चूत फडफडाने लगी

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Antarvasna, sex stories in hindi: कॉलेज में मैं और सुहानी साथ में पढ़ते थे हम दोनों के बीच काफी अच्छी दोस्ती थी और हम दोनों एक दूसरे को प्यार भी करते थे। हम दोनों के बीच प्यार अब बहुत बढ़ने लगा था लेकिन मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं थी वह लोग मुझे बड़ी मुश्किल से कॉलेज पढ़ा रहे थे और फीस का खर्चा भी मेरे पापा बड़ी मुश्किल से उठा पाते थे लेकिन सुहानी के पिताजी बहुत बड़े बिजनेसमैन है। मुझे कई बार लगता था कि क्या सुहानी और मेरा मेल कभी हो पाएगा भी या नहीं, मैं जब भी यह सोचा करता तो मुझे ऐसा लगता कि जैसे कि सुहानी और मैं एक दूसरे से बहुत अलग हैं। मैंने भी अपना कॉलेज खत्म हो जाने के बाद मैंने जॉब करनी शुरू कर दी। सुहानी मुझसे बातें किया करती थी मैंने सुहानी को कई बार समझाया कि सुहानी हम दोनों का रिलेशन कभी हो ही नहीं पाएगा लेकिन सुहानी को तो सिर्फ मुझसे बात करना अच्छा लगता था और वह मेरे साथ रिलेशन में रहना चाहती थी। मुझे यह बात मालूम थी कि कभी भी हम दोनों का मेल हो नहीं पाएगा। जब सुहानी के पिताजी ने उसका रिश्ता कहीं और ही तय कर दिया तो सुहानी ने भी मेरे बारे में अपने घर पर बता दिया। जब सुहानी के पापा मुझसे मिले तो मुझे यह बात मालूम थी कि वह कभी भी मेरी शादी सुहानी से नहीं करवाएंगे और हुआ भी यही।

सुहानी की शादी उन्होंने अपने दोस्त के लड़के से तय कर दी और सुहानी की शादी तय हो जाने के बाद सुहानी मेरी जिंदगी से दूर जा चुकी थी। सुहानी ने मुझे काफी बार कहा कि तुम मुझसे शादी कर लो मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह पाऊंगी लेकिन यह सब संभव नहीं था मैं नहीं चाहता था कि मैं सुहानी के साथ शादी करूं। मुझे भी यह बात अच्छे से मालूम थी कि सुहानी और मेरे बीच कभी भी रिश्ता हो नहीं सकता क्योकि हम दोनों एक दूसरे से काफी अलग थे। अब सुहानी मेरी जिंदगी से दूर हो चुकी थी, उसकी शादी हो गई थी सुहानी अब ऑस्ट्रेलिया में अपने पति के साथ ही रहने लगी थी। सुहानी के पति का बिजनेस ऑस्ट्रेलिया में है और मै दिल्ली में ही जॉब कर रहा था लेकिन समय के साथ मेरा प्रमोशन भी हो गया। मेरे पापा मम्मी चाहते थे कि मैं भी अब शादी कर लूं लेकिन मैं शादी नहीं करना चाहता था, सुहानी का मेरी जिंदगी से कोई लेना देना नहीं था और वह मेरी जिंदगी से बहुत ज्यादा दूर हो चुकी थी। एक दिन सुहानी ने मुझे फोन किया जब उसने मुझे फोन किया तो मुझे भी सुहानी से बात कर के अच्छा लगा लेकिन अब हम दोनों एक दूसरे के साथ सिर्फ बात ही कर सकते थे।

