छत पर चांद नजर आ गया

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Antarvasna, desi kahani: मेरी बहन की शादी धूमधाम से हुई और फिर वह अपने ससुराल जा चुकी थी मेरी बहन की शादी की तैयारियों में हम लोग काफी समय से लगे हुए थे और अब उसकी शादी हो चुकी थी। कुछ दिनों तक तो घर में बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा लेकिन धीरे धीरे सबको आदत होने लगी थी और मेरी बहन की शादी हो जाने के बाद घर में मुझे ही पापा और मम्मी की ज्यादा देखभाल करनी पड़ रही थी। पापा को रिटायर हुए भी काफी साल हो चुके हैं और पापा ज्यादा समय घर पर ही रहते हैं। मैं जब अपने ऑफिस से लौटता तो मुझे कुछ समय पापा और मम्मी के साथ बैठकर बातें करना अच्छा लगता है। हम लोगों ने सोचा कि क्यों ना कुछ दिनों के लिए हम लोग कहीं घूम आए पापा और मम्मी भी इस बात के लिए तैयार थे और मैंने जब उन्हें अपने साथ शिमला चलने के लिए कहा तो वह लोग भी तैयार हो गए। शिमला में ही हमारे एक रिश्तेदार रहते हैं उन लोगों से भी हमारी काफी समय से मुलाकात हो नहीं पाई थी तो पापा ने उन्हें फोन किया और उसने बात की। पापा ने उन्हें बताया कि हम लोग शिमला आ रहे हैं उन्होंने पापा से कहा कि आप लोग हमारे घर पर ही रुक जाइए लेकिन पापा ने मना किया और कहा कि नहीं हम लोगों ने होटल में बुकिंग करवाली है।

पापा नहीं चाहते थे कि हमारी वजह से उन लोगो को किसी भी प्रकार का कोई कष्ट हो। हम लोग शिमला जाने की तैयारी में थे और जब हम लोग शिमला गए तो वहां पर काफी ज्यादा ठंड थी और मौसम काफी ज्यादा सुहावना था। मैं काफी खुश था और पापा मम्मी भी बहुत ज्यादा खुश थे हम लोग काफी लंबे समय बाद कहीं घूमने के लिए गए थे। जब हम लोग शिमला पहुंचे तो उस दिन हमारे रिलेटिव का फोन आया और उन्होंने हमें अपने घर पर डिनर के लिए इनवाइट किया तो हम लोग उस दिन उनके घर पर ही डिनर के लिए चले गए। हम उनके घर डिनर पर गए तो मुझे उनसे मिलकर बहुत अच्छा लगा और पापा मम्मी भी बहुत खुश थे। डिनर करने के बाद हम लोग वापस लौट आए थे कुछ दिनों तक शिमला में रहने के बाद मुझे अच्छा लग रहा था और पापा मम्मी भी बहुत खुश थे और फिर हम लोग वापस लौट आए थे। हम लोग वापस लौट आए थे उसके बाद मैं अपनी जॉब पर सुबह के वक्त चला जाता और शाम को घर लौट आता क्योंकि ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम था इसलिए मुझे बिल्कुल भी समय नहीं मिल पा रहा था। काफी दिनों से मैं कुछ ज्यादा ही बिजी था इसलिए मुझे बिल्कुल भी अपने लिए समय नहीं मिल पा रहा था।

