चूत लंड का खेल जारी रहा

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Antarvasna, hindi sex kahani: मैं अपने कॉलेज के पहले दिन जब अपनी क्लास में बैठा हुआ था तो उस दिन मेरी मुलाकात आशा के साथ हुई। आशा से मैं पहली बार ही मिला था उससे मिलकर मुझे बहुत ही अच्छा लगा हम दोनों एक दूसरे के साथ काफी बातें करने लगे थे। समय बीतता चला गया और हम लोगों का ग्रेजुवेशन पूरा हो चुका था।

पढ़ाई होने के बाद मैंने अपने पापा के बिजनेस को संभाल लिया। कॉलेज पूरा हो जाने के बाद मेरी मुलाकात आशा से कम ही हो पाती थी लेकिन जब भी वह मुझे मिलती तो मुझे काफी अच्छा लगता और आशा को भी बहुत अच्छा लगता। मैं ज्यातर अपने काम में ही बिजी रहता इस वजह से मुझे अपने लिए बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता था मैं बहुत ही ज्यादा बिजी रहने लगा था। एक दिन मुझे आशा का फोन आया और उसने मुझे कहा कि उसे मुझसे मिलना है मैंने आशा को कहा कि हां मैं तुमसे आज मिलता हूं।

शाम के वक्त मैंने पापा से कहा कि मैं किसी जरूरी काम से जा रहा हूं तो पापा कहने लगे कि ठीक है राकेश बेटा तुम चले जाओ और फिर मैं आशा से मिलने के लिए चला गया। उस दिन मैं आशा को मिला हम दोनों एक रेस्टोरेंट में बैठे हुए थे जब हम दोनों साथ में बैठे हुए थे तो हम दोनों को काफी अच्छा लग रहा था।

मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था जिस तरीके से आशा और मैं एक दूसरे से बात कर रहे थे। काफी समय के बाद हम दोनों की मुलाकात हो रही थी इसलिए मैं बहुत खुश था और आशा भी बहुत ज्यादा खुश नजर आ रही थी। आशा के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कुराहट थी जिसे देखकर मैं बहुत ही ज्यादा खुश था। मैंने आशा को कहा कि मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है तो आशा मुझे कहने लगी कि मुझे भी बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा है। हम दोनों एक दूसरे के साथ में काफी बातें कर रहे थे और हम बहुत खुश थे उस दिन हम दोनों की बातें करीब 3 घंटे तक चली।

जब मैंने आशा को कहा कि आशा अब हमें चलना चाहिए क्योंकि समय भी काफी हो चुका था और फिर हम दोनों वहां से घर चले आए। काफी दिनों के बाद मैं आशा से मिला था और आशा से मिलकर मुझे बहुत ही अच्छा लगा था उसके अगले दिन से मैं काफी ज्यादा बिजी हो गया था इसलिए मेरी मुलाकात आशा से हो नहीं पाई थी। एक दिन मुझे आशा का फोन आया तो मैंने उससे उसके हालचाल पूछे और हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे।

आशा ने मुझे बताया कि उसकी सगाई हो चुकी है मैंने आशा को कहा कि तुमने इतनी जल्दी सगाई कैसे कर ली तो आशा ने मुझे कहा कि मेरी फैमिली वाले चाहते थे कि मैं उनके दोस्त के बेटे से शादी कर लूँ। मैंने आशा को कहा लेकिन फिर भी तुम्हें सोचना चाहिए था ऐसे ही तुम किसी से भी शादी कर लोगी, क्या यह सही है। आशा ने मुझे कहा कि राकेश तुम तो जानते ही हो कि मैं अपने पापा मम्मी की कोई बात नहीं टालती। मैंने आशा को कहा वह तो ठीक है लेकिन फिर भी अभी तुम्हारी उम्र शादी की नहीं हुई है परंतु आशा मेरी बात कहां मानी वह कहने लगी की मेरी तो सगाई हो चुकी है। मैंने आशा से कहा चलो कोई बात नहीं अब तुम्हारी सगाई हो चुकी है।