सुहानी ने मुझे कहा कि वह अपने पति के साथ बहुत खुश है मैंने सुहानी को कहा कि सुहानी तुम्हारे पापा ने जो फैसला लिया वह ठीक है, तो सुहानी मुझे कहने लगी कि देखो इस बात को हम लोग भूल ही जाए तो बेहतर होगा क्योंकि मैं नहीं चाहती कि हम इस बारे में कुछ भी याद करे। मैंने सुहानी को कहा सुहानी देखो मैं तुमसे शादी करना चाहता था लेकिन तुम तो जानती हो कि मेरी आर्थिक स्थिति बिल्कुल भी ठीक नहीं थी। सुहानी ने मुझसे पूछा कि क्या तुमने शादी कर ली तो मैंने सुहानी को कहा नहीं मैंने अभी शादी नहीं की है। हम दोनों एक दूसरे से बहुत दूर थे लेकिन फिर भी मेरे दिल में सुहानी को लेकर हमेशा ही इज्जत थी। मैं जिस ऑफिस में काम करता हूं उस ऑफिस में जॉब करने के लिए एक लड़की आई उसका नाम आकांशा है। आकांक्षा बड़ी ही शरारती किस्म की थी उसका बोल चाल और उसका बिंदास अंदाज मुझे अच्छा लगने लगा था। शुरुआत में तो मुझे आकांक्षा बिल्कुल भी पसंद नहीं थी लेकिन फिर आकांक्षा मुझे अच्छी लगने लगी और समय के साथ साथ आकांक्षा और मेरे बीच अच्छी दोस्ती भी हो गई, हम दोनों एक दूसरे को अच्छे से समझने लगे थे। जब आकांशा ने जब मुझे अपनी फैमिली के बारे में बताया तो तब मुझे पता चला कि आकांक्षा के ऊपर ही घर की सारी जिम्मेदारी है। आकांक्षा ही अपने घर का सारा खर्चा उठाती है और आकांक्षा अपने घर में अपने छोटे भाई के कॉलेज की पढ़ाई का खर्चा भी उठा रही है यह बात सुनकर मेरे दिल में आकांक्षा को लेकर इज्जत और बढ़ने लगी। मेरे दिल में आकांक्षा को लेकर कुछ तो चलने लगा था जब भी मैं आकांक्षा के साथ होता तो मुझे काफी अच्छा लगता था मैं हमेशा ही आकांक्षा की तारीफ किया करता और आकांक्षा से कहता कि तुमने अपने घर की जिम्मेदारी बखूबी निभाई है और मुझे बहुत ही अच्छा लगता है जब भी तुम मेरे साथ होती हो।

आकांशा को भी यह बात समझ आ चुकी थी कि मैं आकांक्षा को प्यार करने लगा हूं और उसके बाद आकांक्षा और मेरे बीच और भी ज्यादा नज़दीकी बढ़ती चली गई। हम दोनों एक दूसरे को डेट करने लगे थे और मैं आकांक्षा के साथ काफी ज्यादा खुश था क्योंकि मैंने कभी सोचा भी नहीं था की आकांशा और मेरे बीच इतना प्यार हो जाएगा कि हम दोनों एक दूसरे के बिना कभी रहे ही नहीं पाएंगे। आकांक्षा और मैं एक दूसरे के बिना रह भी नहीं पाते थे हम दोनों को एक दूसरे का साथ बहुत अच्छा लगता। हम दोनों एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताया करते थे लेकिन अब आकांक्षा भी चाहती थी कि हम दोनों एक हो जाएं। मैंने आकांक्षा को कहा कि मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं तो आकांक्षा को भी इस बात से कोई एतराज नहीं था और आकांक्षा और मैंने कोर्ट मैरिज कर ली क्योंकि आकांक्षा चाहती थी कि हम दोनों कोर्ट मैरिज करे और हम दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली। उसके बाद हम दोनों पति-पत्नी बन चुके थे और मैं काफी ज्यादा खुश था क्योंकि आकांशा मेरी जिंदगी में आ चुकी थी। हम दोनों की सुहागरात की पहली रात थी। जब आंकाक्षा और मै एक दूसरे के साथ बातें रहे थे तो आकांक्षा ने मुझे कहा क्या सिर्फ तुम बात ही करते रहोगे या कुछ करोगे भी।

