टॉयलेट में कपल सेक्स

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Toilet Mein Couple Sex

मेरे प्यारे भाइयों को मेरा नमस्कार। मेरा नाम अजित सिंह (उम्र २२) है। मैं मस्तमौला किसम का इंसान हूँ। मैंने अपनी ज़िन्दगी में कभी भी टेंशन लिया नहीं है। अभी तक मैंने सिर्फ़ ज़िंदगी का ख़ुल्के मज़ा लिया है।

फिलहाल तो मैं नौकरी ढूँढ रहा हूँ और आजकल फुर्सत मिली है, इसलिए मैंने सोचा कि कामुक कहानी लिखकर थोड़ा मनोरंजन किया जाए।

कॉलेज के दिनों में मेरा एक ग्रुप हुआ करता था जिसमें एक कपल भी था। उस कपल में लड़का था मेरा दोस्त हिमांशु और लड़की थी उसकी गर्लफ्रेंड राधिका। कॉलेज में तो हम सब साथ मिलकर आवारागर्दी किया करते थे।

राधिका का स्वभाव था कि वह अपनी सुंदरता को केवल हिमांशु तक सीमित नहीं रखना चाहती थी। वह सभी लड़कों को अपनी हरकतों से उकसाती थी।

कभी अपनी टाइट कॉटन पैंट में अपनी सुडौल गाँड़ मटककर चलना, पैंट को जानबूझकर अपनी गाँड़ की दरार में फ़साकर चलना, तो कभी लूज़ टी-शर्ट पहनकर सामने से आने वाले लड़के या लड़कों के ग्रुप के सामने झुकना।

उसकी चंचल हरकतों की वज़ह से हिमांशु और राधिका में अक्सर लड़ाई होती रहती थी। लेकिन बाद में मुझे मालुम पड़ा कि राधिका वैसी ठरकी हरक़ते हिमांशु के कहने पर किया करती थी।

दूसरे लड़कों का राधिका के बदन को देखकर गंदी बातें करना, यह हिमांशु को उत्तेजित करता था। यह बात मुझे इस तरह मालुम पड़ा था। एक बार हुआ यूँ कि क्लास में राधिका आगे झुककर बैठी थी।

उसकी टी-शर्ट टाइट होने की वज़ह से उसकी नीली पैंटी के दर्शन होने लगे थे। मैंने देखा कि पीछे बैठे सभी लड़के भूखे भेड़ियों की तरह राधिका की गाँड़ को ताड़ रहे थे। जब राधिका और आगे झुकी, तब उसकी गाँड़ की दरार का ऊपर का हिस्सा दिखने लगा था।

पीछे बैठे सभी लड़के अपने लौड़े पर हाथ रखकर हवस की वज़ह से उत्तेजित हो रहे थे। सच कहुँ तो अपने दोस्त की गर्लफ्रेंड को वैसे देखकर मेरा भी लौड़ा तनकर खड़ा हो गया था। क्लास ख़तम हो जाने के बाद, राधिका और हिमांशु बाहर चले गए।

मैं भी उनके पीछे चला गया, क्यूँकि मैं हिमांशु से अकेले मिलकर उसे समझाना चाहता था कि राधिका की हरकते ठीक नहीं है। वह दोनों कैंटीन में चले गए थे। कैंटीन के अंदर जाकर मैंने देखा कि वह दोनों टॉयलेट रूम की तरफ़ जा रहे थे।

टॉयलेट रूम में अलग-अलग दिशा में जाने के बजाए, दोनों जेंट्स टॉयलेट में घुस गए थे। मैं हैरान होकर जेंट्स टॉयलेट के अंदर चला गया। अंदर पहुँचकर मैंने देखा कि वह दोनों एक टॉयलेट ब्लॉक में घुस गए थे। मैं भी बगल वाले ब्लॉक में दबे पाँव चलकर घुस गया और उन दोनों की बातों को सुनने लगा।

[हिमांशु:] सब तेरी गाँड़ को देखकर काफ़ी उत्तेजित हो गए थे। अगर तू अपनी गाँड़ की दरार को उँगली से घिसती, तो सब वहीं पर हस्तमैथुन करने लग जाते।

[राधिका:] तेरा लौड़ा को यह सब देखकर ही खड़ा होता है न? देखूँ ज़रा क्या हाल है उसका।