एक दिन मैं घर लौटा तो उस दिन पापा ने मुझसे कहा कि बेटा तुम ऑफिस से आते वक्त मेरे लिए दवाई ले आना, पापा की दवाइयां खत्म हो चुकी थी तो मैं उनके लिए दवाइयां ले आया था। मैं घर पहुंचा और उस दिन मैं डिनर करने के बाद जल्दी सो गया था क्योंकि अगले दिन मुझे अपने ऑफिस जल्दी जाना था और मैं काफी ज्यादा थका हुआ भी था। मुझे बहुत ज्यादा थकान महसूस हो रही थी और बहुत तेज नींद भी आ रही थी तो जल्दी सो गया। मैं अगले दिन अपने ऑफिस गया जब मैं ऑफिस गया तो मुझे उस दिन ऑफिस में कुछ ज्यादा ही काम था और मैं अपना काम खत्म करने के बाद जब शाम को घर लौटा तो मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं थी इसलिए मैंने उस दिन घर पर ही आराम किया। अगले दिन भी मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा था तो पापा ने मुझे कहा कि बेटा तुम्हे डॉक्टर के पास चले जाना चाहिए। मैंने भी सोचा कि क्यों ना मैं डॉक्टर के पास चला जाऊं और उस दिन मैं अपने ही घर के पास क्लीनिक में चला गया। जब मैं वहां पर गया तो डॉक्टर ने मुझे बताया कि तुम्हें काफी तेज बुखार है उन्होंने मुझे दवा भी दी और जब उन्होंने मुझे दवाई दी तो मैं वापस अपने घर लौट आया था। मैं घर लौटा तो मैंने सोचा कि कुछ देर मैं आराम कर लेता हूं, मैं दवा खा कर लेट गया और मुझे बहुत गहरी नींद आ गई। दो दिन तक मुझे घर पर ही आराम करना पड़ा और फिर मैं ठीक हो चुका था, कुछ ही दिन में मैं पूरी तरीके से ठीक हो चुका था और मैं अपने ऑफिस जाने लगा था। मैं अपने ऑफिस जाने लगा था और जब उस दिन मैं ऑफिस से घर लौटा तो पापा ने मुझे कहा कि बेटा आज हम लोग हमारी फैमिली फ्रेंड के घर जा रहे हैं। मैंने पापा से कहा कि लेकिन मैं आप लोगों के साथ नहीं आ पाऊंगा तो पापा और मम्मी कहने लगे कि बेटा तुम भी हमारे साथ चल लो लेकिन मैंने उन्हें मना कर दिया क्योंकि मेरा मन कहीं भी जाने का नहीं था तो पापा और मम्मी दोनों ही चले गए। मैं घर पर अकेला था मां ने मेरे लिए खाना बना दिया था और उसके बाद पापा और मम्मी चले गए थे वह लोग चले गए और मैं घर पर अकेला ही था। मैं अपने रूम में लेटा हुआ था और अपने मोबाइल में मैं गेम खेल रहा था उस दिन मेरे दोस्त का मुझे फोन आया और काफी देर तक मैंने उससे बात की।

हम लोगों की उस दिन काफी देर तक बात हुई और फिर थोड़ी देर बाद मैंने फोन रख दिया था। मुझे नींद नहीं आ रही थी और पापा मम्मी भी आए नहीं थे मैंने जब घड़ी में टाइम देखा तो उस वक्त 10:00 बज रहे थे मुझे बिल्कुल भी नींद नहीं आ रही थी इसलिए मैं छत पर चला गया। मैं जब छत पर गया तो वहां पर मैं कुछ देर टहल रहा था फिर मैं छत के कोने में बैठ गया, मौसम बहुत ही अच्छा था और आसमान में तारे लगे हुए थे मैं आसमान की तरफ देख रहा था और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं अपने बचपन में खो गया हूं। मैं अपने बचपन की यादों को ताजा कर रहा था जब मैं और मेरी बहन छत पर सितारों को देखा करते थे। मैं छत में तारों को देख रहा था। जब मेरी नजर सामने वाली छत पर पड़ी तो मैंने देखा सामने ही एक सुंदर सी लड़की खड़ी है। उसके खुले बाल उसकी बड़ी आंखें देखकर मेरी आंखें सिर्फ उसे ही देख रही थी। उस दिन मैंने उसे पहली बार देखा। अब मै नीचे चला आया था। अब मैं उस लड़की के बारे में जानने के लिए बेताब था जब मुझे उसके बारे में पता चला तो मैं काफी खुश हो गया था मुझे उसका नाम भी मालूम चल चुका था उसका नाम रचना है।