यह बात सुनकर मैंने आकांक्षा के स्तनों के तरफ हाथ बढ़ाया और आकांक्षा के स्तनों को दबाने लगा वह गर्म होने लगी। आकांक्षा को मैंने बेड पर लेटा दिया। जब आकांक्षा बिस्तर पर लेट चुकी थी तो मैं उसके गुलाबी होठों को चूसने लगा। मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था जब मैं उसके होठों को किस कर रहा था और उसकी गर्मी को मैं बढ़ाता जा रहा था। आकांक्षा भी अब पूरी तरीके से गर्म होती जा रही थी वह मुझे कहने लगी मेरी गर्मी को तुमने पूरी तरीके से बढ़ा दिया है। मैंने आकांक्षा को कहा तुमने भी तो मेरी गर्मी को पूरी तरीके से बढ़ा कर रख दिया है। उसने मेरे मोटे लंड को अपने हाथों में लेकर उसे हिलाना शुरू किया। जब आकांशा ने मेरे मोटे लंड को अपने हाथों में लेकर हिलाना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा और आकांक्षा को भी बहुत ज्यादा मजा आने लगा था। अब हम दोनों ही पूरी तरीके से गर्म होने लगे थे। मैं पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुका था मेरी गर्मी अब इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी कि मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था। मैंने आकांक्षा को कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जाएगा। आकांक्षा ने अपने पैरों को खोलकर मुझे कहा तुम मेरी योनि के अंदर लंड घुसा दो। मैंने आंकाक्षा को कहा ठीक है मैं तुम्हारी चूत मे लंड डाल देता हूं। मैंने आकांक्षा की योनि के अंदर अपने मोटे लंड घुसाया। उसकी योनि के अंदर लंड जाते ही उसकी चूत से खून की पिचकारी बाहर की तरफ निकल आई। मेरा लंड उसकी योनि के अंदर तक जा चुका था। मैंने आकांक्षा के दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया था। मैंने उसके दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया। मैंने उसकी योनि के अंदर बाहर अपने लंड को करना शुरू किया मुझे मजा आने लगा। मै उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को कर रहा था तो मेरे अंदर की गर्मी बढ़ रही थी और मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था।

मैंने आकांक्षा के दोनों पैरों को चौडा कर लिया था उसके दोनों पैरों को चौड़ा करने के बाद मैंने उसकी योनि के अंदर बाहर अब अपने मोटे लंड को और भी तेजी से धक्के देने शुरू कर दिए। वह मुझे कहने लगी मुझे अच्छा लग रहा है तुम ऐसे ही बस मुझे धक्के मारते रहो हालांकि आंकाक्षा की चूत से बहुत ज्यादा खून बाहर की तरफ निकल रहा था लेकिन उसके बावजूद भी वह मेरे साथ बड़े अच्छे तरीके से दे रही थी। उसे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था जब वह मेरे साथ सेक्स का जमकर मजा ले रही थी। मैंने आकांक्षा से कहा तुम घोड़ी बन जाओ। आंकाक्षा की चूतडे मेरी तरफ थी। मैंने उसकी चूत को कुछ देर से चाटने के बाद अपने लंड को धीरे-धीरे से आंकाक्षा की योनि के अंदर प्रवेश करवा दिया। मेरा लंड उसकी योनि के अंदर जा चुका थ। अब वह बड़ी जोर से चिल्ला रही थी उसकी सिसकारियां मेरे कानों में जा रही थी और मेरे अंदर की उत्तेजना को वह पूरी तरीके से बढ़ाती जा रही थी।

मैंने उसको कहा मुझे अच्छा लग रहा है वह मुझे कहने लगी मजा तो मुझे भी बहुत ज्यादा आ रहा है और ऐसा लग रहा है जैसे कि तुम मुझे बस धक्के देते जाओ। मैंने आंकाक्षा को कहा मुझे तुम्हारी चूत के अंदर बाहर लंड को करने मे मजा आ रहा है। आकांक्षा की चूतडो का रंग लाल होने लगा था। उसकी चूतडे बहुत ज्यादा लाल हो चुकी थी मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था। मैंने उसे काफी देर तक चोदा। जब मुझे एहसास होने लगा मैं रह नहीं पाऊंगा। आंकाक्षा मुझे कहने लगी तुम अपने माल को मेरी चूत मे गिरा दो। मैंने आकांक्षा की चूत के अंदर अपने माल को गिराया और उसकी इच्छा को पूरा कर दिया था। वह बहुत ही ज्यादा खुश हो गई थी। मैने उसकी चूत की खुजली को पूरी तरीके से मिटा दिया था। उसके बाद आकांक्षा और मैं हर रोज एक दूसरे के साथ सेक्स का मजा लिया करते हैं। आकांक्षा बहुत ही ज्यादा खुश रहती जब मैं उसे चोदा करता।
 
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