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सभी पाठकगण को अमृता की ओर से नमस्कार। मै अमृता हरियाणा से हूं। मेरी उम्र ३२ साल है, और मेरी शादी को सात साल हो चुके है। यह कहानी मेरे साथ घटित सच्ची घटना है। इस कहानी को पढकर आपको पता चलेगा, कैसे मेरे घर में चोर घुसे, और उन्होंने चोरी करने के बाद मुझे मेरे पती के सामने चोद दिया। चोरों के पास हथियार होने की वजह से मेरे बिचारे पतिदेव उनके सामने अकेले पड गए, और कुछ कर नही पाए। यह बात पिछले साल की है, जब जाडे के दिन थे, और दिवाली आने ही वाली थी।

मै दिखने में सुंदर हूं, ३२ साल की होने के बावजूद भी मैने अपने आप को अच्छे से संभाल कर रखा हुआ है। अभी भी मेरे मोहल्ले के सारे आदमी मुझे घूर कर खा जाने वाली नजरों से देखते है। जब भी मै कहीं से गुजर रही होती हूं, तो वहां के आदमियों की नजरें अपने आप मेरी ओर चली आती है। मेरे उरोज और गांड काफी बडे होने के बावजूद भी कसे हुए है, शायद यही कारण है जो इस उम्र में भी मेरा रूप लोगों पर कहर ढाता है।

अब ज्यादा समय ना लेते हुए मै सीधे कहानी पर आती हूं।
जैसा कि आप सभी जानते है, जाडे के दिनों में सभी जल्दी ही सो जाते है। ऐसे ही एक दिन हम सबने रात का खाना खाया, और मै बच्चों को सुलाकर अपने कमरे में आ गई। तब तक ९:३० हो चुके थे, और हमारे कमरे में मेरे पतिदेव मेरे आने का ही इंतजार कर रहे थे। मेरे आते ही उन्होंने उठकर मुझे अपनी बाहों में भर लिया। ठंड तो वैसे भी थी, और अगर ऐसी गर्माहट मिले तो कौन मना करेगा।

मैने भी अपने आप को उनके हवाले सौंप दिया, और मै बस उनकी हरकतों का मजा लिए जा रही थी। धीरे धीरे उन्होंने मुझे भी गर्म करके चुदाई के लिए राजी कर ही लिया।

अब तक हम दोनों ने चुदाई का हर एक आसन आजमाकर देख लिया था। अभी पिछले दो सालों से हम चुदाई थोडा कम करते है, वरना पहले हर रोज मेरी चुत को लंड चाहिए होता था। मेरे चुदाई के लिए राजी होते ही मेरे प्यारे पतिदेव बहुत खुश हो गए। उन्होंने फटाफट मेरे कपडे उतार दिए और खुद भी नंगे हो गए।

हमारी सेक्स लाइफ बहुत ही मस्त चल रही थी। अब तक हम दोनों में से कोई भी कभी चुदासी हो जाए, तो दूसरा उसका साथ देकर चुदाई के लिए राजी हो जाता था। उन्होंने खुद के कपडे उतारते ही अपना लंड लेकर मेरे मुंह के सामने खडे हो गए, जो मेरे लिए लंड चुसाई का इशारा था।

हम दोनों का ही यह मानना है कि, अगर चुदाई का असली मजा लेना है, तो चुदाई से पहले अपने साथी को गर्म करके तडपाना चाहिए। मै अब अपने पतिदेव का लंड चूस रही थी, जो कि ठंड की वजह से सिकुडकर छोटा सा बन गया था। मेरे चूसने की वजह से वो अब धीरे धीरे अपने असली रंग में आने लगा था। थोडी देर में ही उनका लंड मेरे मुंह मे फुंफकार मारने लगा, तो उन्होंने मेरे लंड से मुंह निकालकर थोडी देर मेरी चुत चुसाई की। जिस वजह से मेरी चुत भी पानी छोडने लगी थी, और लंड का रास्ता आसान बना रही थी।

चुत चूसने के बाद उन्होंने मेरे स्तनों को निचोडते हुए मुझे घोडी बनाकर पीछे से धकमपेल चुदाई की। चुदाई के बाद, मेरे पती ने मुझे कुछ पहनने नही दिया और हम दोनों नंगे ही एक-दूसरे को अपनी बाहों में लेकर सो गए।
चुदाई के बाद मस्त नींद आ गई, और पता ही नही चला, कब चोर हमारे घर मे घुस गए। हमारे घर मे तिजोरी की चाबी मेरे ससुर के पास उनके कमरे में ही होती है, और चोर हमारे कमरे में ही कुछ सामान ढूंढने लगे।

