चूत की चटनी बनाई देवर ने चोद चोद कर

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(Chut Ki Chatni Banai Devar Ne Chod Chod Kar)

मैं सामाजिक कार्य में बहुत रुचि लेती हूँ, सभी लोग मेरी तारीफ़ भी करते हैं। मेरे पति भी मुझसे बहुत खुश रहते हैं, मुझे प्यार भी बहुत करते हैं। चुदाई में तो कभी भी कमी नहीं रखते हैं। पर हाँ उनका लण्ड दूसरों की अपेक्षा छोटा ही है। पर रात को वो मेरी चूत से ले कर गाण्ड तक चोद देते हैं, मुझे भी बहुत आनन्द आता है उनकी इस प्यार भरी चुदाई से। Chut Ki Chatni Banai Devar Ne Chod Chod Kar.

पर कमबख्त यह शिवम् क्या करूँ इसका? मेरा दिल हिला कर रख देता है। जी हाँ, यह शिवम् मेरे पति का छोटा भाई है, यानि मेरा देवर . जालिम बहुत बहुत कंटीला है. उसे देख कर मेरा मन डोल जाता है। मेरे पति लगभग आठ बजे ड्यूटी पर चले जाते हैं और फिर छः बजे शाम तक लौटते है। इस बीच मैं उसके बहुत चक्कर लगा लेती हूँ, पर कभी ऐसा कोई मौका ही नहीं आया कि शिवम् पर डोरे डाल सकूँ। ना जाने क्यूँ लगता था कि वो जानबूझ कर नखरे कर रहा है।

आज सवेरे मेरा दिल तो बस काबू से बाहर हो गया। शिवम् बेडमिन्टन खेल कर सुबह आठ बजे आ गया था और आते ही वो बाथरूम में चला गया। उसकी अण्डरवीयर शायद ठीक नहीं थी सो उसने उतार कर पेशाब किया और सिर्फ़ अपनी सफ़ेद निकर को ढीली करके बिस्तर पर लेट गया। मुझे उसका मोटा सा लण्ड का उभार साफ़ नजर आ रहा था। मेरा दिल मचलने लगा था।

"शिवम् को नाश्ता करा देना, मैं जा रहा हूँ ! आज मैंने दिल्ली जाना है, दोपहर को घर आ जाऊँगा।" मेरे पति ने मुझे आवाज लगाई और अपनी कार स्टार्ट कर दी।

मैंने देखा कि शिवम् की अंडरवीयर वाशिंग मशीन में पड़ी हुई थी, उसके कमरे में झांक कर देखा तो वो शायद सो गया था। उसे नाश्ता के लिये कहने के लिये मैं कमरे में आ गई। वो तो दूसरी तरफ़ मुख करके खर्राटे भर रहा था। उसकी सफ़ेद निकर ढीली सी नीचे खिसकी हुई थी, और उसके चूतड़ों के ऊपर की दरार नजर आ रही थी। मैंने ज्योंही उसके पांव को हिलाया तो मेरा दिल धक से रह गया। उसकी निकर की चैन पूरी खुल गई और उसका मोटा, लंबा सा गोरा लण्ड बिस्तर से चिपका हुआ था, उसका लाल सुपाड़ा ठीक से तो नही, पर बिस्तर के बीच दबा हुआ थोड़ा सा नजर आ रहा था। "Chut Ki Chatni Banai"

मेरे स्पर्श करने पर वो सीधा हो गया, पर नींद में ही था वो। उसके सीधे होते ही उसका लण्ड सीधा खड़ा हुआ, बिलकुल नंगा, मदमस्त सा, सुन्दर, गुलाबी सा जैसे मुझे चिढ़ा रहा हो, मुझे मज़ा आ गया। शर्म से मैंने हाथों से अपना चेहरा छुपा लिया और जाने लगी।