[हिमांशु:] अरे उसे तू बाद में देख पहले इधर आ तू। मुझसे और रहा नहीं जा रहा।

मैंने अपना मोबाइल फ़ोन निकालकर कैमरा चालू किया और चुपके से ब्लॉक के ऊपर पकड़कर खड़ा हो गया। अपने मोबाइल फ़ोन की स्क्रीन से मैं देख रहा था कि हिमांशु और राधिका एक दूसरे को बाहों में भरकर अपने बदन को दबा रहे थे।

हिमांशु ने राधिका को उठाकर उसे उसके जाँघों से पकड़कर अपने ऊपर ले लिया और टॉयलेट सीट पर बैठ गया। राधिका और हिमांशु, दोनों एक दूसरे की ज़ुबान को मुँह में भरकर चुम्मियाँ लेने लगे थे।

राधिका की जींस पैंट के अंदर हाथ घुसाकर हिमांशु उसके गोरे नितम्बों को अपने हाथों से मसल रहा था। राधिका भी मस्त होकर सिसकियाँ लेने लगी थी। उसने अपनी टाइट टी-शर्ट को उतारकर अपनी मोटी चूचियों को हिमांशु के चेहरे पर दबाने लगी।

थोड़ी देर बाद, हिमांशु ने राधिका को नीचे टॉयलेट फ़्लोर पर उतार दिया और अपने कपड़े उतारकर अपने लौड़े को बाहर निकाल दिया। राधिका हिमांशु के मोटे और काले लौड़े को पकड़कर हिलाने लगी। जब उसका लौड़ा पूरी तरह तनकर खड़ा हो गया, तब राधिका ने उसे अपने मुँह में ड़ालकर चूसना शुरू किया।

वह पैरों के बल बैठकर हिमांशु के लौड़े को हिलाते हुए चूस रही थी। हिमांशु राधिका के चेहरे पकड़कर उसके मुँह में लौड़ा अंदर-बाहर घुसा रहा था। राधिका भी उत्तेजित होकर अपनी चूत की दरार पर उँगली घिसने लगी थी।

राधिका हिमांशु की गोटियों को मुँह में भरकर चूसने लगी थी। हिमांशु अपनी आँखें बंद करके राधिका के बालों को पकड़कर अपना उत्साह जाता रहा था । राधिका अपने उँगलियों को हिमांशु की काली गाँड़ की दरार के बिच फ़साकर उसे उकसाह रही थी।

थोड़ी देर बाद, राधिका खड़ी हो गई और अपनी पैंटी को उतारने लगी। उसकी गाँड़ का नक्शा देखकर हिमांशु ने उसके मोटे चूतड़ों पर थप्पड़ मार दिया। राधिका की गाँड़ को पकड़कर हिमांशु ने उसे अपनी तरफ़ खींच लिया।

उसकी गाँड़ को दबाते हुए हिमांशु उसकी चूचियों को एक-एक करके अपने मुँह में भरकर चूस रहा था। राधिका की गाँड़ की दरार में अपनी उँगली फ़साकर हिमांशु ने उसके चूतड़ को फ़ैलाना शुरू किया था।

कुछ देर उसकी गाँड़ की छेद में उँगली घुसाने के बाद, हिमांशु ने राधिका को फ़िरसे उसकी गाँड़ से पकड़कर उठा लिया। राधिका ने हिमांशु का खड़ा हुआ लौड़ा पकड़ा और उसे अपनी चूत की दरार पर घिसना शुरू किया।

उसने मोटे लौड़े को अपनी चूत के अंदर धीरे से घुसा दिया और अपनी चूचियों को पकड़कर हिमांशु के मुँह पर घिसने लगी। हिमांशु राधिका की गाँड़ पकड़कर उसे अपने मोटे और काले लौड़े पर ऊपर-नीचे करके उछालने लगा था।

उसका मोटा लौड़ा राधिका की गीली चूत में फ़िसलकर अंदर-बाहर हो रहा था। हिमांशु उसकी गाँड़ की छेद में अपनी दो उँगलियाँ घुसाकर उसे भी अंदर-बाहर कर रहा था। राधिका मस्त और गरम होकर 'उफ़ जान, ज़ोर से चोदो मुझे' ऐसे बोलकर सिसकियाँ लेने लगी थी।