मै और मेरे पती अभी भी सो रहे थे, हम दोनों ही नंगे थे, और हमारे बदन पर हमने बस एक रजाई ओढ रखी थी। चोरों ने सारा कमरा छान मार दिया, लेकिन जब उनको पूरे कमरे में कुछ नही मिला, तो उन्होंने तंग आकर मेरे पतिदेव को उठा दिया। और उनके सामने चाकू रखकर उनसे कुछ बातें पूछने लगे। लेकिन मेरे पती ने उन्हें कुछ नही बताया। तो उन दोनों चोरों में से एक ने मेरे पति को खींचकर रजाई के बाहर कर लिया।

मेरे पती के रजाई के बाहर जाते ही उनको पता चल गया कि, हम दोनों ही नंगे ही सो रहे थे। और तभी उन दोनों को हल्के से मेरे उरोजों के दर्शन भी हो गए थे। तो उन्होंने अपना मोर्चा मेरी तरफ घुमाया, और मेरे पास आकर मुझसे तिजोरी के बारे में पूछने लगे। जब मैंने कहा कि, मुझे कुछ नही पता, तो उन्होंने मेरे बदन से रजाई खींच ली और अब मै नंगी ही उनके सामने आ गई।

मेरा नंगा बदन उनके सामने आते ही वो दोनों चोरों के मुंह से लार टपकने लगी थी। और दोनों ही मुझे खा जाने वाली नजरों से देखते हुए अपने अपने लंड को पैंट के ऊपर से ही मसलने लगे थे।

तभी उन दोनों में से एक ने आगे बढकर एक हाथ मेरे स्तनों पर रख दिया, मै उन पर चिल्लाने ही वाली थी कि, उनमें से एक नए मेरे पती के गले पर चाकू रख दिया। और मुझे धमकी दे दी, कि अगर मै चिल्लाई, तो वो मेरे पती का गला काट देंगे। तो मै डर के मारे चुप ही रही। मेरे चुप रहने से उसकी हिम्मत और बढ गई, और वो बिस्तर पर मेरे पास आकर मेरे स्तनों को अपने हाथों में लेकर देखने लगा। ऐसा लग रहा था, जैसे वो उनका साइज नाप रहा हो। तभी जो दूसरा चोर था, जिसने मेरे पती के गले पर चाकू रखा था, उसने रस्सी निकालकर मेरे पती के हाथ-पैर बांध दिए और मुंह पर भी टेप लगा दिया। जिससे अब मेरे पती कुछ नही कर सकते थे।

अब दोनों मेरे पास आकर मेरे बदन को इधर उधर छूने लगे। मै पहले से ही डरी हुई थी, तो उनमें से एक ने कहा, "डरो मत, हम तुम्हे कुछ नही करेंगे। वो तो तुम्हे इस नंगी हालत में देखकर हम खुद को रोक नही पा रहे, इसलिए और तुम हो भी इतनी सुंदर। बस एक बार हम तुम्हें चोदना चाहते है। तो तुम भी मजे से अपनी चुत चुदवा लो।"

मै बस बिस्तर पर चुपचाप लेटी रही। तो एक नए अपने चेहरे का नकाब हटा लिया और मेरे स्तनों को मसलते हुए उन्हें अपने मुंह मे भरकर चूसने लगा। तो दूसरे ने मेरी चुत के आसपास के हिस्से को सहलाते हुए मेरी जांघो को एक-दूसरे से दूर करके मेरी चुत में अपनी एक उंगली घुसा दी।
मेरी चुत में उंगली घुसाते ही मेरी कमर अपने आप उछल सी गई। और मेरे मुंह से एक हल्की सी सिसकारी निकल गई। थोडी देर बाद दोनों चोरों ने अपने अपने नकाब चेहरे से हटा लिए और एक ने अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिए।

तो दूसरे ने अपने उंगलियों से मेरी चुत को फैलाकर अपने होठों से मेरी चुत की फांकों को पकड कर चूसने लगा। मुझे डर भी लग रहा था, और मै इस कल्पना से उत्तेजित भी हो रही थी कि, आज मै दो चोरों से चुदने जा रही हूं। तभी एक ने उठकर अपने पैंट को नीचे खिसका लिया, जिससे उसका लौडा बाहर आ जाए। लौडा बाहर आते ही उसने उसे हाथ मे लेकर हिलाते हुए मेरे मुंह मे ठूंस दिया।