कहते हैं ना लालच बुरी बला है . मन किया कि बस एक बार और और उसे देख लूँ.।

मैंने एक बार फिर उसे चुपके से देखा। मेरा मन डोल उठा। मैं मुड़ी और उसके बिस्तर के पास नीचे बैठ गई। शिवम् के खराटे पहले जैसे ही थे और वो गहरी नींद में था, शायद बहुत थका हुआ था। मैंने साहस बटोरा और उसके लण्ड को अपनी अंगुलियों से पकड़ लिया। वो शायद में सपने में कुछ गड़बड़ ही कर रहा था। मैं उसके लण्ड को सहलाने लगी, मुठ में भर कर भी देखा, फिर मन का लालच और बढ गया।

मैंने तिरछी निगाहों से शिवम् को देखा और अपना मुख खोल दिया। उसके सुन्दर से सुपाड़े को मुख में धीरे से भर लिया और उसको चूसने लगी। चूसने से उसे बेचैनी सी हुई। मैंने जल्दी से उसका लण्ड मुख से बाहर निकाल लिया और कमरे से बाहर चली आई।

मेरा नियंत्रण अपने आप पर नहीं था, मेरी सांसें उखड़ रही थी। दिल जोर जोर से धड़क रहा था। आँखें बन्द करके और दिल पर हाथ रख कर अपने आप को संयत करने में लगी थी। मैं बार बार दरवाजे की ओट से उसे देख रही थी।

शिवम् अपने कमरे में नाश्ता कर रहा था . और कह रहा था,"भाभी, जाने कैसे कैसे सपने आते हैं . बस मजा आ जाता है!" "Chut Ki Chatni Banai"

मेरी नजरें झुक सी गई, कहीं वो सोने का बहाना तो नहीं कर रहा था। पर शायद नहीं ! वो स्वयं ही बोल कर शरमा गया था। मैंने हिम्मत करके अपने सीने पर ब्लाऊज का ऊपर का बटन खोल दिया था, ताकि उसे अपना हुस्न दिखा सकूं।

चोरी चोरी वो तिरछी निगाहों से मेरे उभरे हुए स्तनों का आनन्द ले रहा था। उसकी हरकतों से मुझे भी आनन्द आने लगा था। मैंने अपना दिल और कड़ा करके झुक कर अपनी पके आमों गोलाईयाँ और भी लटका दी। इस बीच मेरे दिल की धड़कन बहुत तेज हो गई थी। पसीना भी आने लगा था।

यह कमबख्त जवानी जो करा दे वो भी कम है। मुझे मालूम हो गया था कि मैं उसकी जवानी के रसका आनन्द तो ले सकती हूँ। नाश्ता करके शिवम् कॉलेज चला गया। मैं दिन का भोजन बनाने के बाद बिस्तर पर लेटी हुई शिवम् के बारे में ही सोच रही थी। उसका मदमस्त गुलाबी, गोरा लण्ड मेरी आँखों के सामने घूमने लगा। मैंने अपनी चूत दबा ली, फिर बस नहीं चला तो अपना पेटीकोट ऊँचा करके चूत को नंगी कर ली और उसे सहलाने लगी।

जितना सहलाती उतना ही शिवम् का मोटा लण्ड मेरी चूत में घुसता सा लगता और मेरे मुख से एक सिसकारी सी निकल जाती। मैं अपनी यौवनकलिका को हिला हिला कर अपनी उत्तेजना बढ़ाती चली गई और फिर स्खलित हो गई। दोपहर को दो बजे मेरे पति और शिवम् दोनों आ चुके थे, फिर मेरे पति दिन की गाड़ी से तीन दिनों के लिये दिल्ली चले गये। "Chut Ki Chatni Banai"

उनके दो-तीन दिन के टूर तो होते ही रहते थे। जब वो नहीं रहते थे तब शिवम् शाम को खूब शराब पीता था और मस्ती करता था। आज भी शाम को ही वो शराब ले कर आ गया था और सात बजे से ही पीने बैठ गया था। शाम को डिनर के लिये उसने मुझ से पैसे लिये और मुर्गा और तन्दूरी चपाती ले आया था।

मुझे वो बार बार बुला कर पीने के कहता था,"भाभी, भैया तो हैं नहीं, चुपके से एक पेग मार लो !" मस्ती में वो मुझे कहता ही रहा।

"नहीं देवर जी, मैं नहीं पीती हूँ, आप शौक फ़रमायें !"