हिमांशु राधिका को अपने मोटे लौड़े पर इतनी ज़ोर से पटककर उसकी चुदाई कर रहा था कि 'पच-पच' आवाज़ मुझे भी सुनाई दे रही थी। राधिका सिसकियाँ लेकर हिमांशु को उकसाह रही थी।

हिमांशु और तेज़ी से राधिका की गीली चूत में अपना लौड़ा घुसाकर उसे ऊपर- नीचे उछाल रहा था। कुछ देर बाद, हिमांशु ने अपना लौड़ा राधिका की चूत से निकाल दिया।

राधिका अपनी उँगली चाटकर अपनी गाँड़ की छेद को चौड़ा कर रही थी। उसने हिमांशु का मोटा और काला लौड़ा पकड़कर उसकी नोक को अपनी गाँड़ की छेद पर रख दिया। धीरे-धीरे ज़ोर ड़ालते हुए, हिमांशु ने अपना लौड़ा राधिका की गाँड़ में घुसा दिया।

अब हिमांशु राधिका के चूतड़ों फ़ैलाकर उसकी गाँड़ की छेद में अपना मोटा लौड़ा अंदर-बाहर कर रहा था। राधिका की चीख़े निकलने लगी थी। कोई उसकी आवाज़ न सुन ले, इसलिए हिमांशु ने उसके होंठों को अपने मुँह में भर दिया।

राधिका के होंठों को चूसते हुए हिमांशु ज़ोर-ज़ोर से उसकी गाँड़ की चुदाई करने लगा। कुछ देर बाद, हिमांशु ने राधिका को अपने ऊपर से उतार दिया। राधिका पैरों के बल नीचे बैठकर हिमांशु के मोटे लौड़े को अपने मुँह में ड़ालकर चूसने लगी थी।

अपने हाथों से वह अपनी चूत को फ़ैलाकर उसमें उँगली घुसाने लगी। कुछ देर बाद, राधिका को हिमांशु ने उठाकर टॉयलेट सीट पर उसके पैरों के बल बिठा दिया। राधिका अपने हाथों से अपनी चूतड़ फ़ैलाकर हिमांशु को उकसाह रही थी।

हिमांशु ने राधिका के चूतड़ पर थप्पड़ मारकर नीचे झुक गया और उसकी गाँड़ की दरार को चाटने लगे। राधिका की गाँड़ की छेद में थूक मारकर उसमें अपनी ज़ुबान घुसाने लगा।

उत्तेजना के मारे राधिका अपनी गाँड़ को ज़ोर-ज़ोर से हिमांशु के चेहरे पर रगड़ रही थी। हिमांशु खड़े हो गया और अपने लौड़े की नोक को राधिका की गाँड़ की दरार पर घिसना शुरू कर दिया।

राधिका की कमर पकड़कर हिमांशु उसकी गाँड़ की छेद में अपना मोटा लौड़ा घुसाने लगा था। ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारते हुए, हिमांशु सिसकियाँ लेकर राधिका की चुदाई कर रहा था।

हिमांशु आगे से उसकी चूचियाँ पकड़कर उसे दबाने लगा जिसकी वज़ह से राधिका की ज़ोर की चीख़ें निकलनी शुरू हो गई थी। हिमांशु ने अपना हाथ राधिका के मुँह पर रख दिया और ज़ोर-ज़ोर से उसकी गाँड़ की छेद में मोटा लौड़ा घुसाना जारी रखा।

थोड़ी देर और अपने मोटे और काले लौड़े को राधिका की गाँड़ की छेद में घुसाते हुए दोनों लोग उत्तेजित होकर सिसकियाँ लेने लगे। कुछ देर बाद, हिमांशु ने अपने मोटे और काले लौड़े को राधिका की गाँड़ के अंदर दबा दिया।

उसने अपने मोटे लौड़े का चिपचिपा पानी राधिका की गाँड़ की छेद के अंदर निकाल दिया। हिमांशु ने जैसे ही अपना लौड़ा राधिका की गाँड़ से निकाला, राधिका ने पाद मारकर लौड़े के माल को बाहर निकाल दिया।

हिमांशु ने सारा चिपचिपा पानी अपनी उँगली से राधिका की गाँड़ पर लगाकर उसे सहलाने लगा। थोड़ी देर बाद, दोनों अपने-अपने कपड़े पहनकर चुपचाप बाहर निकल गए।
 
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