अब मुझे वो जबरदस्ती अपना लौडा चुसवा रहा था,तो दूसरा अब भी मेरी चुत चूसने में मस्त था। अब धीरे धीरे मै भी गर्म होते जा रही थी। और इसी के साथ मेरी चुत भी पानी बहाने लगी थी। जो मेरी चुत चाट रहा था, उसने अपनी एक उंगली मेरे गांड में घुसा दी। मैने पहले भी गांड बहुत बार मरवाई थी, लेकिन आज ऐसे अचानक ही उसने अपनी उंगली गांड में घुसाई तो मै बस गुँ गुँ की आवाज करके रह गई। अब मेरे तीनों छेद उनके हवाले थे। मुंह मे एक नए लौडा ठूंस रखा था, गांड के छेद में उंगली अंदर बाहर हो रही थी, और चुत में जीभ चल रही थी।

तभी उनमें से एक बोला, "चल अब बस हो गया, जल्दी से इसे चोद देते है, और फिर निकल लेंगे। कोई जग गया तो हल्ला हो जाएगा।"

इस बात पर दूसरे चोर ने भी सहमती जताते हुए हां कहा। उन दो चोरों में से एक नीचे बिस्तर पर सीधा लेट गया, और दूसरा मुझे उसके लंड के ऊपर बिठा रहा था। उसका लंड काफी मोटा था, तो वो लंड चुत में जाने से थोडी सी तकलीफ हुई, लेकिन आखिरकार उसका लंड चुत के अंदर चला ही गया।

लंड पूरा चुत में घुसने के बाद, थोडी देर तक वो दोनों चुप रहे और फिर दूसरे चोर ने मेरे पीछे आकर मेरी गांड को ऊपर की ओर उठाया, और उसके छेद पर अपना लंड रखकर एक जोर का धक्का लगा दिया। इससे अब दोनों के लंड मेरे अंदर शामिल हो गए, और अब मै उन दोनों के बीच पूरी तरह से सैंडविच बन चुकी थी।

उन दोनों चोरों ने मुझ पर जरा भी रहम नही दिखाया और जोर जोर से धक्के मारते हुए, मुझे चोदने लगे। यह मै पहली बार दो लन्डो से एक साथ चुद रही थी। जैसे ही मेरी चुत से एक लंड थोडा सा बाहर निकलता, वैसे ही मेरी गांड में दूसरा घुस जाता। थोडी देर इस पोजीशन में मुझे चोदने के बाद उन दोनों ने आपस मे पोजिशन बदलने की सोचकर वो दोनों उठ गए। दोनों लंड मेरी चुत से बाहर निकलते ही एक राहत सी मिली। अब आगे वाला चोर पीछे मेरी गांड में अपना लंड डालने लगा, और पीछे वाला आगे मेरी चुत में।

अब मेरा शरीर भी अकडने लगा था, उनके कुछ धक्के और लगाने के बाद मै झड गई। मेरे झडने के बाद मुझे चुत में जलन होने लगी थी। इसलिए मैने उनसे कहा, चुत में से लंड बाहर निकाल लो, मुझे वहां जलन हो रही है। लेकिन वो मेरी बात सुनने को तैयार ही नही थे। मै फिर ऐसे ही दर्द सहते हुए लेटी रही, और कुछ धक्के लगाने के बाद उन्होंने अपने अपने लंड बाहर निकाल लिए और दोनों ने मिलकर मुझे बिस्तर पर बिठा दिया।

अब वो मेरे सामने खडे होकर मुझे उनके लंड चूसने को बोल रहे थे। मै बारी बारी से दोनों के लंड चूसे जा रही थी। काफी देर बाद, दोनों ने अपनी अपनी पिचकारियां मेरे मुंह मे ही छोड दी। और मुझे मजबूरन उनका वीर्य पीना पडा।
फिर उन्होंने अपने आप को ठीक किया और मेरे घर से निकल गए। उनके जाने के बाद मैंने अपने पती को छुडाया और उनके गले लिपटकर रोने लगी।

आपको यह कहानी कैसी लगी, हमे कमेंट करके जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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