"अरे कौन देखता है, घर में तो अपन दोनों ही है . ले लो भाभी . और मस्त हो जाओ !"

उसकी बातें मुझे घायल करने लगी, बार-बार के मनुहार से मैं अपने आप को रोक नहीं पाई।

"अच्छा ठीक है, पर देखो, अपने भैया को मत बताना.!" मैंने हिचकते हुए कहा।

"ओये होये, क्या बात है भाभी . मजा आ गया इस बात पर. तुसी फिकर ही ना करो जी . यह देवर भाभी के बीच के बात है."

मैंने गिलास को मुँह से लगाया तो बहुत कड़वी सी और अजीब सी लगी। मैंने शिवम् का मन रखने के लिये एक सिप किया और चुपके से नीचे गिरा दी। कुछ ही देर में शिवम् तो बहकने लगा और अपने मुख से मेरे लिये गाली निकालने लगा, पर मुझे तो वो गालियाँ भी अत्यन्त सेक्सी लग रही थी। "Chut Ki Chatni Banai"

"हिच, मां की लौड़ी, तेरी चूत मारूँ . चिकनी है भाभी . तुम्हारे मुममे तो बहुत मस्त हैं भाभी!" अब उसकी गालियाँ मुझे बहकाने लगी थी।

"ऐ चुप रहो ." मैंने उसे प्यार से सर पर हाथ फ़ेरते हुये कहा। "Chut Ki Chatni Banai"

"यार तेरी चुदी चुदाई चूत दिखा दे ना. साली को चोदना है ! मेरा मोटा लंड तेरी प्यारी चूत में डाल दूँगा" उसने बहकते हुये कहा। आँखों में लाल वासना के डोरे साफ़ नजर आने लगे थे।

"आप सो जाईये अब. बहुत हो गया !"

"अरे मेरी चिकनी भाभी, मेरा लण्ड तो देख, यह देख. तेरे साथ, तुझे नीचे दबा कर सो जाऊँ मेरी जान !"

वो बेशर्म सा होकर, अपनी सुध-बुध खोकर अपना पजामा नीचे सरका कर लण्ड को अपने हाथ में ले कर हिलाने लगा।

मुझे बहुत शरम आने लगी, पर उसकी यह मनमोहन हरकत मेरे दिल में बर्छियाँ चला रही थी। मुझे लगा वो टुन्न हो चुका था। मुझे लगा अच्छा मौका है देवर की जवानी देखने का। दिल कर रहा था कि बस उसका मस्त लौड़ा अपनी चूत में भर लूँ। उसका पाजामा नीचे गिर चुका था। मैंने उसे सहारा दिया तो उसने मुझे जकड़ लिया और मुझे चूमने की कोशिश करने लगा।

उसने अपनी बनियान भी उतार दी, और मस्ती से एक मस्त सांड की तरह झूमने लगा। उसका लंड भी घोड़े के लंड जैसे आगे पीछे झूल रहा था, मुझे पीछे से पकड़ कर अपनी कमर कुत्ते की तरह से हिलाने लगा जैसे कि मुझे वो चोद रहा हो . मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया। पर उसने मुझे कस कर अपने नीचे दबा लिया और मेरे भरे हुये और उभरे हुये स्तनों को मसलने लगा। "Chut Ki Chatni Banai"

पहले तो मैं नीचे दबी हुई इसका आनन्द उठाने लगी फिर खूब दब चुकी तो देखा कि उसका वीर्य निकल चुका था। मेरा पेटीकोट यहाँ-वहाँ से गीला हो गया था। मैंने उसे अपने ऊपर से उतार दिया और मैं बिस्तर से उतर गई। उसका गोरा लण्ड एक तरफ़ लटक गया था। समय देखा तो लगभग नौ बज रहे थे। मैंने भोजन किया और अपने कमरे में आ कर लेट गई। जो हुआ था अभी उसे सोच-सोच कर आनन्दित हो रही थी, मन बुरी तरह से बहक रहा था।

