैं चाहता था कि मैं कोलकता ही चला जाऊं। जब हमारे कॉलेज का कैंपस प्लेसमेंट हमारे कॉलेज में आया तो मैंने शायद कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे कोलकाता में जॉब मिल जाएगी। मुझे कोलकाता में जॉब मिल गई थी और मैं बहुत ही ज्यादा खुश था मुझे ऐसा लगा जैसे कि मेरे हर वह सपने पूरे हो गए जो मैं चाहता था। सुरभि से अब मैं मिल पाऊंगा इस बात की खुशी मुझे बहुत ज्यादा थी मैंने उस दिन जब घर पर यह बात बताई तो पापा मम्मी ने मुझे कहा कि निखिल बेटा तुम कोलकाता जाकर क्या करोगे तुम यही कोई जॉब कर लो। मेरे मम्मी पापा बिल्कुल भी नहीं चाहते थे कि मैं कोलकाता जाऊं लेकिन उन्हें नहीं मालूम था कि मैं वहां पर सिर्फ और सिर्फ सुरभि के लिए जा रहा हूं। मैंने पापा मम्मी को मना लिया और अब मैं सुरभि से मिलने वाला था मुझे इस बात की बड़ी खुशी थी। उस रात मां जब मेरा सामान पैक कर रही थी तो मां ने मुझे कहा कि बेटा तुम अपना ध्यान रखना और समय पर खाना खा लेना। मुझे कंपनी की तरफ से वहां पर रहने के लिए एक फ्लैट मिल चुका था इसलिए मैं बहुत ही ज्यादा खुश था और मां मुझे बहुत ज्यादा समझा रही थी मैंने मां से कहा कि मां आप बिल्कुल भी चिंता ना करें सब कुछ ठीक हो जाएगा और मैं अपना ध्यान रखूंगा।

अगले दिन सुबह मुझे पापा एयरपोर्ट तक छोड़ने के लिए आए और पापा ने मुझे कुछ पैसे भी दिया और कहा कि बेटा अगर तुम्हें और पैसों की आवश्यकता हो तो तुम मुझे बता देना। मैंने पापा को कहा ठीक है और यह कहने के बाद मैं एयरपोर्ट के अंदर चला गया। जब मैं अपनी फ्लाइट में बैठा हुआ था तो उस वक्त मैं अपनी फैमिली को बहुत ज्यादा मिस कर रहा था। मुझे पापा और मम्मी की बहुत याद आ रही थी लेकिन मैं इस बात से खुश भी था कि अब मैं इतने समय बाद सुरभि से मुलाकात करूंगा। एक तरफ तो पापा और मम्मी थे और दूसरी तरफ सुरभि से मिलने की खुशी थी। मैं जब कोलकाता पहुंचा तो कोलकाता एयरपोर्ट पर मुझे सुरभि मिली और जब मुझे वहां पर सुरभि मिली तो मैं सुरभि को देख कर बड़ा खुश था और मैंने उसे देखते ही गले लगा लिया। मैंने सुरभि को कहा कि कितने समय बाद हम दोनों मुलाकात कर रहे हैं। सुरभि बिल्कुल भी बदली नहीं थी और वह वैसी ही थी जैसे कि पहले थी। मैं बहुत ज्यादा खुश था सुरभि से बात करके। सुरभि और मैं एक दूसरे से बातें कर रहे थे कुछ देर तक तो हम लोग साथ में बैठे रहे फिर मैंने वहां से टैक्सी ली और सुरभि को उसके घर पर छोड़ दिया। सुरभि को घर पर छोड़ने के बाद मैं अपने फ्लैट पर पहुंच गया।

