तेल लगा लंड घुसेडा गरम गांड मे

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Antarvasna, hindi sex kahani: हमारे पड़ोस में एक महिला रहने के लिए आती हैं मैं अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर के अभी कुछ दिनों पहले ही नौकरी करने लगा था। जो महिला हमारे पड़ोस में रहने के लिए आई वह तलाकशुदा थी इसलिए हमारे आस पड़ोस के लोग उससे कभी भी बात नहीं किया करते थे। वह महिला भी किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी एक दो बार वह हमारे घर पर भी आई थी और हमारी ही कॉलोनी के कुछ शरारती तत्वों ने उसे परेशान भी किया था। वह बेवजह उसे परेशान किया करते थे एक दिन रात के वक्त उसके घर का दरवाजा कोई बड़ी जोर जोर से खटखटा रहा था तो वह मदद के लिए हमारे घर पर आई मेरी मम्मी ने कहा कि अवधेश बेटा देख कर आओ की क्या हुआ है। मैं जब वहां गया तो मुझे कुछ लड़के दिखाई दिए और वह उसके बाद वहां से भाग गए थे मुझे उस दिन इस बात का बहुत बुरा लगा और मैंने राधिका से कहा कि आप चिंता मत कीजिए वह लोग अब नहीं आएंगे लेकिन वह हमेशा ही इस चिंता में डूबी रहती थी कि क्या कभी वह अपनी जिंदगी में खुश भी रह पाएगी।

उनके साथ मैं कभी बैठा तो नहीं लेकिन एक दिन उनके साथ मुझे बात करने का मौका मिला मैंने जब उनसे बात की तो उस दिन मुझे उनसे बात कर के लगा कि वह बहुत ही ज्यादा दुखी और परेशान है। उनकी परेशानी का कारण सिर्फ उनका अकेलापन है वह एक अच्छी नौकरी पर थी लेकिन उसके बावजूद भी उनके जीवन में खुशियां नहीं थी मैं जब भी उनसे मिलता तो हमेशा उनसे बात किया करता था शायद इसी बात को हमारी कॉलोनी के लोगों ने कुछ ज्यादा ही बढ़ा चढ़ा कर पेश करने की कोशिश की। मेरी मां के कानों तक यह बात आई कि मेरे और राधिका के बीच में कुछ चल रहा है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था मैं सिर्फ उनसे इंसानियत के नाते बात किया करता था परंतु हमारे कॉलोनी में लोगों को शायद यह बात भी पसंद नहीं आई। मेरी मां ने मुझे कहा कि अवधेश बेटा मैं नहीं चाहती कि कुछ भी ऊंच-नीच हो जाए तुम अपने ऊपर काबू रखो मैंने मां से कहा मां तुम क्या बात कर रही हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा तुम सीधे तरीके से क्यों बात नहीं करती तभी पापा आए और वह कहने लगे कि हमें आजकल कुछ सुनने के लिए मिल रहा है।