जोश-जोश में मैंने अपना पेटीकोट ऊपर कर लिया और अपनी चूत दबाने लगी। मैं सोच रही रही थी कि यदि मैं देवर जी से चुदा भी लूँ तो किसी को क्या पता चलेगा ? साला टुन्न हो कर चोद भी देगा तो उसे क्या याद रहेगा। बात घर की घर में रहेगी और जब चाहो तब मजे करो।

शादी से पहले तो मैं स्वतन्त्र थी, और दोस्तों से खूब चुदवाया करती थी। पर शादी के बाद तो पुराने दोस्त बस एक याद बन कर रह गए थे। इसी उधेड़ बुन में मेरी आँख लग गई और मैं सो गई।

अचानक मेरी नींद खुल गई मुझे नीचे कुछ हलचल सी लगी। शिवम् कमरे में था और उसने मेरा पेटीकोट ऊपर कर दिया था। मेरी नंगी चूत को बड़ी उत्तेजना से वो देख रहा था। उसका चेहरा मेरी चूत की तरफ़ झुक गया। उसका चेहरा वासना के मारे लाल था। मैंने भी धीरे से टांगे चौड़ी कर ली। "Chut Ki Chatni Banai"

तभी एक मीठी सी चूत में टीस उठ गई। शिवम् की जीभ मेरी चूत की दरार में लपलपाती सी दौड़ गई। मेरी गीली चूत को उसने चाट कर साफ़ कर दिया। मेरी जांघें कांप गई।

उसने नजरें उठा कर मेरी तरफ़ देखा और बोला,"चुदा ले मेरी जान . लण्ड कड़क हो रहा है.!"

अभी शायद वो और पीकर आया था। उसके मुख से शराब का भभका इतनी दूर से भी मेरे नथुनों में घुस गया। उसकी बात सुन कर मेरे शरीर में एक ठण्डी सी लहर दौड़ गई। उसका मुख एक बार फिर से मेरी चूत पर चिपक गया और मेरी चूत में एक वेक्यूम सा हो गया। मुझे लगा यह तो अभी मदहोश है, उसे पता ही नहीं है कि वो क्या कर रहा है। मौका है ! चुदा ही लूँ।

उसने भरपूर मेरी चूत को चूसा, मैं गुदगुदी से निहाल हो गई। बरबस ही मुख से निकल पड़ा,"शिवम् यूँ मत कर, मैं तो तेरी भाभी हूँ ना.।"

मेरी बेकरारी बढ़ती जा रही थी। मेरी टांगें चुदने के लिये ऊपर होती जा रही थी। तभी उसने अपनी अंगुली मेरी चूत में घुसा दी और मेरे पास आकर मेरे स्तन उघाड़ कर चूसने लगा।

मैं उसे शरम के मारे उसे धकेल रही थी पर चुदना भी चाह रही थी। मेरी दोनों टांगें पूरी उठ चुकी थी। इसी दौरान उसने अपना मोटा लण्ड मेरे मुख में घुसा दिया। "Chut Ki Chatni Banai"

हाय राम ! कब से मैं इसे चूसने के लिये बेकरार थी। मैंने गड़प से उसका लण्ड मुख में ले लिया और आँखें बन्द करके चूसने लगी। उसने भी अपने चूतड़ हिला कर अपने लण्ड को मुख में हिलाया।

उसके लण्ड में बहुत रस जैसा था. मेरे मुख को चिकना किये दे रहा था।

"भाभी, देखो तो आपकी टांगें चुदने के लिये कैसी उठी हुई हैं . अब तो चुदा ही लो भाभी.!"

"देवर जी ना करो ! भाभी को चोदेगा . हाय नहीं, मुझे तो बहुत शरम आयेगी.!"

