चूत का सुख मिल ही गया

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Desi kahani, antarvasna: घर में शादी की तैयारियां चल रही थी पापा चाहते थे कि मेरी छोटी बहन शगुन की शादी बहुत ही अच्छे से हो इसलिए वह शादी में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं रखना चाहते थे। घर में हमारे सारे मेहमान आ चुके थे और शादी की तैयारियां भी लगभग पूरी हो चुकी थी लेकिन मुझे अपने लिए बिल्कुल भी समय नहीं मिल पा रहा था। जिस दिन मेरी बहन की शादी थी उस दिन वह बहुत ही सुंदर लग रही थी। बारात आई और हम लोगों ने बारात का स्वागत बड़े अच्छे से किया सब कुछ बड़े धूमधाम से हुआ और हमने कोई भी कमी शगुन की शादी में नहीं रहने दी। शगुन की शादी हो चुकी थी और उसके बाद वह अपने ससुराल जा चुकी थी घर में कुछ दिनों तक तो काफी ज्यादा सूना सा लग रहा था लेकिन अब धीरे धीरे सब कुछ ठीक होने लगा था। मैं अपने ऑफिस जाने लगा था और पापा भी अपने ऑफिस जाने लगे थे पापा बैंक में मैनेजर हैं। अब शगुन की शादी हो चुकी थी इसलिए पापा की टेंशन अब काफी हद तक दूर हो चुकी थी।

पापा हमेशा ही कहते थे कि शगुन को हम एक अच्छे घर में भेजेंगे और शगुन की शादी भी एक अच्छा परिवार में हुई पापा इस बात से बड़े खुश हैं। मैं भी अब चाहता था कि मैं अपनी जॉब छोड़ दूं क्योंकि काफी समय से मैं जिस कंपनी में जॉब कर रहा हूं वहां पर मेरी सैलरी भी बड़ी नहीं थी और ना ही मेरा प्रमोशन हुआ था इसलिए मैंने वहां से रिजाइन देने के बारे में सोच लिया था। मैं अब दूसरी कंपनी ज्वाइन करना चाहता था मैंने एक दूसरी कंपनी में इंटरव्यू दिया और वहां पर मेरा सिलेक्शन हो चुका था और मैं अपनी पुरानी कंपनी को छोड़ चुका था। मैं काफी खुश था कि मेरी जॉब दूसरी कम्पनी में लग चुकी है और पापा भी इस बात से बड़े खुश थे। शगुन की शादी को काफी समय हो चुका था और वह अभी तक घर भी नहीं आई थी तो एक दिन मैंने सोचा कि क्यों ना मैं शगुन को मिला आता हूं। उस दिन मैं शगुन को मिलने के लिए उसके ससुराल चला गया और मैं जब उसके ससुराल गया तो वह काफी खुश थी। मैं उस दिन शगुन के साथ काफी देर तक बैठा रहा और फिर रात के वक्त मैं घर लौट आया था। पापा और मम्मी मुझसे शगुन के बारे में पूछ रहे थे तो मैंने उन्हें बताया कि वह बहुत ही खुश है और उसकी जिंदगी में सब कुछ अच्छा चल रहा है। मैंने जिस कंपनी में जॉइन किया था वहां पर मेरी दोस्ती महिमा के साथ होने लगी थी महिमा एक बहुत ही अच्छी लड़की है और महिमा के साथ मैं जब भी होता तो मुझे बहुत अच्छा लगता था लेकिन महिमा ने मुझे अपने सगाई के बारे में कभी बताया नहीं था। एक दिन महिमा और मैं लंच टाइम में साथ में लंच कर रहे थे उस दिन महिमा ने मुझे अपनी सगाई के बारे में बताया तो मुझे यह सुनकर काफी ज्यादा बुरा लगा लेकिन मैंने इस बात को एक्सेप्ट कर लिया था की महिमा की सगाई हो चुकी है।