पापा ने सीधे तौर पर मुझे कहा कि तुम्हारे और राधिका के बीच जो भी चल रहा है उसे तुम अभी छोड़ दो मुझे बिल्कुल भी यह पसंद नहीं है यदि कोई मुझे इस बारे में आकर कहेगा तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा। इस बात से शायद मुझे बहुत बुरा लगा था और मैंने पापा से कहा पापा आपको मुझ पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है आपने यह सोच भी कैसे लिया कि मेरा राधिका के साथ कुछ चल रहा है। पापा और मम्मी को हमारी कॉलोनी के लोगों ने यह यकीन दिला दिया था कि मेरे और राधिका के बीच में कुछ चल रहा है। मैंने भी राधिका से बात करनी कम कर दी थी जब भी वह मुझे दिखाई देती तो मैं अपना रास्ता ही बदल लिया करता था मेरे ऊपर भी उन लोगों की सोच हावी हो चुकी थी जो हमारी कॉलोनी में रहते थे। मम्मी भी अब राधिका से अच्छे से बात नहीं किया करती थी मम्मी का रवैया भी पूरी तरीके से राधिका के लिए बदल चुका था। अब राधिका से मेरा कोई संपर्क नहीं होता था राधिका अकेली महिला थी इसलिए उसे सब लोग बहुत परेशान किया करते थे। एक दिन उसके घर के आस पास वही लोग दिखाई दिए और वह बहुत डर गई थी लेकिन उसने किसी को भी नहीं बताया वह तो इत्तेफाक की ही बात है कि मैं उस दिन अपने छत पर था। मैंने जब उन लोगों को देखा तो मैं अपने आप को रोक न सका और उनके पीछे दौड़ता हुआ गया मैंने उनमें से एक लड़के को पकड़ लिया और जब मैंने उसके मुंह से कपड़े को उतारा तो वह हमारी ही कॉलोनी का चिंटू था। चिंटू को देखकर मैंने उसे कहा चिंटू तुम्हारी उम्र अभी इतनी भी नहीं है और तुम्हें अच्छे बुरे की कुछ समझ है भी या नही। मैंने उसे जब पकड़ा तो वह मेरे हाथ जोड़ने लगा और कहने लगा अवधेश भाई आप मुझे छोड़ दीजिए मैंने उसे कहा देखो मैं तुम्हें छोड़ने वाला नहीं हूं लेकिन तुम यह बात समझ लो कि तुम आगे से ऐसा करोगे तो मैं तुम्हें छोड़ने वाला नहीं हूं। वह मुझे कहने लगा कि आप घर में किसी को मत बताइएगा मैंने चिंटू को कहा कि लेकिन आज के बाद यदि तुमने कभी भी ऐसा किया तो मैं तुम्हारे घर में सब लोगों को बता दूंगा।

वह डर चुका था चिंटू अभी कॉलेज में ही पढ़ाई कर रहा है उस दिन के बाद कभी भी ऐसा नहीं हुआ लेकिन यह बात राधिका को पता चल चुकी थी और उसने मुझे एक दिन इस बात के लिए धन्यवाद कहा। मैंने राधिका को कहा कि देखो राधिका मुझे मालूम है कि तुम ने अपने जीवन में बहुत ही परेशानियां और तकलीफ देखी हैं और शायद यह समाज एक अकेली महिला को कभी भी जीने का अवसर नहीं दे पाता। राधिका मुझे कहने लगी अवधेश तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो। मैंने उसे पूरी बात बताई और कहा इसी वजह से मैं तुमसे बात भी तो नहीं कर पा रहा हूं तुम्हारे और मेरे बारे में सब लोगों ने गलत अफवाह फैला रखी है। मैंने राधिका को जब यह बात कही तो वह मुझे कहने लगी कि अवधेश मुझे लगता है कि मुझे अब यहां से कहीं और ही चले जाना चाहिए। मैंने राधिका को कहा तुम जहां भी जाओगी तुम्हें वहां पर ऐसी ही समस्या का सामना करना पड़ेगा और भला तुम कब तक इन परेशानियों से बचती रहोगी तुम्हें अब इनका सामना करना ही पड़ेगा। राधिका के अंदर मैंने वह जोश भर दिया था जिसकी उसके अंदर कमी थी उस दिन के बाद यदि कोई भी उसे कुछ कहता तो वह सीधा ही उसे जवाब दे दिया करती थी।

