दूकान के पीछे दुकान भरी

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नमस्कार दोस्तों,

आज मैं आपको निमिशा पटेल की बेसुध कर देने वाली कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिससे आपका लंड फटने को दौड़ेगा और अपनी चुत में क़यामत छा जाएगी | मैं आज आपको एक लड़की की चुत - चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ जिसकी चुत को मैंने पहले दोस्ती और फिर हल्की - हल्की चाह में बदलते हुए अपनी दूकान के पीछे चोदा मारी थी | दोस्तों मैं अक्सर ही कुछ महीने पहले अपनी बाप की लगायी दूकान पर बैठ काम कर दिया करता था और उसी खरीद - दारी के दौरान ही मेरी निमिशा से मुलाकात हुई और फिर तो जैसे हमने एक दूसरे से मिलने और अपनी बातों को आगे बढ़ाना जैसे रोका ही नहीं |

हम काफी अच्छे से एक दूसरे से घुलते - मिलते जा रहे थे | धीरे - धीरे जैसे हम एक दूसरे को चाहने लगे थे पर मेरे दिमाक में तो हमेशा उसके उभरे हुए अंगों को देख कुछ और ही चलता था | अब जब भी वो मुझे मेरे काम के समय पर मिलने को आते थी तो मैं उसे अपनी ही दूकान के पीछे बुलाता और वहाँ उसके साथ खूब बैठकर आराम से बता किया करता था | मैं तो हूँ ही अपनी आदत से मजबूर और इसीलिए मैंने कुछ ही दिनों में उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध जैसे के उसके कमर के उप्पर के भाग को बस अपना ही बना लिया था | अब तो मैं उससे बात करता हुआ मस्त में कभी उसके होंठों का रस चूस लेता तो कभी उसके चुचों को निचोड़ डालता |

उसे भी जैसे अब अपने तन को मुझसे मसलवाने की आदत सी हो गयी और अब तो वो रोज मुझसे मिलकर आती और जान बुझा कर अंदर ब्रा भी नहीं पहनती थी | हमारे प्यार दोस्तों अब धीरे - धीरे हवस का रूप लेना शुरू कर दिया था और मैंने अब एक प्लान बनाते हुए निमिशा को फुरसत से अपनी दूकान के पीछे बुला लिया और अपने काम से पूरी छूती ले ली | मैंने वहाँ अब उसे चूमते हुए उसके उसके कुर्ती को उप्पर कर उसके चुचों को दबाते हुए आज मैंने उसकी सलवार भी खोल डाली और कुछ देर उसकी पैंटी के उप्पर हाथ फेरने के बाद उसकी पैंटी को भी उतार दिया | मैं अब उसे लिपटकर कर खड़ा हो गया और नीचे अपनी उँगलियाँ उसकी चुत में देने लगा जिसपर वो मचलते हुए गज़ब की सिसकियाँ लेने लगी |

मैंने अब उसे वहीँ के ज़मीं पर नंगी हो रखी निमिशा को लिटाया और उसकी चुत में लंड डाले से ना चूका | मेरे दो - तीन के ही झटकों से मेरा लंड पूरा उसकी चुत में सैर - सपाटे लगा रहा था | अब मैं उसके उप्पर कुत्ते के माफिक चड बस उसकी चुत मारे जा रहा था | शुरुआत में निमिशा को थोडा- बहुत दर्द हुआ था पर अब तो वो इस काम - क्रीडा के पूरे मज़े ले रही थी और थमने का तो नाम ही नहीं ले रही थी | मैंने लगातार पूरी शाम तक उसकी चुत मारी और आखिर अपने वीर्य को उसके पेट पर गिरा दिया और उसके चुत पर फिर प्यार दिखाते हुए वहीँ मसलते हुए ऊँगली डालने लगा |
 
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