मैं उसके बाद उसे अपने दिल से निकालने की कोशिश कर रहा था परंतु यह सब इतना आसान होने वाला नहीं था। जब भी मैं महिमा के साथ होता तो मुझे हमेशा ही अच्छा लगता और उससे बात कर के मैं बहुत ज्यादा खुश भी था। महिमा भी मुझसे बात कर के हमेशा खुश रहती। अब समय बीतता जा रहा था और एक दिन महिमा ने मुझे अपनी शादी का कार्ड दिया, जब महिमा ने मुझे अपनी शादी का कार्ड दिया तो मेरा दिल जैसे बैठ चुका था लेकिन मैंने उसके सामने अपनी झूठी हंसी दिखाई ताकि उसे लगे कि सब कुछ ठीक है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था मैं अंदर ही अंदर पूरी तरीके से टूट चुका था। मैं महिमा को बहुत ज्यादा प्यार करने लगा था लेकिन महिमा किसी और की होने जा रही थी यह बात मुझे बिल्कुल भी बर्दाश नहीं हो रही थी शायद उसमें मेरी गलती थी कि मैंने महिमा को पहले अपने दिल की बात नहीं बताई थी। शायद मैं उसे पहले ही अपने दिल की बात बता चुका होता तो क्या पता सब कुछ बदल जाता लेकिन अब यह सब बहुत आगे बढ़ चुका था और महिमा की शादी का दिन नजदीक आ चुका था। महिमा ने मुझे अपनी शादी में इनवाइट किया था तो मुझे उसकी शादी में जाना ही था मैं महिमा की शादी में गया हुआ था। जब मैं महिमा की शादी में गया तो मैंने उसे विश किया और उसे आने वाले जीवन की शुभकामनाएं दी और कहा कि तुम्हारे जीवन में सब कुछ अच्छा होगा। मैं ज्यादा देर तक वहां पर रुक नहीं पाया क्योंकि शायद मैं यह सब देख नहीं पा रहा था इसलिए मैं वापस घर लौट आया था। उस दिन मैं जब घर लौटा तो मैं काफी ज्यादा परेशान था पापा ने मुझसे पूछा भी की बेटा आज तुम बहुत परेशान लग रहे हो मैंने उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं कहा और मैं अपने रूम में चला गया। मैं महिमा को अभी तक भूल नहीं पा रहा था महिमा ने ऑफिस छोड़ दिया था और वह मेरी जिंदगी से मीलों दूर हो चुकी थी।

इस बात को भी एक महीना हो चुका था और मैं अपनी जिंदगी को एडजेस्ट करने की कोशिश कर रहा था लेकिन मेरी जिंदगी में कुछ भी ठीक नहीं हो पाया था। मेरे दिल से महिमा का ख्याल एक पल के लिए भी निकल नहीं पाता और जब भी मैं महिमा के बारे में सोचता तो मुझे काफी ज्यादा बुरा लगता। महिमा का ख्याल दिल से निकालना इतना आसान भी नहीं था। अब इस बात को 3 महीने हो चुके थे मेरा महिमा से कोई भी संपर्क नहीं हो पाया था और ना ही महिमा ने मुझे कोई फोन किया था। एक रात अचानक से महिमा का फोन मुझे आया। मैं इस बात से बहुत ही खुश हो गया था। मेरे अंदर दोबारा से महिमा को लेकर बहुत प्यार जागने लगा था। मैंने महिमा से उस रात काफी देर तक बात की और उसके बाद भी महिमा मुझसे फोन पर बातें करने लगी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था आखिर महिमा मुझसे फोन पर बातें क्यों करती है इसके पीछे कोई ना कोई तो वजह जरूर होगी। मैं महिमा से इस बारे में जानना चाहता था लेकिन महिमा ने मुझे कुछ भी नहीं बताया था। महिमा ने एक दिन मुझे मिलने के लिए बुलाया। जब मैं महिमा को मिलने गया उस दिन वह बहुत ही ज्यादा सुंदर लग रही थी। मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था इतने समय बाद मै महिमा से मिल पाया था। मैं महिमा के साथ बैठा हुआ था और हम दोनों ने काफी देर तक एक दूसरे से बातें की। मैंने महिमा से उसकी शादीशुदा जिंदगी के बारे में पूछा तो महिमा ने कोई जवाब नहीं दिया वह बात को टालने की कोशिश करने लगी। मैं समझ चुका था दाल में कुछ काला है और जरूर महिमा की शादी हो जाने के बाद वह किसी परेशानी से गुजर रही है। मैं महिमा से इस बारे में पूछने की कोशिश करता लेकिन महिमा मुझे इस बारे में कुछ भी नहीं बताती थी परंतु एक दिन फोन पर हम दोनों की बातें हो रही थी और उस दिन महिमा ने मुझे अपने और अपने पति के बारे में बताया।