राधिका जब भी मुझे मिलती तो वह मुझे देखकर मुस्कुराती जरूर थी और हमेशा वह मुझसे बात करती थी। मैं भी राधिका से मिलने के लिए उसके घर पर चला जाया करता था वह मुझसे अपनी तकलीफ हमेशा बयां करती थी। मुझे राधिका से बात करना अच्छा लगता था मैंने राधिका के बारे में कभी भी अपने मन में गलत ख्याल पैदा नहीं किए थे। जब मैं उसे देखता तो मेरे दिमाग में उसे देखकर कुछ ना कुछ गलत ख्याल पैदा होने लगते। मैं जब भी राधिका के स्तन और उसकी गांड की तरफ देखता तो मुझे ऐसा लगता जैसे मुझे राधिका के साथ शारीरिक संबंध बनाने चाहिए। मै एक दिन राधिका के घर पर बैठा हुआ था और उससे बात कर रहा था गलती से मेरा हाथ उसकी जांघ पर लगा तो वह मेरी तरफ देखने लगी। उसके अंदर भी शायद कुछ तो चल रहा था धीरे-धीरे हम दोनों की बातें आगे बढ़ने लगी और एक दिन मैंने राधिका को अपनी बाहों में भर लिया। जब मैने उसे अपनी बाहों में भर लिया तो वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुकी थी और मेरी बाहों में जिस प्रकार से वह आ गिरी उससे मुझे अच्छा लग रहा था। मैंने राधिका के होठों का रसपान किया उसकी बंजर जमीन पर जैसे मैंने दोबारा से खेती कर दी हो उसे बहुत ही अच्छा लगा वह बहुत ही ज्यादा खुश नजर आ रही थी। मैंने राधिका को कहा आज तुम बहुत ज्यादा खुश नजर आ रही हो वह कहने लगी खुशी की बात तो है ही इतने समय बाद किसी ने मेरे होंठों को चूमा है। मैंने जब राधिका के बदन से कपड़े उतारने शुरू किए तो मैं उसके बदन को देखता ही जा रह गया उसका गोरा बदन बहुत लाजवाब था। उसका बदन ऐसा था जैसे कि किसी ने उसे दूध से नहला दिया हो मैंने जब उसके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया तो उसे बहुत मजा आने लगा मैं उसके बड़े स्तनों को मुंह में लेकर चूसाता जाता। मैने उसके स्तनों से दूध बाहर निकाल दिया था राधिका पूरी तरीके से उत्तेजित हो गई थी राधिका की चूत से पानी बाहर निकलने लगा था।

वह अपने आपको बिल्कुल भी काबू में ना कर सकी राधिका की चूत के अंदर जब मैंने अपनी उंगली को घुसाया तो मेरी उंगली राधिका की चूत के अंदर जा चुकी थी। राधिका अब अपने आपको रोक ना सकी वह मेरे लंड को बड़ी तेजी से हिलाने लगी। मैंने राधिका से कहा लगता है तुम जोश में आ चुकी हो वह कहने लगी मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी है और अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही हूं। जब मैंने उसकी चूत का रसपान करना शुरू किया तो वह और भी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी और अपने आपको बिल्कुल भी रोक ना सकी। मैंने अपने मोटे लंड को उसकी चूत के अंदर घुसाया तो वह चिल्लाने लगी उसके मुंह से सिसकियां बाहर की तरफ निकलने लगी मेरा लंड उसकी योनि के अंदर तक जा चुका था वह अपने पैरों को चौड़ा करने लगी।

वह बहुत ही ज्यादा उत्तेजित होने लगी मैंने राधिका को बहुत तेजी से धक्के मारने शुरू कर दिए थे वह मेरा साथ बड़े अच्छे तरीके से दे रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था। काफी देर तक मैंने राधिका के साथ संभोग का मजा लिया जब मेरे लंड से मेरा वीर्य बाहर निकलने लगा तो मैंने राधिका के मुंह के अंदर अपने लंड को घुसाया। वह मेरे लंड को बहुत देर तक चूसती रही उसने मेरे वीर्य को अपने अंदर ही समा लिया। कुछ दिनों बाद जब मैं राधिका से मिलने गया तो उस दिन हम दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने और उसके बाद जब मैंने राधिका की गांड को चाटकर चिकना बना दिया तो वह अपने आपको रोक ना सकी। उसकी गांड के अंदर मैंने अपने लंड को घुसा दिया जैसे ही मेरा लंड राधिका कि गांड मे गया तो वह चिल्लाने लगी। मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था मैं राधिका की गांड के मजे ले पा रहा था मैंने उसे बहुत देर तक धक्के मारे वह पूरी तरीके से मजे में आ चुकी थी और मैं भी बहुत ज्यादा खुश हो चुका था। मेरा लंड आसानी से राधिका की गांड के अंदर बाहर हो रहा है वह मुझसे अपनी चूतड़ों को मिलाने लगी लेकिन जैसे ही मेरे वीर्य की धार राधिका की गांड के अंदर गई तो वह खुश हो गई थी।
 
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