रचना हमारे पड़ोस में जो अंकल रहते हैं उनके रिश्तेदार की बेटी है वह कुछ दिनों के लिए उनके घर आई हुई थी। मैं काफी ज्यादा खुश था अब मैंने रचना से किसी तरीके से बात कर ली। रचना से मेरी बातें होने लगी अब हम दोनों एक दूसरे से खुलकर बातें करने लगे थे। रचना भी हमारे घर पर आने लगी थी। एक दिन रचना को मैंने घर पर बुलाया। जब मैंने उसे घर पर बुलाया तो उस दिन रचना अच्छे से जानती थी कि हम दोनों के बीच शारीरिक संबंध बनने वाला है इसीलिए वह मेरे पास आई थी शायद वह मेरे लिए तड़पती रही थी। जब मैंने अपने लंड को रचना के सामने किया तो रचना को भी इस बात से कोई एतराज नहीं था उसने मेरे मोटा लंड को अपने हाथों में लेकर उसे हिलाना शुरू किया और बडे अच्छे तरीके से वह मेरे लंड को हिलाए जा रही थी। जब रचना ने ऐसा किया तो मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था मैंने रचना को कहा मेरे अंदर की आग बढ़ती जा रही है। मेरे अंदर की आग बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी जब रचना ने मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया था। जब रचना ऐसा कर रही थी तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने रचना से कहा मैं तुम्हारे कपड़े उतारकर तुम्हारे बदन को महसूस करना चाहता हूं। रचना ने कहा तुम मेरे कपड़े उतार दो।

मैंने रचना के कपड़े उतार लिए जब मैंने रचना के कपड़े उतारे तो मैंने रचना के स्तनों का रसपान करना शुरू किया। रचना के स्तनों को चूसकर मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था मेरे अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ती जा रही थी और रचना भी बहुत ज्यादा उत्तेजित होती जा रही थी। अब हम दोनों ही पूरी तरीके से उत्तेजित हो गए थे। मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था। मैंने रचना से कहा मेरा लंड पूरी तरीके से तन कर खड़ा हो चुका है और वह तुम्हारी चूत में जाने के लिए बेताब है। रचना ने अपने पैरों को चौड़ा कर लिया और मैंने रचना की योनि के अंदर अपने लंड को घुसा दिया था। जब मैंने रचना की योनि में लंड को घुसाया तो वह जोर से चिल्लाई और बोली मेरी चूत से खून निकल आया है। रचना ने इस से पहले कभी किसी के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाए थे। जिस तरह से वह मजा ले रही थी उससे मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था और मेरे अंदर की गर्मी बढ़ती जा रही थी। मेरे अंदर की आग बहुत ही ज्यादा बढ़ चुकी थी मैंने रचना को कहा मेरे अंदर की आग बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है। रचना मुझे कहने लगी मुझे लग रहा है मैं अब ज्यादा देर तक तुम्हारा साथ दे ना पाऊंगी।

रचना ने मुझे अपने पैरों के बीच में जकडना शुरू कर दिया। मुझे एहसास हो चुका था मेरा माल गिरने वाला है मैंने अपने माल को गिराकर रचना की चूत की खुजली को मिटा दिया था रचना बहुत ज्यादा खुश हो गई थी। जब मैंने रचना की चूत की खुजली को मिटा दिया था तो हम दोनों ही बहुत ज्यादा खुश थे। हम दोनों को बहुत ही ज्यादा मजा आया जब हम दोनों ने एक दूसरे के साथ सेक्स का जमकर मजा लिया। उसके बाद भी मेरे और रचना के संबंध कई बार बने लेकिन अब रचना अपने घर वापस लौट चुकी है। हम दोनों की फोन पर बातें होती हैं जब भी हम दोनों की फोन पर अश्लील बातें होती है तो मेरा माल रचना से बात कर के ही गिर जाया करता है।
 
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