वहां पहुंच कर मुझे काफी अजीब सा महसूस हो रहा था क्योंकि पहली बार ही मैं अकेला रह रहा था इसलिए मुझे कुछ दिनों तक तो एडजेस्ट करना ही था। सुरभि ने इसमे मेरी मदद की और मैं बड़ा ही खुश था कि मैं कोलकाता में रह रहा हूं। सुरभि से मेरी मुलाकात हर रोज होने लगी थी हम दोनों जब भी एक दूसरे को मिलते तो हम दोनों को बड़ा अच्छा लगता था और सुरभि बहुत ही खुश होती। हम दोनों एक दूसरे के साथ में ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश किया करते हैं और जब भी हम दोनों एक दूसरे के साथ होते तो हम दोनों बहुत ही खुश रहते। सुरभि मुझसे मिलने के अक्सर आ जाती थी मुझे बहुत ही अच्छा लगता। एक दिन जब वह मुझसे मिलने के लिए आई थी तो उस दिन हम दोनों एक दूसरे के साथ बैठे हुए थे परंतु उस दिन जब मैंने सुरभि की जांघो को सहलाना शुरू किया तो वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो गई थी। वह मुझे कहने लगी मुझे आज बहुत ही अच्छा लग रहा है हम दोनों की जवानी फूटने लगी थी शायद हम दोनों ही उस पर काबू नहीं कर पा रहे थे इसलिए जब हम दोनों ने एक दूसरे के होंठों से होंठों को टकराना शुरू किया तो हम दोनों को बहुत ही अच्छा लगने लगा। हम दोनों बड़े खुश थे जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बर्दाश्त कर पा रहे थे।

हम दोनों ने एक दूसरे को काफी देर तक किस किया जब हम दोनों पूरी तरीके से गर्म होने लगे तो मैंने सुरभि से कहा मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा है। वह अपने आपको बिल्कुल भी नहीं रोक पाई वह मुझे कहने लगी मैं अपने आपको बिल्कुल नहीं रोक पा रही हूं इसलिए मैंने सुरभि के बदन से कपड़े उतार कर जैसे ही उसके बदन की गर्मी को महसूस करना शुरू किया तो वह बहुत ही ज्यादा गर्म होने लगी। उसके बदन की गर्मी इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी ना तो मैं बिल्कुल भी रह पा रहा था ना तो सुरभि अपने आपको रोक पा रही थी। मेरे बदन की गर्मी बहुत ज्यादा बढती जा रही थी मैंने जैसे ही सुरभि की योनि पर अपने लंड को लगया तो उसकी चूत से पानी बाहर निकलने लगा था। मैं सुरभि के स्तनों का रसपान कर रहा था सुरभि की चूत पर मेरा लंड टच हो रहा था मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था। सुरभि को बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था वह मुझे कहने लगी मैं तुम्हारे लंड को चूसना चाहती हूं। उसने मेरे लंड को सकिंग करना शुरू किया और मेरी गर्मी को बढ़ाती चली गई। वह मेरी गर्मी को पूरी तरीके से बढा चुकी थी वह मुझे कहने लगी अब तुम मेरी योनि के अंदर अपने लंड को घुसा दो। मैंने सुरभि की चूत के अंदर अपने लंड को डाल दिया था। जैसे ही उसकी योनि के अंदर मेरा लंड घुसा तो मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा था और मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के मारने लगा था।

मैं उसे जिस तेजी से धक्के मार रहा था उससे वह जोर से सिसकारियां ले रही थी और उसकी योनि से खून बाहर निकल रहा था। मेरा लंड पूरी तरीके से गिला हो चुका था मैं सुरभि को बड़ी तेज गति से धक्के मार रहा था और वह जोर से सिसकारियां लेकर मुझे कहती मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। हम दोनों की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी मैं और सुरभि बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे हम लोगों की गर्मी बहुत ही ज्यादा बढ़ने लगी थी। जब मैं उसकी चूत के अंदर बाहर लंड को कर रहा था तो वह सिसकारियां ले रही थी और मुझे अपनी और वह आकर्षित करती जिससे कि मेरे धक्के बढने की स्पीड भी बढ़ती जा रही थी। मैंने उसे बहुत देर तक चोदा जब मेरा वीर्य बाहर की तरफ निकला तो मैंने उसकी चूत में गिरा दिया।

यह पहला मौका था जब उसकी चूत के अंदर मेरा वीर्य गिरा था मै बहुत ही ज्यादा खुश हो गया था। उसके बाद सुरभि को मेरा लंड लेने की आदत हो चुकी थी जब भी वह मुझे मिलती तो वह अपनी चूत मरवा लेती थी। उसे बड़ा मजा आता वह हमेशा ही मुझे कहती मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करने मे बडा मजा आता है। जब भी वह मुझसे मिलने आती तो मैं उसे अच्छे से चोदा करता और उसकी चूत की गर्मी को मैं शांत कर दिया करता। जब भी मैं उसे चोदता तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता था और उसे भी बड़ा मजा आता। जब मैं उसकी चूत के मजे लिया करता हूं हम दोनों बड़े खुश रहते है। मुझे बहुत अच्छा लगता था जब भी मैं उसकी चूत का मजा लिया करता हूं।
 
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