ना चाहते हुए भी छा गए चुत के बादल

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हाई दोस्तों,

नमस्कार दोस्तों आज मैं आपको अपनी मकान मालकिन की बेटी की चुत चुदाई की खानी अपनी जुबानी सुनाने जा रह हूँ | दोस्तों उसकी बेटी लगभग मेरे बराबर की की ही थी और मैं मैं यह दावे के साथ कह सकता हूँ की उसकी चुत पहले से ही भोंडा बनी हुई थी इसलिए मैंने केवल समझो बहती हुई गंगा में हाथ धोया था | दोस्तों वैसे तो मैं चुदाई का पूरा शौक छोड़ चूका था और पूरा ध्यान अपने कार्यलय के काम में लगाना चाहता था था पर कम्भाकत किस्मत भी इतनी खराब हुई की चुदाई के काले बदल मेरे उप्पर बड़ी ही जल्दी छा गए | मरी मकान मालकिन का खुद का कमरा मेरे सामने ही था इसीलिए उसकी जवान मोटे सांवले चुचों वाली भी मेरे पास बड़ी जल्दी आ जाती और नज़रों में खूब बातें किया करती |

वो तो मेरे से चुदने के लिए तब से तड़प रही थी जब से मैंने मकान किराये पर लिया था और एक रोज मैंने उसकी चुदाई की मस्तानी और कामुक मुराद भी पूरी कर दी | जब मैं एक रोज अपने काम से जल्द ही लौट गया तो देखा की वो मेरे सामने हो लेती हुई थी और उसकी कुर्ती इतनी उठी हुई थी की उसका पेट मुझे साफ़ दिखाई दे रहा था | मैंने थोड़ी बहुत जांच पड़ताल की तो पता चल की मेरी मकान मालकिन भी घर पर नहीं थी | मैंने भी अब चाय पीते हुए टी.वी चलाया और उसके पास जाकर ही बैठ गया | अबी उसे भी पता था का की मैं उसके सामने बैठा हूँ पर वो उसी तरह सोती रही और मैं अब अपने हाथ को फिस्लाते हुए कभी उसके पेट तो उसके चुचों को छू लेता जिसपर उसने मेरा कोई विरोध नहीं किया |

मैंने कुछ देर में उसे अपनी बाहों में भरते हुए चूमना शुरू कर दिया मतलब मैंने उससे एक दूँ चिपटा हुआ था | हम दोनों को पता था की वो सो नहीं रही थी | तभी वो भी उठ पड़ी और मैंने अब उसके होंठों को मेरे होठो के तले दबा रहा था और अब मैं उसके चुचों को दबाते और सहलाते हुए बस मज़ा ले रहे थे | मैंने कुर्ती को उतार दिया और नंगे चुचों को बारी - बारी मसलते हुए अपने मुंह में भरके चूसने लगा | मैंने कुछ ही देर मैं उसके सारे कपड़ों को उतार दिया नंगी कर लिटाकर उसके उप्पर चढ गया | मैंने कुछ देर उसकी चुत को रगडा फिर बस अपने लंड को निकाला और उसकी टांगों के बीच चुत पर टिका दिया | मैंने अब अपने लंड के हलके - हलके धक्के मारना शुरू कर दिया जिसपर उसे कुछ भी दर्द नहीं हो रह था |

मुझे पता चल चूका था की मेरा एक अच्छी - खासी रंडी से पला पड़ा है और मैं बेसुध होकर अभी भी उसकी चुत - पेलने में जूता हुआ था | मेरी चुदाई पर वो अब किसी भैंस की तरह अपनी गर्दन को हिलाती हुई और कसके चुदाई की पुकार किये जा रही थी और मैं उसके भोंसडे और फाड़ने में अपनी पूरी जान लगाये जा रहा था | मेरी मेहनत भी रंग लायी की मैं अपनी चरम सीमा पर जल्द ही पहुँच गया और जोश में मैंने अपने मुठ को छोड़ दिया | उसके बाद वो मेरे लंड को चूसने लगी रो इस दिन के बाद से मैंने अपनी मकान मालकिन की बेटी की घर के बहार कई और जगहों पर भी चुदाई की |
 
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