हाथ सहलाते हुए चुत गर्म किया

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हाई दोस्तों,

मेरा नाम विप्पिन है और मुझे सेक्स का बहुत नशा हे और में इसके लिए कुछ भी कर सकता हू | एक दिन मेरे सामने वाले परिवार को कुछ जरुरी काम से अपने गॉव जाना पड़ा तो वो अपनी बेटी को हमारे घर पे छोड़ के गए हुए थे | उसकी परीक्षा चल रही थी इसीलिए, मुझे उसके साथ अक्सर जाना पड़ता था क्युकी मेरे घर में और कोई लड़का नही था | हम दोनों में अच्छी दोस्ती हो गयी थी और वो मुहसे उम्र में छोटी थी पर दोस्ती इतनी गहरी हो गयी की वो सब हम भूल गए थे | हम दोनों कभी डबल मतलब और कभी सेक्स की बातें भी कर लिया करते थे | एक दिन मेरी माँ बहार गयी हुई थी सब्जी लेने और मैं और रेशमा घर पे ही थे | हम दोनों बात कर रहे थे की मेरी नजर उसके चुच्चो पे पड गयी और मेरा लंड तन गया |

मैं उसके हाथो को पकड़ा और सहलाने लग गया, वो सब समझ रही थी पर मुझे कुछ बोल भी नही रही थी | मैं उसके हाथो को चूमा और फिर सीधे उसके होठो को चूसना शूर कर दिया और वो भी मेरा साथ देने लग गयी | मेने फिर उसे लेटा दिया और उसके मम्मे दबाने लग गया |अब मुझे उसकी हल्की - फुल्की सिसकियाँ आने लगी थी | मैंने कुछ ही देर में उसके टॉप को उतारते हुए उसके गोरे - गोरे चुच्चो को पिने लगा | कुछ देर उसके निप्पल को पिएँ के बाद मेने उसके पजामे को उतार दिया और उसकी तप को उपर कर दिया | मैं उसके जिस्म कोच हमते चुमते उसकी चुत पे आय जो की पूरी तरह से गीली हो चुकी थी | वो बीएस सिसकिय पे सिसकिय भरी जा रही थी | मैंने रेशमा के टांग को चौड़ा किया और नीचे से अपनी उँगलियाँ उसकी चुत में देनी शुरू की जिससे वो बेकाबू होके अपनी ऊँगली चुत के उप्पर ही रगड़ने लगी |

अब मैंने अपने लंड को लेके उसकी चुत पे रगड़ने लगा जिससे वो अब तदपने लगी लंड के लिए, उसकी तडप देख के मुझसे भी रहा नही गया और मेने अपने लंड को उसकी चुत में घुसेड ही दिया और उसके मुह से भयानक चीख निकली और वो रोने लग गयी | मेने उसकी आंसू को नही देखा और लंड अंदर बहार करने लग गया और कुछ देर में उसका दर्द कम हो गया और वो मेरे धक्को के मजे लेने लग गयी | मैंने कोई रोकथाम ना लगते हुए बस उसकी चुत को भोसड़ा बनाने की जैसे माँ कसम ही खा ली थी | मैं करीब एक घंटे तक उसकी चुत मारा और न जाने वो कितने बार झड़ी और में तो तिन बार झड चूका था उस चुदाई में | आखिरी बार में उसकी चुत में झड गया और थक के उसी के उपर सो गया था |

जब मेरी नींद खुली तो मुझे घंटी की आवाज़ सुने दे रही थी, मेने जल्दी से रेशमा को उठाया और वो ठीक ठाक हुई और फिर मेने दरवाजा खोला तो देखा की चिट्ठी वाला आया था | उसके बाद हमे हर दिन चुदाई का मोका तो मिल जाता था पर हम हर दो दिन के बाद ही किया करते थे जब तक उसके घर वाले नही आ गए |
 
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