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नमस्कार मित्रों यह कहानी मेरी काल्पनिक कहानी है, जिसे सोचकर मैने न जाने कितनी बार आने हाथों से काम चलाया है। इस कहानी में पढिए कैसे मैने अपनी प्रेमिका के साथ खुले में ही जंगल मे मंगल किया। खुले में चुदाई करने का अपना ही एक अलग मजा होता है। जिन्होंने भी खुले में चुदाई करने का लुफ्त उठाया है, वो समझ सकते है कि मै किस मजे की बात कर रहा हूं। यह कहानी मेरी और मेरी प्रेमिका के बीच की है। हम ऐसे ही दोनों छूट्टियों में हम घूमने के लिए केरला गए हुए थे।
मै और मेरी प्रेमिका पिछले तीन सालों से रिलेशनशिप में है। और अब तक हम दोनों के बीच सब कुछ हो चुका था। मै और मेरी प्रेमिका दोनों एक ही कंपनी में नौकरी करते थे। तो हम साथ ही ऑफिस जाते और एक साथ ही घर आ जाते। तो इसी वजह से हम ज्यादा तर समय एक दूसरे के साथ ही होते थे। मेरी प्रेमिका का नाम मीनल है, और मै प्यार से उसे मीनू बुलाता हूं। मीनू का रंग गोरा है, और फिगर ऐसा है जिसे एक बार देखने के बाद बार बार देखने का मन करता रहेगा। अब तक मैने उसका हर एक रूप देखा हुआ था,नींद में सोते समय से लेकर के गुस्से में मुंह फुलाकर बैठ जाने तक।
हम दोनों ही अपने जीवन मे बहुत खुश थे, और सब कुछ बढिया चल रहा था। एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट की वजह से, बहुत दिनों से हमें आफिस से छूट्टी नही मिल पा रही थी। लेकिन उस प्रोजेक्ट के खत्म होते ही मैने बॉस से बात करके पांच दिनों की छुट्टी ले ली, और केरला घूमने जाने का प्लान बना लिया। यह प्लान मेरी मीनू के लिए सरप्राइज था। उसे पता नही था कि, मैने बॉस से छूट्टी लेकर घूमने जाने का प्लान भी बना लिया। दो दिन बाद हमे निकलना था, तो मैंने उस दिन ऑफिस से लौटने के बाद मीनू को बता दिया, कि मैने बॉस से बात कर ली है। और परसो हम घूमने जा रहे है, जगह अभी नही बता सकता क्योंकि वह तुम्हारे लिए सरप्राइज है।
फिर ठीक समय पर हम दोनों तैयार होकर रात की बस से निकल पडे। बस ने आधा रास्ता तय करने के बाद, मीनू को पता चला कि, हम केरला जा रहे है। तो उसने खुशी से मुझे गले लगाकर मेरे गाल पर चुम लिया। मीनू की बहुत दिनों से इच्छा थी कि, हम केरला जाएं और वहां के हिलस्टेशन घूम आए। उसी के लिए मैने यह प्लान बनाया था। एक रात का सफर करने के बाद हम अपने होटल में पहुंच गए। मैने होटल पहले से ही ऑनलाइन बुक करवा कर रखा था। तो हमे बस वहां जाकर रूम की चाबी लेनी थी, और सीधे अपने कमरे में जाना था।
बस में हम रातभर के सफर के बाद थोडा थक सा गए थे, तो मीनू ने थोडा आराम करना चाहा। मै जल्दी से फ्रेश हो गया और हम दोनों के लिए खाने को कुछ हल्का सा कमरे में ही मंगवा लिया। खाना खाने के बाद मीनू भी फ्रेश होने चली गई, और मैने होटल से एक कैब मंगवाई जिससे हम आसपास के इलाके में घूम सके। मीनू के तैयार होते ही हम दोनों कैब में घूमने के लिए निकल पडे। मैने पहले ही कैब ड्राइवर से अच्छे से बात करके उसे समझा दिया कि, हमे कैसी जगह घूमनी है, और कौन सी जगह कितनी देर तक रुकना है। यह सब उसे ठीक से समझाकर मैने उसके हाथ मे कुछ पैसे भी पकडा दिए।