महिमा ने कहा उसके पति और उसके बीच में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है शुरुआत में तो उन लोगों के बीच काफी प्यार था लेकिन अब उसके पति उसे बिल्कुल भी समय नहीं देते हैं वह मुझसे जिस तरीके से प्यार करते थे अब उनका व्यवहार भी तरीके से बदल चुका है। वह मेरे करीब आती जा रही थी मै महिमा के साथ बातें करना अच्छा लग था। महिमा मुझसे घंटों बातें करती और हम दोनों के बीच एक प्यार की दीवार अब बढ़ने लगी थी। मेरा प्यार महिमा के प्रति दोबारा से जाग चुका था और महिमा भी मुझसे अब प्यार करने लगी थी हम दोनों की फोन पर सेक्स भरी बातें भी होने लगी थी। एक दिन महिमा ने अपने पति के जाने के बाद मुझे घर पर भी बुला लिया क्योंकि महिमा की शारीरिक जरूरत पूरी नहीं हो पा रही थी उसके पति उसकी जरूरतो को पूरा नहीं कर पा रहे थे। महिमा चाहती थी मैं उसकी जरूरतों को पूरा करूं और उस दिन महिमा ने मुझे अपने घर पर बुलाया। जब मुझे उसने अपने घर पर बुलाया तो मैंने महिमा को अपनी बाहों में ले लिया। महिमा मेरी बाहों में आ चुकी थी और मैं जिस तरीके से महिमा के होठों को चूम रहा था उससे वह बहुत गर्म हो रही थी। वह मुझे कहने लगी मेरी गर्मी को तुमने काफी ज्यादा बढ़ा दिया है। मैंने महिमा के होंठो को काफी देर तक चूमा और उसके गुलाबी होठों को चूमकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। महिमा और मैं बिस्तर पर लेट चुके थे मैंने महिमा के कपड़ों को उतारा। मैंने जब महिमा के कपडो को उतारा तो महिमा के गोरे स्तन मेरे हाथों में थे और मैं उन्हें दबाने लगा। मैं जब महिमा के स्तनों को दबा रहा था तो मुझे बड़ा मजा आ रहा था और महिमा को भी बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था। महिमा गर्म होती जा रही थी वह अब इतनी ज्यादा गरम हो चुकी थी वह एक पल के लिए भी रह नहीं पा रही थी। मैंने महिमा को कहा मुझसे एक पल के लिए भी रहा नहीं जा रहा है।

मैंने महिमा के सामने अपने लंड को किया उसने मेरे लंड को देखते ही अपने हाथों में ले लिया और वह उसे हिलाने लगी। जब महिमा मेरे लंड को हिलाने लगी तो मुझे मजा आने लगा था और उसे भी बड़ा अच्छा लग रहा था। उसने जब अपने मुंह के अंदर मेरे लंड को समाया तो मेरे अंदर और भी ज्यादा गर्मी पैदा होने लगी मैंने महिमा को कहा तुम मेरे लंड को सकिंग करती रहो। वह मेरे लंड को बड़े ही अच्छे से चूस रही थी मेरी गर्मी को वह बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी। मैंने महिमा की चूत में लंड को घुसा दिया मेरा लंड महिमा की चूत में जाते ही वह बहुत जोर से चिल्लाने लगी और उसे मज़ा आने लगा था। वह अपने पैरों को खोलने लगी और कहने लगी मुझे और तेजी से चोदो। मैंने महिमा की चूत की खुजली को मिटा दिया था और 10 मिनट की चुदाई के बाद में मेरा माल महिमा की चूत में गिर चुका था। मैने अपनी इच्छा को पूरा कर लिया था और महिमा बड़ी खुश थी।
 
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