"पर भाभी, आपकी टांगें तो चुदने के लिये उठी जा रही है" उसने लण्ड को मेरी चूत की तरफ़ झुकाते हुये कहा।

"देवर जी, आप तो बहुत खराब है . " मैंने तिरछी नजर का एक भरपूर वार किया।

शिवम् घायल हो कर मेरे ऊपर चढ़ा जा रहा था। अपने आप को मेरे बदन पर सेट कर रहा था। मैंने मस्ती में अपनी आँखें मूंद ली थी। अन्ततः वो मेरी दोनों टांगों के मध्य फ़िट हो गया था। उसका भारी सा लण्ड मेरी चूत पर दबाव डालने लगा था। मेरी चूत ने अपना मुँह खोल लिया और मुँह फ़ाड़ कर लण्ड के सुपाड़े को पकड़ लिया। एक मीठी सी गुदगुदी उठी और लण्ड भीतर समाता चला गया। मेरे मन को एक मीठी सी ठण्डक मिली। इतने दिनों से लण्ड की चाहत में तड़पती रही थी और अब अचानक ही जैसे मन चाही बात बन गई। "Chut Ki Chatni Banai"

उसकी शराब से भरी महक मुझे नहीं भा रही थी पर चुदना तो था ही ना। जाने साधारण अवस्था में वो मुझे चोदता या नहीं, पर नशे में टुन्न उसे भला बुरा कुछ नहीं सूझ रहा था, बस जानवर की तरह उसे चूत नजर आ रही थी, सो लण्ड घुसा घुसा कर उसे चोद रहा था।

मैं भी अपने पूर्ण मन से और तन से उसका साथ देने लगी थी। उसका लण्ड अब पूरा अन्दर तक घुस कर बहुत वासनापूर्ण उत्तेजना दे रहा था। मेरी चूत अपने आप ही ऊपर नीचे चलने लगी थी और आनन्द भोगने में लगी थी। अचानक मेरे सीने में दर्द सा उठा, उसने मेरी चूचियाँ बहुत जोर से दबा दी थी। मेरी यौवन-कलिका लण्ड से घिस घिस कर मेरे तन को सुखमय बना रही थी। "Chut Ki Chatni Banai"

मैं उसे जोर से जकड़ कर उसकी जवानी भोग लेना चहती थी। उसकी कमर मेरी चूत पर जोर जोर से पड़ रही थी। मेरी चूत पिटी जा रही थी। मुझे गुदगुदी ज्रोर से उठने लगी। चूत जैसे लण्ड को पूरा खा जाना चाहती हो . मेरा जिस्म अकड़ने सा लगा। मेरा तन जैसे सारी नसों को खींचने लगा. और मैं एक दम जोर से झड़ गई। मेरी चूत में लहरें सी उठने लगी।

"भोंसड़ी की, तुम्हारी चूत ने तो पानी छोर दिया.. झड़ गई साली . मेरा तो निकला ही नहीं.!" उसकी बात को समझ कर मैंने गाण्ड मराने के उसे धकेल दिया और उल्टी हो कर लेट गई।

"साली छिनाल, गाण्ड मरानी है क्या? वो जैसे गुर्राया।

"भैया जी, बाकी की हसरत मेरी गाण्ड में निकाल दो, मेरी तबियत भी भी हरी हो जायेगी।"

"छीः मैं गाण्ड नहीं मारता . भोसड़ी की आई है बड़ी गाण्ड मराने वाली !" "Chut Ki Chatni Banai"

"गाण्डू है मेरा देवर, भाभी की इतनी सी इच्छा पूरी नहीं कर सकता?"

"मां की लौड़ी, मुझे कह रही है, भेन दी फ़ुद्दी, गाण्ड फ़ट के हाथ में आ जायेगी !"

"ओह्हो, बड़ी डींगे मार रहे हो, और भड़वे, गाण्ड नहीं चोदी जा रही है?"

वो गुर्रा कर और उछल कर मेरी पीठ पर सवार हो गया।

"तेरी मां की चूत . अब तो लण्ड का पानी तो निकाल के रहूँगा."

उसने अपना लण्ड मेरी गाण्ड में दबा दिया। मैं दर्द से कराह उठी। उसका लण्ड मेरी गाण्ड फ़ाड़ता हुआ आधा अन्दर बैठ गया। उसने फिर जानवरों की तरह मेरे सीने को मसलते हुये दूसरा धक्का मारा। मेरे मुख से चीख सी निकल गई। पर मैं बहुत संतुष्ट थी कि आज मेरी जम कर चुदाई हो रही है। मैंने ईश्वर का धन्यवाद किया कि मेरे मन की मुराद पुरी हो रही थी। थोड़ी दर्द से भरी और थोड़ी से मस्ती भरी !!!