पहले तो उस कैब ड्राइवर ने हमे कुछ पहाड दिखाए, फिर वहां के जो व्यू पॉइंट थे, वो दिखाए। ड्राइवर हमे हर जगह से जल्दी निकलने के लिए बोलता, क्योंकि इतने कम समय मे सारी जगह नही हो पाती, लेकिन मैने उसे रुकने के लिए पहले ही बोल दिया था। तो उसने उस बात पर कुछ नही कहा। उस दिन पूरा शहर घूमने के बाद अगले दिन हम कहीं और जाने का प्लान कर रहे थे।
अब हम घूमकर वापस होटल की तरफ जाने लगे थे, तभी कैब ड्राइवर ने गाडी एक साइड में रोककर मुझे कहा, "साहब आप बोल रहे थे ना, यह बिल्कुल वैसी ही जगह है। अगर आप चाहो तो आप यह जंगल घूमकर आ सकते हो एक घण्टे में, मै यहीं पर रहूंगा।"
मैने मीनू की तरफ देखा तो उसने हां कर दी। फिर मैने कैब ड्राइवर की जेब मे एक पांच सौ का नोट घुसा दिया, और उसे जल्दी आने का कहकर मीनू और मै उस जंगल मे घुस गए। अभी शाम का समय था, और अंधेरा होना अभी शुरू नही हुआ था। बस सूरज की धूप कम हो गई थी।
जंगल मे थोडा आगे अंदर की ओर जाते ही एक छोटा सा झरना था, जहां हम फोटो सेशन के लिए रुके, और वहां अलग अलग तरीके से फोटोज खींच ली। फोटोज खींचने के बाद, मैने मीनू को पकडकर अपने पास खींच लिया। मीनू भी किसी लता की तरह मुझे पूरा लिपट गई।
मीनू के लिपटते ही मैने मीनू के सर के पीछे हाथ ले जाकर उसके बंधे हुए बालों को खोल दिया। और फिर उसके सर के पीछे से उसे अपनी ओर खींचते हुए उसके नर्म गुलाब जैसे होठों पर अपने होंठ रखकर मै उसका रसपान करने लगा। वो भी मदमस्त होकर मेरा साथ दे रही थी। उसके लबों को चूमते हुए ही मैने उसकी तरफ देखा, तो वो अपनी आंखें बंद करके मेरे होठों को चूम रही थी। अब हम दोनों ही एक-दूसरे के कपडों के ऊपर से ही बदन को सहलाते हुए पूरे शरीर पर हाथ घुमा रहे थे। कभी वो मेरे छाती पर हाथ घूमाते हुए वहां भी चुम लेती।
अभी अंधेरा होना शुरू हो चुका था, और हम एक सुनसान जंगल के अंदर थे, तो हमे थोडी जल्दी दिखाकर जल्द ही यहां से बाहर निकलना था। मैने अब मीनू के टॉप के ऊपर से ही उसके स्तनों को मसलना शुरू कर दिया। मीनू भी अब धीरे धीरे गर्म होती जा रही थी, और उसके मुंह से भी अब कामुक आवाजें निकलने लगी थी। मीनू की कामुक आवाजें सुनकर मेरा जोश और बढ गया, और मै उसके स्तनों को और जोर से मसलने लगा। मीनू के स्तन एकदम मुलायम थे, उन्हें दबाते ही ऐसा लगता जैसे आप रुई को दबा रहे हो, इतने मुलायम होने के बावजूद भी उनमें कहीं से भी कोई ढीलापन नही था।
खुले में होने की वजह से शुरू में मीनू थोडा घबराई हुई थी, लेकिन फिर धीरे धीरे मीनू भी खुलने लगी थी। वो अब मेरी पीठ से अपना हाथ हटाकर मेरे लंड का नाप लेने लगी। तो मैंने भी अपना एक हाथ उसकी चूचियों से हटाकर उसकी चुत पर रख दिया। उसकी चुत तो बहुत ही गरम थी, ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने गर्म भट्टी में हाथ डाल दिया हो। उसकी चुत पर हाथ रखते ही उसने अपनी कमर उचका दी, वो कहना चाह रही थी कि, जल्दी कुछ करो, मै अपनी चुत की आग में जल रही हूं। तो मैने भी उसकी चुत को अपनी हथेली में भींच दिया।