मैंने आशा को कहा लेकिन तुमने मुझे अपनी सगाई में इनवाइट नहीं किया तो आशा ने मुझे कहा कि हम लोगों ने घर में ही छोटा सा फंक्शन रखा था और उसी दिन हम लोगों की सगाई हो गई। मैंने आशा को कहा चलो यह तो बहुत ही अच्छी बात है। हम दोनों एक दूसरे से बात कर रहे थे और काफी देर तक हम दोनों ने एक दूसरे से बात की आशा से बात कर के मुझे अच्छा लग रहा था और उसके बाद मैंने फोन रख दिया था।

मैं अपने काम में इतना ज्यादा बिजी रहता हूं कि मुझे बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता है। एक दिन मैं पापा के शादी पार्टी में गया हुआ था वह पार्टी पापा के किसी दोस्त के घर पर ही थी वहां पर ज्यादा लोग नजर नहीं आ रहे थे इसलिए मैं और पापा साथ में ही थे। पापा ने मुझे अपने दोस्तों से मिलवाया और उसी दिन पापा के दोस्त की बेटी सुनीता के साथ मेरी मुलाकात हुई। मैं सुनीता से पहली बार ही मिला था लेकिन सुनीता से बात कर के मुझे अच्छा लग रहा था।

मैंने सुनीता से उस दिन ज्यादा देर तो नहीं लेकिन थोड़ी देर ही हम दोनों की बात हो पाई परंतु जितनी देर भी हम लोगों ने बात की उससे मैं काफी ज्यादा खुश था और सुनीता भी काफी खुश थी। उसके बाद सुनीता से मेरी मुलाकात होने लगी हम दोनों एक दूसरे को मिलने लगे थे मुझे भी कहीं ना कहीं सुनीता का साथ अच्छा लगा तो सुनीता को भी मेरा साथ अच्छा लग रहा था। यही वजह थी कि मैं और सुनीता एक दूसरे के नजदीक आते जा रहे थे हम दोनों एक दूसरे को डेट भी करने लगे थे।

मैं सुनीता को प्यार करने लगा था और सुनीता भी मुझे प्यार करने लगी थी मैं काफी ज्यादा खुश था कि हम दोनों का रिलेशन चल रहा है। यह बात मेरे परिवार वालों को भी मालूम थी और सुनीता की फैमिली को भी यह बात मालूम थी लेकिन उन्होंने कभी भी हम दोनों को मिलने से नहीं रोका।

हम दोनों एक दूसरे को अच्छे से समझने लगे थे और सुनीता और मेरा रिलेशन अब काफी ज्यादा गहरा हो चुका था। वह मेरे साथ बहुत ही ज्यादा खुश थी और मैं भी सुनीता के साथ बहुत ही ज्यादा खुश था। सुनीता और मेरा रिलेशन अच्छे से चल रहा था। हम दोनों के बीच में जब पहली बार सेक्स हुआ तो मैं काफी ज्यादा खुश था सुनीता को मेरे साथ अब सेक्स करना मैं बहुत ही अच्छा लगता है। हम दोनों को जब भी मौका मिलता है तो हम एक दूसरे के साथ शारीरिक सुख का मजा ले लेते हैं।

हम दोनों एक दूसरे की इच्छा को हमेशा ही पूरा कर देते हैं। एक दिन मैं और सुनीता साथ में बैठे हुए थे उस दिन सुनीता का मेरे साथ सेक्स करने का बड़ा मन था तो मैंने सुनीता को कहा मैं तुम्हारे साथ में सेक्स करने के लिए तैयार हूं। उस रात सुनीता और मैं साथ में रुके हम दोनों ने उस दिन सेक्स की जमकर मजा लिया। हम दोनों ने जिस तरीके से सेक्स किया उससे सुनीता बहुत खुश थी।

मुझे एक दिन आशा का फोन आया वह मुझे कहने लगी राकेश मेरी कुछ समय के बाद शादी है तुम्हें मेरी शादी में जरूर आना होगा। मैंने आशा को कहा मैं तुम्हारी शादी में जरूर आऊंगा। आशा ने मुझे बड़े ही प्यार से अपनी शादी में इनवाइट किया मैंने उससे कहा क्या हम लोग एक बार मिल सकते हैं? आशा कहने लगी क्यों नहीं। मैंने उस दिन आशा को अपने घर पर ही आने के लिए कहा वह मुझसे मिलने के लिए घर पर आ गई।