मैंने अपनी गाण्ड के छेद को ढीला छोड़ दिया और लस्त सी बिस्तर पर पसर गई। वो मेरी गाण्ड चोदता रहा और फिर उसने अपना लण्ड बाहर निकाल कर अपना सारा वीर्य मेरे गाण्ड के गोलों पर निकाल दिया। वो कितनी देर तक मुझे नोचता खसोटता रहा, मुझे नहीं मालूम था, मैं तो नींद के आगोश में जा चुकी थी। मेरे मन में संतुष्टि का आलम था। आत्म विभोर सी मैं गहरी नींद में खो गई।

सवेरे मेरी आँख खुली तो शिवम् नंग धड़ंग मेरे से लिपटा हुआ पड़ा था। मैंने भी सोचा कि ऐसे ही पड़े रहो ताकि उसे याद रहे कि उसने अपनी भाभी को चोदा है। ताकि आगे का रास्ता मेरा सदा के लिये खुल जाये। मैं उसकी बाहों में नंगी ही पड़ी रही। कुछ ही देर में वो भी उठ गया और आश्चर्य से सब कुछ आँखें फ़ाड़ फ़ाड़ कर देखने लगा। वीर्य के निशान और भाभी को नंगा देख कर उसे सब कुछ याद हो आया।

वो जल्दी से उठ गया और अपने आप को ठीक किया। उसने मुझे ध्यान से देखा और मुझ पर झुक गया। मेरे अंग प्रत्यंग को निहारने लगा। उसका लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। उसके चेहरे पर फिर से वासना का भाव उभर आया। मैं धीरे से उठी और मैंने अपना चेहरा छिपा लिया। अब मैं शर्माने का अभिनय करने लगी। "Chut Ki Chatni Banai"

"ऐसे मत देखो देवर जी! आपने देखो ये क्या कर दिया ?"

मेरे निर्वस्त्र शरीर के अंगो को वासनामयी दृष्टि से निहारता हुआ बोला,"भाभी, आप इतनी सुन्दर है, यह तो होना ही था !" उसकी नजरें अभी भी मेरी चूत पर ही टिकी हुई थी। मैं कुछ कहती, उसका लण्ड कड़ा होने लगा। सामने यूँ तन कर खड़ा हो गया कि मेरा दिल भी एक बार फिर डोल उठा।

"इसे तो नीचे करो . वर्ना मुझे लग रहा है कि यह तो मेरे जिस्म में फिर से घुस जायेगा।"

मैंने जान कर के उसका लण्ड पकड़ कर नीचे करने लगी। शिवम् मुस्करा उठा और उसने मुझे फिर से धक्का दे कर बिस्तर पर लेटा दिया। वो उछल कर मेरी पीठ पर सवार हो गया।

"भाभी, पहले गुड-मॉर्निंग तो कर लें !" वो मेरे चूतड़ों के नीचे मेरी टांगों पर बैठ गया। उसका लम्बा लण्ड मेरी चूतड़ो के गोलों पर स्पर्श करने लगा।

"शिवम् चुप हो जा, बड़ा आया गुड मॉर्निंग करने वाला !"

"इतनी प्यारी और सलोनी गाण्ड का उदघाटन तो करना ही पड़ेगा, भाभी, कर दूँ उदघाटन ?"

मैं शरमा उठी। मेरी गाण्ड चुदने वाली थी, यह सोच कर ही मेरा दिल फिर से खुशी के मारे उछलने लगा था। बस आँखें बंद किये मैं इन्तज़ार कर रही थी कि कब उसका प्यारा लण्ड मेरी गाण्ड का उद्धार कर दे। मेरी चूतड़ की दरार में जैसे खुजली सी मचने लगी।

तभी चूतड़ों के मध्य मुझे नर्म से लण्ड के सुपाड़े का अनुभव हुआ। आह्ह्ह . तो एक बार फिर शुरुआत हो गई है। उसका लण्ड मेरी दोनों चूतड़ों के बीच घुसने लगा। मैंने अपने पांव और खोल दिये और उसका नरम सुपाड़ा मेरी गाण्ड के छेद को छू गया। छेद एक बार तो अन्दर बाहर लप लप हुआ और फिर मैंने उसे ढीला कर दिया। "Chut Ki Chatni Banai"

रावी का जोश देखते ही बनता था। उसने झुक कर मेरे उभार पकड़ कर दबा दिये। मेरी चूचियाँ मसल डाली उस कमबख्त ने .