अब उसने भी देर न करते हुए मेरे पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को अपने हाथ मे लेकर सहलाने लगी। फिर उसने अपना एक हाथ ऊपर ले आकर मेरे शर्ट के बटन खोलना शुरू कर दिया। मैने भी उसकी हेल्प करने के लिए अपनी शर्ट उतारने लगा। यह सब हम खुले आसमान के नीचे कर रहे थे, और ठंडी ठंडी हवाएं हमारे शरीर को छू रही थी, जिस वजह से अचानक से पूरे शरीर मे सिरहन सी दौड जाती थी। थोडी ही देर में उसने मेरी शर्ट और पैंट दोनों उतार दिए, और अब मै सिर्फ चड्डी में उसके सामने खडा था। वो अब चड्डी के ऊपर से मेरे लंड को पकडकर अपनी चुत के ऊपर रखना चाहती थी।
मैने भी उसे अपने पास खींचकर उसके टॉप के अंदर हाथ घुसाकर ब्रा के ऊपर से उसकी चुचियां दबाते हुए उसका टॉप निकाल दिया। और फिर अपने घुटनों के बल बैठकर मीनू की कमर पर चूमते हुए मै उसकी पैंट उतारने लगा। जैसे जैसे मै उसकी पैंट नीचे की ओर खिसकाता वैसे उसकी नंगी टांगे मेरे सामने आ रही थी। जिन्हें देखकर मै खुद को रोक नही पाया और उन पर चुम्बन देते हुए मैने उसकी पैंट पूरी उतार दी। पैंट के बाद ही मैने उसकी पंतिको बगल में करके उसकी चुत में उंगली कर दी।
तभी उसने खुद ही अपनी ब्रा का हुक खोलकर ब्रा को निकाल दिया और मैने नीचे से उसकी पैंटी को नीचे खींचकर उसके पैरों से अलग कर दिया। अब मीनू पूरी नंगी थी, तो मैंने वहां एक पत्थर देखकर उस पर उसे बिठाया और अपनी चड्डी उतारकर, लंड को हाथ मे लिए हुए उसके सामने खडा हो गया। उसने भी लंड को मुंह मे लेकर चूसने में देर नही लगाई। वह मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। और बीच बीच मे मेरे टट्टों को भी सहला देती थी।
थोडी देर लंड चुसवाने के बाद मैने उसकी चुत चुसाई की, और फिर तुरंत ही उसके एक पैर को अपने हाथ मे पकडकर अपने लंड को उसकी चुत में पेल दिया। मेरी मीनू को वहां पत्थर पर बिठाकर ही मै उसे चोदे जा रहा था। उसकी चुत में लंड डाले हुए मै उसके स्तनों को अपने मुंह मे भरकर चूस रहा था, और वो अपने मुंह से सिसकारियां निकाले जा रही थी। उपर से जंगल की ठंडी हवा हमारी जान निकाले जा रही थी। लेकिन जो मजा खुले आसमान के नीचे चुदाई करने में आ रहा था, इसका तोल किसी भी सुख से नही है।
हमने वहां जंगल मे उसी समय तीन-चार अलग अलग आसनों में चुदाई की। और आखिर में जब दोनों का पानी निकल गया, फिर प्यार से एक-दूसरे को चूमकर हमने कपडे पहने। और जंगल के बाहर अपनी कैब की तरफ निकल पडे। कैब में पहुंचने के बाद, ड्राइवर भी हमारी तरफ देखकर हंस रहा था।
आपको यह कहानी कैसी लगी, हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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