जब वह घर पर आई तो उस दिन घर पर कोई भी नहीं था। मैं घर पर ही था मैं उस दिन आशा के साथ में बैठे हुआ था। मैंने आशा को सुनीता के बारे में बता दिया था आशा को भी इस बात की बड़ी खुशी थी वह मेरे साथ मे रिलेशन मे है। मैंने जिस तरीके से सुनीता के बारे में आशा को बताया उससे वह बहुत खुश थी। मैंने आशा को कहा चलो अब तुम्हारी शादी हो जाएगी।

आशा मुझे कहने लगी हां मैं बहुत खुश हूं। उस दिन काफी ज्यादा ठंड हो रही थी अचानक से ही इतनी ज्यादा ठंड हो गई कि मैंने आशा को कहा हम लोग कंबल में बैठ जाते हैं। हम दोनों कंबल के अंदर बैठे हुए थे ठंड काफी ज्यादा हो रही थी इसलिए मैं और आशा साथ में ही थे।

मैं आशा से चिपकने की कोशिश करने लगा और हम दोनो एक दूसरे से चिपक रहे थे परंतु मेरा हाथ जब आशा के स्तनों पर लगने लगा तो मेरा मन आशा के साथ सेक्स करने का होने लगा और कहीं ना कहीं आशा का भी मन मेरे साथ सेक्स करने का होने लगा था। मैं आशा के स्तनों को दबाने लगा था मुझे बहुत ही मजा आने लगा है मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है जिस तरीके से आशा और मैं एक दूसरे के साथ शारीरिक सुख का मजा ले रहे थे।

हम दोनों ने एक दूसरे के साथ खूब जमकर मजा लेने के बारे में सोच लिया था। मैं उसके होठों को चूम रहा था मैं जिस तरीके से आशा के गुलाबी होंठों का रसपान कर रहा था उससे मुझे मजा आने लगा था और आशा को भी बड़ा मजा आ रहा था जिस तरीके से वह मेरे होठों को चूम रही थी। मैंने आशा के स्तनों दबाना शुरू किया तो उसने अपने कपड़े उतारना शुरू किए। वह अपने कपड़े उतार चुकी थी मैंने उसके गोरे स्तनों की तरफ देखा मैं अपने आपको रोक नहीं सका मैं उसके स्तनों का रसपान करने लगा। मैं उसके निप्पल को जिस तरह से चूस रहा था उससे वह मुझे कहने लगी तुम ऐसे ही मेरे स्तनो को चूसते रहो।

मैं उसके गोरे हो स्तनों को ऐसे ही चूमता रहा उसे बड़ा मजा आने लगा था और मुझे भी बहुत ही अच्छा लग रहा था जिस तरीके से वह मेरा साथ दे रही थी। थोड़ी देर तक तो ऐसा ही चलता रहा लेकिन जब मैंने आशा की जींस को नीचे उतार फेंका और उसकी पैंटी को नीचे उतारा तो मुझे उसकी गोरी चूत दिखाई दी।

उसकी गोरी चूत को देखकर मैंने उसकी योनि में लंड को लगाया और उसकी चूत के अंदर मैं लंड को डालना चाहता था उसकी चूत मे मेरा लंड जा ही नहीं रहा था। मैंने उसके पैरों को खोल दिया मैंने जब उसके दोनों पैरों को खोल कर उसे चोदना शुरु किया तो वह जोर से चिल्लाने लगी और मेरा लंड उसकी योनि के अंदर चला गया। अब हम दोनों एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स के मजे लेने लगे थे आशा की योनि से खून निकल रहा था और मुझे उसे चोदने में मजा आ रहा था।

हम दोनों ने एक दूसरे का साथ जमकर दिया और काफी देर तक हम दोनों ने एक दूसरे के साथ सेक्स के मजे लिए जैसे ही मेरा वीर्य पतन हो गया तो आशा ने अपने कपड़े पहन लिए और उसके बाद वह बिना कुछ कहे ही वहां से चली गई। मैं आशा की शादी में गया और उसके बाद हम दोनों के बीच कभी भी सेक्स संबंध नहीं बने।
 
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