उधर उसका मोटा लण्ड मेरी गाण्ड को फ़ोड़ता हुआ अन्दर घुसने लगा। मेरी गाण्ड मस्त हो उठी। मेरे मुख से वासनामय सिसकारी फ़ूट पड़ी। उसके मुख से भी एक मोहक सी चीख निकल गई। उसका लण्ड गाण्ड में पूरा उतर गया। उसने अब अपना भार मेरे जिस्म पर डाल दिया और मुझे बुरी तरह लिपट गया।

अब वो नशे में नहीं था। पूरे होशो हवास में मुझे चोद रहा था। उसे चोदने की वास्तविक अनुभूति हो रही थी। अब जो जम कर मेरी गाण्ड चुदाई कर रहा था। मुझे आनन्द के सागर में बहा कर ले जा रहा था। उसने धीरे से मेरे कान में कहा,"भाभी, चूत को चोद दूँ. बहुत जी कर रहा है.!"

शिवम् तो बस मेरी गाण्ड के पीछे ही पड़ा था . जब उसने भोसड़ा चोदने की बात कही तो "मुझे सीधी तो होने दे. ऐसे कैसे चूत को चोदेगा ?"मैंने वासना भरी आवाज में कहा।

मैं सीधी हो गई और शिवम् फिर से मेरी टांगों के बीच आ गया और उसने अपने हाथों से मेरी चूत के कपाट खोल दिये। अन्दर रस भरी चूत की गुफ़ा नजर आई, उसने अपना लौड़ा पहले तो हाथ से हिलाया और फिर मेरी गुफ़ा में घुसाता चला गया। बीच में एक दो बार उसने लण्ड बाहर खींचा और फिर पूरा पेन्दे तक उसे फ़िट कर दिया। "Chut Ki Chatni Banai"

मैं खुशी के मारे चीख सी उठी। वो धीरे से मेरे ऊपर लेट गया और मेरे होंठों को उसने अपने होंठों से दबा लिया और रसपान करने लगा। उसके हाथ मेरे सीने को गुदगुदाते और सहलाते रहे। मुझे अब होश कहाँ ! मैंने उसके चूतड़ अपने दोनों हाथों से दबा लिये और खुशी के मारे सिसकने लगी।

मेरी चूत उसके लण्ड के साथ-साथ थाप देने लगी, थप थप की आवाज आने लगी, मेरी चूत पिटने लगी। दोनों की झांटें बीच बीच में कांटों की तरह चुभ कर मजा दुगना कर रही थी। उसकी लण्ड के नीचे गोलियाँ मेरी चूत के नीचे टकरा कर मेरी चूत का मीठापन बढ़ा रही थी।

कैसा सुहाना माहौल था। सुबह सवेरे अगर लौड़ा मिल जाये तो काम देव की आराधना भी हो जाती है, और फिर पूरा दिन मस्ती से गुजरता है।

दिन भर शिवम् मेरे से चिपका रहा। वो कॉलेज भी नहीं गया, बस कभी मेरी गाण्ड मारता तो कभी मेरी चूत जम के चोद देता था। पति के वापस लौटने तक उसने मुझे चोद-चोद कर रण्डी बना दिया था, मेरी चूत को इण्डिया-गेट बना दिया था, मेरी गाण्ड को समन्दर बना डाला था।

पति के लौटते ही मुझे उसकी चुदाई से कुछ राहत मिली। पर कितनी !!! जैसे ही वो काम पर जाते शिवम् मुझे चोद देता था।

हाय राम . चुदने की इच्छा तो मेरी ही थी, पर ऐसी नहीं कि वो मेरी चटनी ही बना दे .

बस फिर क्या था, रात को पति को खुश करती और दिन में देवर के लौड़े से खुद खुश रहती.. "Chut Ki Chatni Banai"
 
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